23-04-2021, 05:30 PM
अब मैं ज़रा भी रुक नहीं पा रहा था। एक ज़ोर की सीत्कार भरते हुए मैंने अपनी कमर उछाली और झड़ गया।
चंदा रानी सारी की सारी मलाई पी गई। हमेशा की तरह, जब मैं बेहोश सा होकर बिस्तर पर गिर गया, तो उसने मेरे लण्ड को खूब भली प्रकार जीभ से चाट चाट के साफ किया और बोली- चल राजे, अब तुझे मैं स्वर्णरसपान कराऊँ… दोपहर दो बजे से रोक कर रखा है… आजा मेरे राजे… नीचे बैठ जा और अपनी मम्मा की चूत से मुँह लगा ले… आज बहुत गाढ़ा पीने को मिलेगा।
इतना कह कर चंदा रानी पलंग पर टांगे चौड़ी करके पैर फर्श पर टिका के बैठ गई, मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और चंदा रानी की चूत के होंठों से अपने होंठ चिपका दिये।
कुछ ही देर में चंदा रानी के स्वर्णामृत की पहले चंद बूंदें और फिर तेज़ धार मेरे मुँह में आने लगी।
सच में बहुत ही गर्म और गाढ़ा रस था। एकदम स्वर्ण के रंग का ! अति स्वादिष्ट ! अति संतुष्टिदायक !!
मैं लपालप पीता चला गया। मेरी उस समय सिर्फ एक ही ख्वाहिश थी कि उस योनि-अमृत की एक भी बूंद नीचे न गिरने पाये, सो मैं उसी रफ़्तार से पीने की चेष्टा कर रहा था जिस रफ़्तार से वो प्यारी सी अमृतधारा मेरे मुँह में आ रही थी।
सच में बहुत देर से रूका हुआ रस था क्योंकि खाली करने में चंदा रानी को काफी वक़्त लगा। जब सारा का सारा रस निकल चुका तो मैंने अपने मुँह हटाया और जीभ से चारों तरफ का बदन चाट चाट के साफ सुथरा कर दिया।
मैं और चंदा रानी फिर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर लेट गये और बहुत देर तक प्यार से भरी हुई बातें करते रहे।
हर थोड़ी देर के बाद हम एक गहरा और लम्बा चुम्बन भी ले लेते थे।
बीच में एक बार चंदा रानी का बच्चा जग गया और चिल्ला चिल्ला के दूध मांगने लगा।
चंदा रानी ने उसे दूध पिलाया, पहले एक चूची से और फिर दूसरी चूची से। मैं आराम से उन खूबसूरत मम्मोँह को निहारता रहा। जब चंदा रानी फारिग हो गई तो मैं गर्म हो चुका था, चूचुक निहार निहार के।
इसके बाद मैंने चंदा रानी को चोद के अपने को निहाल किया और फिर हम सो गये।
यारो, इन दो बहनों को आने वाले दिनों में मैंने कैसे चोदा और क्या क्या मज़े लिये, उसका हवाला मैं विस्तार से अगली कहानी में दूँगा।
चंदा रानी सारी की सारी मलाई पी गई। हमेशा की तरह, जब मैं बेहोश सा होकर बिस्तर पर गिर गया, तो उसने मेरे लण्ड को खूब भली प्रकार जीभ से चाट चाट के साफ किया और बोली- चल राजे, अब तुझे मैं स्वर्णरसपान कराऊँ… दोपहर दो बजे से रोक कर रखा है… आजा मेरे राजे… नीचे बैठ जा और अपनी मम्मा की चूत से मुँह लगा ले… आज बहुत गाढ़ा पीने को मिलेगा।
इतना कह कर चंदा रानी पलंग पर टांगे चौड़ी करके पैर फर्श पर टिका के बैठ गई, मैं नीचे घुटनों के बल बैठ गया और चंदा रानी की चूत के होंठों से अपने होंठ चिपका दिये।
कुछ ही देर में चंदा रानी के स्वर्णामृत की पहले चंद बूंदें और फिर तेज़ धार मेरे मुँह में आने लगी।
सच में बहुत ही गर्म और गाढ़ा रस था। एकदम स्वर्ण के रंग का ! अति स्वादिष्ट ! अति संतुष्टिदायक !!
मैं लपालप पीता चला गया। मेरी उस समय सिर्फ एक ही ख्वाहिश थी कि उस योनि-अमृत की एक भी बूंद नीचे न गिरने पाये, सो मैं उसी रफ़्तार से पीने की चेष्टा कर रहा था जिस रफ़्तार से वो प्यारी सी अमृतधारा मेरे मुँह में आ रही थी।
सच में बहुत देर से रूका हुआ रस था क्योंकि खाली करने में चंदा रानी को काफी वक़्त लगा। जब सारा का सारा रस निकल चुका तो मैंने अपने मुँह हटाया और जीभ से चारों तरफ का बदन चाट चाट के साफ सुथरा कर दिया।
मैं और चंदा रानी फिर एक दूसरे की बाहों में लिपट कर लेट गये और बहुत देर तक प्यार से भरी हुई बातें करते रहे।
हर थोड़ी देर के बाद हम एक गहरा और लम्बा चुम्बन भी ले लेते थे।
बीच में एक बार चंदा रानी का बच्चा जग गया और चिल्ला चिल्ला के दूध मांगने लगा।
चंदा रानी ने उसे दूध पिलाया, पहले एक चूची से और फिर दूसरी चूची से। मैं आराम से उन खूबसूरत मम्मोँह को निहारता रहा। जब चंदा रानी फारिग हो गई तो मैं गर्म हो चुका था, चूचुक निहार निहार के।
इसके बाद मैंने चंदा रानी को चोद के अपने को निहाल किया और फिर हम सो गये।
यारो, इन दो बहनों को आने वाले दिनों में मैंने कैसे चोदा और क्या क्या मज़े लिये, उसका हवाला मैं विस्तार से अगली कहानी में दूँगा।
समाप्त