21-04-2021, 11:48 AM
वो एक बार फिर से बुरी तरह से घबरा रहा था. अभी तक जितनी बार मे किसी के साथ इस तरह से हुई थी हर बार मेरी हालत डरी हुई होती थी पर इस बार बिल्कुल उल्टा था मैं ठीक थी और बूढ़ा मेरी जगह पर डरा हुआ था. उसके चहरे पर दया और घबराहट के मिले जुले भाव सॉफ दिखाई दे रहे थे. मैने एक नज़र फिर से उसकी तरफ देखा उसका 3” इंच का लिंग उसके हाथ मे था और वो उसे सहला रहा था.
“मैने तुम्हे अपनी सारी कहानी सुना दी. क्या तुम्हे मेरी कहानी सुन कर ज़रा भी दया नही आ रही है .” बूढ़े ने फिर से मेरे आगे गिडगीडा कर रोनी सी आवाज़ मे कहा.
वो जिस तरह गिड-गीडा कर मेरे आगे मुझसे रिक्वेस्ट कर रहा था मुझे उसकी हालत पर दया आ गयी इस लिए मैने उस से पूछा कि “मैं क्या कर सकती हू ?”
“तुम क्या नही कर सकती हो.. तुम सब कुछ कर सकती हो. उपर वाले ने तुम्हे वो चीज़ दी है जिसके बल पर तुम कुछ भी कर सकती हो कुछ भी करवा सकती हो” बूढ़े ने मुझे मक्खन लगाते हुए कहा.
“ऐसा कुछ नही है. उपर वाले ने कुछ भी नही दिया है. तुम्हे मेरे पास कोन सी जादू की छड़ी दिख गयी जो तुम ये बात बोल रहे हो” मैने भी अपनी तारीफ सुन कर थोड़ा बन ते हुए उस से पूछा.
“जादू की च्छड़ी ही दी है तुम्हे. और वो जादू की च्छड़ी है तुम्हारी खूबसूरती जिसके बल पर तुम कुछ भी कर सकती हो. किसी को भी अपनी उंगली पर नचा सकती हो.” बूढ़े ने फिर से एक बार अपनी चिकनी चुपड़ी बातो से मुझे अपने जाल मे फँसाने की कोसिस की.
“ह्म्म..!! पर तुम मुझसे क्या चाहते हो ?” मैने उसकी पूरी बात सुनते हुए कहा.
“कुछ नही.. बस थोड़ी सी दया मेरे उपर कर दो. अपनी इस खूबसूरती का रस थोड़ा सा मुझे भी चखा दो” बूढ़े ने इस बार थोड़ा खुल कर बोलते हुए कहा.
“क्या मतलब है तुम्हारा ? तुमने क्या मुझे ऐसा वैसा समझ रखा है?” मैने उस पर फिर से थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा.
“नही !! मेरा मतलब वो नही है. पर अगर तुम मेरा थोड़ा भला कर दोगे तो तुम्हारा तो कुछ कम नही होगा पर मेरा जीवन धन्य हो जाएगा”
हम दोनो ही बोहोत धीमी आवाज़ मे बात कर रहे थे ताकि किसी को सुनाई ना दे और मैं बीच बीच मे ये भी देख रही थी कि कोई हमारी तरफ तो नही देख रहा है क्यूकी उसे तो कोई फरक पंडा नही था फरक मुझे ही पंडा था. मैं उसकी बात सुन कर कुछ नही बोलती. पर उसका लिंग देख कर और उसकी सुनाई हुई कहानी सोच कर मुझे बड़ी हैरानी होती है. क्यूकी अमित, मुकेस, संजय और रामकुमार के लिंग का साइज़ याद करके मैं सोच मे पड़ गई. क्या ये मुमकिन है कि इसकी बीवी को इसके 3” इंच के लिंग के साथ सेक्स करके मजा आता होगा ? क्यूकी जब से मैने अमित के साथ सेक्स किया था तो ये महसूस किया था कि जैसे ही उसका लिंग मेरी योनि की गहराई मे जितना ज़्यादा जाता था मुझे उतना ही ज़्यादा मज़ा आता था. ये बात समझ मे ही नही आ रही थी और उपर से वो मेरे आगे जिस तरह से गिडगीडा रहा था मुझे उस पर तरस आ गया. और वैसे भी कुछ ही देर मे स्टेशन आने वाला था इस लिए मैं उसे हां बोल दिया क्यूकी मुझे पता था कि कुछ भी ऐसा वैसा होने से पहले ही मेरा स्टेशन आ जाएगा और मैं उतर जाउन्गि.
“ठीक है..!!! मैं तुम्हे को-ऑपरेट करने को तैयार हू पर एक शर्त है.. तुम्हे जो कुछ भी करना है सिर्फ़ उपर से ही करोगे.”
“मैने तुम्हे अपनी सारी कहानी सुना दी. क्या तुम्हे मेरी कहानी सुन कर ज़रा भी दया नही आ रही है .” बूढ़े ने फिर से मेरे आगे गिडगीडा कर रोनी सी आवाज़ मे कहा.
वो जिस तरह गिड-गीडा कर मेरे आगे मुझसे रिक्वेस्ट कर रहा था मुझे उसकी हालत पर दया आ गयी इस लिए मैने उस से पूछा कि “मैं क्या कर सकती हू ?”
“तुम क्या नही कर सकती हो.. तुम सब कुछ कर सकती हो. उपर वाले ने तुम्हे वो चीज़ दी है जिसके बल पर तुम कुछ भी कर सकती हो कुछ भी करवा सकती हो” बूढ़े ने मुझे मक्खन लगाते हुए कहा.
“ऐसा कुछ नही है. उपर वाले ने कुछ भी नही दिया है. तुम्हे मेरे पास कोन सी जादू की छड़ी दिख गयी जो तुम ये बात बोल रहे हो” मैने भी अपनी तारीफ सुन कर थोड़ा बन ते हुए उस से पूछा.
“जादू की च्छड़ी ही दी है तुम्हे. और वो जादू की च्छड़ी है तुम्हारी खूबसूरती जिसके बल पर तुम कुछ भी कर सकती हो. किसी को भी अपनी उंगली पर नचा सकती हो.” बूढ़े ने फिर से एक बार अपनी चिकनी चुपड़ी बातो से मुझे अपने जाल मे फँसाने की कोसिस की.
“ह्म्म..!! पर तुम मुझसे क्या चाहते हो ?” मैने उसकी पूरी बात सुनते हुए कहा.
“कुछ नही.. बस थोड़ी सी दया मेरे उपर कर दो. अपनी इस खूबसूरती का रस थोड़ा सा मुझे भी चखा दो” बूढ़े ने इस बार थोड़ा खुल कर बोलते हुए कहा.
“क्या मतलब है तुम्हारा ? तुमने क्या मुझे ऐसा वैसा समझ रखा है?” मैने उस पर फिर से थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा.
“नही !! मेरा मतलब वो नही है. पर अगर तुम मेरा थोड़ा भला कर दोगे तो तुम्हारा तो कुछ कम नही होगा पर मेरा जीवन धन्य हो जाएगा”
हम दोनो ही बोहोत धीमी आवाज़ मे बात कर रहे थे ताकि किसी को सुनाई ना दे और मैं बीच बीच मे ये भी देख रही थी कि कोई हमारी तरफ तो नही देख रहा है क्यूकी उसे तो कोई फरक पंडा नही था फरक मुझे ही पंडा था. मैं उसकी बात सुन कर कुछ नही बोलती. पर उसका लिंग देख कर और उसकी सुनाई हुई कहानी सोच कर मुझे बड़ी हैरानी होती है. क्यूकी अमित, मुकेस, संजय और रामकुमार के लिंग का साइज़ याद करके मैं सोच मे पड़ गई. क्या ये मुमकिन है कि इसकी बीवी को इसके 3” इंच के लिंग के साथ सेक्स करके मजा आता होगा ? क्यूकी जब से मैने अमित के साथ सेक्स किया था तो ये महसूस किया था कि जैसे ही उसका लिंग मेरी योनि की गहराई मे जितना ज़्यादा जाता था मुझे उतना ही ज़्यादा मज़ा आता था. ये बात समझ मे ही नही आ रही थी और उपर से वो मेरे आगे जिस तरह से गिडगीडा रहा था मुझे उस पर तरस आ गया. और वैसे भी कुछ ही देर मे स्टेशन आने वाला था इस लिए मैं उसे हां बोल दिया क्यूकी मुझे पता था कि कुछ भी ऐसा वैसा होने से पहले ही मेरा स्टेशन आ जाएगा और मैं उतर जाउन्गि.
“ठीक है..!!! मैं तुम्हे को-ऑपरेट करने को तैयार हू पर एक शर्त है.. तुम्हे जो कुछ भी करना है सिर्फ़ उपर से ही करोगे.”