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Misc. Erotica काजल, दीवाली और जुए का खेल (completed)
राणा ने वो पेग एक ही साँस मे पी डाला...एक गर्मी सी उतरती चली गयी उसके सीने के अंदर..और एक झटके में पीने से हल्का सरूर भी एकदम से ही गया..

अपनी नशीली आँखों से काजल को देखते हुए उसने अपनी पेंट एक बार फिर से नीचे खिसका दी..वैसे तो ब्लाइंड चलने की बारी काजल की थी..पर फिर भी उसने एक नोट लिया और थोड़ा सा मुरझा गये लंड को फिर से घिसकर खड़ा कर लिया..

काजल ने भी बड़े ही सेक्सी तरीके से राणा को देखते हुए अपनी टी शर्ट की जीप खोली, पहले की तरह ही उसकी छातियाँ उभरकर बाहर निकल आई..और फिर उसने वो किया जो अभी तक राणा ने सोचा भी नही था..और जिसे देखने के लिए वो ये सब ड्रामा कर रहा था अभी तक...

काजल ने अपना दाँया हाथ अंदर की तरफ घुसेड़ा और अपने बांये मुम्मे को कान से पकड़कर बाहर ले आई..उसके पिंक कलर के निप्पल्स देखकर राणा की आँखे ही चुंधिया गयी...और राणा की आँखो की भूख को देखते-2 काजल ने अपना नोट उसपर रगड़ा और बड़े ही स्टाइल से उसे नीचे लहरा दिया..

और अपने मुम्मे को अंदर करने की भी जहमत नही उठाई काजल ने...उसका एक उभार अब पूरी तरह से नंगा होकर बाहर लटक रहा था..

राणा : "काजल....क्या कमाल के बूब्स है तुम्हारे...मन कर रहा है इन्हे दबोच लू...चूस लू...निचोड़ डालु...''

काजल पर तो पहले से ही ठरक सवार थी...राणा की ऐसी गंदी बातें सुनकर वो और भी ज़्यादा उत्तेजना से भर उठी..

उसने मन ही मन कहा 'तो कर ले ना राणा...रोका किसने है तुझे..'

अब एक लड़की होकर उसने अपनी तरफ से इतना कुछ कर दिया, और कुछ करके वो एक रंडी जैसी नही बनना चाहती थी..

राणा भी उसकी हालत का अंदाज़ा लगाता हुआ अंदर से खुश हो रहा था..अब एक बात तो पक्की थी की वो उसकी चुदाई कर ही लेगा..केशव के उपर आने से पहले राणा अपनी तरफ से पहल करके प्यार का खेल शुरू करना चाहता था..पर अब जब काजल ने खुद ही अपने जिस्म की नुमाइश करनी शुरू कर दी है , इसका मतलब वो भी उतनी ही उतावली है जितना की वो, और एक उतावली लड़की से प्यार करवाने में जो मज़ा मिलता है, वो अपना उतावलापन दिखाकर उसे प्यार करने मे नही है..राणा वैसे भी अपने आप को किसी राजा से कम नही समझता था..वो आराम से लेट कर मज़े लेने वालो में से था, यानी सामने वाली से अपने आप को प्यार करवाकर मज़ा लेने वालो में से...

राणा ने काजल की आशा के अनुसार कुछ नही किया और फिर से अपनी गेम के अंदर घुस गया..हज़ार के दो नोट लिए और उन्हे लंड से मसल कर नीचे फेंक दिया.

काजल थोड़ी हैरान ज़रूर हुई पर फिर ये सोचकर की शायद वो केशव के नीचे बैठे होने की वजह से घबरा रहा है, इसलिए कुछ नही कर रहा ..

काजल : "अब शायद केशव उपर नही आएगा...वो सब पीने मे मस्त हो चुके हैं..''

जैसे वो राणा को ये बताना चाहती हो की कर ले घोंचू , जो भी करना है, केशव नही आने वाला अब उपर..

राणा भी उसकी बात का मतलब समझ गया, फिर भी उसने बात घुमा दी और बोला : "हाँ ...पर उसका अपना घर है, कभी भी सकता है...ऐसे खेल के बीच में डिस्टर्ब नही होना चाहता मैं बार -2...''

काजल समझ नही पा रही थी की उसके मन मे आख़िर चल क्या रहा है...ऐसा भी कोई चूतिया होता है क्या जो एक लड़की के नंगे मुम्मे को देखकर भी अडिग रहे...और वो भी राणा जैसा हरामी, जो उसे देखकर गली में भी छेड़ता था...और अब जब वो खुद उसके सामने ऐसी हालत मे बैठी है, वो साधु बना बैठा है.

काजल ने भी ठान लिया की वो भी रम्भा बनकर इस विश्वामित्र की तपस्या भंग करके दिखाएगी..

पर अब तक बीच मे काफ़ी पैसे इकट्ठे हो चुके थे...और वो ये भी देखना चाहती थी की इस बार उसका टोटका सही काम कर रहा है या नही..इसलिए उसने अपने पत्ते उठा लिए..

उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गयी...और इसी खुशी मे उसने अपने दूसरे मुम्मे को भी बाहर खींच निकाला और राणा की अदालत के सामने नंगा कर दिया..

अब तो राणा का ईमान बुरी तरह से डोलने लगा..सिर्फ़ गले वाले हिस्से से बाहर निकालने की वजह से उसके दोनो मुम्मे अकड़ से गये थे...और उसे जिप भी चुभ रही थी उनपर..वो कभी इधर से तो कभी उधर से उन्हे सहलाने लगी..
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RE: काजल, दीवाली और जुए का खेल - by Jyoti Singh - 05-04-2019, 06:42 PM



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