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Thriller कामुक अर्धांगनी
मधु की कसक अत्यंत चर्म पर पहुँच चुकी थी जब वसंत का सख्त लिंग उसके योनि के अग्रिम भाग से टकरा कर अद्भुत आनंद देता अंदर उसके गुदगुदे चमड़ी पर घिसता जा रहा था ओर उसकी योनि पतझर सी काँपती बरसात की फुसफुसाहट की तरह बरसे जा रही थी और अंघुटे का हिस्सा गांड के छेद मे कंपन करता पूरी तरह आनन्दमयी योवन को भड़का रहा था मानो मधु एक भोग विलास की गुड़िया बन चुकी थी जिसकी सारी मनोकामना एक अन्य मर्द के आधीन पड़ी हुई थी जो मन मुताबिक अपनी गुड़िया को अपने खेल मे खिलाये जा रहा था ।
 
 
उफ्फ्फ बेटा ज़रा तोह तरस खाओ यू तेज़ दर्द न दो अपने माँ को कहती मधु लंबी लंबी साँसे लेती अहह कर रही थी और बेटा अपने लड़ को यू ही रफ्तार मे योनि के अंदर बाहर करते बोलता तेरी ये चूत ऐसी लस लस कर रही कि मेरा लौड़ा अब रुक न सकता न ही धीरे चल सकता है माँ, बस अब मुझे चोदने दे बड़ी देर दूध पिलाई है तूने अब दूध का दम दिखाने दे अपने बेटे को बोलता वसंत अपने लटकते अण्डों को मधु के बदन पर कस कर टकराता जा रहा था और उसके बदन की टकराहट से मधु के बदन पर एक धक्का लगता जा रहा था जो थप थप आवाज़ करते मधु की चिकताक़री को बढ़ाता और वो अहह उफ्फ करती घोड़ी बन खुद के स्तनों को खुद पर टकराते महसूस कर अपने हिलते स्तनों को निहारती बस कामदेव की कामवासना मे गहराई तक समाती ओर अपने केसों को अपने चेहरे पर आ जाने से ऐसे मुँह को हिलती की वो एकदम सी बेबस पर संतुष्ट नज़र आती ।
 
 
 
वहाँ होने के वावजूद मे बस अपनी अर्धाग्नि को निहारता पर हाथ बढ़ा केसों को नही सुलझाता चुकी मुझे उसकी ये झलक देख अजीब आनंद आने लगा था । मधु की बेदर्द ठुकाई से वो पसीने से तरबतर हो चुकी थी पर उसकी हाथों ने अपना जगह नहीं बदला था मानो वो और धक्कों को अपने योनि की गहराई मे लेने को मचल सी रही हो आखिर कौन सी औरत ऐसे मर्द को अपनी आबरू न भेट करे जो यू योनि को लस लस कर दे और झटकों से इतना गर्म करते जए की उसकी योनि गर्म हो कर पानी बरसाने लगे ।
 
वसंत ने अंघुटे को खींच बाहर निकाल कर एक हल्का थपड़ से मधु के गांड पर चाटा जड़ा ओर बोला माँ तेरी चूत बड़ी मस्त है मधु कुछ कहती इससे पहले उसके बेटे ने एक जोरदार थपड़ से अपनी माँ को रुलाते बोला क्या गांड है तेरी उफ्फ्फ मधु छटपटा सी गई और उसके गांड पर लाल निशान उभर आई पर वो घोड़ी बनी रही और उसका बेटा अपनी माँ के दोनों गांड के उभारों को अपने हाथों से लाल करता बोला माँ अगर मेरा बाप नामर्द न होता तो मुझे तेरी ये कमसिन गर्म जवानी न भोग पाता न , मधु अपने एक हाथ से अपने केसों को गर्दन के किनारे करती मेरी और देखते बोली बेटा तेरा बाप नामर्द गांडू सही पर तेरी माँ का सुहाग है और तेरे बाप को पता था माँ की प्यास बेटे से अच्छा कौन बुझा सकता है अब ऐसे थक गई बेटा उप्पर से चोद मुझे ।
 
 
 
 
चल ठीक है उठ कर खड़ी हो जा माँ तुझे दीवार पर टिका के पेलता हूँ ,मधु जैसे है बिस्तर से उतरी उसकी झाघे कांप उठी पर वसंत ने अपने माँ के दूध को हाथों मे भरते बोला क्या माँ अभी से थक गई पर मधु उसके गलों को हाथों से पकड़ खिंचती बोली अभी कहाँ बेटा अभी तो झड़ी भी नही तेरे नाम की पानी बहाई कहा हूँ कहती वो अपने बेटे से चिपक गयी और बेटा ने माँ को बाहों मे भरते ही घुमा कर दीवार पर सटा दिया और उसके गर्दन पर हाथ रख बोला गांड को बाहर निकाल माँ बाकी तू छिपकली बन दीवार से चिपकी रह
 
मधु ने अपने उभरी गांड को हल्का नीचे कर बाहर की ओर निकाला और अपने जिस्म को दीवार पर चिपका खड़ी हो गई और बेटा माँ के केसों को हाथों मैं ले कर अपने लड़ को उसके गांड पर घिसते बोला तेरी गांड मारूँगा बोल , वो थूक थूकता गांड पर लड़ रगड़ते बोला तेरी ये गांड तेरे बेटे को मज़ा देगी और मधु अपने दोनों स्तनों को दीवार पर रगड़ती अपने हाथों को ऊँची उठा दीवार की ठंड को महसूस करती तिरछी देखती बोली आराम से बेटा तेरी माँ हूँ वो हँसते बोलने लगा तू मेरी माँ भी है और मेरी रांड भी है कुतिया भी और अपने लड़ को छेद पर रख हल्का दबा कर अपने हाथ को मधु के मुँह पर रखते एक झटका मार गांड मे लड़ डालते बोला उफ्फ्फ माँ बड़ी सख्त गांड है तेरी लड़ की चमड़ी को ऐसे ही छेदों मे जा के मज़ा आता है और मधु कसमसाती अहह करती लाल होने लगी थी ।
 
वसंत ने जैसे ही अपना लड़ गांड के गहराई मे उतारा फिर वो कमर पकड़ झटके मारने लगा जो कि अत्यंत आक्रामक था । उसकी माँ निःशब्द बस आहे भर्ती चीखती चिलाती रही ओर वो अपनी माँ के गांड को अपने लड़ के वॉर से भोगता चला गया नतीज़ा ये हुआ कि उसके माँ की कामुक योवन वाली जिस्म पर अचानक योवन की खुमारी चढ़ उठी और उसके पाव काँपने लगे उसका जिस्म थरथराने लगा और बेटे ने ये देख अपने माँ को दीवार से अलग कर अपने नामर्द बाप की तरफ़ करते हुए अपने हाथ से माँ की चूत को छुवा और माँ की टाँगे छौंड़ी कर अपने दो उँगलियों को डाल हिलाने लगा ओर ये देख मेरा नामर्द जिस्म अकड़ खाता मुझसे बोला देख मादरचोद गांडू देख क्या होती है औरत का असली सुख ।
 
 
मधु की चीख सातवें आसमान पर थी और वो थर थर करती काँपती जा रही थी एक उसके बेटे का लड़ गांड की गहराई मे था और ऊपर से उसका बेटा दो उँगलियों को चूत के अंदर डाल ऐसे हिला रहा था मानो वो अपनी माँ को नहीं एक वैश्या का भोग कर रहा हो आखिर मधु इस भोग के लिए निर्वस्त्र एक कम उम्र लड़के के साथ संभोग कर रही थी उसका चेहरा लाल हो चुका था आँखे खुल नहीं रही थी, स्तनों के निप्पलों पर बेहद कड़क तनाव बना हुआ था जिस्म पर पसीने की बूंदे राज कर रही थी और आखिर मधु बेहद ज़ोर चीखते अपने पैरों पर संभलने की हालत न पाती झड़ने लगी और वसंत ज़ोर से बोला माँ मूत दे तू बेटे के लिए मूत मेरी रंडी माँ मूत दे बस कहता वो उँगलियों को उसके चिपचिपे चूत पर तेज़ रफ़्तार रगड़ता रहा ओर मधु हवस की आग को झेल न सकी और झड़ते झड़ते उसकी टाँगे खुद वो खुद बेजान होने लगी और वो अपने बेटे के हाथों पर लटकी बेशर्म की तरह वही मूतने लगी और बेटा उसके मूत पर हाथ लग थापड़ मारता बोला देखी मेरी माँ मैं ना कहता था तुझे ऐसे चोदूगा की तू खड़ा भी न रह पाएगी बोलता वो निढाल पड़ी मधु को अपने बलिष्ट हाथों से ऊपर करते दीवार पर चिपका कर गांड मारने लगा और मधु बेबस की तरह मुतती दीवार को भिगोती हाँफते बोलने लगी अब खड़ा नही रह सकती बेटा वो उसके बदन को दीवार पर तेज़ दबाता बोलने लगा बस मेरी कुतिया थोड़ी देर रुक तेरे गांड को ज़रा और मार लू ।
 
 
फर्श पर मधु की मूत फैलने लगी और वो अब निर्बल सुस्त थाकिहारी अबला नारी बनी खड़ी तो थी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं थी । वसंत पूरी ताकत लगा मधु के गांड को मारता जा रहा था और वो अपने चर्म पर पहुँचने से पहले रुक अपने हाथों से मधु के बालों को कस के पकड़ कर बिस्तर पर पटक दिया और चढ़ कर मधु के सूखे होंठो पर लड़ रगड़ता बोला ये पी ले माँ तेरी थकावट दूर हो जाएगी पर मधु अब शक्तिहीन हो चुकी थी जी देख वसंत अपने लड़ को खुद हिलाता रहा और मधु के चेहरे को अपने वीर्य से भिगोता बोला लगता है अब दुकान जाना ही ठीक रहेगा ये रांड तो अब नही उठने वाली बोल वो अपने लड़ की आखरी बूंद उसके बंद आँखों के पलकों पर लगाता उठ खड़ा हुआ और कपड़े पहन कर मुझे बिना बोले दरवाजे से निकल गया ।
 
मैं फौरन दरवाजे की और बढ़ा और दरवाज़ा बंद कर के मधु के पास आया वो गहरे नींद मे समा चुकी थी और उसके चेहरे पर पड़ा वीर्य देख मे लालची हो जीभ लगा चाटने लगा और संपूर्ण वीर्य की बूंदों को चाट कर मे वही लेट गया ।
 
 
कहानी जारी रहेगी ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 02-05-2021, 11:03 PM



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