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Romance लला… फिर खेलन आइयो होरी
#18
कपड़ा फाड़ होली

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मैं चिल्लाया- “हे फाड़ने की नहीं होती…”

वो मुश्कुरा के मेरे कान में बोली- “तो क्या तुम्हीं फाड़ सकते हो…”

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मैं बनियान पाजामें में हो गया। उसने मेरी भाभी से बनियाइन की ओर इशारा करके कहा- 



“दीदी, चोली तो उतर गई अब ये बाडी, ब्रा भी उतार दो…”

“एकदम…” भाभी बोलीं।

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मैं क्या करता। मेरे दोनों हाथ भाभी की भाभियों ने कस के पकड़ रखे थे। वो बड़ी अदा से पास आयी। अपना आंचल हल्का सा ढलका के रंग में लथपथ अपनी चोली मेरी बनियान से रगड़ा।


मैं सिहर गया।



एक झटके में उसने मेरी बनियाइन खींच के फाड़ दी। 

और कहा- “टापलेश करके रगड़ने में असली मजा क्या थोड़ा… थोड़ा अंदर चोरी से हाथ डाल के…"

फिर तो सारी लड़कियां औरतें, कोई कालिख कोई रंग। और इस बीच चम्पा भाभी ने पजामे के अंदर भी हाथ डाल दिया। जैसे ही मैं चिहुंका, पीछे से एक और किसी औरत ने पहले तो नितम्बों पर कालिख फिर सीधे बीच में।

[Image: Happy-Holi-2014-15-2.jpg]

भाभी समझ गई थीं। वो बोली- “क्यों लाला आ रहा है मजा ससुराल में होली का…”


उसने मेरे पाजामे का नाड़ा पकड़ लिया। भाभी ने आंख दबा के इशारा किया और उसने एक बार में ही।

उसकी सहेलियां भाभियां जैसे इस मौके के लिये पहले से तैयार थीं। एक-एक पायचें दो ने पकडे और जोर से खींचकर… सिर्फ यही नहीं उसे फाड़ के पूरी ताकत से छत पे जहां मेरा कुर्ता बनियाइन पहले से।



अब तो सारी लड़कियां औरतों ने पूरी जोश में… मेरी डोली बना के एक रंग भरे चहबच्चे में डाल दिया। लड़कियों से ज्यादा जोश में औरतें ऐसे गाने बातें।

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मेरी दुर्दसा हो रही थी लेकिन मजा भी आ रहा था। वो और देख-देख के आंखों ही आंखों में चिढ़ाती।



जब मैं बाहर निकला तो सारी देह रंग से लथपथ। सिर्फ छोटी सी चड्ढी और उसमें भी बेकाबू हुआ मेरा तंबू तना हुआ।



चंपा भाभी बोली- 

“अरे है कोई मेरी छिनाल ननद जो इसका चीर हरण पूरा करे…” 


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भाभी ने भी उसे ललकारा, 

बहुत बोलती थी ना की देवर है की ननद तो आज खोल के देख लो।


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वो सहम के आगे बढ़ी। उसने झिझकते हुए हाथ लगाया। लेकिन तब तक दो भाभियों ने एक झटके में खींच दिया। और मेरा एक बित्ते का पूरा खड़।



अब तो जो बहादुर बन रही थी वो औरतें भी सरमाने लगीं। 

मुझे इस तरह से पकड़ के रखा था की मैं कसमसा रहा था। वो मेरी हालत समझ रही थी। 
तब तक उसकी नजर डारे पे टंगे चंपा भाभी के साये पे पड़ी। एक झटके में उसने उसे खींच लिया और मुझे पहनाते हुये बोली- 

“अब जो हमारे पास है वही तो पहना सकते हैं…” 

और भाभी से बोली- 

“ठीक है दीदी, मान गये की आपका देवर देवर ही है लेकिन हम लोग अब मिल के उसे ननद बना देते हैं…”

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“एकदम…” उसकी सारी सहेलियां बोलीं।
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RE: लला… फिर खेलन आइयो होरी - by komaalrani - 23-04-2021, 12:51 PM



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