02-05-2021, 08:21 PM
भैया को दूंगी , दूँगी दूँगी
" हे भाभी छोड़ दीजिये न , भौजी प्लीज ,... "
" अच्छा एक बार बोल दे क्या छोडूं तो छोड़ दूंगी , क्यों कम्मो "
जोर से उसके निप्स को पिंच करती कम्मो बोली।
" ओह्ह मेरे वो मेरा सीना , मेरे जोबन ,... "
मैंने कम्मो से भी जोर पिंच किया , वो जोर से चीखी लेकिन उसे मेरी बात याद आ गयी , मेरे सामने चूँची , चूत , चुदाई के अलावा कुछ भी बोला तो ,
बड़ी मुश्किल से उसके मुंह से चूं निकला तो कम्मो ने कस के उभार दबा दिए और चिढ़ाया ,
" हे चिड़िया हो का जो चूं चूं बोल रही हो पूरा बोल , .... नहीं तो ,... "
" चूँची , ... धीमे से वो बोली
मैंने नहीं सुना " मैं और कम्मो एक साथ बोलीं ,
अबकी थोड़ा जोर से बोली वो ,
' चूँची भौजी छोड़ दो न हमार चूँची "
और हम दोनों ने छोड़ दिया लेकिन टुकुर टुकुर देखने से हमे कौन रोक सकता था ,
रुई के गोल गोल फाहों ऐसे मुलायम , खूब गोरे गोरे माखन के गोलों ऐसे , छोटे भी नहीं , उसकी उम्र के हिसाब से तो , ... अच्छे खासे मुट्ठी में जाएँ और जान मारू थे निप्स , ललछौंहे , बस सुबह की सूरज की लालिमा ऐसे , आ ही रहे थे , कच्ची मटर की फली के दाने ऐसे ,
लेकिन कम्मो फागुन हो , ननद हो , उसके उघारे नए आ रहे जोबन हो और रंग न लगाया जाय , बस प्लेट भर गुलाल जो लायी थी वो सीधे दुनो जोबना के ऊपर ,
गुड्डी ना ना करती रही , लेकिन फागुन में किसी ननद की किसी भौजाई ने सुनी है जो वो सुनती ऊपर से कम्मो ऐसी भौजाई ,
फिर मैं क्यों पीछे रहती और मैं ने नन्द की बात का जवाब भी दिया ,
" यार तू ही कह रही थी न की ड्रेस में रंग न लगे तो अब कतई ड्रेस में रंग नहीं लगेगा , अब काहें चिल्ला रही है , '
कबूतर के ललछौंहे पंख बहुत अच्छे लग रहे थे , बस ननद रानी की जोबना की रगड़ाई करने का काम मैंने कम्मो के ऊपर छोड़ा और खुद गुड्डी के ही फोन से उसकी फोटो खींचने में लग गयी , कुछ क्लोज अप तो कुछ में गुड्डी रानी का चेहरा भी एकदम साफ़ आ रहा था ,
जब तक वो समझती सम्हलती उस कच्ची कली के किशोर उभारों के दर्जनो फ़ोटो
लेकिन तब तक मैं दूर खड़ी थी , और उसकी फोन बुक में से नंबर सेलेक्ट कर रही थी ,
" हे बोलो न किस किस को भेज दूँ , तेरी सारी सहेलियों को , और रेनू को बोल दूंगी कुछ तेरे भंवरों को , बेचारे उन का भी कल्याण हो जाएगा , अरे वाह तेरे व्हाट्सऐप में तो तेरे कुछ भंवरों का भी नंबर है , बस सबसे पहले उन्ही को ,... "
बेचारी उस की हालत खराब
पर हालत उसकी खराब , हाथ दोनों बंधे और वो कम्मो की पकड़ में , ...
" भाभी प्लीज ,... "
" अच्छा चल यार लेकिन एक मेरी छोटी सी बात , एक है कोई जो तेरे इस जुबना का प्यासा है , बेचारा दो तीन दिन में चला जाएगा , फिर पांच छह महीने कब लौटे पता नहीं , एक बार ये दोनों कबूतर उसको ,... "
" धत्त भाभी ," वो शर्माती थी तो और सेक्सी लगती थी।
" लास्ट चांस ,... यार तेरे फोन से भेज रही हूँ , सब तुरंत खोलेंगे , और तू ये भी नहीं कह सकती पता नहीं किसने भेजा ,... बस एक बार बोल दे न देगी , ये दोनों , ... "
" अच्छा बोल दूंगी , भाभी डिलीट कर दीजिये न "
डिलीट तो मैंने नहीं किया लेकिन फोन रख दिया और फिर उस के पास आके बोली ,
" क्या बोलेगी ,... एकदम साफ़ साफ़ बोल ,... तो मालूम है न कौन है तेरा दीवाना , ... बस बोल दे दूंगी "
मुझ से ज्यादा , कम्मो और जब तक तीन बार उसने नहीं बोला ,
" चूँची भैया को दूंगी , दूँगी दूँगी "
तब तक हम दोनों ने नहीं छोड़ा , हाँ उसकी इस बात की भी पूरी वीडियो रिकार्डिंग हुयी।
लेकिन अभी तो चार आने का भी खेल नहीं हुआ था , कम्मो की उँगलियों का जादू तो बचा था और मुझे भी ननद से होली खेलना था।
" हे भाभी छोड़ दीजिये न , भौजी प्लीज ,... "
" अच्छा एक बार बोल दे क्या छोडूं तो छोड़ दूंगी , क्यों कम्मो "
जोर से उसके निप्स को पिंच करती कम्मो बोली।
" ओह्ह मेरे वो मेरा सीना , मेरे जोबन ,... "
मैंने कम्मो से भी जोर पिंच किया , वो जोर से चीखी लेकिन उसे मेरी बात याद आ गयी , मेरे सामने चूँची , चूत , चुदाई के अलावा कुछ भी बोला तो ,
बड़ी मुश्किल से उसके मुंह से चूं निकला तो कम्मो ने कस के उभार दबा दिए और चिढ़ाया ,
" हे चिड़िया हो का जो चूं चूं बोल रही हो पूरा बोल , .... नहीं तो ,... "
" चूँची , ... धीमे से वो बोली
मैंने नहीं सुना " मैं और कम्मो एक साथ बोलीं ,
अबकी थोड़ा जोर से बोली वो ,
' चूँची भौजी छोड़ दो न हमार चूँची "
और हम दोनों ने छोड़ दिया लेकिन टुकुर टुकुर देखने से हमे कौन रोक सकता था ,
रुई के गोल गोल फाहों ऐसे मुलायम , खूब गोरे गोरे माखन के गोलों ऐसे , छोटे भी नहीं , उसकी उम्र के हिसाब से तो , ... अच्छे खासे मुट्ठी में जाएँ और जान मारू थे निप्स , ललछौंहे , बस सुबह की सूरज की लालिमा ऐसे , आ ही रहे थे , कच्ची मटर की फली के दाने ऐसे ,
लेकिन कम्मो फागुन हो , ननद हो , उसके उघारे नए आ रहे जोबन हो और रंग न लगाया जाय , बस प्लेट भर गुलाल जो लायी थी वो सीधे दुनो जोबना के ऊपर ,
गुड्डी ना ना करती रही , लेकिन फागुन में किसी ननद की किसी भौजाई ने सुनी है जो वो सुनती ऊपर से कम्मो ऐसी भौजाई ,
फिर मैं क्यों पीछे रहती और मैं ने नन्द की बात का जवाब भी दिया ,
" यार तू ही कह रही थी न की ड्रेस में रंग न लगे तो अब कतई ड्रेस में रंग नहीं लगेगा , अब काहें चिल्ला रही है , '
कबूतर के ललछौंहे पंख बहुत अच्छे लग रहे थे , बस ननद रानी की जोबना की रगड़ाई करने का काम मैंने कम्मो के ऊपर छोड़ा और खुद गुड्डी के ही फोन से उसकी फोटो खींचने में लग गयी , कुछ क्लोज अप तो कुछ में गुड्डी रानी का चेहरा भी एकदम साफ़ आ रहा था ,
जब तक वो समझती सम्हलती उस कच्ची कली के किशोर उभारों के दर्जनो फ़ोटो
लेकिन तब तक मैं दूर खड़ी थी , और उसकी फोन बुक में से नंबर सेलेक्ट कर रही थी ,
" हे बोलो न किस किस को भेज दूँ , तेरी सारी सहेलियों को , और रेनू को बोल दूंगी कुछ तेरे भंवरों को , बेचारे उन का भी कल्याण हो जाएगा , अरे वाह तेरे व्हाट्सऐप में तो तेरे कुछ भंवरों का भी नंबर है , बस सबसे पहले उन्ही को ,... "
बेचारी उस की हालत खराब
पर हालत उसकी खराब , हाथ दोनों बंधे और वो कम्मो की पकड़ में , ...
" भाभी प्लीज ,... "
" अच्छा चल यार लेकिन एक मेरी छोटी सी बात , एक है कोई जो तेरे इस जुबना का प्यासा है , बेचारा दो तीन दिन में चला जाएगा , फिर पांच छह महीने कब लौटे पता नहीं , एक बार ये दोनों कबूतर उसको ,... "
" धत्त भाभी ," वो शर्माती थी तो और सेक्सी लगती थी।
" लास्ट चांस ,... यार तेरे फोन से भेज रही हूँ , सब तुरंत खोलेंगे , और तू ये भी नहीं कह सकती पता नहीं किसने भेजा ,... बस एक बार बोल दे न देगी , ये दोनों , ... "
" अच्छा बोल दूंगी , भाभी डिलीट कर दीजिये न "
डिलीट तो मैंने नहीं किया लेकिन फोन रख दिया और फिर उस के पास आके बोली ,
" क्या बोलेगी ,... एकदम साफ़ साफ़ बोल ,... तो मालूम है न कौन है तेरा दीवाना , ... बस बोल दे दूंगी "
मुझ से ज्यादा , कम्मो और जब तक तीन बार उसने नहीं बोला ,
" चूँची भैया को दूंगी , दूँगी दूँगी "
तब तक हम दोनों ने नहीं छोड़ा , हाँ उसकी इस बात की भी पूरी वीडियो रिकार्डिंग हुयी।
लेकिन अभी तो चार आने का भी खेल नहीं हुआ था , कम्मो की उँगलियों का जादू तो बचा था और मुझे भी ननद से होली खेलना था।