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Misc. Erotica काजल, दीवाली और जुए का खेल (completed)
राणा जिस लड़की को एक बार देखने के लिए तरसता था, आज वो उसके सामने लगभग नंगी बैठी हुई थी... पैसों में कितनी ताक़त होती है ये आज उसे पता चला..पर पैसों के साथ -2 लंड में भी जान होनी चाहिए, तभी लड़कियां आकर्षित होती है..

पर काजल को ऐसी हालत में अपने सामने बैठा देखकर राणा के हाथ मचल उठे, उसने जैसे ही अपने हाथ आगे करते हुए काजल के स्तनों तक पहुँचाए, काजल ने उसे टोक दिया और बोली : "ना जी ना, इतनी जल्दी नही, गेम पर ध्यान दो पहले... मैं जब खुश होउंगी , तभी तुम इसे छू पाओगे...''

राणा : "और तुम खुश कैसे होगी ??"

काजल (अपने दाँत दिखाते हुए) : "जब मैं जीतूँगी अगली बाजी ...''

काजल ने बड़ी ही चालाकी से राणा के सामने अपनी शर्त रख दी... मज़े और पैसे एक साथ लेने के मूड मे थी काजल..

राणा को भला क्या परेशानी हो सकती थी, अभी तक का खेल जिस तरह से चल रहा था, उसके हिसाब से ही उसको काफ़ी मज़ा मिल चुका था..

राणा : "लेकिन अगली बाजी मैं जीत गया तो...''

काजल : "तो तुम्हे मुझे छूने के लिए वो जीते हुए पैसे मुझे देने होंगे..''

यानी काजल मज़ा और पैसे दोनों लेना चाहती थी...उसकी इस शर्त के अनुसार तो दोनो ही सूरत में पैसे उसके पास पहुँचने वाले थे..

अब खेल सच मे रोमांचक हो चुका था.

4-4
ब्लाइंड चलने के बाद राणा ने अपने पत्ते उठा लिए...उसे तो हर गेम के ख़त्म होने की जल्दी थी..क्योंकि अगर वो जीतेगा तो अपने पैसे काजल को देकर , या फिर हारेगा तो भी काजल की खुशी को देखकर वो मज़े लेना चाहता था.

राणा के पास सिर्फ़ इक्का ही आया था, बाकी के दोनों छोटे पत्ते थे..

उसने झट से शो माँग लिया..अभी बीच मे सिर्फ़ 10 हज़ार रुपय थे..राणा ने अपने पत्ते सामने फेंक दिए.

काजल ने भी अपने पत्ते उठाए..उसके चेहरे पर मायूसी छा गयी..उसके पत्ते तो राणा से भी बेकार थे..उसने जब अपने पत्ते राणा के सामने रखे तो राणा भी हंस दिया..उसके पास 4,6,9 नंबर आए थे..

राणा ने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..फिर उन नोटों की गड्डी बना कर उसने काजल की तरफ बड़ा दिया और बोला : "अब तो छू सकता हूँ ना...इन पैसों के बदले..''

काजल के होंठ लरज कर रह गये...उसने राणा के हाथ से पैसे ले लिए..और उन्हे फिर से अपनी जाँघ के नीचे दबा लिया.

राणा : "अब इधर आओ...मेरे पास...''

राणा ने अपनी उंगली का इशारा करके काजल को अपनी तरफ बुलाया..

वो बेचारी मना भी नही कर पाई...आख़िर उसने पैसे जो दिए थे..

वो अपनी सीट से उठी और धीरे-2 चलती हुई राणा के पीछे जाकर खड़ी हो गयी...राणा अपने लंड को मसलता हुआ उसके हिलते हुए मुम्मे देख रहा था..और जब वो उसके पास आकर खड़ी हुई तो उसने अपना सिर उपर करके उसकी आँखो में देखा और बोला : "नीचे करो इन्हे...''

वो उसपर ऐसे हुक्म चला रहा था जैसे 10 हज़ार मे उसने उसके मुम्मों को खरीद लिया है..पर काजल भी उसकी बात मान रही थी, क्योंकि अंदर ही अंदर वो भी तो इस मज़े को महसूस करना चाहती थी...हारने के बाद 10 हज़ार भी वापिस मिल गये और अब मज़ा भी मिलेगा, ऐसा सौदा तो काजल को काफ़ी उत्साहित कर रहा था..

काजल धीरे से नीचे झुकी और राणा ने अपना देतयाकार मुँह खोल दिया...और उसके अंगूर के दानों जैसे निप्पल सीधा उसके मुँह के अंदर घुस गये और राणा उन्हे बड़ी ज़ोर से चूसने लगा...साथ ही साथ उसने काजल के सिर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ ज़ोर से दबा लिया..दूसरे हाथ से उसका दूसरा स्तन पकड़ लिया और उसे मसलने लगा..कुल मिलाकर वो अपने 10 हज़ार रुपय सही तरीके से वसूल कर रहा था..

काजल तो उसके हमले से कराह उठी...एक तो उसके दाँत काफ़ी तेज थे और उपर से वो काफ़ी एक्ससाईटिड भी था,पैसे देकर वो काजल के जिस्म पर कुछ देर के लिए ही सही पर अपना पूरा अधिकार जता रहा था...

राणा ने उसके निप्पल को पकड़कर अपनी उंगलियों से मसलना शुरू कर दिया, जैसे बकरी का दूध निकाल रहा हो..और साथ ही साथ अपने दांतो से भी वही काम उसके दूसरे स्तन पर कर रहा था...और करीब दस मिनट तक अच्छी तरह से उसका दूध पीने के बाद जैसे ही राणा ने उसकी चूत की तरफ हाथ बदाया, काजल छिटक कर दूर हो गयी...और बोली : "ना ना ना ....इतने में सिर्फ़ इतना ही मिलेगा...''

और वो अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसको चिढ़ाती हुई वापिस अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी..
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RE: काजल, दीवाली और जुए का खेल - by Jyoti Singh - 05-04-2019, 06:45 PM



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