23-04-2021, 04:14 PM
‘हूँ… तेरा तेल भी स्वादिष्ट है… राजे, तू बहुत ज़्यादा गरम हो रहा है… जल्दी खलास हो जायेगा… आ मैं तेरी गर्मी कुछ कम कर देती हूँ !’
चंदा रानी ने नीचे की तरफ सरक कर अपना मुंह बिल्कुल लंड के सामने कर लिया और झुक के गप से लंड की सुपारी अपने मुंह में ले ली।
पहले तो उसने ब़ड़े दुलार से पूरी सुपारी के चारों तरफ जीभ घुमाई, लंड को बाहर निकला, खाल पीछे करके टोपा पूरा नंगा कर दिया, सिर्फ टोपा मुंह के अंदर ले कर चंदा रानी ने खाल ऊपर नीचे करना शुरू किया।
उसका मुंह बहुत गरम था और तर भी ! लंड के मज़े लग गये।
अचानक चंदा रानी ने जीभ की नोक सुपारी के छेद में घुसाने की कोशिश की, हालांकि जीभ ज्यादा अंदर घुस नहीं पाई पर जितनी भी घुसी उससे मेरे पूरे बदन में एक सरसरी सी दौड़ गई, मज़े की पराकाष्ठा हो चली थी।
उसने तेज़ तेज़ लंड को हिलाना शुरू कर दिया, उसकी जीभ कमाल का आनन्द दे रही थी, कभी वह अपनी गरम गरम, राल से तर जीभ टोपे पर घुमा घुमा कर चाटती और कभी वह दुबारा जीभ को मोड़ कर नोक लंड के छेद में डाल के एक तेज़ करंट मेरे बदन में फैला देती !
यकायक चंदा रानी ने मेरे दोनों अण्डकोश थाम लिये और लंड पूरा का पूरा मुंह में घुसा लिया।
वह ब़ड़े प्यार से अंडों को सहला रही थी और तेज़ तेज़ सिर को आगे पीछे करती हुई लंड को अंदर बाहर कर रही थी।
उसके घने बाल इधर उधर लहरा रहे थे, मेरी मज़े के मारे गांड फटी जा रही थी, मैं बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर बढ़ रहा था, मेरी साँसें तेज़ हो चली थीं और माथे पर पसीने की बूंदें झलक आईं थीं।
चंदा रानी ने रफ़्तार और तेज़ कर दी, उसे अहसास हो गया था कि मैं जल्दी ही झड़ सकता हूँ, चंदा रानी का मुंह उसके मुख-रस से लबालब था, लौड़ा अंदर बाहर जब होता तो सड़प..सड़प…सड़प की आवाज़ें निकलती थीं।
चंदा रानी ने मेरे लंड और गांड के बीच में जो मुलायम सा भाग होता है, उसे ज़ोर से दबा दिया, उसने अपने दोनों अंगूठे उस कोमल जगह पर गाड़ दिये, एकदम से एक तेज़ गरम लहर मेरी रीढ़ से गुज़री, मेरे मुंह से एक ज़ोर की सीत्कार निकली और मैं झड़ा।
मैंने चंदारानी के बाल जकड़ कर एक ज़ोरदार धक्का मारा, लंड बड़ी तेज़ी से उसका पूरा मुंह पार करता हुआ धड़ाम से उसके गले से जाकर टकराया।
ऊँची ऊँची सीत्कार की आवाज़ें निकलता हुआ मैं बहुत धड़ाके से झड़ा, लौड़े ने बीस पचीस तुनके मारे और हर तुनके के साथ गरम वीर्य के मोटे मोटे थक्के चंदा रानी के मुंह में झाड़े।
कई दिनों का जमा हुआ मक्खन निकल गया, मैं बिल्कुल निढाल होकर बिस्तर पर फैल गया और अपनी सांसों को काबू पाने की चेष्टा करने लगा।
मेरा लंड झड़ कर मुरझा चुका था और चंदा रानी की लार व मेरे लेस की बूँदों से लिबड़ा एक तरफ को पड़ा हुआ था।
चंदा रानी ने नीचे की तरफ सरक कर अपना मुंह बिल्कुल लंड के सामने कर लिया और झुक के गप से लंड की सुपारी अपने मुंह में ले ली।
पहले तो उसने ब़ड़े दुलार से पूरी सुपारी के चारों तरफ जीभ घुमाई, लंड को बाहर निकला, खाल पीछे करके टोपा पूरा नंगा कर दिया, सिर्फ टोपा मुंह के अंदर ले कर चंदा रानी ने खाल ऊपर नीचे करना शुरू किया।
उसका मुंह बहुत गरम था और तर भी ! लंड के मज़े लग गये।
अचानक चंदा रानी ने जीभ की नोक सुपारी के छेद में घुसाने की कोशिश की, हालांकि जीभ ज्यादा अंदर घुस नहीं पाई पर जितनी भी घुसी उससे मेरे पूरे बदन में एक सरसरी सी दौड़ गई, मज़े की पराकाष्ठा हो चली थी।
उसने तेज़ तेज़ लंड को हिलाना शुरू कर दिया, उसकी जीभ कमाल का आनन्द दे रही थी, कभी वह अपनी गरम गरम, राल से तर जीभ टोपे पर घुमा घुमा कर चाटती और कभी वह दुबारा जीभ को मोड़ कर नोक लंड के छेद में डाल के एक तेज़ करंट मेरे बदन में फैला देती !
यकायक चंदा रानी ने मेरे दोनों अण्डकोश थाम लिये और लंड पूरा का पूरा मुंह में घुसा लिया।
वह ब़ड़े प्यार से अंडों को सहला रही थी और तेज़ तेज़ सिर को आगे पीछे करती हुई लंड को अंदर बाहर कर रही थी।
उसके घने बाल इधर उधर लहरा रहे थे, मेरी मज़े के मारे गांड फटी जा रही थी, मैं बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर बढ़ रहा था, मेरी साँसें तेज़ हो चली थीं और माथे पर पसीने की बूंदें झलक आईं थीं।
चंदा रानी ने रफ़्तार और तेज़ कर दी, उसे अहसास हो गया था कि मैं जल्दी ही झड़ सकता हूँ, चंदा रानी का मुंह उसके मुख-रस से लबालब था, लौड़ा अंदर बाहर जब होता तो सड़प..सड़प…सड़प की आवाज़ें निकलती थीं।
चंदा रानी ने मेरे लंड और गांड के बीच में जो मुलायम सा भाग होता है, उसे ज़ोर से दबा दिया, उसने अपने दोनों अंगूठे उस कोमल जगह पर गाड़ दिये, एकदम से एक तेज़ गरम लहर मेरी रीढ़ से गुज़री, मेरे मुंह से एक ज़ोर की सीत्कार निकली और मैं झड़ा।
मैंने चंदारानी के बाल जकड़ कर एक ज़ोरदार धक्का मारा, लंड बड़ी तेज़ी से उसका पूरा मुंह पार करता हुआ धड़ाम से उसके गले से जाकर टकराया।
ऊँची ऊँची सीत्कार की आवाज़ें निकलता हुआ मैं बहुत धड़ाके से झड़ा, लौड़े ने बीस पचीस तुनके मारे और हर तुनके के साथ गरम वीर्य के मोटे मोटे थक्के चंदा रानी के मुंह में झाड़े।
कई दिनों का जमा हुआ मक्खन निकल गया, मैं बिल्कुल निढाल होकर बिस्तर पर फैल गया और अपनी सांसों को काबू पाने की चेष्टा करने लगा।
मेरा लंड झड़ कर मुरझा चुका था और चंदा रानी की लार व मेरे लेस की बूँदों से लिबड़ा एक तरफ को पड़ा हुआ था।