24-04-2021, 08:05 PM
मैं जब नहीं रहता था तब भी तरुण आता जाता रहता था। जब भी तरुण मेरी अनुपस्थिति में आता तब मुझे तरुण और दीपा दोनों बता देते थे। दीपा तरुण को छोटे मोटे काम भी बताने लग गयी थी। तरुण कभी मेरी अनुपस्थिति में सब्जी लाता तो कभी ग्रोसरी। मैंने महसूस किया की धीरे धीरे तरुण और मेरी पत्नी दीपा के बिच कुछ कुछ बात बन रही थी। दीपा के मनमें तरुण के प्रति अब पहले जितना शक और डर नहीं रहा था।
इसका फायदा मुझे भी तो होना ही था। अब तरुण मुझ पर और भी मेहरबान होने लगा। एकदिन अचानक ही वह घर आया। दीपा रसोई में व्यस्त थी। मैंने उसे हालचाल पूछा। हम दोनों खड़े थे की अचानक उसके हाथमे से एक लिफाफा निचे गिरकर मेरे पांव पर पड़ा। मुझे ऐसा लगा जैसे तरुणने लिफाफा जान बुझ कर गिराया था। मैंने झुक कर जैसे उसे उठाया तो उसमे से एक तस्वीर फिसल कर बहार निकल पड़ी। वह तस्वीर उसकी पत्नी टीना की थी।
वह समंदर के किनारे बिकिनी पहने खड़ी थी। उसकी नशीली आँखें जैसे सामने से खुली चुनौती दे रही थी। उसके मद मस्त उरोज जैसे उस बिकिनी में समा नहीं रहे थे। छोटी सी लंगोटी की तरह की एक पट्टी उसकी भरी हुई चूत को मुश्किल से छुपा पा रही थी। उसके गठीले कूल्हे जैसे चुदवाने का आवाहन कर रहे थे। उसे देख कर मैं थोड़े समय तो बोल ही नहीं पाया। मैं एकदम हक्का बक्का सा रह गया।
अचानक मुझे ध्यान आया की तरुण मुझे घूर कर देख रहा है। मैं खिसिया गया और हड़बड़ा कर बोला, "यार, सॉरी। मुझे यह देखना नहीं चाइये था।"
तरुण एकदम हंस पड़ा और बोला, "तुम क्यों नहीं देख सकते? उस दिन उस बीच पर पता नहीं कितने लोगों ने टीना को इस बिकिनी में आधा नंगा देखा था। तुम तो फिर भी अपने हो। अगर तुम होते तो तुम भी जरूर देखते। अगर तुम्हारे पास दीपा की ऐसी तस्वीर होती तो क्या तुम मुझे नहीं दिखाते? बल्कि मैं तो कहता हूँ को चलो ना एक बार स्विमिंग पूल में अपनी बीबियों को लेकर स्विमिंग करने चलते हैं। फिर तो हम दोनों ही एक दूसरे की बीबियों को बिकिनी में आधी नंगी देख सकते हैं। उन्हें छेड़ भी सकते हैं। क्या कहते हो?"
उसके इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने अपनी मुंडी हिलाते हुए कहा, " बात तो ठीक है। पर पता नहीं, दीपा तैयार होगी या नहीं। वह शायद मना कर देगी। और जहां तक दीपा की आधी नंगी तस्वीर का सवाल है, मैं भी तो तुम्हे जरूर दिखाता। पर मेरे पास दीपा की ऐसी तस्वीर है नहीं।" मेरे मन में आया की मैं तरुण को बताऊँ की उसने तो मेरी बीबी को आधी नंगी उस दिन देख ही लिया था। पर मैं चुप रहा।
तरुण ने हँसते हुए पूरा लिफाफा मेरे हाथ में थमा दिया और बोला, "इस लिफाफे में हमारे हनीमून की सारी तस्वीरें हैं। इसमें टीना के, मेरे और हमारे दोनों के साथ साथ बड़े सेक्सी पोज़ हैं। तुम इन्हें जी भर के देख सकते हो। मैं तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहता। तुम चाहो तो इसे दीपा के साथ भी शेयर कर सकते हो। भाई , मैं तुम दोनों में और हम दोनों में कोई फर्क नहीं समझता। मेरे लिए टीना और दीपा भाभी में कोई फर्क नहीं है, वैसे ही तुम भी दीपा भाभी और टीना में कोई फर्क मत समझना।"
उसकी बात पहले तो मेरी समझ में नहीं आई, पर उसके चले जाने के बाद जब में उसकी बात पर विचार कर रहा था तब मैं धीरे धीरे उसका इशारा समझने लगा। जैसे जैसे मैं सोचता गया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। उसकी बात के मायने बड़े गहरे थे। मुझे ऐसा लगा जैसे वह यह संकेत दे रहा था की उसकी बीबी और मेरी बीबी में कोई अंतर नहीं है। उसका मतलब यह था की मेरी बीबी उसकी बीबी और उसकी बीबी मेरी बीबी भी हो सकती है। साफ़ शब्दों में कहें तो वह बीबियों की अदलाबदली मतलब एक दूसरे की बीबी की चुदाई की तरफ इशारा कर रहा था। तरुण ने जैसे बात बात में अपने मन की बात कह डाली।
जैसे जैसे मैं सोचता गया मुझे उसका सारा प्लान समझ में आने लगा। मैं भी तो वही चाहता था जो वह चाहता था। फिर ज्यादा सोचना कैसा?
फिर मेरे मनमे एक कुशंका आई। कहीं मैं अपनी प्रिय पत्नी को खो तो नहीं दूंगा? कहीं वह तरुण की आशिक तो नहीं बन जायेगी? पर यह तो हो ही नहीं सकता था क्यूंकि तरुण भी तो उसकी बीबी को बहुत चाहता था। उसकी एक बच्ची भी तो थी। हमारा भी तो मुन्नू था। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया। हाँ एक बात जरूर थी। एक बार शर्म का पर्दा हट जानेसे, यह हो सकता है की तरुण दीपा को बार बार चोदना चाहे, या दीपा बार बार तरुण से चुदवाना चाहे। तब मैंने यह सोचकर मन को मनाया की आखिर तरुण और दीपा समझदार हैं। वह अगर चोदना चाहे भी तो मुझसे बिना पूछे कुछ नहीं करेंगे। यदि मेरी मर्जी से ही यह होता है तो भला, मुझे तरुण और दीपा की चुदाई में कोई आपत्ति नहीं लगी।
इसका फायदा मुझे भी तो होना ही था। अब तरुण मुझ पर और भी मेहरबान होने लगा। एकदिन अचानक ही वह घर आया। दीपा रसोई में व्यस्त थी। मैंने उसे हालचाल पूछा। हम दोनों खड़े थे की अचानक उसके हाथमे से एक लिफाफा निचे गिरकर मेरे पांव पर पड़ा। मुझे ऐसा लगा जैसे तरुणने लिफाफा जान बुझ कर गिराया था। मैंने झुक कर जैसे उसे उठाया तो उसमे से एक तस्वीर फिसल कर बहार निकल पड़ी। वह तस्वीर उसकी पत्नी टीना की थी।
वह समंदर के किनारे बिकिनी पहने खड़ी थी। उसकी नशीली आँखें जैसे सामने से खुली चुनौती दे रही थी। उसके मद मस्त उरोज जैसे उस बिकिनी में समा नहीं रहे थे। छोटी सी लंगोटी की तरह की एक पट्टी उसकी भरी हुई चूत को मुश्किल से छुपा पा रही थी। उसके गठीले कूल्हे जैसे चुदवाने का आवाहन कर रहे थे। उसे देख कर मैं थोड़े समय तो बोल ही नहीं पाया। मैं एकदम हक्का बक्का सा रह गया।
अचानक मुझे ध्यान आया की तरुण मुझे घूर कर देख रहा है। मैं खिसिया गया और हड़बड़ा कर बोला, "यार, सॉरी। मुझे यह देखना नहीं चाइये था।"
तरुण एकदम हंस पड़ा और बोला, "तुम क्यों नहीं देख सकते? उस दिन उस बीच पर पता नहीं कितने लोगों ने टीना को इस बिकिनी में आधा नंगा देखा था। तुम तो फिर भी अपने हो। अगर तुम होते तो तुम भी जरूर देखते। अगर तुम्हारे पास दीपा की ऐसी तस्वीर होती तो क्या तुम मुझे नहीं दिखाते? बल्कि मैं तो कहता हूँ को चलो ना एक बार स्विमिंग पूल में अपनी बीबियों को लेकर स्विमिंग करने चलते हैं। फिर तो हम दोनों ही एक दूसरे की बीबियों को बिकिनी में आधी नंगी देख सकते हैं। उन्हें छेड़ भी सकते हैं। क्या कहते हो?"
उसके इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने अपनी मुंडी हिलाते हुए कहा, " बात तो ठीक है। पर पता नहीं, दीपा तैयार होगी या नहीं। वह शायद मना कर देगी। और जहां तक दीपा की आधी नंगी तस्वीर का सवाल है, मैं भी तो तुम्हे जरूर दिखाता। पर मेरे पास दीपा की ऐसी तस्वीर है नहीं।" मेरे मन में आया की मैं तरुण को बताऊँ की उसने तो मेरी बीबी को आधी नंगी उस दिन देख ही लिया था। पर मैं चुप रहा।
तरुण ने हँसते हुए पूरा लिफाफा मेरे हाथ में थमा दिया और बोला, "इस लिफाफे में हमारे हनीमून की सारी तस्वीरें हैं। इसमें टीना के, मेरे और हमारे दोनों के साथ साथ बड़े सेक्सी पोज़ हैं। तुम इन्हें जी भर के देख सकते हो। मैं तुमसे कुछ भी छिपाना नहीं चाहता। तुम चाहो तो इसे दीपा के साथ भी शेयर कर सकते हो। भाई , मैं तुम दोनों में और हम दोनों में कोई फर्क नहीं समझता। मेरे लिए टीना और दीपा भाभी में कोई फर्क नहीं है, वैसे ही तुम भी दीपा भाभी और टीना में कोई फर्क मत समझना।"
उसकी बात पहले तो मेरी समझ में नहीं आई, पर उसके चले जाने के बाद जब में उसकी बात पर विचार कर रहा था तब मैं धीरे धीरे उसका इशारा समझने लगा। जैसे जैसे मैं सोचता गया तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। उसकी बात के मायने बड़े गहरे थे। मुझे ऐसा लगा जैसे वह यह संकेत दे रहा था की उसकी बीबी और मेरी बीबी में कोई अंतर नहीं है। उसका मतलब यह था की मेरी बीबी उसकी बीबी और उसकी बीबी मेरी बीबी भी हो सकती है। साफ़ शब्दों में कहें तो वह बीबियों की अदलाबदली मतलब एक दूसरे की बीबी की चुदाई की तरफ इशारा कर रहा था। तरुण ने जैसे बात बात में अपने मन की बात कह डाली।
जैसे जैसे मैं सोचता गया मुझे उसका सारा प्लान समझ में आने लगा। मैं भी तो वही चाहता था जो वह चाहता था। फिर ज्यादा सोचना कैसा?
फिर मेरे मनमे एक कुशंका आई। कहीं मैं अपनी प्रिय पत्नी को खो तो नहीं दूंगा? कहीं वह तरुण की आशिक तो नहीं बन जायेगी? पर यह तो हो ही नहीं सकता था क्यूंकि तरुण भी तो उसकी बीबी को बहुत चाहता था। उसकी एक बच्ची भी तो थी। हमारा भी तो मुन्नू था। शंका का तो तुरंत समाधान हो गया। हाँ एक बात जरूर थी। एक बार शर्म का पर्दा हट जानेसे, यह हो सकता है की तरुण दीपा को बार बार चोदना चाहे, या दीपा बार बार तरुण से चुदवाना चाहे। तब मैंने यह सोचकर मन को मनाया की आखिर तरुण और दीपा समझदार हैं। वह अगर चोदना चाहे भी तो मुझसे बिना पूछे कुछ नहीं करेंगे। यदि मेरी मर्जी से ही यह होता है तो भला, मुझे तरुण और दीपा की चुदाई में कोई आपत्ति नहीं लगी।