23-04-2021, 04:24 PM
उसका मुखरस पी पी के मैं तृप्त हुआ जा रहा था।
वो अपने चूतड़ अत्यंत ही धीरे धीरे घुमा रही थी, कभी वो कमर आगे करती, तो कभी पीछे, कभी कमर उछालती और कभी अचानक बड़े ज़ोर का धक्का मारती।
कभी वो पूरा का पूरा लंड बहर निकाल कर दुबारा चूत में धड़ाम से घुसाती और कभी वो सिर्फ चूत को लप लप करते हुए लंड को ज़बरदस्त मज़ा देती।
चंदा रानी वाकयी में चुदाई की अनिभवी खिलाड़िन थी। जब वो तेज़ तेज़ धक्के मारती, तो फचक…फचक…फच…फच…फच..फच की आवाज़ कमरे में गूंज उठती, अगर कोई बाहर खड़ा सुन रहा होता तो फौरन जान जाता कि यहाँ ज़ोरदार चुदाई चल रही है।
इसी तरह हम बहुत समय तक चोदते रहे, तेज़… बहुत तेज़… धीरे… बहुत धीरे… उसके नितम्ब कभी गोल गोल घुमाते हुए तो कभी दायें बायें हिलाते हुए… चुदाई धकाधक हुए जा रही थी।
‘राजे.. और दूध पियेगा? मेरा दिल कर रहा है तुझे चोदते चोदते दूध पिलाने का।’ चंदा रानी ने मेरे कान में कहा और फिर मस्ती में आकर मेरे कान को हौले से काट लिया।
उसका बदन बहुत गर्म हो गया था, ठरक से सराबोर उसका चेहरा लाल हो गया था और पसीने की छोटी छोटी बूँदें उसके माथे पे छलक आई थी।
‘अरे रानी…अंधा क्या चाहे दो आँखें !’ मैंने कहा।
सचमुच एक अति कामुक स्त्री का चुदाई करते हुए दूध पीने के ख्याल से ही मेरी ठरक बेतहाशा बढ़ गई थी।
यह मैंने पहले कभी नहीं किया था।
तुरन्त ही मैंने चंदा रानी को कंधों से पकड़ कर थोड़ा सा ऊपर उठाया और खुद उचक कर कोहनियों पर खुद को टिकाया।
दूध से भरे हुए, फूल के कुप्पा हुए उसके चूचे किसी भी मर्द के तन बदन को आग लगा सकते थे।
मैंने अपना मुंह खोल दिया पूरा पूरा !
चंदा रानी ने एक चूची मेरे मुंह में घुसा दी और दूसरी चूची की निप्पल उमेठने लगी।
मेरे मुंह में घुसी निप्पल उसकी चरम सीमा तक बढ़ी कामवासना के कारण बहुत सख्त हो चली थी, मैंने जैसे ही उसकी अकड़ी निप्पल पर जीभ घुमाई, एक हल्की सी चीख उसके गले से निकली, कराहते हुए बोली- कचूमर निकाल दे राजे… इस कम्बख्त चूची का… आज तो चटनी बना ही दे इसकी… हरमज़ादी ने जान खींच रखी है मेरी… हाँ राजा हाँ….पीस डाल..
मैंने तुरन्त निप्पल को कस के काटा और फिर अपने दाँत चूची में गाड़ दिये।
चंदा रानी ने चिहुंक के सीत्कार भरी।
दूध की धारा बह चली मेरे मुंह में !
मैंने दांत गाड़े रखे, चंदा रानी ठरक से पागल होकर अब बहुत तेज़ तेज़ धक्के मार रही थी।
मैंने पहली चूची छोड़ के दूसरी चूची में कस के दांत गाड़े।
काम वासना के आवेश में भरी हुई चंदा रानी अब हुमक हुमक के धक्के लगा रही थी, वो स्खलन से ज़्यादा दूर न थी।
दूध पीता, ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा लूटता यह चूतनिवास भी तेज़ी से झड़ने की ओर बढ़ रहा था। फच फच फच फच की आवाज़ से कमर भर उठा, चंदा रानी अब बिजली की तेज़ी से अपनी कमर कुदा कुदा के धक्के मार रही थी, उसकी सांस फूल गई थी और गले से भिंची भिंची सीत्कार निकल रही थी।
उसका पूरा बदन तप गया था जैसे कि 104 का बुखार हो ! सारा शरीर पसीने से भीग गया था, मैं भी पसीने में लथपथ था।
चंदा रानी ने सिर्फ सुपारी चूत में छोड़कर, पूरा लंड बाहर निकाला और एक बहुत ही ताकतवर धक्का मारा, जिससे मेरा 8 इन्च का मोटा लौड़ा दनदनाता हुआ बुर में जा घुसा।
उसने अपने नाखून मेरे कंधों में गड़ा दिये और झर झर… झर झर… झड़ने लगी।
‘हाय हाय’ करते हुए फिर से आठ दस तगड़े धक्के मारे और हर धक्के में झड़े चली गई, उसके मुंह से सीत्कार पर सीत्कार निकल रहे थे, रस की फुहार चूत में बरस उठी, चंदा रानी बेहोश सी मेरे ऊपर ढेर हो गई।
वो अपने चूतड़ अत्यंत ही धीरे धीरे घुमा रही थी, कभी वो कमर आगे करती, तो कभी पीछे, कभी कमर उछालती और कभी अचानक बड़े ज़ोर का धक्का मारती।
कभी वो पूरा का पूरा लंड बहर निकाल कर दुबारा चूत में धड़ाम से घुसाती और कभी वो सिर्फ चूत को लप लप करते हुए लंड को ज़बरदस्त मज़ा देती।
चंदा रानी वाकयी में चुदाई की अनिभवी खिलाड़िन थी। जब वो तेज़ तेज़ धक्के मारती, तो फचक…फचक…फच…फच…फच..फच की आवाज़ कमरे में गूंज उठती, अगर कोई बाहर खड़ा सुन रहा होता तो फौरन जान जाता कि यहाँ ज़ोरदार चुदाई चल रही है।
इसी तरह हम बहुत समय तक चोदते रहे, तेज़… बहुत तेज़… धीरे… बहुत धीरे… उसके नितम्ब कभी गोल गोल घुमाते हुए तो कभी दायें बायें हिलाते हुए… चुदाई धकाधक हुए जा रही थी।
‘राजे.. और दूध पियेगा? मेरा दिल कर रहा है तुझे चोदते चोदते दूध पिलाने का।’ चंदा रानी ने मेरे कान में कहा और फिर मस्ती में आकर मेरे कान को हौले से काट लिया।
उसका बदन बहुत गर्म हो गया था, ठरक से सराबोर उसका चेहरा लाल हो गया था और पसीने की छोटी छोटी बूँदें उसके माथे पे छलक आई थी।
‘अरे रानी…अंधा क्या चाहे दो आँखें !’ मैंने कहा।
सचमुच एक अति कामुक स्त्री का चुदाई करते हुए दूध पीने के ख्याल से ही मेरी ठरक बेतहाशा बढ़ गई थी।
यह मैंने पहले कभी नहीं किया था।
तुरन्त ही मैंने चंदा रानी को कंधों से पकड़ कर थोड़ा सा ऊपर उठाया और खुद उचक कर कोहनियों पर खुद को टिकाया।
दूध से भरे हुए, फूल के कुप्पा हुए उसके चूचे किसी भी मर्द के तन बदन को आग लगा सकते थे।
मैंने अपना मुंह खोल दिया पूरा पूरा !
चंदा रानी ने एक चूची मेरे मुंह में घुसा दी और दूसरी चूची की निप्पल उमेठने लगी।
मेरे मुंह में घुसी निप्पल उसकी चरम सीमा तक बढ़ी कामवासना के कारण बहुत सख्त हो चली थी, मैंने जैसे ही उसकी अकड़ी निप्पल पर जीभ घुमाई, एक हल्की सी चीख उसके गले से निकली, कराहते हुए बोली- कचूमर निकाल दे राजे… इस कम्बख्त चूची का… आज तो चटनी बना ही दे इसकी… हरमज़ादी ने जान खींच रखी है मेरी… हाँ राजा हाँ….पीस डाल..
मैंने तुरन्त निप्पल को कस के काटा और फिर अपने दाँत चूची में गाड़ दिये।
चंदा रानी ने चिहुंक के सीत्कार भरी।
दूध की धारा बह चली मेरे मुंह में !
मैंने दांत गाड़े रखे, चंदा रानी ठरक से पागल होकर अब बहुत तेज़ तेज़ धक्के मार रही थी।
मैंने पहली चूची छोड़ के दूसरी चूची में कस के दांत गाड़े।
काम वासना के आवेश में भरी हुई चंदा रानी अब हुमक हुमक के धक्के लगा रही थी, वो स्खलन से ज़्यादा दूर न थी।
दूध पीता, ज़बरदस्त चुदाई का मज़ा लूटता यह चूतनिवास भी तेज़ी से झड़ने की ओर बढ़ रहा था। फच फच फच फच की आवाज़ से कमर भर उठा, चंदा रानी अब बिजली की तेज़ी से अपनी कमर कुदा कुदा के धक्के मार रही थी, उसकी सांस फूल गई थी और गले से भिंची भिंची सीत्कार निकल रही थी।
उसका पूरा बदन तप गया था जैसे कि 104 का बुखार हो ! सारा शरीर पसीने से भीग गया था, मैं भी पसीने में लथपथ था।
चंदा रानी ने सिर्फ सुपारी चूत में छोड़कर, पूरा लंड बाहर निकाला और एक बहुत ही ताकतवर धक्का मारा, जिससे मेरा 8 इन्च का मोटा लौड़ा दनदनाता हुआ बुर में जा घुसा।
उसने अपने नाखून मेरे कंधों में गड़ा दिये और झर झर… झर झर… झड़ने लगी।
‘हाय हाय’ करते हुए फिर से आठ दस तगड़े धक्के मारे और हर धक्के में झड़े चली गई, उसके मुंह से सीत्कार पर सीत्कार निकल रहे थे, रस की फुहार चूत में बरस उठी, चंदा रानी बेहोश सी मेरे ऊपर ढेर हो गई।