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Adultery मेहमान बेईमान
कब उसने मेरी छाती से मेरी ब्रा को अलग कर दिया मुझे पता ही नही चला. और मेरी ब्रा को अपने हाथ मे पकड़ कर वो बोला कि “आज बोहोत दिनो बाद हाथ मे आई है. सालो हो गये हाथ मे लिए हुए’’ कह कर उसने मेरी ब्रा को चूमा और वही अपनी बगल मे ही रख लिया.

ब्रा के हटते ही मेरे दोनो उरोज ब्लाउस के बटन खुले होने की वजह से बाहर आ कर झाँकने लग गये. उसने बिना देर किए मेरे एक उरोज को अपने हाथ मे पकड़ लिया और दूसरे पर अपना मुँह लगा लिया. वो किसी छोटे बच्चे के जैसे मेरे उरोज पर अपना मुँह लगा कर उसे सक कर रहा था. 

“तुम्हारे दूध का टेस्ट तो बोहोत अच्छा है इतना टेस्टी तो मेरी बीवी के दूध का भी नही था.” उसने मेरे उरोज को मुँह मे लेकर चूसने के बाद कहा और फिर दूसरे वाले उरोज को भी मुँह मे ले कर सक करने लग गया. उसके सक करने का स्टाइल ऐसा था कि मुझे मेरे पूरे शरीर मे कंप-कंपी महसूस होने लगी. वो मेरे निपल को मुँह मे लार जैसे बिना दाँत वाला बच्चा चबा चबा कर दूध पीता है. वैसे ही वो भी मेरे निपल को सक कर रहा था.

उसने इसी बात का फ़ायदा उठा कर कर मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी 3” इंच के छोटे से लिंग पर रख दिया. निपल चूस्ते चूस्ते ही उसका हाथ मेरी साड़ी के अंदर से मेरी थाइस को सहलाते सहलाते हुए मेरी योनि तक आ गया. उसके हाथ को अपनी योनि पर महसूस करते ही. मैं बुरी तरह से हॅड-बड़ा गयी.. मुझे हॅड-बडाता हुआ देख कर उसने अपना हाथ फ़ौरन वहाँ से हटा लिया. और वापस से मेरी थाइस को सहलाने ला गया. पर वो मेरी थाइस सहलाते सहलाते वो बीच बीच मे अपने हाथो को मेरी योनि पर ले जाता और मेरी योनि के उपर भी अपना हाथ फिरा देता.

“एक बात कहूँ.” बूढ़े ने अपने मुँह को मेरे मुँह के एक दम करीब लाते हुए कहा. उसका मुँह अपने इतने करीब महसूस करते ही मुझे उसके मुँह से आती हुई गंदी सी स्मेल महसूस हुई. पर मैने उसके मुँह से आती हुई बदबू को नीग्लेट करते हुए उसकी बात को सुन कर कहा 

“क्या..!!!” मुझे लगा कि वो अब मुझसे अपने लिंग को सहलाने के लिए कहेगा. क्यूकी उसने मेरे हाथ को अपने लिंग पर रख तो लिया था पर मैने कुछ किया नही था. 

“मेरी बीवी भी बिल्कुल तुम्हारी तरह ही करती थी. उसे आदमी और औरत के रिश्ते के बारे मे कुछ नही पता था इस लिए वो कुछ करती नही थी. हर बार मुझे ही कहना पड़ता था. मुझे लगा कि गाँव की अनपढ़ लड़की है इस लिए वो कुछ नही जानती है पर तुम्हे देख कर अब समझ मे आ रहा है कि सब औरत एक सी होती है. पता सब को होता है कि क्या करना है पर करती कुछ नही है” बूढ़े ने अपनी बात कह कर अपने हाथ को मेरी थाइस से घूमाते हुए योनि पर ले जाकर पैंटी के अंदर से अपनी एक उंगली मेरी योनि मे घुसा दी.

उसने अपनी उंगली एक ही झटके मे इस तरह से अंदर कर दी कि मेरे पूरे शरीर मे दर्द की सी एक लहर दौड़ गयी. जिस वजह से मेरे मुँह से हल्की सी आह निकल गई. पर उस दर्द मे भी एक अलग मज़ा था. दर्द के कारण मेरी आँख खुल गयी और जब बाहर की तरफ देखा तो स्टेशन बिल्कुल नज़दीक आ गया था जहाँ मुझे उतरना था इस लिए मैने उसे अपने से अलग होने को बोल दिया और अपने सब कपड़े ठीक करने लग गयी..
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 21-04-2021, 11:49 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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