22-04-2021, 11:43 AM
बूढ़ा मुझसे दूर हो गया था और दूसरी सीट पर जा कर बैठ गया था. मैने अपने पूरे कपड़े ठीक किए और शांति से स्टेशन आने का इंतजार करने लग गयी. मैं अपने मन ही मन मे सोच रही थी कि मैं क्या थी और क्या हो गयी. मैं मनीष के साथ साथ खुद को भी धोका दे रही हू. समझ मे ही नही आ रहा था कि मैने जो किया वो सही किया या ग़लत या जो कुछ भी मेरे साथ हो रहा था वो सही है या ग़लत कुछ भी समझ मे नही आ रहा है…..
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“ये सब क्या बकवास है” मनीष ने डायरी को टेबल पर ज़ोर से पटकते हुए थोड़ा गुस्से से चिल्लाते हुए कहा.
“ये डायरी आप की बीवी की है. और ये डायरी हमे इस बूढ़े के पास से आप की बीवी के पर्स मे से मिली है” पोलीस स्टेशन मे बैठे हुए उस पोलीस वाले ने मेरी तरफ देखते हुए कहा...
“कौन है ये बूढ़ा ?” मनीष ने उस बूढ़े को देख कर गुस्से से घूरते हुए कहा.
"ये वही बूढ़ा है, जिसके पास से हमे आप की बीवी का पर्स मिला है." पोलीस वाले ने अपनी कुर्सी से खड़ा हो कर मनीष की तरफ बढ़ते हुए कहा..
मनीष ने एक नज़र उस बूढ़े को देखा और उसके नज़दीक जाने लगा..
"कहाँ से मिला तुम्हे ये बॅग ?" मनीष ने उस बूढ़े आदमी का गलेबान पकड़ कर चिल्लाते हुए कहा..
"छोड़िए… छोड़िए… मनीष जी.. क्या कर रहे है आप" पोलीस वाले ने मनीष को गुस्से मे देख कर उसे बूढ़े से अलग करते हुए कहा..
"आप हमे ये बताइए कि इस डायरी मे जो कुछ भी लिखा है क्या वो सच है ?" पोलीस वाले ने मनीष को कुर्सी पर बैठने के लिए इशारा करते हुए कहा.
"बिल्कुल झूट है ये सब.. मेरी निशा ऐसी नही है.. वो तो एक दम सीधी साधी मासूम लड़की है.. मुझे लगता है इस बूढ़े ने ही पैसे के लालच मे मेरी निशा को मार दिया है और कही से ये डायरी लिखवा कर निशा के बॅग मे रख दी है." मनीष ने अपनी भीगी हुई आँखो के साथ पोलीस वाले को बताते हुए कहा..
मनीष की हालत बोहोत बुरी होती जा रही थी रो रो कर…
"संभलो अपने आप को मनीष.. रोने से कुछ नही होगा.. पोलीस अपनी तरफ से पूरी कोसिस कर रही है और जल्दी ही तुम्हारी पत्नी निशा का पता लगा लेगी.." पोलीस वाले ने मनीष को दिलासा देते हुए कहा "अच्छा एक बात बताओ जब आप अपनी पत्नी के साथ आखरी बार थे तो उनका बिहेवियर कैसा था.."
"कैसा बिहेवियर था मतलब… आप कहना क्या चाह रहे है.. मैने आप से कहा ना ये डायरी एक दम झूठी है.. इसका मेरी निशा से कुछ भी लेना देना नही है.." मनीष ने पोलीस वाले को सफाई देने वाले अंदाज मे कहा.
"अच्छा ठीक है.. अब आप जा सकते है.. अगर ज़रूरत पड़ी तो हम आप को दोबारा बुला लेगे.. और आप बे फिकर हो जाइए आप की पत्नी बोहोत ही जल्दी मिल जाएगी आप को" पोलीस वाले ने मनीष को दिलासा दिल कर वहाँ से जाने को कहा..
मनीष ने जाते हुए उस बूढ़े आदमी की तरफ गुस्से से घूर कर देखा और वहाँ से चला गया.
दोस्तो आप ये नही समझ पा रहे होंगे कि अभी तो निशा की बस मे बूढ़े के साथ मस्ती चल रही थी
फिर अचानक मनीष कहाँ से आ गया सिक्युरिटी कहाँ से आ गई . तो दोस्तो दरअसल हुआ ये था कि जब निशा बूढ़े के साथ मस्ती कर रही थी तभी उस बस का एक्सिडेंट सामने आते हुए ट्रक से हो गया था और बस में आग लग गई थी . एक्सिडेंट इतना भयानक था कि निशा की मौत हो गई थी . निशा बेहोश हो गई थी इसलिए बस से नही निकल पाई और बस मे ही जल गई थी इसीलिए उसे पहचाना नही जा सका क्योंकि मनीष को एक्सिडेंट का पता नही था . जब निशा शाम तक नही आई तो उसने पोलीस में कॉम्पलेंट की तब जाकर उसे ये सब बातें पता चली . निशा की बॉडी की पहचान नही हो पाई थी इसीलिए सब उसे लापता ही समझ रहे थे
The end
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“ये सब क्या बकवास है” मनीष ने डायरी को टेबल पर ज़ोर से पटकते हुए थोड़ा गुस्से से चिल्लाते हुए कहा.
“ये डायरी आप की बीवी की है. और ये डायरी हमे इस बूढ़े के पास से आप की बीवी के पर्स मे से मिली है” पोलीस स्टेशन मे बैठे हुए उस पोलीस वाले ने मेरी तरफ देखते हुए कहा...
“कौन है ये बूढ़ा ?” मनीष ने उस बूढ़े को देख कर गुस्से से घूरते हुए कहा.
"ये वही बूढ़ा है, जिसके पास से हमे आप की बीवी का पर्स मिला है." पोलीस वाले ने अपनी कुर्सी से खड़ा हो कर मनीष की तरफ बढ़ते हुए कहा..
मनीष ने एक नज़र उस बूढ़े को देखा और उसके नज़दीक जाने लगा..
"कहाँ से मिला तुम्हे ये बॅग ?" मनीष ने उस बूढ़े आदमी का गलेबान पकड़ कर चिल्लाते हुए कहा..
"छोड़िए… छोड़िए… मनीष जी.. क्या कर रहे है आप" पोलीस वाले ने मनीष को गुस्से मे देख कर उसे बूढ़े से अलग करते हुए कहा..
"आप हमे ये बताइए कि इस डायरी मे जो कुछ भी लिखा है क्या वो सच है ?" पोलीस वाले ने मनीष को कुर्सी पर बैठने के लिए इशारा करते हुए कहा.
"बिल्कुल झूट है ये सब.. मेरी निशा ऐसी नही है.. वो तो एक दम सीधी साधी मासूम लड़की है.. मुझे लगता है इस बूढ़े ने ही पैसे के लालच मे मेरी निशा को मार दिया है और कही से ये डायरी लिखवा कर निशा के बॅग मे रख दी है." मनीष ने अपनी भीगी हुई आँखो के साथ पोलीस वाले को बताते हुए कहा..
मनीष की हालत बोहोत बुरी होती जा रही थी रो रो कर…
"संभलो अपने आप को मनीष.. रोने से कुछ नही होगा.. पोलीस अपनी तरफ से पूरी कोसिस कर रही है और जल्दी ही तुम्हारी पत्नी निशा का पता लगा लेगी.." पोलीस वाले ने मनीष को दिलासा देते हुए कहा "अच्छा एक बात बताओ जब आप अपनी पत्नी के साथ आखरी बार थे तो उनका बिहेवियर कैसा था.."
"कैसा बिहेवियर था मतलब… आप कहना क्या चाह रहे है.. मैने आप से कहा ना ये डायरी एक दम झूठी है.. इसका मेरी निशा से कुछ भी लेना देना नही है.." मनीष ने पोलीस वाले को सफाई देने वाले अंदाज मे कहा.
"अच्छा ठीक है.. अब आप जा सकते है.. अगर ज़रूरत पड़ी तो हम आप को दोबारा बुला लेगे.. और आप बे फिकर हो जाइए आप की पत्नी बोहोत ही जल्दी मिल जाएगी आप को" पोलीस वाले ने मनीष को दिलासा दिल कर वहाँ से जाने को कहा..
मनीष ने जाते हुए उस बूढ़े आदमी की तरफ गुस्से से घूर कर देखा और वहाँ से चला गया.
दोस्तो आप ये नही समझ पा रहे होंगे कि अभी तो निशा की बस मे बूढ़े के साथ मस्ती चल रही थी
फिर अचानक मनीष कहाँ से आ गया सिक्युरिटी कहाँ से आ गई . तो दोस्तो दरअसल हुआ ये था कि जब निशा बूढ़े के साथ मस्ती कर रही थी तभी उस बस का एक्सिडेंट सामने आते हुए ट्रक से हो गया था और बस में आग लग गई थी . एक्सिडेंट इतना भयानक था कि निशा की मौत हो गई थी . निशा बेहोश हो गई थी इसलिए बस से नही निकल पाई और बस मे ही जल गई थी इसीलिए उसे पहचाना नही जा सका क्योंकि मनीष को एक्सिडेंट का पता नही था . जब निशा शाम तक नही आई तो उसने पोलीस में कॉम्पलेंट की तब जाकर उसे ये सब बातें पता चली . निशा की बॉडी की पहचान नही हो पाई थी इसीलिए सब उसे लापता ही समझ रहे थे
The end