05-04-2019, 11:11 AM
मम्मी, पूरी तरह से अंकल के जाल में फँस चुकी थीं।।
हमेशा फोन पर उनके साथ रहना, मैसेज पर देर रात तक चैटिंग करना।।
मुझे याद है, आज जो घटना मैंने देखी थी उसके दो दिन पहले, मैंने मम्मी का मोबाइल चेक किया था।।
3 बजे सुबह तक, दोनों की बातचीत थी।।
मेरी मम्मी जिस सड़क पर चल रही थीं, वो सिर्फ़ “वैश्यालय” पर, ख़तम होती थी।।
कभी कभी तो मैं मम्मी का अंजाम सोच कर ही, काँप जाता था।।
अंकल मम्मी के सामने तो किसी “देव मूरत” के कम नहीं थे पर उनका असली चेहरा, कितना “घिनोना” था, ये सिर्फ़ मैं ही जानता था।।
अगर, मेरे पापा पूरब थे तो अंकल पश्चिम।।
और ऐसे बहरूपीए के लिए, मेरी माँ ने मेरे पापा की पीठ में खंजर घुसा दिया था।।
खैर.. !!
शाम को 5 बजे, मम्मी सो के उठीं और चाय बना कर लेके आईं।।
मैं उस समय, पढ़ रहा था।।
मैं चुप था।।
मम्मी ने पूछा – क्या हुआ.. !! आज जब से आया है, चुप है.. !! खोया खोया भी रहता है, आज कल.. !! बात क्या है.. !!
मैंने कहा – कुछ नहीं.. !!
मम्मी ने कहा – क्या हुआ बोल ना, बेटा.. !!
उनके मुँह से बेटा सुनते ही, ना जाने क्यूँ मेरा खून खोल उठा।।
मैंने अपने उपर संयम रखते हुए कहा – कुछ नहीं हुआ, मम्मी.. !! पढ़ने दो, बस.. !!
मम्मी 10 मिनट, बैठीं रहीं।।
मैं बीच बीच में, तिरछी नज़र से देख रहा था।।
वो, मेरी ही तरफ देख रही थीं।।
कुछ देर बाद उन्होंने खड़ी होके, मेरे सिर पर हाथ फेरा और कमरे से निकल के उन्होंने जाते जाते, मेरे कमरे का दरवाज़े चिपका दिया।।
मैं पढ़ने लगा या कहिए, कोशिश करने लगा।।
मम्मी ने, टीवी चला ली।।
मैं आधे घंटे तक, अपने कमरे में था।।
उसके बाद, बाहर आया।।
मम्मी, सोफे पर नहीं थीं।।
टीवी, चल रहा था।।
मम्मी हॉल वाले, बालकनी में थीं और फोन पर बात कर रही थीं।।
मुझे लगा, अंकल का फोन है।।
मैं उधर जाने लगा, बात सुनने के लिए।।
मैं कुछ दूर गया था की मम्मी ने बालकनी का दरवाज़े खोल दिया और कहा – प्रणव, पापा से बात करो.. !!
चलो, आज मेरा शक ग़लत था।।
उस समय, फोन पर पापा थे।।
पापा ने पूछा – क्या हुआ, मेरे बच्चे.. !! मम्मी कह रही हैं, तुम कुछ बोल नहीं रहे हो.. !!
मैंने कहा – कुछ नहीं हुआ है, पापा.. !! बस, थोड़ा थका हुआ हूँ.. !! और फिर मैंने, फोन मम्मी को दे दिया।।
पता नहीं क्यों, मैंने पापा से कुछ नहीं कहा।।
ये बात, मुझे आज तक समझ में नहीं आई।।
अगले दिन, मैं सुबह उठ के कॉलेज चला गया।।
मैं जानता था की मेरे दोस्त के पापा, मेरी मम्मी को चोद रहे होंगे लेकिन मैं क्या कर सकता था।।
वो मेरी मम्मी की इज़्ज़त नहीं लूट रहे थे, मम्मी अपनी मर्ज़ी से उनके नीचे लेट रही थीं।।
उस दिन मैं घर पहुँचा, शाम के समय।।
कॉलेज के बाद, ना जाने कहाँ कहाँ घूमता रहा।।
मेरी मम्मी, बगल वाली आंटी के यहाँ गई थीं।।
हमेशा फोन पर उनके साथ रहना, मैसेज पर देर रात तक चैटिंग करना।।
मुझे याद है, आज जो घटना मैंने देखी थी उसके दो दिन पहले, मैंने मम्मी का मोबाइल चेक किया था।।
3 बजे सुबह तक, दोनों की बातचीत थी।।
मेरी मम्मी जिस सड़क पर चल रही थीं, वो सिर्फ़ “वैश्यालय” पर, ख़तम होती थी।।
कभी कभी तो मैं मम्मी का अंजाम सोच कर ही, काँप जाता था।।
अंकल मम्मी के सामने तो किसी “देव मूरत” के कम नहीं थे पर उनका असली चेहरा, कितना “घिनोना” था, ये सिर्फ़ मैं ही जानता था।।
अगर, मेरे पापा पूरब थे तो अंकल पश्चिम।।
और ऐसे बहरूपीए के लिए, मेरी माँ ने मेरे पापा की पीठ में खंजर घुसा दिया था।।
खैर.. !!
शाम को 5 बजे, मम्मी सो के उठीं और चाय बना कर लेके आईं।।
मैं उस समय, पढ़ रहा था।।
मैं चुप था।।
मम्मी ने पूछा – क्या हुआ.. !! आज जब से आया है, चुप है.. !! खोया खोया भी रहता है, आज कल.. !! बात क्या है.. !!
मैंने कहा – कुछ नहीं.. !!
मम्मी ने कहा – क्या हुआ बोल ना, बेटा.. !!
उनके मुँह से बेटा सुनते ही, ना जाने क्यूँ मेरा खून खोल उठा।।
मैंने अपने उपर संयम रखते हुए कहा – कुछ नहीं हुआ, मम्मी.. !! पढ़ने दो, बस.. !!
मम्मी 10 मिनट, बैठीं रहीं।।
मैं बीच बीच में, तिरछी नज़र से देख रहा था।।
वो, मेरी ही तरफ देख रही थीं।।
कुछ देर बाद उन्होंने खड़ी होके, मेरे सिर पर हाथ फेरा और कमरे से निकल के उन्होंने जाते जाते, मेरे कमरे का दरवाज़े चिपका दिया।।
मैं पढ़ने लगा या कहिए, कोशिश करने लगा।।
मम्मी ने, टीवी चला ली।।
मैं आधे घंटे तक, अपने कमरे में था।।
उसके बाद, बाहर आया।।
मम्मी, सोफे पर नहीं थीं।।
टीवी, चल रहा था।।
मम्मी हॉल वाले, बालकनी में थीं और फोन पर बात कर रही थीं।।
मुझे लगा, अंकल का फोन है।।
मैं उधर जाने लगा, बात सुनने के लिए।।
मैं कुछ दूर गया था की मम्मी ने बालकनी का दरवाज़े खोल दिया और कहा – प्रणव, पापा से बात करो.. !!
चलो, आज मेरा शक ग़लत था।।
उस समय, फोन पर पापा थे।।
पापा ने पूछा – क्या हुआ, मेरे बच्चे.. !! मम्मी कह रही हैं, तुम कुछ बोल नहीं रहे हो.. !!
मैंने कहा – कुछ नहीं हुआ है, पापा.. !! बस, थोड़ा थका हुआ हूँ.. !! और फिर मैंने, फोन मम्मी को दे दिया।।
पता नहीं क्यों, मैंने पापा से कुछ नहीं कहा।।
ये बात, मुझे आज तक समझ में नहीं आई।।
अगले दिन, मैं सुबह उठ के कॉलेज चला गया।।
मैं जानता था की मेरे दोस्त के पापा, मेरी मम्मी को चोद रहे होंगे लेकिन मैं क्या कर सकता था।।
वो मेरी मम्मी की इज़्ज़त नहीं लूट रहे थे, मम्मी अपनी मर्ज़ी से उनके नीचे लेट रही थीं।।
उस दिन मैं घर पहुँचा, शाम के समय।।
कॉलेज के बाद, ना जाने कहाँ कहाँ घूमता रहा।।
मेरी मम्मी, बगल वाली आंटी के यहाँ गई थीं।।