23-04-2021, 05:23 PM
‘चंदा रानी… अब ये तो गई सुबह तक… इतना खून बहा है… कमज़ोरी आ गई होगी… कल तक ठीक हो जायेगी… फिर रोज़ चुदाई मांगा करेगी… अब हम खेलें इक्का दुक्की का खेल?’ कह कर मैंने चंदा रानी को दबोच लिया।
वो भी अपनी बहन को चुदते देख कर खूब गरम हो गई थी, उसने कहा- बस एक मिनट तसल्ली रख… देख मैं तुझे जन्नत के नजारे दिखाती हूँ।
चंदा रानी अलग होकर बिस्तर पर बैठ गई और ढेर सारी रबड़ी को अपनी चूचियों पर, अपनी नाभि पर, अपनी झांटों और अपने पैरों पर लगाया और बोली- अब राजे… तू भी मीठा मुँह कर मुझे चाट चाट के… फिर मैं तेरे लण्ड पर लगा कर अपना भी मुँह मीठा करूँगी।
इतना कह कर चंदा रानी बिस्तर पर सीधी लेट गई।
मस्ती से मैं एकदम बेहाल हो गया। चंदा रानी का सामने का पूरा शरीर, चूची से पैर तक, रबड़ी से लिबड़ा हुआ था। मेरा लौड़ा फौरन तन्ना गया।
मैंने चंदा रानी को कुत्ते की तरह जीभ निकाल के चाटना शुरू किया। सबसे पहले उसके पैर चाटे, हर एक उंगली व अंगूठा मुँह में लेकर चूसा, फिर उसकी टांगें चाट चाट के सारी रबड़ी खाई, उसका पेट चाट चाट कर बिल्कुल साफ कर डाला और आखिर में उसके दोनों मम्मे चाटे।
मम्मे चाटते हुए मुझे उसका दूध भी पीने को मिला। चंदा रानी ने सचमुच मुझे जन्नत के नज़ारे दिखा दिये।
जन्नत में इस से ज्यादह क्या मज़ा मिलता होगा।
चंदा रानी के ज़ायकेदार बदन का स्वाद जब रबड़ी से मिला तो चाटने का आनन्द पराकाष्ठा पर जा पहुँचा।
वो भी इस तरह से बदन चटवा के ठरक से मतवाली हो चली थी। उसके मम्मे अकड़ गये थे और वो बारम्बार कसमस कसमस करती हुई आहें भरने लगी थी।
उसका एकदम ताज़ा दूध रबड़ी से मिल के मेरे जिस्म में आग भड़का रहा था।
चंदा रानी अब अपनी जांघें बार बार खोलने बन्द करने लगी, उसके मुँह से अब तेज़ सी सी आने लगी थी, बोली- राजे अब न तरसाओ… नन्दा को तूने चोदा तब ही से मेरा हाल खराब है… तेरी ज़ुबान तो ज़ालिम मुझे कत्ल ही कर डालेगी… अब चल मेरा राजा बेटा… अब चोद ही दे… मैं तो जल के खाक हो जाऊँगी।
हालांकि तड़प तो मैं भी रहा था, फिर भी थोड़ा सा और मज़ा लेने के लिये मैंने उसके चूची में दांत गाड़ दिये, दूध की एक तीव्र धारा मेरे मुँह में गिरी और वो बेतहाशा ठरक से बेबस होकर कराही।
उसने ज़ोरों से छटपटाना शुरू कर दिया और फंसी फंसी सी अवाज़ में बोली- राजे… रहम कर… अब मर गई तो क्या करेगा? बिल्कुल सबर नहीं हो रहा… बस जान जाने को है।
बिना कुछ बोले, मैंने उसके घुटने मोड़े और जाँघें चौड़ी करीं, फिर मैं उन रेशमी मुलायम जाँघों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और अपना टन टन करते लण्ड चूत के होंठों पर रखा।
उई उई की आवाज़ निकालते हुए चंदा रानी ने अपने चूतड़ उचकाये और मैंने धम्म से पूरा का पूरा लण्ड उसकी रसदार चूत में पेल दिया।
एक चीख उसके मुँह से निकली और मेरा सिर कस के जकड़ती हुई चंदा रानी एसे झड़ी जैसे किसी डैम के गेट खोल के पानी छोड़ दिया गया हो।उसने बड़ी तेज़ी से कई दफा अपने नितंबों को ऊपर नीचे किया और झड़े चली गई। उसने अपने पैर मेरे कंधों पर टिका दिये और फिर से झड़ने की इच्छा से चुदने लगी।
वो भी अपनी बहन को चुदते देख कर खूब गरम हो गई थी, उसने कहा- बस एक मिनट तसल्ली रख… देख मैं तुझे जन्नत के नजारे दिखाती हूँ।
चंदा रानी अलग होकर बिस्तर पर बैठ गई और ढेर सारी रबड़ी को अपनी चूचियों पर, अपनी नाभि पर, अपनी झांटों और अपने पैरों पर लगाया और बोली- अब राजे… तू भी मीठा मुँह कर मुझे चाट चाट के… फिर मैं तेरे लण्ड पर लगा कर अपना भी मुँह मीठा करूँगी।
इतना कह कर चंदा रानी बिस्तर पर सीधी लेट गई।
मस्ती से मैं एकदम बेहाल हो गया। चंदा रानी का सामने का पूरा शरीर, चूची से पैर तक, रबड़ी से लिबड़ा हुआ था। मेरा लौड़ा फौरन तन्ना गया।
मैंने चंदा रानी को कुत्ते की तरह जीभ निकाल के चाटना शुरू किया। सबसे पहले उसके पैर चाटे, हर एक उंगली व अंगूठा मुँह में लेकर चूसा, फिर उसकी टांगें चाट चाट के सारी रबड़ी खाई, उसका पेट चाट चाट कर बिल्कुल साफ कर डाला और आखिर में उसके दोनों मम्मे चाटे।
मम्मे चाटते हुए मुझे उसका दूध भी पीने को मिला। चंदा रानी ने सचमुच मुझे जन्नत के नज़ारे दिखा दिये।
जन्नत में इस से ज्यादह क्या मज़ा मिलता होगा।
चंदा रानी के ज़ायकेदार बदन का स्वाद जब रबड़ी से मिला तो चाटने का आनन्द पराकाष्ठा पर जा पहुँचा।
वो भी इस तरह से बदन चटवा के ठरक से मतवाली हो चली थी। उसके मम्मे अकड़ गये थे और वो बारम्बार कसमस कसमस करती हुई आहें भरने लगी थी।
उसका एकदम ताज़ा दूध रबड़ी से मिल के मेरे जिस्म में आग भड़का रहा था।
चंदा रानी अब अपनी जांघें बार बार खोलने बन्द करने लगी, उसके मुँह से अब तेज़ सी सी आने लगी थी, बोली- राजे अब न तरसाओ… नन्दा को तूने चोदा तब ही से मेरा हाल खराब है… तेरी ज़ुबान तो ज़ालिम मुझे कत्ल ही कर डालेगी… अब चल मेरा राजा बेटा… अब चोद ही दे… मैं तो जल के खाक हो जाऊँगी।
हालांकि तड़प तो मैं भी रहा था, फिर भी थोड़ा सा और मज़ा लेने के लिये मैंने उसके चूची में दांत गाड़ दिये, दूध की एक तीव्र धारा मेरे मुँह में गिरी और वो बेतहाशा ठरक से बेबस होकर कराही।
उसने ज़ोरों से छटपटाना शुरू कर दिया और फंसी फंसी सी अवाज़ में बोली- राजे… रहम कर… अब मर गई तो क्या करेगा? बिल्कुल सबर नहीं हो रहा… बस जान जाने को है।
बिना कुछ बोले, मैंने उसके घुटने मोड़े और जाँघें चौड़ी करीं, फिर मैं उन रेशमी मुलायम जाँघों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और अपना टन टन करते लण्ड चूत के होंठों पर रखा।
उई उई की आवाज़ निकालते हुए चंदा रानी ने अपने चूतड़ उचकाये और मैंने धम्म से पूरा का पूरा लण्ड उसकी रसदार चूत में पेल दिया।
एक चीख उसके मुँह से निकली और मेरा सिर कस के जकड़ती हुई चंदा रानी एसे झड़ी जैसे किसी डैम के गेट खोल के पानी छोड़ दिया गया हो।उसने बड़ी तेज़ी से कई दफा अपने नितंबों को ऊपर नीचे किया और झड़े चली गई। उसने अपने पैर मेरे कंधों पर टिका दिये और फिर से झड़ने की इच्छा से चुदने लगी।