02-05-2021, 08:20 PM
होलिया में उड़े रंग गुलाल
" तो कपड़ा उतार दो न , सही तो है "
कम्मो को तो और मौका मिल गया चिढ़ाने का ,
गुड्डी मुझे रोक रही थी ,
पर कम्मो ने एक झटके में उसके दुप्पट्टे की तरह स्टोल को खींच लिया , और जब तक वो समझे , उसके दोनों हाथ कम्मो के हाथ में , पीठ के पीछे
और कम्मो ने जबरदस्त गाँठ बाँध दी थी , किसी हालत में छुड़ाने से छूटती नहीं।
गुड्डी के जोबन , जबरदस्त , टॉप फाड़ते ,... अब मैं समझी बेचारी ने स्टोल दुपट्टे की तरह क्यों ओढ़ रखा था , भंवरों से नए आते उरोजों को छुपाने के लिए , ...
" अरे देखी जरा कौन चीज़ है जो इतना तोप ढांक के राखी हो , अच्छा , माल तो जबरदस्त है , ... "
टॉप के ऊपर से उसके उभारों को हलके हलके छूते सहलाते मैंने छेड़ा ,
कम्मो पीछे से उसके दोनों हाथ कस के पकडे हुए थी और गाँठ बाँध रही थी , इसलिए मेरी ननद हाथ मेरे हटा भी नहीं सकती थी , खाली कसर मसर कर रही थी , पर कम्मो की बाँधी गाँठ , अब उसके हाथ छूटने से रहे।
" अरे यार तेरे भइया इसी के लिए तो इत्ता ललचाते रहते हैं , दे दे ना , आखिर कोई न कोई तो इनका रस लूटेगा ही। "
हलके हलके उसके उभार सहलाते मैं उसे समझा भी रही थी , उकसा भी रही थी।
कम्मो भी आ गयी मेरे साथ और वो सहलाने छूने वाली नहीं थी , दूसरा उभार उसके हाथ में था , और वो टॉप के ऊपर से ही उसे रगड़ मसल रही थी कस कस के ,
असर वही हुआ जो होना था , पहले तो वो चीखी चिल्लाई पर कम्मो के हाथ का असर , जोबन रगड़ने मसलने में लड़कों से भी दस हाथ आगे थी ,
गुड्डी सिसकने लगी।
उसके निप्स एकदम खड़े टॉप के ऊपर से झलकने लगे , और अब कम्मो ऊँगली से फ्लिक करने लगी पर बोल वो मुझसे रही थी ,
" अरे ये कोई पूछने की बात है , काहें नहीं देगी , आज अपने भइया को देगी , बाद में हमारे भैया को देगी , ये तो देने को तैयार है बस लेने वाला ,.... "
और अब कम्मो की बात काटते हुए , मैं ने दूसरे निप को पकड़ा और अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच दबा के फ्लिक करने लगी ,
" देख तेरे भइया ऐसे ही करते हैं , सच में बहुत मजा आता है , पहले ऊँगली से फिर होंठों से ,... बेचारे इत्ता तरसते हैं तेरे इन कच्ची अमियों के लिए , ... सच बहुत मजा आएगा तुझे "
मजा तो उसे भी बहुत आ रहा था पर वो बोल रही थी , भाभी छोड़िये न , उसकी आँखों में भांग का नशा हलका सा छा रहा था ,
" चलो न ननद की बात मान लेते हैं , हम तोहार एक बात मान लेते हैं तू हमार बात मान लो , अपने भइया से , .... "
कम्मो ने टॉप तो छोड़ दिया , और मैंने भी लेकिन हम दोनों ने मिल के टॉप उठा दिया ,
किसी भी लौंडे की हालत खराब हो जाती , और इनका मूसल तो पक्का पत्थर का ,... दो छोटे छोटे लड्डू ब्रा में मुश्किल ढंके , ... और ये ब्रा जो उसके भइया लाये थे , हाफ कप वाली , जो छिपाती कम थी , दिखाती ज्यादा थी।
और अब ब्रा के ऊपर से रगड़ना मसलना चालू हो गया , लड़कियों के मामले में मैं कम्मो को मान गयी थी , उन्हें पिघलाना , गीली करना , मोहल्ले की जो ननदें उसकी पकड़ में आयी थी सब की , ... और आज तो कम्मो टॉप फ़ार्म में थी
बिना कुछ बोले , वो हलके उसकी ब्रा के ऊपर से वो सहला रही थी मसल रही थी , लेकिन मुझसे नहीं रहा गया मैंने पीछे से ब्रा की स्ट्रैप खोल दी , और अब ब्रा मेरी मुट्ठी में ,
ब्रा पहनी ननदें मुझे एकदम नहीं अच्छी लगती थीं , इत्ती मुश्किल से इत्ता इन्तजार करने पर तो ये जोबन आते हैं , और ऊपर से ,... इतना तोपना छुपाना ,
ब्रा मेरी मुट्ठी में और दोनों जोबन कम्मो की ,
लेकिन अब उसके होंठ और जीभ मैदान में आ गए थे , पहले जीभ से वो निप्स फ्लिक कर रही थी , फिर हलके हलके सक करने लगी ,
उह्ह्ह , नहीं नहीं , भौजी नहीं , ओह्ह्ह , ... प्लीज , भौजी छोडो न
मिनट भर में ही गुड्डी रानी पिघलने लगी ,
लेकिन कम्मो इत्ती आसानी से नहीं छोड़ने वाली , उसने चूसने की रफ़्तार बढ़ा दी , कम्मो के होंठो का असर किसी उभरते निपल पर इतना होता था जितना कोई और क्लिट को छूए
गुड्डी की आँखे पूरी तरह बंद हो गयी थी वो सिसक रही थी पिघल रही थी ,
कम्मो ने अब गियर बदला और मैं भी उसके साथ , कस कस के हम दोनों अपनी नन्द के उभारों को रगड़ मसल रहे थे ,
और वो चीख रही थी , कभी दर्द से कभी मस्ती से ,
" हे भाभी छोड़ दीजिये न , भौजी प्लीज ,... "
" अच्छा एक बार बोल दे क्या छोडूं तो छोड़ दूंगी , क्यों कम्मो "
जोर से उसके निप्स को पिंच करती मैं बोली।
" तो कपड़ा उतार दो न , सही तो है "
कम्मो को तो और मौका मिल गया चिढ़ाने का ,
गुड्डी मुझे रोक रही थी ,
पर कम्मो ने एक झटके में उसके दुप्पट्टे की तरह स्टोल को खींच लिया , और जब तक वो समझे , उसके दोनों हाथ कम्मो के हाथ में , पीठ के पीछे
और कम्मो ने जबरदस्त गाँठ बाँध दी थी , किसी हालत में छुड़ाने से छूटती नहीं।
गुड्डी के जोबन , जबरदस्त , टॉप फाड़ते ,... अब मैं समझी बेचारी ने स्टोल दुपट्टे की तरह क्यों ओढ़ रखा था , भंवरों से नए आते उरोजों को छुपाने के लिए , ...
" अरे देखी जरा कौन चीज़ है जो इतना तोप ढांक के राखी हो , अच्छा , माल तो जबरदस्त है , ... "
टॉप के ऊपर से उसके उभारों को हलके हलके छूते सहलाते मैंने छेड़ा ,
कम्मो पीछे से उसके दोनों हाथ कस के पकडे हुए थी और गाँठ बाँध रही थी , इसलिए मेरी ननद हाथ मेरे हटा भी नहीं सकती थी , खाली कसर मसर कर रही थी , पर कम्मो की बाँधी गाँठ , अब उसके हाथ छूटने से रहे।
" अरे यार तेरे भइया इसी के लिए तो इत्ता ललचाते रहते हैं , दे दे ना , आखिर कोई न कोई तो इनका रस लूटेगा ही। "
हलके हलके उसके उभार सहलाते मैं उसे समझा भी रही थी , उकसा भी रही थी।
कम्मो भी आ गयी मेरे साथ और वो सहलाने छूने वाली नहीं थी , दूसरा उभार उसके हाथ में था , और वो टॉप के ऊपर से ही उसे रगड़ मसल रही थी कस कस के ,
असर वही हुआ जो होना था , पहले तो वो चीखी चिल्लाई पर कम्मो के हाथ का असर , जोबन रगड़ने मसलने में लड़कों से भी दस हाथ आगे थी ,
गुड्डी सिसकने लगी।
उसके निप्स एकदम खड़े टॉप के ऊपर से झलकने लगे , और अब कम्मो ऊँगली से फ्लिक करने लगी पर बोल वो मुझसे रही थी ,
" अरे ये कोई पूछने की बात है , काहें नहीं देगी , आज अपने भइया को देगी , बाद में हमारे भैया को देगी , ये तो देने को तैयार है बस लेने वाला ,.... "
और अब कम्मो की बात काटते हुए , मैं ने दूसरे निप को पकड़ा और अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच दबा के फ्लिक करने लगी ,
" देख तेरे भइया ऐसे ही करते हैं , सच में बहुत मजा आता है , पहले ऊँगली से फिर होंठों से ,... बेचारे इत्ता तरसते हैं तेरे इन कच्ची अमियों के लिए , ... सच बहुत मजा आएगा तुझे "
मजा तो उसे भी बहुत आ रहा था पर वो बोल रही थी , भाभी छोड़िये न , उसकी आँखों में भांग का नशा हलका सा छा रहा था ,
" चलो न ननद की बात मान लेते हैं , हम तोहार एक बात मान लेते हैं तू हमार बात मान लो , अपने भइया से , .... "
कम्मो ने टॉप तो छोड़ दिया , और मैंने भी लेकिन हम दोनों ने मिल के टॉप उठा दिया ,
किसी भी लौंडे की हालत खराब हो जाती , और इनका मूसल तो पक्का पत्थर का ,... दो छोटे छोटे लड्डू ब्रा में मुश्किल ढंके , ... और ये ब्रा जो उसके भइया लाये थे , हाफ कप वाली , जो छिपाती कम थी , दिखाती ज्यादा थी।
और अब ब्रा के ऊपर से रगड़ना मसलना चालू हो गया , लड़कियों के मामले में मैं कम्मो को मान गयी थी , उन्हें पिघलाना , गीली करना , मोहल्ले की जो ननदें उसकी पकड़ में आयी थी सब की , ... और आज तो कम्मो टॉप फ़ार्म में थी
बिना कुछ बोले , वो हलके उसकी ब्रा के ऊपर से वो सहला रही थी मसल रही थी , लेकिन मुझसे नहीं रहा गया मैंने पीछे से ब्रा की स्ट्रैप खोल दी , और अब ब्रा मेरी मुट्ठी में ,
ब्रा पहनी ननदें मुझे एकदम नहीं अच्छी लगती थीं , इत्ती मुश्किल से इत्ता इन्तजार करने पर तो ये जोबन आते हैं , और ऊपर से ,... इतना तोपना छुपाना ,
ब्रा मेरी मुट्ठी में और दोनों जोबन कम्मो की ,
लेकिन अब उसके होंठ और जीभ मैदान में आ गए थे , पहले जीभ से वो निप्स फ्लिक कर रही थी , फिर हलके हलके सक करने लगी ,
उह्ह्ह , नहीं नहीं , भौजी नहीं , ओह्ह्ह , ... प्लीज , भौजी छोडो न
मिनट भर में ही गुड्डी रानी पिघलने लगी ,
लेकिन कम्मो इत्ती आसानी से नहीं छोड़ने वाली , उसने चूसने की रफ़्तार बढ़ा दी , कम्मो के होंठो का असर किसी उभरते निपल पर इतना होता था जितना कोई और क्लिट को छूए
गुड्डी की आँखे पूरी तरह बंद हो गयी थी वो सिसक रही थी पिघल रही थी ,
कम्मो ने अब गियर बदला और मैं भी उसके साथ , कस कस के हम दोनों अपनी नन्द के उभारों को रगड़ मसल रहे थे ,
और वो चीख रही थी , कभी दर्द से कभी मस्ती से ,
" हे भाभी छोड़ दीजिये न , भौजी प्लीज ,... "
" अच्छा एक बार बोल दे क्या छोडूं तो छोड़ दूंगी , क्यों कम्मो "
जोर से उसके निप्स को पिंच करती मैं बोली।