24-04-2021, 08:12 PM
पर मुझे कुछ ज्यादा करने की जरुरत नहीं पड़ी। बात अपने आप ही बनने लग रही थी। एक दिन तरुण घूमते घूमते मुझे मिलने आया। मैं उस दिन टीवी पर मेरा मन पसंद एक खास मैच देख रहा था। तब दीपा ने रसोई में से मुझे आवाज़ दी। वह मुझे ऊपर के शेल्फ से एक डिब्बा उतारने के लिए कह रही थी। मैंने तरुण से कहा की जाओ और दीपा की मदद करो, मैं टीवी देखने में व्यस्त था। यह सुनकर तरुण एकदम रसोई में पहुंचा तो देखा की दीपा को ऊपर के शेल्फ से एक आटे का भरा हुआ डिब्बा उतारना था।
तरुण ने दीपा से कहा, "भाभी आप हट जाओ। मैं दो मिनट में डिब्बा उतार दूंगा।"
दीपा ने जिद पर अड़े रहते हुए कहा, "क्यों? तुम क्यों उतारोगे? तुम्हारे भाई नहीं आ सकते क्या? यह उनका काम है।"
उसके बुलाने पर भी मैं रसोई में नहीं गया उस बात से दीपा चिढ़ी हुयी थी। उसके सर पर एक तरह का जूनून सवार था की या तो मैं जा कर उस डिब्बे को उतारूंगा या तो फिर वह स्वयं वह उतारेगी। किसी और (मतलब तरुण) की मदद नहीं लेगी। जब मैं नहीं पहुंचा तो तरुण ने देखा की दीपा खुद रसोई के प्लेटफार्म के ऊपर चढने की कोशिश करने लगी। प्लेटफार्म की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण वह ऊपर चढ़ नहीं पा रही थी। दीपा ने अपना एक पॉंव ऊपर उठाया और प्लेटफार्म पर रखा तो उसकी साड़ी सरक कर कमर पर आ गयी और उसकी जांघें तरुण के सामने ही नंगी हो गईं।
तरुण की शक्ल उस समय देखने वाली थी। वह दीपा की खूबसूरत जाँघें देख भौंचक्का सा रह गया। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी। जब दीपा ने तरुण के चेहरे के भाव देखे तो वह कुछ सकपका कर खड़ी हो गयी। उसने अपनी साडी ठीक की। तरुण ने अपने आप को सम्हाला और दुबारा दीपा को कहा, "भाभी, मुझे उतारने दो। मैं लम्बा हूँ और यह डिब्बा आसानी से उतार लूंगा।"
दीपा ने उसके जवाब में कहा, "देखो यह काम तुम्हारे भैया का है। या तो वही आकर उतारेंगे, या तो मैं खुद ऊपर चढ़ कर उसे उतारूंगी।"
तरुण ने कहा, "तो ठीक है भाभी आप ही डिब्बे को उतारिये। चलिए आप चढ़ जाइये प्लेटफार्म के ऊपर। मैं आपकी मदद करता हूँ।"
यह कह कर अचानक तरुण ने मौक़ा देख कर दीपा के जवाब का इंतजार किये बगैर दीपा के कन्धों को पकड़ कर दीपा को घुमा कर रसोई के प्लेटफार्म के सामने खड़ा किया, और खुद दीपा के पीछे हो गया। दीपा को उठाने के लिए तरुण ने काफी निचे झुक दीपा की साड़ी और घाघरा काफी ऊपर उठा कर दीपा की टाँगों के बिच अपने दोनों हाथ डाल दिए। मुझे पक्का यकीन था की उस समय दीपा की चूत को तरुण की बांहों ने जरूर छुआ होगा और रगड़ा भी होगा। फिर तरुण ने दीपा के कूल्हे में पीछे से अपना सर लगाया और दीपा को पीछे से बड़ी ताकत लगाकर ऊपर उठाया।
बाप रे, मुझे जब बाद में पता लगा तो मेरे लण्ड से जैसे पानी झरने लगा। पीछे जाते समय थोड़ी देर के लिए ही सही, पर उसने अपना लण्ड दीपा के कूल्हे में घुसेड़ कर उसे एकाध धक्का जरूर मारा होगा। एक बार अपना हाथ आगे कर दीपा के बूब्स उसने जरूर दबाये होंगे! दीपा की जाँघों को जकड़ कर अपने हाथ की उंगलियां जरूर दीपा की पैंटी के ऊपर से उसकी चूत में डाली होंगी। यह सब तरुण के लिए कितना रोमांचक होगा! उस समय तरुण का क्या हाल हुआ होगा यह समझना मुश्किल नहीं था। जरूर उसने काफी कुछ शरारत की होगी।
तरुण ने दीपा से कहा, "भाभी आप हट जाओ। मैं दो मिनट में डिब्बा उतार दूंगा।"
दीपा ने जिद पर अड़े रहते हुए कहा, "क्यों? तुम क्यों उतारोगे? तुम्हारे भाई नहीं आ सकते क्या? यह उनका काम है।"
उसके बुलाने पर भी मैं रसोई में नहीं गया उस बात से दीपा चिढ़ी हुयी थी। उसके सर पर एक तरह का जूनून सवार था की या तो मैं जा कर उस डिब्बे को उतारूंगा या तो फिर वह स्वयं वह उतारेगी। किसी और (मतलब तरुण) की मदद नहीं लेगी। जब मैं नहीं पहुंचा तो तरुण ने देखा की दीपा खुद रसोई के प्लेटफार्म के ऊपर चढने की कोशिश करने लगी। प्लेटफार्म की ऊंचाई ज्यादा होने के कारण वह ऊपर चढ़ नहीं पा रही थी। दीपा ने अपना एक पॉंव ऊपर उठाया और प्लेटफार्म पर रखा तो उसकी साड़ी सरक कर कमर पर आ गयी और उसकी जांघें तरुण के सामने ही नंगी हो गईं।
तरुण की शक्ल उस समय देखने वाली थी। वह दीपा की खूबसूरत जाँघें देख भौंचक्का सा रह गया। उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी। जब दीपा ने तरुण के चेहरे के भाव देखे तो वह कुछ सकपका कर खड़ी हो गयी। उसने अपनी साडी ठीक की। तरुण ने अपने आप को सम्हाला और दुबारा दीपा को कहा, "भाभी, मुझे उतारने दो। मैं लम्बा हूँ और यह डिब्बा आसानी से उतार लूंगा।"
दीपा ने उसके जवाब में कहा, "देखो यह काम तुम्हारे भैया का है। या तो वही आकर उतारेंगे, या तो मैं खुद ऊपर चढ़ कर उसे उतारूंगी।"
तरुण ने कहा, "तो ठीक है भाभी आप ही डिब्बे को उतारिये। चलिए आप चढ़ जाइये प्लेटफार्म के ऊपर। मैं आपकी मदद करता हूँ।"
यह कह कर अचानक तरुण ने मौक़ा देख कर दीपा के जवाब का इंतजार किये बगैर दीपा के कन्धों को पकड़ कर दीपा को घुमा कर रसोई के प्लेटफार्म के सामने खड़ा किया, और खुद दीपा के पीछे हो गया। दीपा को उठाने के लिए तरुण ने काफी निचे झुक दीपा की साड़ी और घाघरा काफी ऊपर उठा कर दीपा की टाँगों के बिच अपने दोनों हाथ डाल दिए। मुझे पक्का यकीन था की उस समय दीपा की चूत को तरुण की बांहों ने जरूर छुआ होगा और रगड़ा भी होगा। फिर तरुण ने दीपा के कूल्हे में पीछे से अपना सर लगाया और दीपा को पीछे से बड़ी ताकत लगाकर ऊपर उठाया।
बाप रे, मुझे जब बाद में पता लगा तो मेरे लण्ड से जैसे पानी झरने लगा। पीछे जाते समय थोड़ी देर के लिए ही सही, पर उसने अपना लण्ड दीपा के कूल्हे में घुसेड़ कर उसे एकाध धक्का जरूर मारा होगा। एक बार अपना हाथ आगे कर दीपा के बूब्स उसने जरूर दबाये होंगे! दीपा की जाँघों को जकड़ कर अपने हाथ की उंगलियां जरूर दीपा की पैंटी के ऊपर से उसकी चूत में डाली होंगी। यह सब तरुण के लिए कितना रोमांचक होगा! उस समय तरुण का क्या हाल हुआ होगा यह समझना मुश्किल नहीं था। जरूर उसने काफी कुछ शरारत की होगी।