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Thriller कामुक अर्धांगनी
तन बदन की गर्मी मेरे चेहरे से भापति मधु अपने आँखों को मारती मंद मंद मुश्काते अपने देवर के केसों को सहलाते निप्पलों को बदल मुझे चिढ़ाती जा रही थी
 
मेरा बदन एक दम से मधु को बाहों मे कस कर दबोच चूमने का हो चला था पर विवस्ता भी थी मेरे साथ कि एक दफे फिर योवन भड़का कर शांत करने के काबिल नही था मैं
 
 
वसंत के दांतों के बीच निप्पल्स खिंच कर चूसे जाने से उसका चेहरा कामुकता के भाव विभोर सा था पर मधु पहले की तरह उतावली नहीं जान पड़ रही थी आखिर जो औरत इनती देर लगातार योवन को चुदवा चुकी है उसके मन मे उबाल आसानी से कैसे सकता था
 
 
वसंत भी बिना किसी उन्मात के मधु के स्तनों को बच्चे की भांति बस निचोड़ पिए जा रहा था मानो उसने सच मे मधु को माँ मान लिया हो और वो स्तनों को बरी बारी दबाते योवन मे उतेजना का प्रभाव भी भरे जा रहा था जो देख मेरा नामर्द योवन तक उबाल मारने लगा था पर असहाय की तरह खुद को काबू कर मे क्रीड़ा देखने पर विवश था
 
 
मधु की पतली नाइटी बस अपने स्तनों को ही प्रदशित कर रही थी बाकी उसका जिस्म अभी भी पतली नाइटी के अंदर ही छिपा हुआ था जो समय अनुसार जल्द ही टुकड़ो मे बिखरने वाला था जो देखने की लालसा मेरे मन मे प्रचुर होते जा रही थी
 
 
आह देवर जी दाँतो से नहीं दुखता है उफ्फ धीरे खींचो अहह कहती वो अपने स्तनों से उठते दर्द को बयां किये जा रही थी पर उसका नटखट देवर निप्पलों पर दाँत लगा खुल कर वॉर कर अपने भाभी को मचलने पर विवश कर रहा था
 
 
मधु का हाथ धीरे से वसंत के कमर की ओर बढ़ने लगा और हौले से उसके ज़िप पर फेरते नज़रे मेरी ओर देख मन ही मन शायद बोले जा रही थी कि देखिए आपके भाई का लड़ एकदम कड़क हो गया दूध पी कर ,शरारती मधु अपने हाथों से वसंत का उभार पकड़ कर दबाए जा रही थी ,वसंत का लिंग पूर्ण रूप से कड़क था और मधु के हाथों मे फड़फड़ा रहा था और वसंत जान बूझ कर निप्पलों को ज़ोर से खिंचता मधु के चित्कारी निकाल अपने गर्म होने का एहसास कराता जा रहा था
 
 
कॉफ़ी देर यू मधु उसके लड़ को दबाती रही जो देख मेरा जी लड़ को देखने के लिए मचलने लगा और मैं इशारे से मधु को देख आँखों ही आँखों मे लड़ निकालने को बोला वो हँसते बोली खुद उतार दो मेरे बेटे के पैंट, वो तो माँ के दूध का प्यासा है अभी कहाँ कुछ और सूझ रहा इसे
 
 
मधु ने ऐसा बोल मुझे शर्मिंदा कर दिया पर वसंत स्तनों को चूसते रहा जिस वजह से मेरा सम्मान बचा महसूस करते मे हल्का मुँह फुला बैठा रहा जो देख मेरी प्यारी अर्धाग्नि बोली अजी आप भी ज़रा सी बात पर रूढ़ जाते है ये भी क्या कोई बात है ,आप ऐसे मुँह फुलायेंगे तो रहने दीजेए किसी से नहीं चुदना मुझे आप ही चाट चाट कर पानी पहले की तरह बहाते रहिए ,मधु ने वसंत को बोला चलो देवर जी घर जाओ बहुत दूध पी लिया अब निकलो बाकी अब मैं चली सोने
 
कहानी जारी रहेगी
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Messages In This Thread
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 21-04-2021, 11:06 PM



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