03-05-2021, 07:19 AM
जितेश सोचने लगा | गिरधारी दरवाजे को ओट से रीमा की झलक पाने की असफल कोशिश करने लगा |
जितेश गिरधारी की आदत जानता था | उसकी आँखों में देख कर ही लगता था की रीमा के जिस्म की वासना बजबजा रही है | अपना पालतू था इसलिए जितेश ने इग्नोर किया |
जितेश - ठीक है ये फ़ोन रख मैं तुझे कुछ देर बाद फ़ोन करूंगा | याद रखना इस फ़ोन से और किसी से गप्पे मत मारना | निकल यहाँ से | गिरधारी रीमा को देखने की आखिरी कोशिश करता हुआ मुहँ ढक कर वहां से निकल गया |
जितेश ने दरवाजा बंद किया और तेजी से कपड़े पहने |
जितेश - मै कुछ काम से निकल रहा हूँ | ये दरवाजा बिलकुल मत खोलना | मै बाहर से ताला लगाकर जाऊंगा | मैंने अपना फ़ोन गिरधारी को दे दिया है और तुम्हे कोई जरुरत हो तो उसे फ़ोन कर लेना | वो आसपास ही मंडराता रहेगा |
रीमा - ठीक है |
जितेश कुछ सोचकर बेड के सिरहाने से एक चाकू उठाकर - ये तुमारी सुरक्षा के लिए है अपने पास ही रखना, मुझे लौटने में आधी रात हो सकती है | और गिरधारी को ज्यादा मुहँ मत लगाना, बहुत लीचड़ इंसान है | तुम्हें देखकर उसकी लार टपकने लगती है |
रीमा - तुम कहाँ जा रहे हो, यू समझो तुमारी आजादी का टिकट लेने | इसके बाद तुम यहाँ से सीधे अपने घर |
रीमा खुद हो गयी | उसको घर की याद आने लगी | इधर जितेश उसे क्या क्या समझा रहा था उसने सुना ही नहीं | बस हूँ हाँ करती रही | जितेश ने एक बैग उठाया अपने सारे हथियार लिए और तेजी से सामने के दरवाजे से निकल गया | बाहर जाते वक्त ताला लटका गया ताकि किसी को ये शक न हो की कोई अन्दर है |
रीमा घर की यादों में खो गयी, रोहित प्रियम उसका आलीशान घर, वो सारी सुख सुविधाए | हाय कहाँ इस नरक में फंस गयी | नाश्ता कर ही चुकी थी इसलिए जितेश के जाते ही बिस्तर पर लुढ़क गयी | अपने बारे में सोचने लगी | हाय रीमा तुमने ये क्या कर डाला, जो कुछ भी उसके साथ पिछले कुछ दिन में हुआ सब कुछ | कौन है जितेश, क्या लगता है तेरा जो उससे सारा जिस्म नुचवा लिया और वो उसका गन्दा सा नौकर ....... छी रीमा छी तुम्हे अपने आप से घिन नहीं आ रही है | क्या इसी दिन के अपने जिस्म को हर मर्द की परछाई से बचाती फिरती थी ताकि यहाँ दो जंगली जानवरों के खूंटो से अपना पूरा जिस्म नुचवा लो | ऐसे तो रंडियां भी अपना जिस्म नहीं नुचवाती | उनके अन्दर भी तोडा बहुत लिहाज होता है | आगे पीछे दोनों तरफ से दोनों छेदों की दुर्गति करवा ली | नासूर की तरह दुःख रहे है दोनों अब | रीमा की आँखों में आंसू थे और मन में बहुत गहरा डिप्रेसन | रीमा उठी और एक लोशन को अपने पिछली सुरंग में भरकर फिर से बिस्तर पर लेट गयी |
आपने अतीत और वर्तमान की तुलना करते करते कब उसकी नीद लग गयी उसे पता ही नहीं चला |
जब आँख खुली तो ४ बज रहे थे | भूख लगी थी नूडल्स बनाये | बस खाने जा रही थी तब दरवाजे पर दस्तक हुई |
बाहर गिरधारी था - साईकिल का पंचर बनवा लो |
ये कोड वार्ड था | रीमा समझ गयी | दरवाजे के पास आकर - क्या चाहिए ?
मैडम सुबह से मालिक ड्यूटी पर लगा गए, पंचर तो एक नहीं बनवाने कोई आया लेकिन मै भूख के मारे पंचर हो गया हूँ |
रीमा - आगे तो ताला पड़ा है |
गिरधारी - कोई नहीं मैडम जो भी हो तैयार रखो बस मै पीछे से लेकर आ लूँगा |
रीमा - यहाँ अभी बस नुडल ही है, वो भी मेरे जरुरत भर का, उसमे तो बस मेरा पेट भरेगा|
गिरधारी - क्या ? आपने खाना नहीं बनाया क्या ?
रीमा - बनाने को कुछ है ही नहीं, तुम कही बाहर ही जाकर कुछ खा लो |
गिरधारी - मैडम दुश्मन के आदमी सुबह से मुझे ही दूंढ रहे है मेरे हुलिया के कारन मुझे अब तक नहीं पहचान पाए है वरना कब का दबोच लिया होता |
रीमा - तो मै क्या करू ?
गिरधारी - कुछ तोड़ा बहुत दे दो, पेट में कुछ पड़ जाए बस |
रीमा - अभी तो बस यही है |
उधर से कोई आवाज नहीं आई | असल में गली में किसी को आता देख गिरधारी आगे बढ़ गया था |
रीमा ने एक दो बार आवाज दी फिर लौट कर नूडल्स खाने लगी |
कोई १० मिनट बाद पीछे की तरफ से दस्तक हुई |
रीमा चौंक गयी | वो कुछ बोली नहीं डर के मारे उसका दिल धकधक करने लगा |
उधर से आवाज आई - मैडम मै पंचर वाला |
रीमा थोड़ा सा जोर डालने पर गिरधारी की आवाज पहचान गयी | वो झोपड़ी के दक्षिण पश्चिम कोने से आवाज दे रहा था | ये कोना मुख्य दरवाजे के ठीक उलट है | रीमा उस कोने के पास आई |
गिरधारी - बाहर बहुत गर्मी है पूरा हलक सुख गया है कुछ पानी और खाने को दे दो | रीमा नूडल्स चट कर चुकी थी |
रीमा - खाने के लिए कुछ नहीं है |
गिरधारी - अरे मैडम देख लो |कुछ फल फलारी काजू मेवा कुछ तो पड़ा होगा | बॉस ने कही न कही कुछ तो रखा होगा |
रीमा को ड्राई फ्रूट याद आ गए | वो एक बोतल में पानी और एक कटोरी में खजूर लेकर आई |
रीमा - लेकिन तुम लोगे कैसे ?
गिरधारी - मैडम बाथरूम में जिस तरह पानी निकलता है उस छेद से बोतल और खजूर पास कर दीजिये | मै कूड़े वाला हूँ कूड़ा समझ बीन लूँगा |
रीमा गिरधारी का जवाब सुनकर हैरान रह गयी | मन ही मन सोचा कैसे जीते है ये लोग |
रीमा वापस आई खजूर को अच्छे से तीन बार पन्नी में पैक किया फिर पानी की बोतल और खजूर एक बड़ी पन्नी में पैक करके उस पर रबर लगा दी | लेकिन जब बाथरूम गयी तो वहां बम्मुश्किल पानी की बोतल भर का छेद था | रीमा ने सारी पैकिंग वापस खोली और फिर एक एक कर खजूर बोतल में डाल दिए | बमुश्किल १०-१२ खजूर ही उसमे भर पाई | बाकि उसमे पानी भरा था | इसके बाद उसके ऊपर पन्नी की एक परत चिपकाकर नाली के जरिये बाहर की तरह खिसका दी | फिर दक्षिण पश्चिम कोने में आकर बोली - जाकर बोतल उठा लो |
गिरधारी - ठीक है मैडम, वैसे कुछ सब्जी वगैरह लाना हो तो बता दो, अँधेरा ढलते ही दे जाऊंगा |
रीमा - नहीं मैंने नूडल्स खा लिए है | अभी तो भूख नहीं है, अब मै नहाने जा रही हूँ | तुमारे पास नंबर तो है न, मै फ़ोन कर दूँगी |
गिरधारी - मुझे बेड के बायीं ततरफ एक सिगरेट की डिब्बी रखी है वो भी उधर ही फेंक देना छेद से | मैडम एक बात पूछु बुरा मत मानना, |
रीमा - बोलो |
गिरधारी - अभी शाम होने जा रही अभी तक आप नहाई नहीं है |
रीमा - नहीं, थोडा सुस्ती लग रही थी, शरीर भी दुःख रहा था इसलिए लेट गयी थी तो नीद आ गयी |
रीमा को सिगरेट की डिब्बी ढूढ़ने में कुछ टाइम लगा | सिगरेट की डिब्बी भी पन्नी में लपेटकर रीमा ने बाथरूम की तरफ से बाहर खिसका दी | हालाँकि जब वो उसके ऊपर पन्नी लपेट रही थी तब उसमे से लोहे की आवाज आ रही थी |
रीमा वापस उसी कोने में आकर - क्या था उस डिब्बी |
गिरधारी - कुछ नहीं मैडम बस हमारे गोला बारूद भण्डार की चाभी है | बॉस का फ़ोन आया था कुछ हथियार ले जाने है अँधेरा होते ही |
रीमा - कोई खतरे की बात तो नहीं |
गिरधारी - नहीं मैडम ये तो हमारा रोज का काम है | अब आप नहा लो | आपका जिस्म का सारा दुःख दर्द दूर हो जायेगा | वैसे मैडम इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद बदन तो दुखेगा ही, ऊपर से दो तरफा ठुकाई के बाद तो और भी हालत ख़राब हो जाती होगी | पता नहीं कैसे आप तो घंटे घंटे भर दो लंड आगे पीछे घोट लेती हो वो भी एक साथ | कमाल हो आप, यहाँ तो ससुरी औरते लंड चूत को छुवा नहीं की साली आसमान सर पर उठा लेती है इतना चीखती चिल्लाती है |
रीमा गिरधारी की बात सुनकर सन्न रह गयी, कुछ बोली नहीं | कुछ देर वही खड़ी रही | गिरधारी ने दो बार मैडम मैडम आवाज दी और फिर उसके जाने की आहट रीमा को सुनाई दी |
रीमा ने गिरधारी के जाने के बाद अपना बिस्तर सही किया फिर बर्तन धुले और फिर नहाने चली गयी | जितेश ने बोला था गिरधारी के मुहँ मत लगना इसलिए गिरधारी की बातो की रीमा ने इग्नोर करने की कोशिश की | रीमा ने बाथरूम में जाकर कपड़े उतारे और नहाने लगी | उसने दरवाजा भी ओट नहीं किया | रीमा ने खुद को खूब मल मल कर रगड़ कर साफ़ करना शुरू किया | ऊपर से नीचे तक | अपने छेदों में भी पानी भर भर कर साफ़ करने लगी | जितेश उसको बोल गया था की वो उसकी आजादी का टिकट लेने गया है | अब वो इस वासना के काले अध्याय को यही छोड़कर एक नयी शुरआत करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ने को प्रतिबद्ध थी |
तभी रीमा को सामने वाले दरवाजे पर कुछ आहट हुई | जब तक वो अपनी विचरण करती तन्द्रा को भंग कर दरवाजे की तरफ ध्यान ले जाती तब तक दरवाजा खुल चूका था | रीमा के दिमाग में जितेश का नाम आया | शायद जल्दी आ गया होगा | रीमा ने बाथरूम का दरवाजा ओट कर लिया, और दराज से झांक कर देखने लगी |
दरवाजा जिस तेजी से खुला था उसी तेजी से बंद हो गया | उस आदमी के हाथ में दो थैले थी मुहँ ढका था, एक में सब्जी और एक में फल | रीमा सतर्क हो गयी, सुबह जितेश उसे एक तेज धार वाला चाकू देकर गया था | वो सुबह से ही उसे अपने लोअर के जेब में रखे हुए थी | लेकिन चूँकि इस वक्त वो नहा रही थी इसलिए उसकी शर्ट लोअर पैंटी तीनो बाथरूम में टंगे थे | रीमा ने अपने जिस्म पर तौलिया खीच के लपेटने की कोशिश की | लेकिन जल्दबाजी में तौलिया फर्श पर जा गिरी | रीमा जब तक तौलिया उठाकर अपने जिस्म को ढकती, वो शख्स सामने खड़ा था और उसने बाथरूम के मुड़े दरवाजा पूरा खोलते हुए , अपने दोनों हाथ के थैले रीमा को दिखाते हुए |
शख्स - ये देखो मैडम जी मै ढेर सारी सब्जी और फल ले आया हूँ, आप जल्दी सी कुछ न कुछ बना दो | अरे आप तो अभी तक नहा ही रही हो, वो भी बिलकुल नंगी होकर | कोई बात नहीं मुझसे कैसी शर्म, मैने आपके जिस्म को ऊपर से ही नहीं अन्दर घुस महसूस कर लिया | मुझसे काहे की हया शर्म |
रीमा अपनी तौलिया समेटती हुई, अपनी हडबडाहट छिपाने की असफल कोशिश करती हुई - तुम कौन गिरधारी ...... सामने से कैसे आ गए ..... ऊ ऊ धर तो ताला पड़ा था |
रीमा ने तपाक से जोर से बाथरूम का दरवाजा भिड़ा लिया | उसकी सांसे तेज तेज चलने लगी | कितना निश्चिन्त होकर नहा रही थी | ये कैसे अन्दर आ गया | रीमा की हालत काटो तो खून नहीं | गिरधारी ने उसे फिर से नंगा देख लिया | क्या सोचता होगा उसके बारे में | छी छी ........................... | उसे तो लगता होगा मै .................... (कुछ सोच नहीं पाई) |
गिरधारी बिलकुल नार्मल दिखने की कोशिश कर रहा था, हालाँकि रीमा को नंगा देखकर उसके दबे अरमान जाग गए |
गिरधारी - मैडम जी ये थैले कहाँ रख दू |
रीमा को अभी भी समझ नहीं आ रहा था आखिर ये अन्दर आया कैसे ?
जितेश गिरधारी की आदत जानता था | उसकी आँखों में देख कर ही लगता था की रीमा के जिस्म की वासना बजबजा रही है | अपना पालतू था इसलिए जितेश ने इग्नोर किया |
जितेश - ठीक है ये फ़ोन रख मैं तुझे कुछ देर बाद फ़ोन करूंगा | याद रखना इस फ़ोन से और किसी से गप्पे मत मारना | निकल यहाँ से | गिरधारी रीमा को देखने की आखिरी कोशिश करता हुआ मुहँ ढक कर वहां से निकल गया |
जितेश ने दरवाजा बंद किया और तेजी से कपड़े पहने |
जितेश - मै कुछ काम से निकल रहा हूँ | ये दरवाजा बिलकुल मत खोलना | मै बाहर से ताला लगाकर जाऊंगा | मैंने अपना फ़ोन गिरधारी को दे दिया है और तुम्हे कोई जरुरत हो तो उसे फ़ोन कर लेना | वो आसपास ही मंडराता रहेगा |
रीमा - ठीक है |
जितेश कुछ सोचकर बेड के सिरहाने से एक चाकू उठाकर - ये तुमारी सुरक्षा के लिए है अपने पास ही रखना, मुझे लौटने में आधी रात हो सकती है | और गिरधारी को ज्यादा मुहँ मत लगाना, बहुत लीचड़ इंसान है | तुम्हें देखकर उसकी लार टपकने लगती है |
रीमा - तुम कहाँ जा रहे हो, यू समझो तुमारी आजादी का टिकट लेने | इसके बाद तुम यहाँ से सीधे अपने घर |
रीमा खुद हो गयी | उसको घर की याद आने लगी | इधर जितेश उसे क्या क्या समझा रहा था उसने सुना ही नहीं | बस हूँ हाँ करती रही | जितेश ने एक बैग उठाया अपने सारे हथियार लिए और तेजी से सामने के दरवाजे से निकल गया | बाहर जाते वक्त ताला लटका गया ताकि किसी को ये शक न हो की कोई अन्दर है |
रीमा घर की यादों में खो गयी, रोहित प्रियम उसका आलीशान घर, वो सारी सुख सुविधाए | हाय कहाँ इस नरक में फंस गयी | नाश्ता कर ही चुकी थी इसलिए जितेश के जाते ही बिस्तर पर लुढ़क गयी | अपने बारे में सोचने लगी | हाय रीमा तुमने ये क्या कर डाला, जो कुछ भी उसके साथ पिछले कुछ दिन में हुआ सब कुछ | कौन है जितेश, क्या लगता है तेरा जो उससे सारा जिस्म नुचवा लिया और वो उसका गन्दा सा नौकर ....... छी रीमा छी तुम्हे अपने आप से घिन नहीं आ रही है | क्या इसी दिन के अपने जिस्म को हर मर्द की परछाई से बचाती फिरती थी ताकि यहाँ दो जंगली जानवरों के खूंटो से अपना पूरा जिस्म नुचवा लो | ऐसे तो रंडियां भी अपना जिस्म नहीं नुचवाती | उनके अन्दर भी तोडा बहुत लिहाज होता है | आगे पीछे दोनों तरफ से दोनों छेदों की दुर्गति करवा ली | नासूर की तरह दुःख रहे है दोनों अब | रीमा की आँखों में आंसू थे और मन में बहुत गहरा डिप्रेसन | रीमा उठी और एक लोशन को अपने पिछली सुरंग में भरकर फिर से बिस्तर पर लेट गयी |
आपने अतीत और वर्तमान की तुलना करते करते कब उसकी नीद लग गयी उसे पता ही नहीं चला |
जब आँख खुली तो ४ बज रहे थे | भूख लगी थी नूडल्स बनाये | बस खाने जा रही थी तब दरवाजे पर दस्तक हुई |
बाहर गिरधारी था - साईकिल का पंचर बनवा लो |
ये कोड वार्ड था | रीमा समझ गयी | दरवाजे के पास आकर - क्या चाहिए ?
मैडम सुबह से मालिक ड्यूटी पर लगा गए, पंचर तो एक नहीं बनवाने कोई आया लेकिन मै भूख के मारे पंचर हो गया हूँ |
रीमा - आगे तो ताला पड़ा है |
गिरधारी - कोई नहीं मैडम जो भी हो तैयार रखो बस मै पीछे से लेकर आ लूँगा |
रीमा - यहाँ अभी बस नुडल ही है, वो भी मेरे जरुरत भर का, उसमे तो बस मेरा पेट भरेगा|
गिरधारी - क्या ? आपने खाना नहीं बनाया क्या ?
रीमा - बनाने को कुछ है ही नहीं, तुम कही बाहर ही जाकर कुछ खा लो |
गिरधारी - मैडम दुश्मन के आदमी सुबह से मुझे ही दूंढ रहे है मेरे हुलिया के कारन मुझे अब तक नहीं पहचान पाए है वरना कब का दबोच लिया होता |
रीमा - तो मै क्या करू ?
गिरधारी - कुछ तोड़ा बहुत दे दो, पेट में कुछ पड़ जाए बस |
रीमा - अभी तो बस यही है |
उधर से कोई आवाज नहीं आई | असल में गली में किसी को आता देख गिरधारी आगे बढ़ गया था |
रीमा ने एक दो बार आवाज दी फिर लौट कर नूडल्स खाने लगी |
कोई १० मिनट बाद पीछे की तरफ से दस्तक हुई |
रीमा चौंक गयी | वो कुछ बोली नहीं डर के मारे उसका दिल धकधक करने लगा |
उधर से आवाज आई - मैडम मै पंचर वाला |
रीमा थोड़ा सा जोर डालने पर गिरधारी की आवाज पहचान गयी | वो झोपड़ी के दक्षिण पश्चिम कोने से आवाज दे रहा था | ये कोना मुख्य दरवाजे के ठीक उलट है | रीमा उस कोने के पास आई |
गिरधारी - बाहर बहुत गर्मी है पूरा हलक सुख गया है कुछ पानी और खाने को दे दो | रीमा नूडल्स चट कर चुकी थी |
रीमा - खाने के लिए कुछ नहीं है |
गिरधारी - अरे मैडम देख लो |कुछ फल फलारी काजू मेवा कुछ तो पड़ा होगा | बॉस ने कही न कही कुछ तो रखा होगा |
रीमा को ड्राई फ्रूट याद आ गए | वो एक बोतल में पानी और एक कटोरी में खजूर लेकर आई |
रीमा - लेकिन तुम लोगे कैसे ?
गिरधारी - मैडम बाथरूम में जिस तरह पानी निकलता है उस छेद से बोतल और खजूर पास कर दीजिये | मै कूड़े वाला हूँ कूड़ा समझ बीन लूँगा |
रीमा गिरधारी का जवाब सुनकर हैरान रह गयी | मन ही मन सोचा कैसे जीते है ये लोग |
रीमा वापस आई खजूर को अच्छे से तीन बार पन्नी में पैक किया फिर पानी की बोतल और खजूर एक बड़ी पन्नी में पैक करके उस पर रबर लगा दी | लेकिन जब बाथरूम गयी तो वहां बम्मुश्किल पानी की बोतल भर का छेद था | रीमा ने सारी पैकिंग वापस खोली और फिर एक एक कर खजूर बोतल में डाल दिए | बमुश्किल १०-१२ खजूर ही उसमे भर पाई | बाकि उसमे पानी भरा था | इसके बाद उसके ऊपर पन्नी की एक परत चिपकाकर नाली के जरिये बाहर की तरह खिसका दी | फिर दक्षिण पश्चिम कोने में आकर बोली - जाकर बोतल उठा लो |
गिरधारी - ठीक है मैडम, वैसे कुछ सब्जी वगैरह लाना हो तो बता दो, अँधेरा ढलते ही दे जाऊंगा |
रीमा - नहीं मैंने नूडल्स खा लिए है | अभी तो भूख नहीं है, अब मै नहाने जा रही हूँ | तुमारे पास नंबर तो है न, मै फ़ोन कर दूँगी |
गिरधारी - मुझे बेड के बायीं ततरफ एक सिगरेट की डिब्बी रखी है वो भी उधर ही फेंक देना छेद से | मैडम एक बात पूछु बुरा मत मानना, |
रीमा - बोलो |
गिरधारी - अभी शाम होने जा रही अभी तक आप नहाई नहीं है |
रीमा - नहीं, थोडा सुस्ती लग रही थी, शरीर भी दुःख रहा था इसलिए लेट गयी थी तो नीद आ गयी |
रीमा को सिगरेट की डिब्बी ढूढ़ने में कुछ टाइम लगा | सिगरेट की डिब्बी भी पन्नी में लपेटकर रीमा ने बाथरूम की तरफ से बाहर खिसका दी | हालाँकि जब वो उसके ऊपर पन्नी लपेट रही थी तब उसमे से लोहे की आवाज आ रही थी |
रीमा वापस उसी कोने में आकर - क्या था उस डिब्बी |
गिरधारी - कुछ नहीं मैडम बस हमारे गोला बारूद भण्डार की चाभी है | बॉस का फ़ोन आया था कुछ हथियार ले जाने है अँधेरा होते ही |
रीमा - कोई खतरे की बात तो नहीं |
गिरधारी - नहीं मैडम ये तो हमारा रोज का काम है | अब आप नहा लो | आपका जिस्म का सारा दुःख दर्द दूर हो जायेगा | वैसे मैडम इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद बदन तो दुखेगा ही, ऊपर से दो तरफा ठुकाई के बाद तो और भी हालत ख़राब हो जाती होगी | पता नहीं कैसे आप तो घंटे घंटे भर दो लंड आगे पीछे घोट लेती हो वो भी एक साथ | कमाल हो आप, यहाँ तो ससुरी औरते लंड चूत को छुवा नहीं की साली आसमान सर पर उठा लेती है इतना चीखती चिल्लाती है |
रीमा गिरधारी की बात सुनकर सन्न रह गयी, कुछ बोली नहीं | कुछ देर वही खड़ी रही | गिरधारी ने दो बार मैडम मैडम आवाज दी और फिर उसके जाने की आहट रीमा को सुनाई दी |
रीमा ने गिरधारी के जाने के बाद अपना बिस्तर सही किया फिर बर्तन धुले और फिर नहाने चली गयी | जितेश ने बोला था गिरधारी के मुहँ मत लगना इसलिए गिरधारी की बातो की रीमा ने इग्नोर करने की कोशिश की | रीमा ने बाथरूम में जाकर कपड़े उतारे और नहाने लगी | उसने दरवाजा भी ओट नहीं किया | रीमा ने खुद को खूब मल मल कर रगड़ कर साफ़ करना शुरू किया | ऊपर से नीचे तक | अपने छेदों में भी पानी भर भर कर साफ़ करने लगी | जितेश उसको बोल गया था की वो उसकी आजादी का टिकट लेने गया है | अब वो इस वासना के काले अध्याय को यही छोड़कर एक नयी शुरआत करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ने को प्रतिबद्ध थी |
तभी रीमा को सामने वाले दरवाजे पर कुछ आहट हुई | जब तक वो अपनी विचरण करती तन्द्रा को भंग कर दरवाजे की तरफ ध्यान ले जाती तब तक दरवाजा खुल चूका था | रीमा के दिमाग में जितेश का नाम आया | शायद जल्दी आ गया होगा | रीमा ने बाथरूम का दरवाजा ओट कर लिया, और दराज से झांक कर देखने लगी |
दरवाजा जिस तेजी से खुला था उसी तेजी से बंद हो गया | उस आदमी के हाथ में दो थैले थी मुहँ ढका था, एक में सब्जी और एक में फल | रीमा सतर्क हो गयी, सुबह जितेश उसे एक तेज धार वाला चाकू देकर गया था | वो सुबह से ही उसे अपने लोअर के जेब में रखे हुए थी | लेकिन चूँकि इस वक्त वो नहा रही थी इसलिए उसकी शर्ट लोअर पैंटी तीनो बाथरूम में टंगे थे | रीमा ने अपने जिस्म पर तौलिया खीच के लपेटने की कोशिश की | लेकिन जल्दबाजी में तौलिया फर्श पर जा गिरी | रीमा जब तक तौलिया उठाकर अपने जिस्म को ढकती, वो शख्स सामने खड़ा था और उसने बाथरूम के मुड़े दरवाजा पूरा खोलते हुए , अपने दोनों हाथ के थैले रीमा को दिखाते हुए |
शख्स - ये देखो मैडम जी मै ढेर सारी सब्जी और फल ले आया हूँ, आप जल्दी सी कुछ न कुछ बना दो | अरे आप तो अभी तक नहा ही रही हो, वो भी बिलकुल नंगी होकर | कोई बात नहीं मुझसे कैसी शर्म, मैने आपके जिस्म को ऊपर से ही नहीं अन्दर घुस महसूस कर लिया | मुझसे काहे की हया शर्म |
रीमा अपनी तौलिया समेटती हुई, अपनी हडबडाहट छिपाने की असफल कोशिश करती हुई - तुम कौन गिरधारी ...... सामने से कैसे आ गए ..... ऊ ऊ धर तो ताला पड़ा था |
रीमा ने तपाक से जोर से बाथरूम का दरवाजा भिड़ा लिया | उसकी सांसे तेज तेज चलने लगी | कितना निश्चिन्त होकर नहा रही थी | ये कैसे अन्दर आ गया | रीमा की हालत काटो तो खून नहीं | गिरधारी ने उसे फिर से नंगा देख लिया | क्या सोचता होगा उसके बारे में | छी छी ........................... | उसे तो लगता होगा मै .................... (कुछ सोच नहीं पाई) |
गिरधारी बिलकुल नार्मल दिखने की कोशिश कर रहा था, हालाँकि रीमा को नंगा देखकर उसके दबे अरमान जाग गए |
गिरधारी - मैडम जी ये थैले कहाँ रख दू |
रीमा को अभी भी समझ नहीं आ रहा था आखिर ये अन्दर आया कैसे ?