28-04-2021, 09:02 PM
बीत गयी होली
मैं भाभी के पास पहुंचा तो वो थोड़ी उदास बैठीं थी।
मैं कुछ देर खड़ा रहा फिर छेड़ते हुये मैंने बोला-
“क्यों भाभी मुझे जाना है इसलिये आप इतनी उदास हैं। सेमेस्टर इम्तहान के तुरंत बाद आ जाऊँगा…”
“नहीं ये बात नहीं है…” वो हल्के से मुश्कुराकर बोलीं।
“तो फिर क्या बात है? मुझसे अब क्या छुपा रही हैं?” गाल पे अभी भी लगे लाल रंग को छूकर मैं बोला।
“क्या बताऊँ…” ठंडी सांस लेके वो बोलीं- “उर्मी का गौना था ना…”
“हाँ वो तो कल ही होना था…” मैं बोला।
“वो… वो नहीं हुआ…” उन लोगों ने मना कर दिया।
मैं एकदम सहम गया। चुपचाप मैं उनके पास बैठ गया। थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे।
फिर वो बोलीं-
"मैंने तुम्हें बताया नहीं था। उसकी शादी जिससे हुई है वो दुआह है। तुम्हें मालूम ही है उसके घर की हालत… चाचा के साथ रहती है अपने। दुबारा शादी हुईथी उस आदमी की, जिससे उर्मि की शादी हुयी, बहुत अंतर है उमर का , पर,... । पहली वाली से कोई बच्चा नहीं हुआ। 15-16 साल हो गये। उसकी उमर भी 45-46 साल है। तो अब बच्चे के लिये… लेकिन लोग कहते हैं… कमी उस आदमी में ही हैं, इस लिये…”
मेरी सांस नीचे की नीचे ऊपर की ऊपर रह गई। बार-बार आंख के सामने उर्मी का हँसता हुआ चेहरा नाच जाता था। अब मुझे समझ में आया कि वो क्यों मुझसे कह रही थी-
“फांसी की सजा पाने वाले को भी एक आखिरी मुराद मांगने का हक होता है ना… तो मैंने दीदी से वही कहा की यही समझ के मेरे जाने से पहले एक बार तुम्हें जरूर बुला लें। फिर पता नहीं…”
मुझसे बोला नहीं जा रहा था। मुझे लगा की अगर पिछली होली को मैं जा पाता… लेकिन… कुछ रुक करके हिम्मत जुटा के मेरे मुँह से निकला-
“लेकिन… वो लोग आये क्यों नहीं?”
“जब शादी हुई तो पहली बीबी को पता नहीं था। इन लोगों को ये बताया था की उससे तलाक हो रहा है उसकी मंजूरी से… लेकिन अब पहली वाली के मायके वालों ने बहुत हंगामा किया। यहां तक कहा की कोर्ट में वो मेडिकल करायेंगे और ये… की उसके मर्द से कुछ हो ही नहीं सकता। बस… बदनामी के डर से और उसकी पहली बीबी के मायके वाले थोड़े बदमाश टाइप के भी हैं… तो वो लोग गौने के लिए आये नहीं और कहलवा भेजा,... अब उस बेचारी की तो जिंदगी ही बरबाद हो गई…”
ठंडी सांस भर के वो बोली।
हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे। मेरे तो कुछ… बस सब सीन… उससे पहली मुलाकात भाभी की शादी… उसके साथ हर पल… बस फिल्म की तरह मेरी आंखों के सामने घूम रह थे।
फिर अचानक मैंने भाभी से कहा- “भाभी उसके घर वाले तो आपकी बात मानेंगे ना…”
वो बोलीं-
“एकदम मेरी छोटी बहन की तरह है वो…”
“और भैया तो आपकी बात टाल ही नहीं सकते…”
“पहेलियां मत बुझाओ कहना क्या चाहते हो?”
मैंने कह दिया।
वो चुप रहीं, फिर बोलीं-
“लाला ये… सोच लो, तुम डाकटरी पढ़ रहे हो , पढ़ी लिखी, तुम्हें एक से एक मिल जायेंगी दान दहेज के साथ… फिर… बाद में…”
“प्लीज भाभी…” मैंने फिर कहा- “आज तक मैंने आपसे कुछ मांगा नहीं हैं…”
“सोच लो लाला…” वो बोलीं।
मैंने बस उनके दोनों हाथ पकड़ लिये। मेरे दोनों आँखें उनसे गुहार कर रही थीं।
वो मुश्कुरा दीं।
उर्मी आज मेरी भाभी की देवरानी है।
मैं भाभी के पास पहुंचा तो वो थोड़ी उदास बैठीं थी।
मैं कुछ देर खड़ा रहा फिर छेड़ते हुये मैंने बोला-
“क्यों भाभी मुझे जाना है इसलिये आप इतनी उदास हैं। सेमेस्टर इम्तहान के तुरंत बाद आ जाऊँगा…”
“नहीं ये बात नहीं है…” वो हल्के से मुश्कुराकर बोलीं।
“तो फिर क्या बात है? मुझसे अब क्या छुपा रही हैं?” गाल पे अभी भी लगे लाल रंग को छूकर मैं बोला।
“क्या बताऊँ…” ठंडी सांस लेके वो बोलीं- “उर्मी का गौना था ना…”
“हाँ वो तो कल ही होना था…” मैं बोला।
“वो… वो नहीं हुआ…” उन लोगों ने मना कर दिया।
मैं एकदम सहम गया। चुपचाप मैं उनके पास बैठ गया। थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे।
फिर वो बोलीं-
"मैंने तुम्हें बताया नहीं था। उसकी शादी जिससे हुई है वो दुआह है। तुम्हें मालूम ही है उसके घर की हालत… चाचा के साथ रहती है अपने। दुबारा शादी हुईथी उस आदमी की, जिससे उर्मि की शादी हुयी, बहुत अंतर है उमर का , पर,... । पहली वाली से कोई बच्चा नहीं हुआ। 15-16 साल हो गये। उसकी उमर भी 45-46 साल है। तो अब बच्चे के लिये… लेकिन लोग कहते हैं… कमी उस आदमी में ही हैं, इस लिये…”
मेरी सांस नीचे की नीचे ऊपर की ऊपर रह गई। बार-बार आंख के सामने उर्मी का हँसता हुआ चेहरा नाच जाता था। अब मुझे समझ में आया कि वो क्यों मुझसे कह रही थी-
“फांसी की सजा पाने वाले को भी एक आखिरी मुराद मांगने का हक होता है ना… तो मैंने दीदी से वही कहा की यही समझ के मेरे जाने से पहले एक बार तुम्हें जरूर बुला लें। फिर पता नहीं…”
मुझसे बोला नहीं जा रहा था। मुझे लगा की अगर पिछली होली को मैं जा पाता… लेकिन… कुछ रुक करके हिम्मत जुटा के मेरे मुँह से निकला-
“लेकिन… वो लोग आये क्यों नहीं?”
“जब शादी हुई तो पहली बीबी को पता नहीं था। इन लोगों को ये बताया था की उससे तलाक हो रहा है उसकी मंजूरी से… लेकिन अब पहली वाली के मायके वालों ने बहुत हंगामा किया। यहां तक कहा की कोर्ट में वो मेडिकल करायेंगे और ये… की उसके मर्द से कुछ हो ही नहीं सकता। बस… बदनामी के डर से और उसकी पहली बीबी के मायके वाले थोड़े बदमाश टाइप के भी हैं… तो वो लोग गौने के लिए आये नहीं और कहलवा भेजा,... अब उस बेचारी की तो जिंदगी ही बरबाद हो गई…”
ठंडी सांस भर के वो बोली।
हम दोनों ऐसे ही बैठे रहे। मेरे तो कुछ… बस सब सीन… उससे पहली मुलाकात भाभी की शादी… उसके साथ हर पल… बस फिल्म की तरह मेरी आंखों के सामने घूम रह थे।
फिर अचानक मैंने भाभी से कहा- “भाभी उसके घर वाले तो आपकी बात मानेंगे ना…”
वो बोलीं-
“एकदम मेरी छोटी बहन की तरह है वो…”
“और भैया तो आपकी बात टाल ही नहीं सकते…”
“पहेलियां मत बुझाओ कहना क्या चाहते हो?”
मैंने कह दिया।
वो चुप रहीं, फिर बोलीं-
“लाला ये… सोच लो, तुम डाकटरी पढ़ रहे हो , पढ़ी लिखी, तुम्हें एक से एक मिल जायेंगी दान दहेज के साथ… फिर… बाद में…”
“प्लीज भाभी…” मैंने फिर कहा- “आज तक मैंने आपसे कुछ मांगा नहीं हैं…”
“सोच लो लाला…” वो बोलीं।
मैंने बस उनके दोनों हाथ पकड़ लिये। मेरे दोनों आँखें उनसे गुहार कर रही थीं।
वो मुश्कुरा दीं।
उर्मी आज मेरी भाभी की देवरानी है।