29-04-2021, 11:00 AM
सौतेली मां की तड़प
अदिति 34 (सौतेली मां)
प्रेम 25 (सौतेला बेटा)
टाइटल - इंसेस्ट और तड़प
अदिति 34, हाउसवाइफ थी और पढ़ी लिखी मॉडर्न थी, 34 30 34 का सुडोल फिगर था और कामुकता की मिशाल थी । मेरी सौतेली मां दिखने में खूबसूरत हैं. उनका दूध हरा भरा था और चूतड़ों का आकार एकदम गोल मटोल है. जब मां चलती हैं, तो उनकी मस्तानी चाल देख कर किसी का भी लिंग खड़ा हो जाएगा
मैं प्रेम 25 का, असम में रहता हूं, मैं दिखने में स्मार्ट नौजवान हूँ. कोई भी लड़की देखते ही मुझ पर फ़िदा हो जाती है
मैं इंजीनियर हूँ और अभी एक बड़ी कंपनी में मैनेजर हूँ. मेरा गांव पुणे से नजदीक है, यही कोई 30-35 किलोमीटर के फासले पर है.
हमारे घर में मैं, पिताजी और मेरी सौतेली मां रहते हैं. बड़ी बहन शादी हो गयी है और वह अपने ससुराल में है. पिताजी की उम्र 48 साल है. उनका कद भी मेरे जितना ही है. वे एक कंपनी में अफसर हैं. वो अपने काम की वजह से हफ्ते में तीन चार दिन घर से बाहर ही रहते हैं.
मेरी सौतेली मां तो सिर्फ रिश्ते में ही मेरी मां हैं. लेकिन उन्होंने आज तक कभी मुझे इसका अहसास नहीं होने दिया. वो मुझे अपना फ्रेंड ही समझकर बर्ताव करती हैं. मुझे बहुत ही प्यार करती हैं और मेरा बहुत ख्याल रखती हैं.
हम दोनों माँ बेटा बहुत सारी बातें खुलकर करते हैं. एक दूसरे के साथ हंसी मजाक करते हैं. कभी कभी पास बैठकर एक दूसरे के गले में हाथ डालकर बातें करते हुए बैठते हैं. मेरे सिवाए उनके साथ बातें करने के लिए कोई नहीं था क्योंकि पिताजी उन्हें ज्यादा समय नहीं दे पाते थे.
इतना खुलापन होने के बावजूद भी मैंने कभी भी अपनी सौतेली मां को गलत नजर से नहीं देखा था.
ये बात एक साल पहले की है. मैं एक कंपनी में इंटरव्यू के लिए गया था. सौभाग्य से पहली बार में ही मेरा चयन मैनेजर के पद के लिए हो गया. कंपनी ने मुझे मेरी नियुक्ति का पत्र भी दे दिया और अगले हफ्ते ज्वाइन करने को कहा.
मैंने अपनी इस सफलता पर बहुत खुश हो गया था. बाहर आकर मैंने बाईक निकाली और रास्ते से मिठाई की दुकान से पेड़े का डिब्बा खरीद कर कुछ ही मिनट में अपने घर आ पहुंचा.
उस समय दोपहर के साढ़े बारह बजे थे. मैंने उत्साह में मां को आवाज दी, तो वो किचन में थीं. वो बोलीं- हां मैं यहां हूँ … क्या हुआ आज बहुत खुश दिख रहा है प्रेम!
मैं उनके पास जाकर बोला- हां मां … मुझे जॉब मिल गयी है. ये देखो लैटर.
उन्होंने नियुक्ति पत्र पढ़ा, तो वो भी बहुत खुश हो गईं.
उन्होंने मेरा अभिनंदन किया और मुझे अपने गले से लगा लिया. मैंने भी पेड़े का डिब्बा किचन की पट्टी पर रखकर उनको अपनी बांहों में भर लिया.
उन्होंने मेरे माथे पर किस किया, फिर मेरे दोनों गालों पर किस किया.
मां मुझे बांहों में भरे हुए थीं और वे मेरी पीठ सहला रही थीं.
मां बोलीं- प्रेम, आज मैं बहुत खुश हूँ.
उनका सर मेरे कंधे पर टिका हुआ था. उनके कड़क स्तन मेरे सीने पर दबे जा रहे थे. मैं भी उनकी पीठ पर अपने हाथ फेर रहा था. मेरे दिल में आज कुछ कुछ होने लगा था. उनकी गर्म सांसें मेरे बदन को उत्तेजित कर रही थीं. मुझे सौतेली मां की योनि की खुशबू, मुझे सोने के लिए उकसा रही थी.
बात आगे बढ़ने से पहले ही मैं बोला- मां पिताजी कहां हैं?
वो बोलीं- अभी आ जाएंगे, वो कुछ काम के लिए बाहर गए हैं.
मैंने कहा- मैं पेड़े लाया हूँ … आप दोनों का मुँह मीठा करना है.
वो बोलीं- ठीक है, पहले फ्रेश हो जाओ. बाद में पहले भगवान को प्रसाद चढ़ा कर सभी को देना … समझे!
‘ठीक है मां..’ कहते हुए मैं बाथरूम में चला गया.
जल्दी जल्दी फ्रेश होकर मैंने भगवान को प्रसाद चढ़ाया, उन्हें नमस्कार किया और बाहर आ गया.
फिर मैंने मां को पेड़ा खिलाया और उन्होंने मुझे खिलाया. इतने में पिताजी भी आ गए.
हम दोनों को प्रसन्न देख कर पिताजी बोले- प्रेम क्या बात है … आज तुम दोनों बहुत खुश दिख रहे हो!
मैंने उन्हें लैटर दिखाया और मेरे जॉब लगने के बारे में सब कुछ बोल दिया.
वैसे भी लेटर में सब कुछ लिखा था. पेमेंट और ज्वाइनिंग डेट भी लिखी थी.
ये सब पढ़ कर पिताजी भी बहुत खुश हो गए. मैंने उनके चरण स्पर्श किये और उनको पेड़ा खिलाया.
उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. मैंने बोला- पिताजी आप क्यों रो रहे हैं?
पिताजी बोले- नहीं प्रेम, ये ख़ुशी के आंसू हैं. मैं तुम्हारी सफलता से आज बहुत खुश हूँ. बेटा तुम अपने पैरों पर खड़े होने जा रहे हो. प्रेम मुझे तुम पर नाज है.
ये कहकर पिता जी ने मुझे गले से लगा लिया. मां भी हमारे साथ शामिल हो गईं. हम तीनों एक दूसरे के साथ गले मिल कर अपनी ख़ुशी मनाने लगे.
ये सच में मेरे लिए बहुत ही हसीन पल था.
फिर पिताजी बोले- अदिति, खाना लगाओ … मैं फ्रेश होकर आता हूँ.
वो बाथरूम में चले गए. मां भी किचन में चली गईं. मैं डायनिंग टेबल पर कुर्सी लेकर बैठ गया.
मां ने खाना परोसा और हम तीनों बातें करके खाना खाते रहे. मैं मां के सामने बैठा था और पिताजी उनकी बगल में थे. मुझे रोटी देते समय मां को कुछ ज्यादा ही झुकना पड़ रहा था, तो मुझे उनके गोरे, कड़क स्तन दिख रहे थे. मैं भी गौर से मां के मम्मे देख रहा था. ये मुझे बहुत अच्छा लग रहा था
मां भी मुझे देख रही थीं कि मेरी नजरें उनके मम्मों पर हैं. ये देख कर आज मां की नजरें कुछ बदली सी थीं. वो मुझे बार बार देख रही थीं और मैं उनके मम्मों को निहार रहा था.
इतने में पिताजी का खाना हो गया और वो बोले- तुम लोग आराम से खा लो. मैं आराम करने जा रहा हूँ.
वो चले गए.
मां बोलीं- हर्षद, तुम ये क्या बार बार घूर-घूर कर मुझे देख रहे थे? ऐसा मुझमें तुझे क्या नया दिख रहा है? तुम बहुत बदमाशी कर रहे हो.
मैंने कहा- कुछ नहीं मां … बस मैं तो ऐसे ही देख रहा था. मुझे माफ कर दो.
वो हंसकर बोलीं- अरे हर्षद मैं तुम पर गुस्सा नहीं कर रही हूँ … मैंने तो तुम्हें ऐसे ही बोला. वैसे भी तुम्हारी यही उम्र तो है ताक-झांक करने की
मैंने उनकी हंसी देखी, तो सामान्य हो गया.
कुछ ही देर में हमारा खाना भी हो गया और मां सभी बर्तन लेकर किचन में अपना काम करने लगीं.
मैं उठ कर अपने रूम में चला गया.
कमरे में मैं अपने बेड पर लेटा था, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. बार बार मेरी आँखों के सामने वही सारे दृश्य आ रहे थे. मां और मैं एक दूसरे के पीठ पर हाथ फेर रहे थे. उनके स्तनों का दबाव मेरे सीने पर मुझे मस्त कर रहा था. फिर खाना खाते वक्त दिखने वाले सेक्सी मम्मों को देख कर मैं गर्म हुए जा रहा था.
मैं खुद अपने आपको कोसने लगा कि मैं अपनी मां के बारे में कितना गंदा सोचता हूँ.
यही सब सोच कर मुझे कब नींद आ गई, इसका कुछ पता ही नहीं चला.
कुछ देर बाद उठा और शाम के टाइम अपने हाल में बैठा था
मां बोलीं- मैं खाना बनाती हूँ.
ये कह कर मां किचन में चली गईं. मैं और पिताजी टीवी चालू करके हॉल में ही सोफे पर बैठ गए. मेरी नजरें किचन में गईं, तो मां के हिलते हुए चूतड़ मुझे दिख रहे थे. उनके मस्त गोल मटोल चूतड़ मुझे उत्तेजित करने लगे थे. वे इधर उधर हिलतीं, तो उनकी गांड के दोनों फलक ऊपर नीचे हो रहे थे. जब मां नीचे को झुकतीं, तो उनके दोनों चूतड़ों के बीच वाली दरार साफ दिख रही थी.
ना चाहते हुए भी मेरी नजरें उस तरफ बार बार जा रही थीं. मैं टीवी कम, अपनी मां के मदमस्त जोवन को ही ज्यादा देख रहा था.
एक बार तो मेरी और मां की नजरें टकरा भी गईं. मैं नजरें मिलते ही सकपका गया, मगर वो मुझे देख कर हंसने लगीं. मां अब बार बार मुझे देखते हुए अपना काम करती रहीं
फिर सब खाना खाए, मोम डैड सोने चले गए और मैं भी सोने चला गया
मैं रात को सोते समय सिर्फ एक जांघिया में ही सोता हूँ. लेकिन अभी ठंडी की वजह से मैंने लुंगी और बनियान भी पहनी हुई थी.
मैं लेट गया, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. आंखें बंद करने के बाद न चाहते हुए भी मुझे मां के कड़क और सेक्सी स्तन, गोल-मटोल हिलते हुए चूतड़ और उनके गर्म हाथों का स्पर्श बार बार गर्म कर रहा था. उनकी गर्म सांसें मेरे गालों पर मुझे महसूस हो रही थीं
ये सब सोचकर मेरे बदन में कुछ कुछ होने लगा था. मेरा लिंग आहिस्ता आहिस्ता खड़ा होने लगा था. मुझे अब लगने लगा था कि मेरा लिंग जांघिया को फाड़कर बाहर आने की कोशिश कर रहा है.
मैंने लुंगी में हाथ डालकर जांघिया को नीचे कर दिया … और लिंग को आजाद कर दिया
इतने में मां मेरे कमरे का दरवाजा खोल कर अन्दर आ गयी और बोलीं- प्रेम ठंड ज्यादा है ना … तो मैं तुझे ये कम्बल देने आयी थी. मैंने आँख खोल कर मां को देखा, तो पाया कि उनकी नजरें मेरी लुंगी में बने हुए तंबू पर थीं. मैं घबराकर उठकर बैठ गया. मेरी तो फट गयी थी. ठंडी में भी मुझे पसीना आ रहा था
तभी मां मेरे कमरे में आ गईं और मैं उन्हें देख कर अपनी लुंगी को सम्भालने लगा था
मां हंसकर बोलीं- ऐसा होता है इस उम्र में.
उनकी नजरें मेरी लुंगी के तंबू पर ही जमी थीं. मां बोलीं- अभी सो जाओ प्रेम, ग्यारह बज गए हैं.
मां अपने बेडरूम में चली गईं. उनका कमरा मेरे कमरे से लगा हुआ ही था. फिर मैं सो गया.
सुबह नौ बजे मैं उठा, तो पिताजी अपने ऑफिस चले गए थे.
मैं नहाने जा रहा था, तभी मां ने किचन से हंसकर आवाज दी- अरे उठ गए प्रेम. रात को नींद लगी आ नहीं!
माँ से मैं नजरें नहीं मिला पा रहा था. फिर भी किसी तरह मैं बोला- हां मां बहुत अच्छी नींद आई.
मैंने उनकी तरफ देखा, तो मैं तो होश ही खो बैठा. मैं उन्हें देखता ही रह गया. मां ने एक पिंक कलर की टाइट सी नाइटी पहनी थी. उसमें से उनकी ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी साफ़ दिख रही थी. उनका एकदम सेक्सी क्लीवेज देखकर मेरे लिंग में हलचल होने लगी. मां क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं
इतने में मां बोलीं- प्रेम मैं तुम्हें अपना बेटा नहीं बल्कि एक दोस्त मानती हूँ. तुमसे अपनी सभी बातें शेयर करती हूँ. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ प्रेम
बस ऐसे ही बोलते बोलते मां ने मेरा चेहरा अपने हाथों में पकड़ कर मेरे माथे पर किस किया, फिर गालों पर चूमा और फिर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
मैं भी इससे मदहोश हो गया था. मैंने भी उन्हें अपनी बांहों में कस लिया. मैं भी उन्हें साथ देने लगा. मैं भी उनके होंठों चूसता रहा.
हम दोनों एक दूसरे की पीठ पर हाथ घुमा रहे थे. हम दोनों की सांसें बहुत तेज चलने लगी थीं. मेरे दोनों हाथ उनके मुलायम सेक्सी बदन पर फिरने लगे थे. वो भी मेरी कमर, पीठ, जांघों पर हाथ फिरा रही थीं
इससे मेरा लिंग खड़ा होने लगा. मेरी लुंगी में तंबू सा बन गया था. लिंग खड़ा हुआ, तो मैंने झट से अपने हाथ मां के बदन से हटा लिए.
मां बोलीं- क्या हुआ प्रेम!
मैं बोला- मां हम दोनों ये सब गलत कर रहे हैं. तुम मेरी मां हो. ये सब करना पाप है.
ये कह कर मैं खड़ा हो गया.
तभी मेरी लुंगी में तंबू बना देखकर मां बोलीं- अगर ये सब पाप है, तो ये ऐसा क्यों हो गया?
उन्होंने वैसे ही तंबू को पकड़ कर मेरा लिंग हिला दिया. मेरी तो फट रही थी. मां के पकड़ने से मेरा लिंग तो और जोश में आने लगा था.
मेरे पास इसका कुछ जवाब नहीं था. मैं बोला- पता नहीं, कल से ऐसा क्यों होने लगा है.
मां बोलीं- तुम एक मर्द हो और मैं एक औरत हूँ. इसलिए सेक्स भावनाएं जागृत होती हैं. तुम अब बड़े हो गए हो
फिर अचानक से मेरी सौतेली मां मुझे अपने सीने से लगा ली जिससे कारण उनका स्तन कड़ा हो गया और मेरे सीने में चुभने लगा, पर कुछ गीला एहसास हुआ था उनको मैं अपने से अलग किया और देखा वो रो रही थी
मैंने पूछा- मां आप क्यों रो रही हो?
मां- नहीं प्रेम, मैंने बरसों से इन आसुँओं को बहुत रोके रखा है … जी भर के रो लेने दे मुझे … मैं बहुत प्यासी हूँ प्रेम. मैं किसी मेरा दुःख कैसे बताऊं … अगर मेरी मां या बहन होती, तो उन्हें बता सकती थी. सब कुछ है मेरे पास
लेकिन मेरे जिस्म की प्यास को मैं कैसे बुझाऊं. दिन तो तुम लोगों के साथ निकाल लेती हूँ. लेकिन रात जल्दी नहीं कटती
वो आगे बोली- मैं क्या करूं प्रेम … तुम ही बताओ. मैं तो पराये मर्द के बारे में सोच भी नहीं सकती. अपने घर की इज्जत का सवाल है … और मैं अपने घर की इज्जत पर कोई दाग नहीं लगने दूंगी प्रेम. एक तुम ही मेरी मदद कर सकते हो प्रेम
मैं बोला- मां अगर तुम यही चाहती हो, तो मैं तैयार हूँ. मैं तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहता हूँ
ये सुनकर मां मुझे लिपटकर बोलीं- आय लव यू प्रेम
मैंने भी मां को बांहों में भर लिया और कहा-
आय लव यू मां
मां बोलीं- प्रेम जब हम दोनों अकेले हों, तो तुम मुझे सिर्फ अदिति कहकर ही बुलाओगे.
ये कह कर वो मुझे किस करने लगीं. मेरा लिंग उनकी योनि पर ऊपर से ही रगड़ रहा था
फिर मैंने देर ना करते हुए उन्हें पागलों की तरह चूमने लगा, दांत काटने लगा और फिर उनको उठाकर अपने बेडरूम में सुला दिया
फिर नाभी को चूमने लगा उफ्फ मत पूछो की कब की प्यास थी ये, दोनो तरफ से आग लगा हुआ था
अब इनबॉक्स में