02-05-2021, 08:18 PM
आ गयीं,... ननद रानी
और मैंने गुड्डी के घर भी फोन कर के बता दिया की आज रात गुड्डी यहीं रुकेगी , आज मैं अकेली हूँ , फिर पता नहीं कब लौटूंगी ,... "
और वहां से भी हामी मिल गयी ,
बस कम्मो किचेन समेटने मैं लग गयी और मैं बची खुची पैकिंग करने में। एक बार गुड्डी आ गयी तो , बस डेढ़ घंटे बचे थे उसके आने में ,...
लेकिन वो एक घंटे में ही आ गयी , तीन बज रहा था।
मैं मुस्करायी , इसका मलतब इसको भी जोर के चींटे काट रहे हैं ,
लेकिन क्या मस्त माल लग रही थी , मैंने कहा न कई बार , चेहरा उसका इतना भोला लगता था जैसे दूध के दांत भी न टूटे हों, पर
जोबन जबरदंग , उसके टॉप को फाड़ती , छलकती मचलती ,
जोबन के मामले में अपने क्लास वालियों से २० नहीं २२ थी वो , मेरी छुटकी ननदिया ,...
और टॉप फाड़ते जोबन को कुछ छिपाने कुछ दिखाने के लिए एक स्टोल , गुलाबी रंग का डाल रखा था दुपट्टे सा , ...
मैं समझ गयी , फागुन तो लग ही गया था , और खुद उसने कबूला था , आठ दस भंवरों की बात , उसकी सहेलियों ने तो दर्जन भर से ऊपर गिना दिए थे , और दो चार तो उसकी गली के बाहर ही रहते थे ,...
स्साली आज कुछ ज्यादा ही मस्त लग रही थी , लग रहा था जवानी की गर्मी कस के चढ़ी थी , और उस का एक ही इलाज था , चढ़ाई। आज मैंने कुछ प्लानिंग नहीं किया सब कम्मो के हवाले था , और मैं अब तक मान गयी थी , कम्मो का कोई जवाब नहीं , होली में ननदो और देवरों की रगड़ाई करने में ,
लेकिन उधर मेरी नन्द आयीं तब तक एक पड़ोस की , मेरी जिठानी लगतीं आ गयीं ,
और उन की नजर गुड्डी पर ही फिसल रही थी , गुड्डी थी भी ऐसी , ... मैं उनसे एक मिनट कह कर गुड्डी को ऊपर अपने कमरे में ले आयी , मेरी समझ में नहीं आ रहा था आगे क्या करूँ , ....
पर कम्मो थी न , वो मेरे पीछे पीछे ,
एक प्लेट में गुझिया , और लम्बी सी गिलास में ठंडाई ,...
गुड्डी ने थोड़ा सा नाननुकूर किया , पर उसके मालपुआ ऐसे गाल , कम्मो ऐसे भौजाई छोड़ने वाली थोड़े ही थी , कचाक से उसने दबाया और सटाक से गुड्डी रानी का मुंह खुल गया , फटाक और झटाक से मैंने गुझिया अंदर ठेल दी , गप्प से आधी अंदर थी ,
गुझिया के रंग रूप से मैं समझ गयी थी , स्पेशल नहीं डबल पेसल वाली , कम्मो स्पेशल , हर गुझिया में दो दो गोली शुद्ध बनारसी भांग , बेचारी को घोंटना ही पड़ा
" अभिन तोहार भइया घोटाते तो झट से खोल के गप्प कर लेती ,... छिनार "
कम्मो को कौन चुप करा सकता था ,
" हे घोंटने में कुछ मुश्किल होना तो गीला कर लेना चाहिए , हाँ "
और अब ठंडाई का नंबर था और मुझे पक्का पता था उसमें भी कम्मो के हाथ का जादू जरूर होगा ,
गुड्डी के रोकते रोकते , कम्मो ने ग्लास उसके होंठ से लगा दिया , कुछ मुंह में गया कुछ गिरा पर ग्लास कम्मो के हाथ से नहीं छूटा।
अभी एक गुझिया बची थी , पर कम्मो ने गुड्डी को वार्निंग दे दी ,
" देखा ये वाली अपने से घोंटा नहीं तो हम तोहरी इस भौजाई अइसन सोझ नहीं हैं , हम ऊपर वाले नहीं नीचे वाले मुंह से खिलाएंगे , पीछे वाले , जाएगा तो पेट में ही , तो बोला मुंहे से घोटबु की गांडी में से , ... "
बेचारी , उसने गुझिया उठा ली ,... मैंने कम्मो के भरोसे गुड्डी को छोड़ा , और नीचे अपनी पड़ोसन की ओर चल दी ,
लेकिन चलने के पहले गुड्डी को अपना आई पैड पकड़ा दिया , ...
" हे मिलते हैं ब्रेक के बाद ,.... बस अभी , लेकिन तब तू चाहे तो पिक्चर विक्चर देख लेना ,... "
उसे मालूम था की उसमे कैसी नीली पीली फ़िल्मी भरी हैं , और एक फोल्डर तो खाली ' मेरा उनका '
मैं सोच रही थी की नीचे पड़ोसन को जल्दी निपटा के ननदिया का रस लेने ऊपर आ जाउंगी , वो उठ के जा भी रही थीं की कम्मो ने उन्हें रोक लिया , किचेन से ही हाँक लगाई "
" अरे रुका चाय ला ला रही हूँ , तनी पापड़ भी छान दूँ ,... "
और मैंने गुड्डी के घर भी फोन कर के बता दिया की आज रात गुड्डी यहीं रुकेगी , आज मैं अकेली हूँ , फिर पता नहीं कब लौटूंगी ,... "
और वहां से भी हामी मिल गयी ,
बस कम्मो किचेन समेटने मैं लग गयी और मैं बची खुची पैकिंग करने में। एक बार गुड्डी आ गयी तो , बस डेढ़ घंटे बचे थे उसके आने में ,...
लेकिन वो एक घंटे में ही आ गयी , तीन बज रहा था।
मैं मुस्करायी , इसका मलतब इसको भी जोर के चींटे काट रहे हैं ,
लेकिन क्या मस्त माल लग रही थी , मैंने कहा न कई बार , चेहरा उसका इतना भोला लगता था जैसे दूध के दांत भी न टूटे हों, पर
जोबन जबरदंग , उसके टॉप को फाड़ती , छलकती मचलती ,
जोबन के मामले में अपने क्लास वालियों से २० नहीं २२ थी वो , मेरी छुटकी ननदिया ,...
और टॉप फाड़ते जोबन को कुछ छिपाने कुछ दिखाने के लिए एक स्टोल , गुलाबी रंग का डाल रखा था दुपट्टे सा , ...
मैं समझ गयी , फागुन तो लग ही गया था , और खुद उसने कबूला था , आठ दस भंवरों की बात , उसकी सहेलियों ने तो दर्जन भर से ऊपर गिना दिए थे , और दो चार तो उसकी गली के बाहर ही रहते थे ,...
स्साली आज कुछ ज्यादा ही मस्त लग रही थी , लग रहा था जवानी की गर्मी कस के चढ़ी थी , और उस का एक ही इलाज था , चढ़ाई। आज मैंने कुछ प्लानिंग नहीं किया सब कम्मो के हवाले था , और मैं अब तक मान गयी थी , कम्मो का कोई जवाब नहीं , होली में ननदो और देवरों की रगड़ाई करने में ,
लेकिन उधर मेरी नन्द आयीं तब तक एक पड़ोस की , मेरी जिठानी लगतीं आ गयीं ,
और उन की नजर गुड्डी पर ही फिसल रही थी , गुड्डी थी भी ऐसी , ... मैं उनसे एक मिनट कह कर गुड्डी को ऊपर अपने कमरे में ले आयी , मेरी समझ में नहीं आ रहा था आगे क्या करूँ , ....
पर कम्मो थी न , वो मेरे पीछे पीछे ,
एक प्लेट में गुझिया , और लम्बी सी गिलास में ठंडाई ,...
गुड्डी ने थोड़ा सा नाननुकूर किया , पर उसके मालपुआ ऐसे गाल , कम्मो ऐसे भौजाई छोड़ने वाली थोड़े ही थी , कचाक से उसने दबाया और सटाक से गुड्डी रानी का मुंह खुल गया , फटाक और झटाक से मैंने गुझिया अंदर ठेल दी , गप्प से आधी अंदर थी ,
गुझिया के रंग रूप से मैं समझ गयी थी , स्पेशल नहीं डबल पेसल वाली , कम्मो स्पेशल , हर गुझिया में दो दो गोली शुद्ध बनारसी भांग , बेचारी को घोंटना ही पड़ा
" अभिन तोहार भइया घोटाते तो झट से खोल के गप्प कर लेती ,... छिनार "
कम्मो को कौन चुप करा सकता था ,
" हे घोंटने में कुछ मुश्किल होना तो गीला कर लेना चाहिए , हाँ "
और अब ठंडाई का नंबर था और मुझे पक्का पता था उसमें भी कम्मो के हाथ का जादू जरूर होगा ,
गुड्डी के रोकते रोकते , कम्मो ने ग्लास उसके होंठ से लगा दिया , कुछ मुंह में गया कुछ गिरा पर ग्लास कम्मो के हाथ से नहीं छूटा।
अभी एक गुझिया बची थी , पर कम्मो ने गुड्डी को वार्निंग दे दी ,
" देखा ये वाली अपने से घोंटा नहीं तो हम तोहरी इस भौजाई अइसन सोझ नहीं हैं , हम ऊपर वाले नहीं नीचे वाले मुंह से खिलाएंगे , पीछे वाले , जाएगा तो पेट में ही , तो बोला मुंहे से घोटबु की गांडी में से , ... "
बेचारी , उसने गुझिया उठा ली ,... मैंने कम्मो के भरोसे गुड्डी को छोड़ा , और नीचे अपनी पड़ोसन की ओर चल दी ,
लेकिन चलने के पहले गुड्डी को अपना आई पैड पकड़ा दिया , ...
" हे मिलते हैं ब्रेक के बाद ,.... बस अभी , लेकिन तब तू चाहे तो पिक्चर विक्चर देख लेना ,... "
उसे मालूम था की उसमे कैसी नीली पीली फ़िल्मी भरी हैं , और एक फोल्डर तो खाली ' मेरा उनका '
मैं सोच रही थी की नीचे पड़ोसन को जल्दी निपटा के ननदिया का रस लेने ऊपर आ जाउंगी , वो उठ के जा भी रही थीं की कम्मो ने उन्हें रोक लिया , किचेन से ही हाँक लगाई "
" अरे रुका चाय ला ला रही हूँ , तनी पापड़ भी छान दूँ ,... "