09-05-2021, 08:44 AM
(This post was last modified: 09-05-2021, 09:09 AM by vijayveg. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उसने झटपट पैंटी पहनी और ब्रा पहनने ही जा रही थी की गिरधारी फिर से बाथरूम का दरवाजा खोल कर खड़ा था |
रीमा इस बार गुस्से से लाल हो गयी - ये क्या बतमीजी है | देख नहीं रहे हो मै कपड़े पहन रही हूँ |
गिरधारी भी थोड़ा ऊँची आवाज में- कुछ बना दीजिये, खाकर निकलना है हमको, बाद में फुर्सत से नहाती रहना | जब गया था तब से अब तक नहा ही रही हो मैडम, कमाल है वो भी पूरी की पूरी नंगी होकर | चड्ढी भी उतार देती हो नहाते वक्त | हमारे यहाँ तो औरते धोती पेटीकोट सब पहनकर नहाती है |
रीमा के पास गिरधारी की बातों का कोई जवाब नहीं था - दरवाजा बंद करो, कपड़े पहनकर आती हूँ |
गिरधारी - देखो मैडम हमको सब पता है आपके बारे में, हमको आप ये गर्मी मत दिखावो | बॉस को दिखाना, उनके साथ रात रात भर नंगी सोती हो, दिन में नंगी नहाती हो, कुछ देर हमारे सामने भी ऐसे रह जावो, क्या घट जायेगा |
रीमा - तुम बतमीजी की हद पार कर रहे हूँ | रीमा ने सिर्फ पैंटी पहनी थी ऊपर से तौलिया लपेटा था | गिरधारी की बातो से जोश में आकार बाकि कपड़े पहनना भूल गिरधारी से पिल पड़ी |
रीमा ने जोश में आकर गिरधारी को करारा झापड़ रसीद कर दिया - निकल बाहर यहाँ से मादरचोद, सुवर की औलाद गन्दी नाली का कीड़ा | तू होता कौन है मुझसे ऐसे बात करने वाला |
गिरधारी कुछ सोचकर रीमा का झापड़ बर्दाश्त कर गया |
रीमा पुरे जोश में थी, वो स्वाभिमानी रीमा जो कही कोने में दब गयी थी आज जाग गयी - निकल बाहर यहाँ से सुवर, साला तू अन्दर कैसे आया |
रीमा का चिल्लाना सुनकर गिरधारी तेजी से रीमा की तरफ भागा और उसका मुहँ हाथ से बंद कर दिया |
गिरधारी - साली कुतिया रंडी मुझ पर हाथ उठाती है | चिल्ला चिल्ला कर क्यों अपनी मौत बुला रही है | चुप हो जावो वरना सच में रंडी की मौत ही मारी जावोगी | अगर किसी को भनक भी लग गयी की इस लकड़ी के खोली में कोई है अभी सूर्यदेव के आदमी आग लगा देगें |
रीमा ने खुद को आजाद करने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुई | मैडम मै आपको नुकसान नहीं पहुचाने आया हूँ | मैडम मै तो आपकी जान की इफाजत कर रहा हूँ | अगर आप चिल्लावोगी नहीं तो मै आपको छोड़ दूंगा |
रीमा ने सहमती जताई | गिरधारी ने रीमा के मुहँ पर से हाथ हटा लिया | इस छीना झपटी में रीमा की तौलिया अलग गिरी जाकर | रीमा के उन्नत उरोज पानी की ओस की बुँदे लिए सीने पर तने खड़े थे | रीमा ने भी तौलिया उठाकर जिस्म ढकने की कोशिश नहीं की |
रीमा गुस्से में उबलती हुई - क्यों आया है यहाँ और तेरे पास चाभी कहाँ से आई | क्या देखना चाहता है जिस्म में देख ले और जा यहाँ से |
गिरधारी - अरे मैडम आप तो गुस्सा हो रही है | मै तो बस ये कह रहा था बॉस के साथ रात रात भर नंगे चिपक कर सोती है, दिन में नंगे होकर नहाती है तो थोड़ी देर और ऐसे ही रह लीजिये | कुछ घट तो नहीं जायेगा आपका | हम भी अपनी हसरत पूरी कर ले आपको निहार कर | बस इतनी सी तो ख्वाइश है | हम इतने किस्मत वाले कहाँ जो बॉस की तरह आप हमें चोदने को मिलेगी | बस आपके नंगे जिस्म को देखकर थोड़ी आँखे सेक लेगें और चले जायेगे | आपके लिए जान पर खेल रहे है इतना तो आप कर सी सकती है |
गिरधारी ने एक गन्दी से लीचड़ हंसी निकाली |
रीमा अन्दर से दहसत से भरी थी लेकिन ऊपर से मजबूत दिखने की कोशिश कर रही थी - देख लिया, अब चल फुट यहाँ से |
गिरधारी - मन तो करता है दिन भर ऐसे ही देखता रहू |
रीमा गुस्से से भड़कती हुई - जाता है यहाँ से या फिर ......... |
गिरधारी भी लपककर आगे आ गया, इतना करीब की रीमा के उरोजो की नुकीली चोटियाँ बस गिरधारी के सीने को छूने भर को रह गयी थी - देखो मैडम ज्यादा लाल पीली मत हो वरना, यही पटक के रगड़ दूंगा, मुझे तो तुमारे कपड़े भी उतारने नहीं पड़ेगे, ऊपर से नीचे तक नंगी हो ही | ज्यादा जोश दिखावोगी तो फ्री फण्ड में अभी चुद जावोगी, दो बार लंड घुसेड़ के अभी सारी जवानी चूत के रास्ते पानी बनाकर निकाल दूंगा |
रीमा तो जैसे गिरधारी की धमकी से डर से सुख गयी, मुहँ की लार मुहँ में रह गयी हलक के नीचे नहीं उतरी | उसने ये तो सोचा ही नहीं था गिरधारी उसका रेप भी कर सकता है | पहली बार उसे गिरधारी से डर महसूस हुआ और वो अन्दर तक काँप गयी |
रीमा पीछे हटकर कांपती हुई बेड की तरफ बढ़ी | जितेश का दिया चाकू कहाँ रख दिया | उसे याद नहीं आ रहा था | जिस चाकू को वो साये की तरह सुबह से चिपकाये थी वो इस वक्त उसके साथ नहीं था |
गिरधारी - चुपचाप मेरे लिए नुडल्स बना दे खाकर चला जाऊंगा | इतना कहकर उसने थैले से सेब निकाला और बिना धोये खाने लगा |
रीमा - अपने आप बना ले मै तेरी नौकरानी नहीं हूँ |
गिरधारी ने टोन बदल दी - मैंने कब कहा आप नौकरानी है | आप तो मालकिन है हमारी | और मालकिन को खुस रखना नौकर की ड्यूटी है | उस दिन सेवा में कोई कमी रह गयी हो तो बताइए अभी पूरी कर दूंगा | मेरा घोड़ा आपकी मांद में सरपट दौड़ने को तैयार है |
रीमा कुछ नहीं बोली | चुपचाप जाकर बिस्तर बैठ गयी | गिरधारी भी नूडल्स बनाने चला गया | उसके बाद उसने इत्मिनान से नुडल्स खाए, रीमा ने अपनी जिस्म को ढकने की कोशिश की लेकिन गिरधारी ने धमका दिया, फिर भी रीमा ने सीने पर तौलिया लपेट ली | गिरधारी बार बार रीमा के जिस्म को घूरता, वो आया तो रीमा के जिस्म को देखकर अपनी ठरक मिटाने | लेकिन अब उसके अन्दर रीमा को भोगने की ठरक पैदा हो गयी | जब से उसने रीमा को धमकाया तब से रीमा शांत होकर बिस्तर पर बैठ गयी | इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गयी | हालाँकि वो रीमा के साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहता था, वरना जितेश उसे जिन्दा काट डालता | रीमा की रजामंदी के बाद जितेश उसका बाल बांका नहीं कर सकता था |
जब पेट की भूख शांत हुई तो खुश होकर गिरधारी बोला - देखो मैडम मै भले ही छोटा आदमी हूँ लेकिन दिल का बुरा नहीं हूँ | बॉस के कहने पर दिन रात आपको बचाने में लगा हूँ | आप ही बतावो, अगर आप मेरी जगह होती तो क्या करती | मैंने तो उस दिन भी आपके साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं करी | आज भी ऐसा कुछ सोचकर नहीं आया था | भूख लगी थी सोचा कुछ ले जाकर बनवा लूँगा | आप बतावो आप मर्द होती और आपके जैसी खूबसूरत हसीन औरत अचानक से आपके सामने नंगी आ जाए आप क्या करोगे |
रीमा कुछ नहीं बोली |
गिरधारी - मैडम आपको दुःख पहुचाने के बारे मै तो सपने में भी नहीं सोच सकता | हाँ थोडा मुहँ फट हूँ | अब मैडम जो हुआ है उसे न आप नकार सकती हूँ न मै | किसी भी मर्द का लंड खड़ा हो जायेगा आप जैसी औरत का हसींन नंगा जिस्म देखकर | इसमें मेरी गलती क्या ? आप हो ही इतनी खूबसूरत | भगवान ने आपको बनाया ही फुर्सत में है |
रीमा उसकी बातो को सुन ही नहीं रही थी | उसे जितेश की बात याद थी | ऊपर से उसे रोहित की बात याद आ गयी |
वो भावनावो में डूबने की बजाय दिमाग से सोच रही थी |
रीमा - वो सब तो ठीक है, लेकिन तुम अन्दर कैसे आये |
गिरधारी - अरे मैडम आप भी कितनी भोली है, आप ही ने तो चाभी दी थी सिगरेट के डिब्बे में | उसमे दो चाभियाँ थी | जब मैंने उसे खोला तो देखना हथियारों के संदूक के अलावा भी एक चाभी है | तभी तो मै फल सब्जी लेने चला गया | सोचा कुछ खा पीकर निकल जाऊंगा बॉस को हथियार पंहुचाने है |
रीमा - ठीक है तो अब खा पी चुके हो तो जावो अब |
गिरधारी - ठीक है मैडम जी जैसा आपका आदेश | चला जाता हूँ |
गिरधारी ने अपना मुहँ ढका और तेजी से बाहर निकल गया |
रीमा ने उसके जाते ही ऊपर की तरफ देखकर एक लम्बी साँस ली | वही बिस्तर पर निढाल हो गयी | इससे पहले वो सुकून की दो साँस ले पाती, दरवाजा तेजी से खुला और बंद हो गया |
गिरधारी धीमी आवाज में - बाहर कुछ आदमी घूम रहे है अभी जाने में खतरा है | इतना कहकर उसने दरवाजे को अच्छे से सांकल लगाकर बंद कर दिया |
रीमा अपनी तौलिया सही करती हुई उठकर बैठकर |उसे लग रहा था ये मुसीबत चली गयी लेकिन वो फिर उसके गले आन पड़ी | रीमा बिस्तर पर से उठी और पानी लेने चली |
गिरधारी - अच्छा मैडम जी नाराज न हो तो एक बात पूछु |
रीमा का उससे बिलकुल बात करने का मन नहीं वो कुछ नहीं बोली | कुछ सोचकर रीमा - पूछो |
गिरधारी - देखो मैडम जी मै जाहिल गंवार, गलती माफ़ कर देना लेकिन मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा कुछ देखा सुना नहीं इसलिए पूछ रहा हूँ |रीमा की ख़ामोशी देखकर - गुस्सा होंगी तो नहीं पूछुंगा |
रीमा ने मन मजबूत कर लिया, वैसे भी गिरधारी के बाहर जाने से वो एक बात को लेकर निश्चिन्त हो गयी थी गिरधारी उसके साथ जोर जबदस्ती नहीं करेगा | तुम्हे चोदने के ख्वाब देखने वाला ये पहला इंसान तो नहीं है रीमा, फिर इतना टची क्यों हो रही हो, उसे बस एक फालतू लंड समझो, जिसको तुमारी ख्वाइश है | देखने दो ख्वाब |
रीमा - पूछो जो पूछना है |
गिरधारी - देखो मैडम जी मै वही अटक गया हूँ | मैंने वैसा जिंदगी में कभी नहीं देखा, न कभी सोचा था | मतलब आप जैसी हसीन जिस्म की मालकिन की गांड मारने का मौका मिलेगा, सिर्फ मौका ही नहीं मिला भरपूर मौका मिला | मतलब बिलकुल निचोड़ लिया एक एक बूँद अन्दर से | मै तो बिलकुल जन्नत का सफ़र किया, आपको कैसा लगा, मतलब मेरा पहली बार था जब मै किसी औरत की गांड मार रहा था | जोश में कही तो कुछ नहीं कर गया | कैसा लगा आपको मेरा लंड और उसका गांड मारना | मतलब आपको मजा आया |
रीमा के लिए ये एक्सपेक्टेड था - कभी गांड मरवाई है |
गिरधारी - नहीं |
रीमा - मरवा के देखो खुद पता चल जायेगा |
गिरधारी - मुझे इतना तो मालूम है दर्द होता है, लेकिन आप तो दो दो लंड एक साथ घोट रही थी, आपको तो बहुत दर्द हो रहा होगा |
रीमा - तुमारे पास घुमा फिर कर बस यही है पूछने को |
गिरधारी - हाँ मैडम इस लीचड़ सी जिदगी की बस इतनी ही कमाई है की आप जैसी औरत की गांड मारी है | अभी भी दुःख रही है क्या ? कुछ ज्यादा तेज ठोकरे मारी थी क्या ?
रीमा - चुदाई में ठोकरे तो पड़ती है, चाहे आगे से पड़े चाहे पीछे से |
गिरधारी - मजा आया मैडम, मेरा मतलब दर्द तो होता है तकलीफ भी होती है लेकिन कुछ मजा तो आता ही होगा न वरना काहे कोई मरवाने लगेगा |
रीमा - जब आदमी वासना के नशे में हो तो सब दुःख दर्द भूल जाता है |वो तो सब बाद में पता चलता है |
गिरधारी - अच्छा मेरी सेवा कैसी लगी |
रीमा - मतलब ?
गिरधारी - अच्छा मैडम मान लीजिये, मतलब सिर्फ मान लीजिये की आपका फिर से कभी मन हुआ गांड मरवाने का तो इस नाचीज को एक मौका दीजियेगा, बिलकुल निराश नहीं करूंगा |
रीमा ताव में - तुमारा दिमाग ख़राब है |
गिरधारी - क्यों मैडम, जब बॉस से चूत की प्यास कभी न कभी तो बुझवाएगी, तो पीछे के छेद लिए इस नाचीज को याद कर लीजियेगा | मैडम इतना बुरा भी नहीं हूँ चोदने में | शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा |
रीमा - नहीं ये अब नहीं होने वाला |
गिरधारी - क्यों मैडम ?
रीमा - मैंने कहाँ न, जो हो गया सो हो गया |
गिरधारी जिस तरह की बाते कर रहा था और जिस अंदाज में रीमा के जिस्म को घूर रहा था, उसके लंड में तनाव आ चूका था | रीमा को चोदने की चाहत जिसको वो बड़ी मुश्किल से दबाये बैठा अब फनफना कर अपने असली रूप में आ चुकी थी |
रीमा बेड पर पैर लटकाए बैठी थी और गिरधारी वही पर जमीन पर पसरा था |
गिरधारी - क्यों नहीं हो सकता मैडम, मै इस बार आपको पिछली बार से भी ज्यादा मजा दूंगा |
रीमा ने उसको घूर कर देखा | गिरधारी बात को सँभालते हुए - मतलब अगर आपकी ख्वाइश होगी तो |
गिरधारी - गलती के पहले ही माफ़ी मैडम , लेकिन एक बार मैडम, बस एक बार आपकी गांड मारने की तम्मना है | कोई जोर जबरदस्ती नहीं बस इस गरीब की ख्वाइश है | जो आप कहेगी वो करूंगा | आपको बचाने के लिए अपनी जान पर खेल जाऊंगा | जिंदगी भर के लिए अपना गुलाम बनाकर रखना, गले में कुत्ते वाला पत्ता पहनाकर रखना | बस इक बार मेरी ये ख्वाइश पूरी कर दीजिये | इतना कहकर उसने रीमा की जांघ के उपरी हिस्से पर दांया हाथ रख दिया |
रीमा चौंक गयी लेकिन भड़की नहीं - हाथ हटाओ, ख्वाइश तो बहुत होती है सब पूरी थोड़े न होती है |
गिरधारी अपना हाथ पीछे खीचता हुआ - मैडम मै आपसे कुछ ऐसा नहीं मांग रहा हूँ जो आप दे न सके |
रीमा - मेरे लिए अब दुबारा उसके बारे में सोचना भी पाप है |
गिरधारी - क्या पाप पुण्य मैडम, एक बार तो वो पाप आप कर ही चुकी है एक बार और सही, कुछ घटेगा तो नहीं है | ऊपर से इस बार गांड का छेद भी ढीला होगा, पेलने में भी आसानी रहेगी, आपको भी दर्द कम होगा | खूब सारी चिकनाई लगाकर आपकी गांड मारूंगा मैडम | आपको कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा | आपको सिर्फ मजे से कराहोगी, दर्द से नहीं ये मेरी गारंटी है |गिरधारी ऊपर से ही अपने लंड को सहलाने लगा |
रीमा को गुस्सा आ गया, उसे लगा अब गिरधारी उसके सर पर चढ़ा जा रहा है - मै कुछ कह नहीं रही हूँ तो सर पर चढ़े जा रहे हूँ | पीछे हटो |
गिरधारी अपनी ही वासना की रौ में था - देखो न मैडम अब तो आपने मेरा लंड भी खड़ा कर दिया है |
रीमा - बकवास बंद करो और निकलो यहाँ से फटाफट |
गिरधारी ने आव देखा न ताव, उसे पता था अभी नहीं तो कभी नहीं | वो खड़ा हुआ और अपनी पतलून से लंड निकाल कर रीमा के ठीक सामने हवा में झुल्ला दिया |
रीमा इससे पहले संभल पाती, गिरधारी ने उसकी तौलिया खीच ली जो बस हल्की से गाँठ से उसके उन्नत उरोजो की ऊँचाइयों पर टिकी हुई थी | रीमा के जिस्म पर अब बस कुछ सेमी size की पैंटी रह गयी थी | बाकि उसका सारा गुलाबी जिस्म गिरधारी के सामने नंगा था |
रीमा इस बार गुस्से से लाल हो गयी - ये क्या बतमीजी है | देख नहीं रहे हो मै कपड़े पहन रही हूँ |
गिरधारी भी थोड़ा ऊँची आवाज में- कुछ बना दीजिये, खाकर निकलना है हमको, बाद में फुर्सत से नहाती रहना | जब गया था तब से अब तक नहा ही रही हो मैडम, कमाल है वो भी पूरी की पूरी नंगी होकर | चड्ढी भी उतार देती हो नहाते वक्त | हमारे यहाँ तो औरते धोती पेटीकोट सब पहनकर नहाती है |
रीमा के पास गिरधारी की बातों का कोई जवाब नहीं था - दरवाजा बंद करो, कपड़े पहनकर आती हूँ |
गिरधारी - देखो मैडम हमको सब पता है आपके बारे में, हमको आप ये गर्मी मत दिखावो | बॉस को दिखाना, उनके साथ रात रात भर नंगी सोती हो, दिन में नंगी नहाती हो, कुछ देर हमारे सामने भी ऐसे रह जावो, क्या घट जायेगा |
रीमा - तुम बतमीजी की हद पार कर रहे हूँ | रीमा ने सिर्फ पैंटी पहनी थी ऊपर से तौलिया लपेटा था | गिरधारी की बातो से जोश में आकार बाकि कपड़े पहनना भूल गिरधारी से पिल पड़ी |
रीमा ने जोश में आकर गिरधारी को करारा झापड़ रसीद कर दिया - निकल बाहर यहाँ से मादरचोद, सुवर की औलाद गन्दी नाली का कीड़ा | तू होता कौन है मुझसे ऐसे बात करने वाला |
गिरधारी कुछ सोचकर रीमा का झापड़ बर्दाश्त कर गया |
रीमा पुरे जोश में थी, वो स्वाभिमानी रीमा जो कही कोने में दब गयी थी आज जाग गयी - निकल बाहर यहाँ से सुवर, साला तू अन्दर कैसे आया |
रीमा का चिल्लाना सुनकर गिरधारी तेजी से रीमा की तरफ भागा और उसका मुहँ हाथ से बंद कर दिया |
गिरधारी - साली कुतिया रंडी मुझ पर हाथ उठाती है | चिल्ला चिल्ला कर क्यों अपनी मौत बुला रही है | चुप हो जावो वरना सच में रंडी की मौत ही मारी जावोगी | अगर किसी को भनक भी लग गयी की इस लकड़ी के खोली में कोई है अभी सूर्यदेव के आदमी आग लगा देगें |
रीमा ने खुद को आजाद करने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुई | मैडम मै आपको नुकसान नहीं पहुचाने आया हूँ | मैडम मै तो आपकी जान की इफाजत कर रहा हूँ | अगर आप चिल्लावोगी नहीं तो मै आपको छोड़ दूंगा |
रीमा ने सहमती जताई | गिरधारी ने रीमा के मुहँ पर से हाथ हटा लिया | इस छीना झपटी में रीमा की तौलिया अलग गिरी जाकर | रीमा के उन्नत उरोज पानी की ओस की बुँदे लिए सीने पर तने खड़े थे | रीमा ने भी तौलिया उठाकर जिस्म ढकने की कोशिश नहीं की |
रीमा गुस्से में उबलती हुई - क्यों आया है यहाँ और तेरे पास चाभी कहाँ से आई | क्या देखना चाहता है जिस्म में देख ले और जा यहाँ से |
गिरधारी - अरे मैडम आप तो गुस्सा हो रही है | मै तो बस ये कह रहा था बॉस के साथ रात रात भर नंगे चिपक कर सोती है, दिन में नंगे होकर नहाती है तो थोड़ी देर और ऐसे ही रह लीजिये | कुछ घट तो नहीं जायेगा आपका | हम भी अपनी हसरत पूरी कर ले आपको निहार कर | बस इतनी सी तो ख्वाइश है | हम इतने किस्मत वाले कहाँ जो बॉस की तरह आप हमें चोदने को मिलेगी | बस आपके नंगे जिस्म को देखकर थोड़ी आँखे सेक लेगें और चले जायेगे | आपके लिए जान पर खेल रहे है इतना तो आप कर सी सकती है |
गिरधारी ने एक गन्दी से लीचड़ हंसी निकाली |
रीमा अन्दर से दहसत से भरी थी लेकिन ऊपर से मजबूत दिखने की कोशिश कर रही थी - देख लिया, अब चल फुट यहाँ से |
गिरधारी - मन तो करता है दिन भर ऐसे ही देखता रहू |
रीमा गुस्से से भड़कती हुई - जाता है यहाँ से या फिर ......... |
गिरधारी भी लपककर आगे आ गया, इतना करीब की रीमा के उरोजो की नुकीली चोटियाँ बस गिरधारी के सीने को छूने भर को रह गयी थी - देखो मैडम ज्यादा लाल पीली मत हो वरना, यही पटक के रगड़ दूंगा, मुझे तो तुमारे कपड़े भी उतारने नहीं पड़ेगे, ऊपर से नीचे तक नंगी हो ही | ज्यादा जोश दिखावोगी तो फ्री फण्ड में अभी चुद जावोगी, दो बार लंड घुसेड़ के अभी सारी जवानी चूत के रास्ते पानी बनाकर निकाल दूंगा |
रीमा तो जैसे गिरधारी की धमकी से डर से सुख गयी, मुहँ की लार मुहँ में रह गयी हलक के नीचे नहीं उतरी | उसने ये तो सोचा ही नहीं था गिरधारी उसका रेप भी कर सकता है | पहली बार उसे गिरधारी से डर महसूस हुआ और वो अन्दर तक काँप गयी |
रीमा पीछे हटकर कांपती हुई बेड की तरफ बढ़ी | जितेश का दिया चाकू कहाँ रख दिया | उसे याद नहीं आ रहा था | जिस चाकू को वो साये की तरह सुबह से चिपकाये थी वो इस वक्त उसके साथ नहीं था |
गिरधारी - चुपचाप मेरे लिए नुडल्स बना दे खाकर चला जाऊंगा | इतना कहकर उसने थैले से सेब निकाला और बिना धोये खाने लगा |
रीमा - अपने आप बना ले मै तेरी नौकरानी नहीं हूँ |
गिरधारी ने टोन बदल दी - मैंने कब कहा आप नौकरानी है | आप तो मालकिन है हमारी | और मालकिन को खुस रखना नौकर की ड्यूटी है | उस दिन सेवा में कोई कमी रह गयी हो तो बताइए अभी पूरी कर दूंगा | मेरा घोड़ा आपकी मांद में सरपट दौड़ने को तैयार है |
रीमा कुछ नहीं बोली | चुपचाप जाकर बिस्तर बैठ गयी | गिरधारी भी नूडल्स बनाने चला गया | उसके बाद उसने इत्मिनान से नुडल्स खाए, रीमा ने अपनी जिस्म को ढकने की कोशिश की लेकिन गिरधारी ने धमका दिया, फिर भी रीमा ने सीने पर तौलिया लपेट ली | गिरधारी बार बार रीमा के जिस्म को घूरता, वो आया तो रीमा के जिस्म को देखकर अपनी ठरक मिटाने | लेकिन अब उसके अन्दर रीमा को भोगने की ठरक पैदा हो गयी | जब से उसने रीमा को धमकाया तब से रीमा शांत होकर बिस्तर पर बैठ गयी | इससे उसकी हिम्मत और बढ़ गयी | हालाँकि वो रीमा के साथ जबरदस्ती नहीं करना चाहता था, वरना जितेश उसे जिन्दा काट डालता | रीमा की रजामंदी के बाद जितेश उसका बाल बांका नहीं कर सकता था |
जब पेट की भूख शांत हुई तो खुश होकर गिरधारी बोला - देखो मैडम मै भले ही छोटा आदमी हूँ लेकिन दिल का बुरा नहीं हूँ | बॉस के कहने पर दिन रात आपको बचाने में लगा हूँ | आप ही बतावो, अगर आप मेरी जगह होती तो क्या करती | मैंने तो उस दिन भी आपके साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं करी | आज भी ऐसा कुछ सोचकर नहीं आया था | भूख लगी थी सोचा कुछ ले जाकर बनवा लूँगा | आप बतावो आप मर्द होती और आपके जैसी खूबसूरत हसीन औरत अचानक से आपके सामने नंगी आ जाए आप क्या करोगे |
रीमा कुछ नहीं बोली |
गिरधारी - मैडम आपको दुःख पहुचाने के बारे मै तो सपने में भी नहीं सोच सकता | हाँ थोडा मुहँ फट हूँ | अब मैडम जो हुआ है उसे न आप नकार सकती हूँ न मै | किसी भी मर्द का लंड खड़ा हो जायेगा आप जैसी औरत का हसींन नंगा जिस्म देखकर | इसमें मेरी गलती क्या ? आप हो ही इतनी खूबसूरत | भगवान ने आपको बनाया ही फुर्सत में है |
रीमा उसकी बातो को सुन ही नहीं रही थी | उसे जितेश की बात याद थी | ऊपर से उसे रोहित की बात याद आ गयी |
वो भावनावो में डूबने की बजाय दिमाग से सोच रही थी |
रीमा - वो सब तो ठीक है, लेकिन तुम अन्दर कैसे आये |
गिरधारी - अरे मैडम आप भी कितनी भोली है, आप ही ने तो चाभी दी थी सिगरेट के डिब्बे में | उसमे दो चाभियाँ थी | जब मैंने उसे खोला तो देखना हथियारों के संदूक के अलावा भी एक चाभी है | तभी तो मै फल सब्जी लेने चला गया | सोचा कुछ खा पीकर निकल जाऊंगा बॉस को हथियार पंहुचाने है |
रीमा - ठीक है तो अब खा पी चुके हो तो जावो अब |
गिरधारी - ठीक है मैडम जी जैसा आपका आदेश | चला जाता हूँ |
गिरधारी ने अपना मुहँ ढका और तेजी से बाहर निकल गया |
रीमा ने उसके जाते ही ऊपर की तरफ देखकर एक लम्बी साँस ली | वही बिस्तर पर निढाल हो गयी | इससे पहले वो सुकून की दो साँस ले पाती, दरवाजा तेजी से खुला और बंद हो गया |
गिरधारी धीमी आवाज में - बाहर कुछ आदमी घूम रहे है अभी जाने में खतरा है | इतना कहकर उसने दरवाजे को अच्छे से सांकल लगाकर बंद कर दिया |
रीमा अपनी तौलिया सही करती हुई उठकर बैठकर |उसे लग रहा था ये मुसीबत चली गयी लेकिन वो फिर उसके गले आन पड़ी | रीमा बिस्तर पर से उठी और पानी लेने चली |
गिरधारी - अच्छा मैडम जी नाराज न हो तो एक बात पूछु |
रीमा का उससे बिलकुल बात करने का मन नहीं वो कुछ नहीं बोली | कुछ सोचकर रीमा - पूछो |
गिरधारी - देखो मैडम जी मै जाहिल गंवार, गलती माफ़ कर देना लेकिन मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा कुछ देखा सुना नहीं इसलिए पूछ रहा हूँ |रीमा की ख़ामोशी देखकर - गुस्सा होंगी तो नहीं पूछुंगा |
रीमा ने मन मजबूत कर लिया, वैसे भी गिरधारी के बाहर जाने से वो एक बात को लेकर निश्चिन्त हो गयी थी गिरधारी उसके साथ जोर जबदस्ती नहीं करेगा | तुम्हे चोदने के ख्वाब देखने वाला ये पहला इंसान तो नहीं है रीमा, फिर इतना टची क्यों हो रही हो, उसे बस एक फालतू लंड समझो, जिसको तुमारी ख्वाइश है | देखने दो ख्वाब |
रीमा - पूछो जो पूछना है |
गिरधारी - देखो मैडम जी मै वही अटक गया हूँ | मैंने वैसा जिंदगी में कभी नहीं देखा, न कभी सोचा था | मतलब आप जैसी हसीन जिस्म की मालकिन की गांड मारने का मौका मिलेगा, सिर्फ मौका ही नहीं मिला भरपूर मौका मिला | मतलब बिलकुल निचोड़ लिया एक एक बूँद अन्दर से | मै तो बिलकुल जन्नत का सफ़र किया, आपको कैसा लगा, मतलब मेरा पहली बार था जब मै किसी औरत की गांड मार रहा था | जोश में कही तो कुछ नहीं कर गया | कैसा लगा आपको मेरा लंड और उसका गांड मारना | मतलब आपको मजा आया |
रीमा के लिए ये एक्सपेक्टेड था - कभी गांड मरवाई है |
गिरधारी - नहीं |
रीमा - मरवा के देखो खुद पता चल जायेगा |
गिरधारी - मुझे इतना तो मालूम है दर्द होता है, लेकिन आप तो दो दो लंड एक साथ घोट रही थी, आपको तो बहुत दर्द हो रहा होगा |
रीमा - तुमारे पास घुमा फिर कर बस यही है पूछने को |
गिरधारी - हाँ मैडम इस लीचड़ सी जिदगी की बस इतनी ही कमाई है की आप जैसी औरत की गांड मारी है | अभी भी दुःख रही है क्या ? कुछ ज्यादा तेज ठोकरे मारी थी क्या ?
रीमा - चुदाई में ठोकरे तो पड़ती है, चाहे आगे से पड़े चाहे पीछे से |
गिरधारी - मजा आया मैडम, मेरा मतलब दर्द तो होता है तकलीफ भी होती है लेकिन कुछ मजा तो आता ही होगा न वरना काहे कोई मरवाने लगेगा |
रीमा - जब आदमी वासना के नशे में हो तो सब दुःख दर्द भूल जाता है |वो तो सब बाद में पता चलता है |
गिरधारी - अच्छा मेरी सेवा कैसी लगी |
रीमा - मतलब ?
गिरधारी - अच्छा मैडम मान लीजिये, मतलब सिर्फ मान लीजिये की आपका फिर से कभी मन हुआ गांड मरवाने का तो इस नाचीज को एक मौका दीजियेगा, बिलकुल निराश नहीं करूंगा |
रीमा ताव में - तुमारा दिमाग ख़राब है |
गिरधारी - क्यों मैडम, जब बॉस से चूत की प्यास कभी न कभी तो बुझवाएगी, तो पीछे के छेद लिए इस नाचीज को याद कर लीजियेगा | मैडम इतना बुरा भी नहीं हूँ चोदने में | शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगा |
रीमा - नहीं ये अब नहीं होने वाला |
गिरधारी - क्यों मैडम ?
रीमा - मैंने कहाँ न, जो हो गया सो हो गया |
गिरधारी जिस तरह की बाते कर रहा था और जिस अंदाज में रीमा के जिस्म को घूर रहा था, उसके लंड में तनाव आ चूका था | रीमा को चोदने की चाहत जिसको वो बड़ी मुश्किल से दबाये बैठा अब फनफना कर अपने असली रूप में आ चुकी थी |
रीमा बेड पर पैर लटकाए बैठी थी और गिरधारी वही पर जमीन पर पसरा था |
गिरधारी - क्यों नहीं हो सकता मैडम, मै इस बार आपको पिछली बार से भी ज्यादा मजा दूंगा |
रीमा ने उसको घूर कर देखा | गिरधारी बात को सँभालते हुए - मतलब अगर आपकी ख्वाइश होगी तो |
गिरधारी - गलती के पहले ही माफ़ी मैडम , लेकिन एक बार मैडम, बस एक बार आपकी गांड मारने की तम्मना है | कोई जोर जबरदस्ती नहीं बस इस गरीब की ख्वाइश है | जो आप कहेगी वो करूंगा | आपको बचाने के लिए अपनी जान पर खेल जाऊंगा | जिंदगी भर के लिए अपना गुलाम बनाकर रखना, गले में कुत्ते वाला पत्ता पहनाकर रखना | बस इक बार मेरी ये ख्वाइश पूरी कर दीजिये | इतना कहकर उसने रीमा की जांघ के उपरी हिस्से पर दांया हाथ रख दिया |
रीमा चौंक गयी लेकिन भड़की नहीं - हाथ हटाओ, ख्वाइश तो बहुत होती है सब पूरी थोड़े न होती है |
गिरधारी अपना हाथ पीछे खीचता हुआ - मैडम मै आपसे कुछ ऐसा नहीं मांग रहा हूँ जो आप दे न सके |
रीमा - मेरे लिए अब दुबारा उसके बारे में सोचना भी पाप है |
गिरधारी - क्या पाप पुण्य मैडम, एक बार तो वो पाप आप कर ही चुकी है एक बार और सही, कुछ घटेगा तो नहीं है | ऊपर से इस बार गांड का छेद भी ढीला होगा, पेलने में भी आसानी रहेगी, आपको भी दर्द कम होगा | खूब सारी चिकनाई लगाकर आपकी गांड मारूंगा मैडम | आपको कोई तकलीफ नहीं होने दूंगा | आपको सिर्फ मजे से कराहोगी, दर्द से नहीं ये मेरी गारंटी है |गिरधारी ऊपर से ही अपने लंड को सहलाने लगा |
रीमा को गुस्सा आ गया, उसे लगा अब गिरधारी उसके सर पर चढ़ा जा रहा है - मै कुछ कह नहीं रही हूँ तो सर पर चढ़े जा रहे हूँ | पीछे हटो |
गिरधारी अपनी ही वासना की रौ में था - देखो न मैडम अब तो आपने मेरा लंड भी खड़ा कर दिया है |
रीमा - बकवास बंद करो और निकलो यहाँ से फटाफट |
गिरधारी ने आव देखा न ताव, उसे पता था अभी नहीं तो कभी नहीं | वो खड़ा हुआ और अपनी पतलून से लंड निकाल कर रीमा के ठीक सामने हवा में झुल्ला दिया |
रीमा इससे पहले संभल पाती, गिरधारी ने उसकी तौलिया खीच ली जो बस हल्की से गाँठ से उसके उन्नत उरोजो की ऊँचाइयों पर टिकी हुई थी | रीमा के जिस्म पर अब बस कुछ सेमी size की पैंटी रह गयी थी | बाकि उसका सारा गुलाबी जिस्म गिरधारी के सामने नंगा था |