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Thriller कामुक अर्धांगनी
मधु उठ कर कमर मटकाती कमरे की चल पड़ी और वसंत का मन उत्तर गया ,मैंने वसंत से बोला जाओ मना लाओ अपनी भाभी को वो बोला नहीं आप ही मनाओ मैं नहीं गाली सुनने वाला और मैं कमरे मे जा कर मधु के पास बैठ कर हल्के हाथों से उसके बदन को सहलाने लगा और बोला क्या जान अपने प्यासे बेटे को छोड़ कर आ गई चलो न अब गुस्सा त्याग दो और उसको माँ का प्यार दे दो न ।
 
 
मधु चुप चाप सी लेटी रही और मैं वसंत को आवाज़ दे कर बुलाया ओर बोला देखो न तेरी माँ गुस्सा है ज़रा मना लो और मधु के नाइटी को ऊपर सरका कर मैंने उसके झाघो को सहलाया और वसंत ने ऊपर लेट मधु को बोला माँ मुझे दूध पिलाओ न बड़ी ज़ोर की भूख लगी है माँ ।
 
 
मधु सच मे खुद को माँ जान कर सीधा लेट कर वसंत के मुँह को अपने दूध पर रख नम आँखों से मुझे देखते बोलने लगी बस बेटे के लिए कर रही आपसे अभी भी बात नहीं करनी मुझे ।
 
मैं मधु के टांग को अपने ऊपर रख दबाने लगा और नाइटी सरका सरका कर ऊपर की ओर करते झाघो को सहलाते बोला मेरी जान कितनी कोमल जिस्म है ।
 
 
मधु की आँखे सच मे आँसू भर कर डबडबा रही थी पर वो अपने देवर को स्तन पान कराए मेरे हाथों को अपने बदन पर सहलाते विरोद नही कर रही थी ।
 
 
कॉफी देर तक मे मधु के बदन को सहलाता नाइटी कमर तक सरका चुका था ओर उसकी नर्म फूली चूत को हल्के उँगलियों से सहलाता जा रहा था ओर धीरे धीरे मधु की टांगे स्वतः ही खुलने लगी थी और मेरे एक उंगली की जगह अब सारा हाथ चूत के ऊपर आराम से फिसल रहा था और मधु ने आहिस्ता आहिस्ता अपने टांगो को मोड़ ऊपर कर लिया और अब मेरी दो उंगली मधु के चूत के नर्म हल्के गीले छेद मे आगे पीछे होने लगा और वो अपने बेटे के सर के बालों को सहलाते आह भर्ती बोली आप कसम खा लिजेए अगर फिर कभी मुँह फुलाएँगे तो मे कुछ नहीं करने वाली ,मैं मधु की ओर देख कसम खा कर झुक गया और अपने मुँह को उसके चूत पर लगा चाटने लगा और जीभ डाल हल्के गीले चूत का स्वाद चखने लगा था और वो एक हाथ मेरे सिर पर रख सहलाने लगी थी ।
 
 
वसंत दाँतो से ज़ोर से निपल्ल खींच काटने लगा ओर मधु उफ्फ बेटा धिरे कर न बोलती ओर गीली होने लगी थी पर वसंत अब सब्र नही कर पा रहा था और वो जानवर की तरह मधु को माँ बुलाता हवस से भर चुका था जिस वजह मेरे मुँह मे अधिक मात्रा मे चूत का रस भरने लगा था जो मैं चाट चाट पिए जा रहा था ।
 
 
मधु के दोनों स्तनों पर उसका बेटा टूट कर प्यार करने लगा था ओर हल्के हल्के नाइटी भी फट रही थी जो फट कर मधु के कोमल बदन को नंगा किए जा रही थी । नाइटी चर चर करती दो भागों मे फट कर दोनों तरफ सिमट गई और बेटे का हाथ अपनी माँ के नाज़ुक नाभी पर थिरकते उँगली से गहराई नापने लगा था और मधु इठलाते हुए कसमसा रही थी और उसकी चूत रसधार छोड़ मेरे मुँह को अपने रस से भिगो कर तृप्त करने लगी थी ।
 
 
वसंत मंझे बेटे की तरह अपने जवान कमसिन माँ के योवन को यू तड़पाता जा रहा था कि माँ खुद अपने हाथों को बढ़ा बेटे के सख्त लड़ को टटोलने लगी थी और बेटा कमर उठा माँ के हाथों को अपने पैंट के अंदर जाने का रास्ता दे रहा था ।
 
 
मधु का हाथ पूरी तरह वसंत के लड़ को कस कर पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से वो मेरे चेहरे को अपने योनि पर दबा कर तड़प जाहिर किये जा रही थी और वसंत अपने सख्त हाथों से स्तन को बारी बारी निचोड़ता निप्पलों को चूसता ऐसे आग भड़का रहा था कि कोई भी स्त्री खुद को काबू मे रख नही सकती थी ओर ऐसे हौले हौले मधु मातृत्व दिखाती बिल्कुल चुदासी होने लगी थी जिस वजह से उसका हाथ मेरे बालों को बेदर्द तरीके से खींच कर मुझे जीभ लगातार चलाने को विवश किये जा रही थी ओर अंततः मधु अकड़ती कमर पूरी तरह हवा मे उठाती ज़ोर से चित्कारी मारती अहह उफ्फ अहह बोलती एक धार बहाती पसीने से तरबतर होती वापस बिस्तर पर निढाल हो चुकी थी और वसंत मुझे हटा कर अपनी माँ के टांगो को फैला कर एक पागल कुत्ते की भांति चूत लब लब करता चाटने लगा और मधु दोनों हाथों से उसके सर को सहलाती हाँफते हाँफते बोलने लगी बेटा पी लो अपने माँ के रस को चाट चाट लाल कर दो मेरी चूत बेटा ओर मधु का जवान बेटा माँ के आज्ञा का पालन करता चूत को चाटने लगा था और मैं पास खड़े मधु के भीगे बदन को देखता अपने वस्त्र उतार अपनी लुल्ली उसके होंठो पर रख दिया और वो मुँह खोल मेरे लुल्ली को दाँतो से दबा तेज़ दाँत गड़ाती खिंचने लगी और मेरी तड़प की अहह सुन वो और बेरहम बन मेरे लुल्ली के चमड़ी को खिंचती बोली आपने देखा आपके बेटे ने आपके सामने मेरी क्या दशा कर दी यू नंगी मे आज बेटे से योवन छलका कर अपने पति को दिखा रही ऊपर से इतना होने पर भी मेरी बदन के स्वामी की लुल्ली मे तनाव तक नहीं आया और मेरे बेटे के लड़ मे ऐसी अकड़ आ गई कि थोड़ी देर मे वो अपनी माँ चोदेगा ।
मधु की ये अश्लील बातें ही मेरे लिए कामुक्ता की चर्म साबित हुई और मेरे लुल्ली ने मधु के मुँह मे न जाने कितनी धार मार दी और वो मेरे छिलके को जीभ से अलग कर बाकी एक एक बूंद चूसती बोली वाह मेरे पति बस बेटे की बातों ने आपको निढाल कर दिया अभी तो वो अपनी माँ को झटकों से चीखने पर मजबूर करेगा अपनी माँ के मुँह मे अपना लिंग डाल गले तक आभास करवाएगा और फिर माँ के चूत को न जाने कितनी बार झड़ने पर मजबूर कर अपने गर्म स्वादिष्ट मुठ से मेरे मुँह चेहरे को नहला देगा ।
 
 
मधु बेबाक बोलती मेरे लुल्ली को निचोड़ एक चपत लगाती बोली चलिए अब आप दिन भर शांत तो रहेंगे बाकी आज दिन तो मेरे बेटे का है जो माँ चोदने आया है सुबह सुबह ।
 
 
कहानी जारी रहेगी ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 26-04-2021, 12:37 AM



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