23-04-2021, 05:27 PM
इस पोज़ में हर धक्के मे लण्ड चंदा रानी की भगनासा को ज़ोर से रगड़ता हुआ जाता था जिससे उसका मज़ा ख़ूब बढ़ जाता था।
प्यार से मेरी आँख से आँख मिलते हुए वो बोली- राजे… तू कितना ज़बदस्त चोदू है… इतनी जल्दी मैं कभी भी नहीं झड़ती जितना कि तेरे से चुदते हुए… राजे… राजे… राजे… हाय राम… इतना मज़ा… हाय मैं मर जाऊँ… मैं बहुत रश्क करने लगी हूँ तेरी बीवी से जो रोज़ाना तुझ से चुदाई का आनन्द उठाती है… बस अब थोड़ा तेज़ धक्के लगा… हाँ… हाँ… राजे… हाँ… हाँ… चीर फाड़ के रख मेरी हरामज़ादी बुर को… अब बना दे इसका कचूमर… हाँ… चोदे जा राजा…
मैंने धकाधक धक्के पेलने शुरू कर दिये, लण्ड एसे अंदर बाहर हो रहा था जैसे रेल के इंजन का पिस्टन आगे पीछे जाता है- धक… धक… धक… धक…
अचानक से मुझे यूँ महसूस हुआ कि मेरे अंदर कहीं तेज़ गर्मी की एक लहर सिर से नीचे की तरफ और नीचे तो सिर की ओर बड़ी रफ़्तार से आ जा रही है।
उधर चंदा रानी आहें पर आहें भरे जा रही थी। ठरक से मतवाली यह चुदासी औरत कमर उछाल उछाल कर चुदा रही थी।
झड़ने को आतुर होकर ज्यों ही मैंने लण्ड ठोकने की गति ज़्यादह तेज़ की, तो वो फिर से अनेकों बार चरम सीमा के पार चली गई।
बड़ी मुश्किल से अपनी चीख को रोकता हुआ मैं तब धड़ाके से स्खलित हुआ।
लण्ड से ढेर सा सफेद लावा निकला और उसकी चूत से तो रस का प्रवाह ज़ोरों से चल ही रहा था।
झड़कर हम दोनों बेसुध से होकर पड गये। मैं ऊपर और वो नीचे।
हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे और एक दूसरे से एक मस्त चुदाई करने के बाद लिपटे रहने का मज़ा भोगते रहे।
चंदा रानी ने फिर मेरे लण्ड को और उसके आस पास के सारे प्रदेश को चाट चाट के साफ किया।
चंदा रानी ने कहा- अब राजे मैं भी तो मुँह मीठा कर लूं अपनी बहन की नथ खुलवाने के मौके पर !
‘हाँ हाँ… तुझे तो सबसे पहले मुँह मीठा करना चाहिये था… तूने ही तो सारा प्रोग्राम सेट किया है !’ मैं बोला।
चंदा रानी ने रबड़ी की तश्तरी उठाई और चम्मच भर भर के मेरे बैठे हुए लुल्ले पर लगाई। पूरा लुल्ला, दोनों टट्टे रबड़ी में अच्छे से सान दिये।
मैं समझ गया था कि अब यह चाट चाट कर रबड़ी खायेगी।
उसके नाज़ुक, खूबसूरत हाथों से रबड़ी लगवाते लगवाते मेरा लण्ड अकड़ चुका था।
जब लौड़ा खड़ा हुआ तो उसका आकार बढ़ गया और चंदा रानी ने बची खुची रबड़ी भी लण्ड पर लबेड़ डाली।
फिर उसने जो चाटना चालू किया है, तो भगवान कसम, आनन्द इतना आया जिसका कोई हिसाब नहीं। मस्ती ने मुझे मतवाला कर दिया।
चंदा रानी ने बड़े मज़े में चटखारे ले लेकर पूरा लण्ड, टट्टे और झांटों को चाट डाला, और एकदम चकाचक साफ कर दिया।
‘अरे राजे… तेरा लण्ड तो फिर से अकड़ गया… लगता है बहुत मज़ा आया इस हरामी को रबड़ी में लथपथ हो के चटवाकर… साला हरामी लण्ड महाराज !’ चंदा रानी ने लौड़े को प्यार से एक हल्की सी चपत लगाई और फिर से चूसने में लग गई।
यारों चूसने में तो वा माहिर थी ही, तो ऐसा चूसा, ऐसा चूसा कि मस्ती से मेरी गांड फट गई।
कभी वो काफी देर तक लण्ड को पूरा जड़ तक मुँह में घुसाये रखती, तो कभी सिर्फ टोपे को मुँह में लिये लिये चूसती, और कभी वो टट्टे सहला सहला के नीचे से ऊपर तक लण्ड चाटती।
उसके मुखरस से लण्ड बिल्कुल तर हो चुका था।
कई दफा उसने अपनी चूची दबा के दूध की बौछारें लौड़े पर मारीं, जिससे मेरी ठरक सातवें आसमान पर जा पहुँची।
चंदा रानी ने मचल मचल के लौड़े को चूस चूस के तर कर दिया।
प्यार से मेरी आँख से आँख मिलते हुए वो बोली- राजे… तू कितना ज़बदस्त चोदू है… इतनी जल्दी मैं कभी भी नहीं झड़ती जितना कि तेरे से चुदते हुए… राजे… राजे… राजे… हाय राम… इतना मज़ा… हाय मैं मर जाऊँ… मैं बहुत रश्क करने लगी हूँ तेरी बीवी से जो रोज़ाना तुझ से चुदाई का आनन्द उठाती है… बस अब थोड़ा तेज़ धक्के लगा… हाँ… हाँ… राजे… हाँ… हाँ… चीर फाड़ के रख मेरी हरामज़ादी बुर को… अब बना दे इसका कचूमर… हाँ… चोदे जा राजा…
मैंने धकाधक धक्के पेलने शुरू कर दिये, लण्ड एसे अंदर बाहर हो रहा था जैसे रेल के इंजन का पिस्टन आगे पीछे जाता है- धक… धक… धक… धक…
अचानक से मुझे यूँ महसूस हुआ कि मेरे अंदर कहीं तेज़ गर्मी की एक लहर सिर से नीचे की तरफ और नीचे तो सिर की ओर बड़ी रफ़्तार से आ जा रही है।
उधर चंदा रानी आहें पर आहें भरे जा रही थी। ठरक से मतवाली यह चुदासी औरत कमर उछाल उछाल कर चुदा रही थी।
झड़ने को आतुर होकर ज्यों ही मैंने लण्ड ठोकने की गति ज़्यादह तेज़ की, तो वो फिर से अनेकों बार चरम सीमा के पार चली गई।
बड़ी मुश्किल से अपनी चीख को रोकता हुआ मैं तब धड़ाके से स्खलित हुआ।
लण्ड से ढेर सा सफेद लावा निकला और उसकी चूत से तो रस का प्रवाह ज़ोरों से चल ही रहा था।
झड़कर हम दोनों बेसुध से होकर पड गये। मैं ऊपर और वो नीचे।
हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे और एक दूसरे से एक मस्त चुदाई करने के बाद लिपटे रहने का मज़ा भोगते रहे।
चंदा रानी ने फिर मेरे लण्ड को और उसके आस पास के सारे प्रदेश को चाट चाट के साफ किया।
चंदा रानी ने कहा- अब राजे मैं भी तो मुँह मीठा कर लूं अपनी बहन की नथ खुलवाने के मौके पर !
‘हाँ हाँ… तुझे तो सबसे पहले मुँह मीठा करना चाहिये था… तूने ही तो सारा प्रोग्राम सेट किया है !’ मैं बोला।
चंदा रानी ने रबड़ी की तश्तरी उठाई और चम्मच भर भर के मेरे बैठे हुए लुल्ले पर लगाई। पूरा लुल्ला, दोनों टट्टे रबड़ी में अच्छे से सान दिये।
मैं समझ गया था कि अब यह चाट चाट कर रबड़ी खायेगी।
उसके नाज़ुक, खूबसूरत हाथों से रबड़ी लगवाते लगवाते मेरा लण्ड अकड़ चुका था।
जब लौड़ा खड़ा हुआ तो उसका आकार बढ़ गया और चंदा रानी ने बची खुची रबड़ी भी लण्ड पर लबेड़ डाली।
फिर उसने जो चाटना चालू किया है, तो भगवान कसम, आनन्द इतना आया जिसका कोई हिसाब नहीं। मस्ती ने मुझे मतवाला कर दिया।
चंदा रानी ने बड़े मज़े में चटखारे ले लेकर पूरा लण्ड, टट्टे और झांटों को चाट डाला, और एकदम चकाचक साफ कर दिया।
‘अरे राजे… तेरा लण्ड तो फिर से अकड़ गया… लगता है बहुत मज़ा आया इस हरामी को रबड़ी में लथपथ हो के चटवाकर… साला हरामी लण्ड महाराज !’ चंदा रानी ने लौड़े को प्यार से एक हल्की सी चपत लगाई और फिर से चूसने में लग गई।
यारों चूसने में तो वा माहिर थी ही, तो ऐसा चूसा, ऐसा चूसा कि मस्ती से मेरी गांड फट गई।
कभी वो काफी देर तक लण्ड को पूरा जड़ तक मुँह में घुसाये रखती, तो कभी सिर्फ टोपे को मुँह में लिये लिये चूसती, और कभी वो टट्टे सहला सहला के नीचे से ऊपर तक लण्ड चाटती।
उसके मुखरस से लण्ड बिल्कुल तर हो चुका था।
कई दफा उसने अपनी चूची दबा के दूध की बौछारें लौड़े पर मारीं, जिससे मेरी ठरक सातवें आसमान पर जा पहुँची।
चंदा रानी ने मचल मचल के लौड़े को चूस चूस के तर कर दिया।