05-04-2019, 06:42 PM
उसने चाल को डबल करते हुए 4 हज़ार कर दिया और इस बार अपने अंडरवीयर को पूरा नीचे खिसका कर लंड और टटटे पूरी तरह से उजागर कर दिए काजल के सामने और उनसे रगड़कर उसने हर बार की तरह चाल चली...
अब आलम ये था की राणा काजल के सामने नीचे से लगभग नंगा होकर बैठा था...उसका पठानी लंड अपने पूरे शबाब पर था..लगभग 9 इंच के आस पास...जो केशव से भी बड़ा था...अपने सामने ऐसे खड़े हुए लंड को देखकर काजल तो पागल सी हुई जा रही थी..ऐसा नज़ारा देखने को मिलेगा, उसने तो सोचा भी नही था.
पर साथ ही साथ उसका ध्यान गेम पर भी था...अब इतना तो उसे पता चल ही गया था की सामने से जब डबल चाल आए, इसका मतलब सामने वाले के पास भी बाड़िया पत्ते आए हैं...4 हज़ार की ब्लफ तो नही करेगा कोई...
उसने भी 4 हज़ार नीचे फेंकते हुए शो माँग लिया...
काजल ने पत्ते नीचे रखे...और राणा ने भी अपने पत्ते उसके सामने फेंक दिए..जिन्हे देखकर उसके मन में फिर से एक बार मायूसी छा गयी...वो समझ गयी की राणा अपनी जगह पर सही है...और उसके टोटके उसपर तभी भारी पड़ते हैं जब वो थोड़ा बड़-चड़कर उन्हे करता है...
और इस बार काजल ने भी सोच लिया की उसे क्या करना है..
और जब अगली गेम शुरू हुई तो काजल ने बिना राणा की तरफ देखे, अपनी टी शर्ट के गले की जीप नीचे करी..और ऐसा करते ही उसके दूधिया मुम्मे राणा की भूखी आँखों के सामने प्रकट हो गये..वो किसी दूध के पर्वत की तरह कठोरता लिए हुए कड़क अंदाज में खड़े हुए थे...सिर्फ़ निप्पल को छोड़कर सब सॉफ दिख रहा था राणा को...
काजल ने नोट लिया और उन्हे अपने दूधिया पर्वत पर घिसा...और उसे नीचे फेंक दिया..
राणा को और क्या चाहिए था...वो अपनी तरकीब में कामयाब हो गया था..अब वो इस खेल को एक नये आयाम तक ले जाना चाहता था....
राणा तो जैसे इसी पल का वेट कर रहा था...उसने भी अपनी पेंट और अंडरवीयर घुटनो से नीचे खिसका दिया..और हज़ार के नोट को बुरी तरह से घिस कर नीचे फेंक दिया.
काजल के सामने अब राणा का लंड पूरी तरह से नंगा था...उपर से नीचे तक...एकदम कठोर, कुतुब मीनार की तरह खड़ा था वो..काजल की आँखो में उसके लंड को पाने का लालच साफ़ झलक रहा था..राणा भी इस गेम के ज़रिए ज़्यादा देर तक तड़पना नही चाहता था..पर उसे बोले भी तो कैसे बोले...वो कुछ बोलने ही वाला था की नीचे से किसी के उपर आने की आवाज़ आई...
राणा ने झट से अपनी पेंट उपर खींच ली..और काजल ने भी अपनी जीप को बंद कर लिया..
उपर आने वाला केशव के अलावा कौन हो सकता था..उसके हाथ मे दारू का ग्लास था..शायद राणा और काजल के उपर आते ही नीचे दारू शुरू हो चुकी थी...केशव की हालत देखकर सॉफ लग रहा था की उसे चढ़ चुकी है..
केशव : "कौन जीत रहा है अभी तक....ह्म्*म्म्म''
राणा : "यार केशव...तेरी बहन ने तो मेरी हालत ही खराब कर रखी है...देख ना कितने नोट ले गयी मेरे...''
राणा ने काजल की जाँघ के नीचे दबे नोटों की तरफ इशारा करते हुए कहा..
केशव तो नशे मे था, ये सुनकर वो और मस्ती मे आ गया..और उसने झुक कर काजल को गले से लगा लिया..और उसके चेहरे पर चूम भी लिया : " ये तो मेरी चेम्पियन है...देखना अभी तू...तेरे सारे पैसे लूट लेगी..''
राणा : "मैं तो कब से लुटने के लिए बैठा हू...पता नही कब लूटेगी ये...''
राणा की बात केशव के तो उपर से निकल गयी..पर काजल की तिरछी निगाहों और स्माइल ने सब बयान कर दिया की वो समझ चुकी है की राणा क्या कहना चाहता है..
काजल : "केशव , तुम नीचे जाओ अब...ऐसे डिस्टर्ब करोगे तो मैं इसको लूटूँगी कैसे...''
उसने अपने होंठों को दाँत तले दबाकर कहा..
रसगुल्ले को निचोड़ने से जिस तरह से रस निकलता है, वैसे ही रस टपक गया काजल के होंठों से, जब उसने अपने दाँतों के बीच उन्हे भींचा..
राणा तो उसके रसीले होंठों को चूसने के लिए पागल सा हुआ जा रहा था..और अब तो काजल ने भी लाइन देनी शुरू कर दी थी...पर उसने भी सोच लिया था, अभी तक जैसे चल रहा था, वैसे ही चलने देगा..क्योंकि खेल खेलने में और धीरे-2 बेपर्दा करने मे जो मज़ा उसे मिल रहा था,वो उसे खोना नही चाहता था..
केशव : "ओके ...ओके ...मैं जा रहा हू ....मैं तो बस राणा के लिए ये पेग बना कर लाया था...चीयर्स ...''
और दारू का पेग राणा को देकर केशव नीचे चल दिया..
अब आलम ये था की राणा काजल के सामने नीचे से लगभग नंगा होकर बैठा था...उसका पठानी लंड अपने पूरे शबाब पर था..लगभग 9 इंच के आस पास...जो केशव से भी बड़ा था...अपने सामने ऐसे खड़े हुए लंड को देखकर काजल तो पागल सी हुई जा रही थी..ऐसा नज़ारा देखने को मिलेगा, उसने तो सोचा भी नही था.
पर साथ ही साथ उसका ध्यान गेम पर भी था...अब इतना तो उसे पता चल ही गया था की सामने से जब डबल चाल आए, इसका मतलब सामने वाले के पास भी बाड़िया पत्ते आए हैं...4 हज़ार की ब्लफ तो नही करेगा कोई...
उसने भी 4 हज़ार नीचे फेंकते हुए शो माँग लिया...
काजल ने पत्ते नीचे रखे...और राणा ने भी अपने पत्ते उसके सामने फेंक दिए..जिन्हे देखकर उसके मन में फिर से एक बार मायूसी छा गयी...वो समझ गयी की राणा अपनी जगह पर सही है...और उसके टोटके उसपर तभी भारी पड़ते हैं जब वो थोड़ा बड़-चड़कर उन्हे करता है...
और इस बार काजल ने भी सोच लिया की उसे क्या करना है..
और जब अगली गेम शुरू हुई तो काजल ने बिना राणा की तरफ देखे, अपनी टी शर्ट के गले की जीप नीचे करी..और ऐसा करते ही उसके दूधिया मुम्मे राणा की भूखी आँखों के सामने प्रकट हो गये..वो किसी दूध के पर्वत की तरह कठोरता लिए हुए कड़क अंदाज में खड़े हुए थे...सिर्फ़ निप्पल को छोड़कर सब सॉफ दिख रहा था राणा को...
काजल ने नोट लिया और उन्हे अपने दूधिया पर्वत पर घिसा...और उसे नीचे फेंक दिया..
राणा को और क्या चाहिए था...वो अपनी तरकीब में कामयाब हो गया था..अब वो इस खेल को एक नये आयाम तक ले जाना चाहता था....
राणा तो जैसे इसी पल का वेट कर रहा था...उसने भी अपनी पेंट और अंडरवीयर घुटनो से नीचे खिसका दिया..और हज़ार के नोट को बुरी तरह से घिस कर नीचे फेंक दिया.
काजल के सामने अब राणा का लंड पूरी तरह से नंगा था...उपर से नीचे तक...एकदम कठोर, कुतुब मीनार की तरह खड़ा था वो..काजल की आँखो में उसके लंड को पाने का लालच साफ़ झलक रहा था..राणा भी इस गेम के ज़रिए ज़्यादा देर तक तड़पना नही चाहता था..पर उसे बोले भी तो कैसे बोले...वो कुछ बोलने ही वाला था की नीचे से किसी के उपर आने की आवाज़ आई...
राणा ने झट से अपनी पेंट उपर खींच ली..और काजल ने भी अपनी जीप को बंद कर लिया..
उपर आने वाला केशव के अलावा कौन हो सकता था..उसके हाथ मे दारू का ग्लास था..शायद राणा और काजल के उपर आते ही नीचे दारू शुरू हो चुकी थी...केशव की हालत देखकर सॉफ लग रहा था की उसे चढ़ चुकी है..
केशव : "कौन जीत रहा है अभी तक....ह्म्*म्म्म''
राणा : "यार केशव...तेरी बहन ने तो मेरी हालत ही खराब कर रखी है...देख ना कितने नोट ले गयी मेरे...''
राणा ने काजल की जाँघ के नीचे दबे नोटों की तरफ इशारा करते हुए कहा..
केशव तो नशे मे था, ये सुनकर वो और मस्ती मे आ गया..और उसने झुक कर काजल को गले से लगा लिया..और उसके चेहरे पर चूम भी लिया : " ये तो मेरी चेम्पियन है...देखना अभी तू...तेरे सारे पैसे लूट लेगी..''
राणा : "मैं तो कब से लुटने के लिए बैठा हू...पता नही कब लूटेगी ये...''
राणा की बात केशव के तो उपर से निकल गयी..पर काजल की तिरछी निगाहों और स्माइल ने सब बयान कर दिया की वो समझ चुकी है की राणा क्या कहना चाहता है..
काजल : "केशव , तुम नीचे जाओ अब...ऐसे डिस्टर्ब करोगे तो मैं इसको लूटूँगी कैसे...''
उसने अपने होंठों को दाँत तले दबाकर कहा..
रसगुल्ले को निचोड़ने से जिस तरह से रस निकलता है, वैसे ही रस टपक गया काजल के होंठों से, जब उसने अपने दाँतों के बीच उन्हे भींचा..
राणा तो उसके रसीले होंठों को चूसने के लिए पागल सा हुआ जा रहा था..और अब तो काजल ने भी लाइन देनी शुरू कर दी थी...पर उसने भी सोच लिया था, अभी तक जैसे चल रहा था, वैसे ही चलने देगा..क्योंकि खेल खेलने में और धीरे-2 बेपर्दा करने मे जो मज़ा उसे मिल रहा था,वो उसे खोना नही चाहता था..
केशव : "ओके ...ओके ...मैं जा रहा हू ....मैं तो बस राणा के लिए ये पेग बना कर लाया था...चीयर्स ...''
और दारू का पेग राणा को देकर केशव नीचे चल दिया..