23-04-2021, 04:39 PM
‘आजा मेरे राजा बेटे !’ चंदारानी की आवाज़ मेरे कान में पड़ी- तू थक गया होगा… चल तुझे अपना दूध पिला के ताक़त दूं… आजा मेरी गोदी में मेरे गुलाम… मेरा गुलाम बेटा…आ आ !’ चंदरानी चौकड़ी मर के बैठ गई थी।
उसकी उन्नत, दूध से भरपूर, और मर्दों के क़ातिल चूचियाँ मुझे न्योता दे रही थी। मैं चुपचाप उठा और चंदरानी की गोद में लेट गया। उसने झट से एक चूची मेरे मुँह में घुसा दी और मेरे सिर थाम लिया जैसे वो अपने बच्चे का सिर थामती थी दूध पिलाते हुए।
मैंने तुरन्त चूची चुसनी शुरू कर दी और मज़े से दूध पीने लगा, साथ ही दूसरी चूची की निपल को उमेठने लगा।
चंदारानी मेरे लंड से खेल रही थी।
साला हरामी लंड !! फिर से खड़ा हो गाया था।
मैंने बारी बारी से दोनों चूचियाँ पी पी के दूध खाली कर दिया।
चंदारानी भी गरम हो चली थी, मैंने दोनों चूचियों कस के भींच लीं और ज़ोर से उनको निचोड़ने लगा।
चंदा रानी सीत्कार पर सीत्कार भर रही थी।
इतनी ताकत से निचुड़ निचुड़ कर अब चूचियों की सख्ती कम हो गई थी लेकिन ठरक बेतहाशा बढ़ जाने से वो बहुत गर्म हो चली थी।
‘राजे… अब तू मेरी घोड़ी की तरह चुदाई कर !’ इतना कह के चंदा रानी बिस्तर से उतर गई, दोनों टांगे चौड़ी करके खड़ी हुई और आगे झुक कर दोनों हाथ बिस्तर पर टिका लिये।
फिर उसने अपने मुलायम, मांसल और चिकने चिकने नितम्ब पीछे को उठा दिये।
पहले तो मैंने बैठ कर खूब जी भर के वह दिलकश नितम्ब सहला सहला के चाटे जिस पर चंदा रानी ने मस्ता के सीत्कार भरे।
उसकी ठरक अब बहुत बढ़ चुकी थी, उससे अब रुका नहीं जा रहा था, बार बार जल्दी से चोदने को कह रही थी।
मेरा लौड़ा भी ज़ोर से तन्नाया हुआ चूत में घुसने को बेताब हो रहा था।
मैंने चंदा रानी की कमर पकड़ कर लौड़े को ठीक से सेट किया चूत के मुंह पर और हचक के धक्का मारा।
लंड जड़ तक उसकी रस से लबलब चूत में गड़ गया।
चंदा रानी ने मज़े की एक किलकारी मारी।
मैंने पीछे से उसकी चूचे कस के पकड़ लिये और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
मैं उसकी चूचियों को दबा कर मसल रहा था।
चंदा रानी मस्ती में डूबी मेरे धक्के से धक्का मिला कर अपने नितम्ब ऊपर नीचे कर रही थी, उसके खुले हुए भूरे केश इधर उधर लहरा रहे थे।
करीब आधा घंटा इसी प्रकार चोदने के बाद मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी।
चंदा रानी की चूत से रस बह बह कर उसकी जांघों तक को गीला कर चुका था, वह बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर अग्रसर थी।
मुझे भी अपने टट्टों में दबाव बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था, लंड में एक सुरसुरी सी आगे पीछे दौड़ रही थी।
हम दोनों के शरीर खूब गरमा गये थे, चुदाई की अलग अलग आवाज़ें जैसे कि लंड अन्दर बाहर होने की फच फच, कभी मेरे कभी उसके मुंह से निकलने वाली सांसें, हां हां, हाय हाय, उई उई इत्यादि काफी शोर मचा रही थीं।
मैं हैरान था कि बच्चा सोये जा रहा था।
‘अब…जल्दी जल्दी कर…राजे… तू सच में बहुत तरसाता हाय…अब बस कर…और न तड़पा अपनी चंदा रानी को..’ चंदा रानी के बदन में एक तेज़ कंपकंपी आई और मैंने एक के पीछे एक धम धमा धम धम बहुत सारे ज़ोरदार धक्के मारे।
चरम आनन्द में पगला कर उसके मुंह से एक चीख़ निकली और चंदा रानी धड़ाक से झड़ी।
मैं धकाधक धक्के लगाये जा रहा था।
कुछ ही देर में मेरे अन्दर एक बिजली सी कौंधी और मैं भी ‘हैं हैं’ करता हुआ स्खलित हुआ।
मेरे लंड से लावे जैसे गर्म गर्म वीर्य ने उसकी चूत को भर दिया।
अब तक तो चंदारानी कई दफे झड़ चुकी थी।
उसकी उन्नत, दूध से भरपूर, और मर्दों के क़ातिल चूचियाँ मुझे न्योता दे रही थी। मैं चुपचाप उठा और चंदरानी की गोद में लेट गया। उसने झट से एक चूची मेरे मुँह में घुसा दी और मेरे सिर थाम लिया जैसे वो अपने बच्चे का सिर थामती थी दूध पिलाते हुए।
मैंने तुरन्त चूची चुसनी शुरू कर दी और मज़े से दूध पीने लगा, साथ ही दूसरी चूची की निपल को उमेठने लगा।
चंदारानी मेरे लंड से खेल रही थी।
साला हरामी लंड !! फिर से खड़ा हो गाया था।
मैंने बारी बारी से दोनों चूचियाँ पी पी के दूध खाली कर दिया।
चंदारानी भी गरम हो चली थी, मैंने दोनों चूचियों कस के भींच लीं और ज़ोर से उनको निचोड़ने लगा।
चंदा रानी सीत्कार पर सीत्कार भर रही थी।
इतनी ताकत से निचुड़ निचुड़ कर अब चूचियों की सख्ती कम हो गई थी लेकिन ठरक बेतहाशा बढ़ जाने से वो बहुत गर्म हो चली थी।
‘राजे… अब तू मेरी घोड़ी की तरह चुदाई कर !’ इतना कह के चंदा रानी बिस्तर से उतर गई, दोनों टांगे चौड़ी करके खड़ी हुई और आगे झुक कर दोनों हाथ बिस्तर पर टिका लिये।
फिर उसने अपने मुलायम, मांसल और चिकने चिकने नितम्ब पीछे को उठा दिये।
पहले तो मैंने बैठ कर खूब जी भर के वह दिलकश नितम्ब सहला सहला के चाटे जिस पर चंदा रानी ने मस्ता के सीत्कार भरे।
उसकी ठरक अब बहुत बढ़ चुकी थी, उससे अब रुका नहीं जा रहा था, बार बार जल्दी से चोदने को कह रही थी।
मेरा लौड़ा भी ज़ोर से तन्नाया हुआ चूत में घुसने को बेताब हो रहा था।
मैंने चंदा रानी की कमर पकड़ कर लौड़े को ठीक से सेट किया चूत के मुंह पर और हचक के धक्का मारा।
लंड जड़ तक उसकी रस से लबलब चूत में गड़ गया।
चंदा रानी ने मज़े की एक किलकारी मारी।
मैंने पीछे से उसकी चूचे कस के पकड़ लिये और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
मैं उसकी चूचियों को दबा कर मसल रहा था।
चंदा रानी मस्ती में डूबी मेरे धक्के से धक्का मिला कर अपने नितम्ब ऊपर नीचे कर रही थी, उसके खुले हुए भूरे केश इधर उधर लहरा रहे थे।
करीब आधा घंटा इसी प्रकार चोदने के बाद मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी।
चंदा रानी की चूत से रस बह बह कर उसकी जांघों तक को गीला कर चुका था, वह बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर अग्रसर थी।
मुझे भी अपने टट्टों में दबाव बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था, लंड में एक सुरसुरी सी आगे पीछे दौड़ रही थी।
हम दोनों के शरीर खूब गरमा गये थे, चुदाई की अलग अलग आवाज़ें जैसे कि लंड अन्दर बाहर होने की फच फच, कभी मेरे कभी उसके मुंह से निकलने वाली सांसें, हां हां, हाय हाय, उई उई इत्यादि काफी शोर मचा रही थीं।
मैं हैरान था कि बच्चा सोये जा रहा था।
‘अब…जल्दी जल्दी कर…राजे… तू सच में बहुत तरसाता हाय…अब बस कर…और न तड़पा अपनी चंदा रानी को..’ चंदा रानी के बदन में एक तेज़ कंपकंपी आई और मैंने एक के पीछे एक धम धमा धम धम बहुत सारे ज़ोरदार धक्के मारे।
चरम आनन्द में पगला कर उसके मुंह से एक चीख़ निकली और चंदा रानी धड़ाक से झड़ी।
मैं धकाधक धक्के लगाये जा रहा था।
कुछ ही देर में मेरे अन्दर एक बिजली सी कौंधी और मैं भी ‘हैं हैं’ करता हुआ स्खलित हुआ।
मेरे लंड से लावे जैसे गर्म गर्म वीर्य ने उसकी चूत को भर दिया।
अब तक तो चंदारानी कई दफे झड़ चुकी थी।