23-04-2021, 05:08 PM
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मैंने लंड को चूत के मुंह पर सटाया हल्के से धक्का मारा।
टोपा जाकर उसकी चूत के पर्दे से टकराया और वो दर्द से चीख पड़ी।
घबराहट से चूत का जूस ही निकालना बंद हो गया।
उसका पर्दा बहुत सख्त था और तगड़े धक्के से ही फटेगा, दर्द भी उसे ज़्यादह होगा, परंतु कोई इलाज था ही नहीं !
मैंने चंदा रानी से कहा- रानी इसकी चूत की झिल्ली बहुत कड़ी है… ज़ोर का धक्का ही मारना पड़ेगा… दर्द से चिल्लाएगी तो सम्भाल लियो !
इतना बोल के मैंने एक गहरी सांस ली और धड़ाम से ज़बरदस्त धक्का पेला।
लंड झिल्ली को फाड़ता हुआ धम्म से उसके बच्चेदानी से जाके भिड़ा- हाय… रे… हाय.. मैं मर गई… दीदी बचाओ… मैं… मरी… अब ना बचूंगी… हाय… उई मां… अरे मार डाला !
खून की धारा बह चली, उसके गरम गरम, गाढ़े, चिपचिपे लहू ने चूत भर दी। लंड मानो उबलते हुए तेल में घुसा हो।
बहुत ज़्यादह खून निकला क्योंकि झिल्ली बहुत मोटी और सख्त थी।
चंदा रानी ने बार बार उसके माथे पे चूमा और उसे तसल्ली दिलाती रही। नन्दा रानी ने चंदा रानी को बड़े ज़ोर से जकड़ रखा था। आँसुओं की धारा उसके आँखों से बहे जा रही थी और वो हाय हाय करके कराह रही थी।
चंदा रानी उसे चूम के, सहला के, थपका थपका के और पुचकार पुचकार के बहला रही थी।
‘बस मेरी रानी बेटी… बस… बस… सब ठीक हो जायेगा… .एक बार तो ये पीड़ा हर लड़की को सहनी पड़ती है… चुप जा मेरी रानी… अब चुप हो जा… अभी देख कितना मज़ा आयेगा… बस… बस… बस !’
मैं लंड चूत में घुसाये बिल्कुल बिना हिले डुले पड़ा था। नन्दा रानी की कुमारी चूत बेहद टाइट थी। लंड उसमें फंसा हुआ था और ऐसा लगता था कि लौड़े को मुठ्ठी में दबाके मुट्ठी को कस लिया गया हो।
यारो, इतनी संकरी चूत को लेने का मज़ा भी बेइंतिहा आता है। और यह चूत तो एक अठारह साल की नवयुवती की थी तो इसके तो क्या कहने !
जब देखा कि नन्दा रानी शांत होने लगी है तो मैंने उसे बड़े प्यार से चूमना शुरू किया, उसके होंठ चूमे, चेहरा जगह जगह पर चूमा, कान की लौ मुंह में लेकर चूसी, गर्दन पर जीभ फिराई और फिर दोबारा होंठ चूसे।
इतनी चूमा चाटी से उसका डर और दर्द दोनों काम होने लगे और उसके बदन ने प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी।
नन्दा रानी के चेहरे पर एक मुस्कान सी दीखने लगी और बुर में फिर से रस बहने लगा जिससे लंड को भी मज़ा आने लगा।
काफी देर ऐसा प्यार करने के बाद मैंने बहुत धीमे धीमे धक्के मारने आरंभ किये।
पहले तो वह फिर कुछ दर्द से कराही लेकिन फिर चूत में आते हुए मज़े ने उसको सब दर्द भुला दिया। अब वह भी चुदाई का आनन्द उठा रही थी।
मैंने अपना मुंह उसकी चूचियों पर जमा दिया और एक एक करके चूसने लगा।
क्या मस्त चूचुक थे ! सम्भोग की प्यास ने उनको सख्त कर दिया था इसलिये अब मैं चूची चूसते हुए दान्त भी गाड़ने लगा और दूसरी चूची को नींबू की भांति निचोड़ने लगा।
अब उसके मुंह से चीत्कार नहीं बल्कि सीत्कार की आवाज़ें आ रही थीं, उसके नितंब भी अपने आप ऊपर नीचे होने लगे थे।
चंदा रानी उसे लगातार उत्साह बढ़ाने वाली बातें करे जा रही थी, नन्दा रानी का सिर सहला के बोली- नन्दा मेरी बेटी… अब कम हो गया ना दर्द… अब हल्का हल्का मज़ा भी आ रहा है ना !
नन्दा रानी ने धीरे से सिर हिलाकर हाँ में जवाब दिया।
‘देख, मैंने कहा था ना मज़ा आयेगा… अभी देखे जा… कितना ज़्यादह मज़ा आने वाला है।’
मैंने पूरे ज़ोर से उसकी दोनों मम्*मों को दबाया, अपने अंगूठे और उंगलियाँ चूचुक में गड़ा दीं, फ़िर उनको सहलाया और बारी बारी से चूसने का काम चालू दिया। मैं लगातार धक्के भी हौले हौले लगाये जा रहा था, मैंने नन्दा रानी के फिर से होंठों को चूसा।