05-04-2019, 11:09 AM
अभी मैं रोड पर ही था की मैंने दरवाज़े से अंकल को निकलते हुए देखा।।
मैं चुप चाप, अपने घर के लिए चला गया।।
मैंने, कॉल बेल बजाया।।
मम्मी ने दरवाज़ा खोला।।
उन्होंने, अभी नाइटी पहन रखी थीं और शायद पैंटी और ब्रा नहीं पहना हुआ था इस लिए की उनकी चुचि साफ शेप मे दिख रही थी।।
पूरी “तनी” हुई थी।।
मैं अंदर गया और मम्मी ने कहा – मैं नहा के आती हूँ.. !! उसके बाद, खाना खाते हैं.. !!
मैं चुप चाप अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदल के, घर के कपड़ों में आ गया।।
मम्मी, बाथरूम में थीं।।
मैं उनके कमरे में गया।।
चादर, उसी तरह बिखरा हुआ था और बिस्तर पर मम्मी की एक टूटी चुडी का टुकड़ा, गिरा हुआ था।।
मुझे पैर के नीचे थोड़ा लगा, जैसे कुछ फिसल रहा है।।
मैंने झट से, अपना पाँव हटाया।।
नीचे कॉन्डम था और उसमें, अंकल का “वीर्य” भरा हुआ था।।
मेरे पाँव रखने से, फैल गया था।।
मैंने सबसे पहले जाके, अपना पाँव धोया और अपने बिस्तर पर चुप चाप बैठ गया।।
पढ़ने वालों में से शायद ही कोई हो, जो मेरी स्थिति समझे।।
मम्मी नहा के आईं और अपना स्कर्ट और टॉप पहन के, कमरे से बाहर आ गईं।।
मेरी मम्मी ने सफेद स्कर्ट पहन रखी थी और नीले रंग की टॉप।।
मम्मी की स्कर्ट, बहुत छोटी सी थी और जैसे ही वो थोड़ा इधर उधर होतीं, उनकी नीली पैंटी साफ झलक रही थीं।।
मम्मी ने खाना निकाला और हमने, खाना खाया।।
उसके बाद, मम्मी अपने कमरे में चली गईं और सो गईं।।
मैं अपने ही कमरे में था।।
अब मेरी मम्मी अपनी मर्ज़ी से, अंकल को घर पर बुलाती हैं।।
पिछले कुछ दिनों मे अंकल ने ना जाने कितने बार, मेरी मम्मी को चोदा होगा।।
पटक पटक कर, अपनी कुतिया बना कर।।
और मेरी, दो कौड़ी की, रंडी माँ ना जाने कितनी बार, टाँगें उठा कर उससे चुदी होगी।।
हर बार एक पति के, एक बेटे के भरोसे को, प्यार को, विश्वास को, उसने अपने नंगे बदन के नीचे, रोन्द डाला था।।
अगर सच में नर्क होता है तो शायद, इससे बुरा नहीं होता होगा।।
खैर.. !!
ऐसा नहीं था की, मैं कमजोर था।।
सोचिए, क्या होता अगर मैं उनकी चुदाई के वक़्त, उनके सामने पहुँच जाता और उन्हें रंगे हाथों पकड़ लेता।।
एक माँ बेटे का रिश्ता, वहीं ख़तम हो जाता।।
हो सकता था, मुँह बंद रखने के लिए या पकड़े जाने के डर से अंकल मुझे या मम्मी को कुछ नुकसान भी पहुँचा देते।।
भले ही ये बात इतनी ख़ास ना हो, पर पूरी जिंदगी में मेरी मम्मी मुझसे कभी नज़र नहीं मिला पाती।।
मैं चुप चाप, अपने घर के लिए चला गया।।
मैंने, कॉल बेल बजाया।।
मम्मी ने दरवाज़ा खोला।।
उन्होंने, अभी नाइटी पहन रखी थीं और शायद पैंटी और ब्रा नहीं पहना हुआ था इस लिए की उनकी चुचि साफ शेप मे दिख रही थी।।
पूरी “तनी” हुई थी।।
मैं अंदर गया और मम्मी ने कहा – मैं नहा के आती हूँ.. !! उसके बाद, खाना खाते हैं.. !!
मैं चुप चाप अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदल के, घर के कपड़ों में आ गया।।
मम्मी, बाथरूम में थीं।।
मैं उनके कमरे में गया।।
चादर, उसी तरह बिखरा हुआ था और बिस्तर पर मम्मी की एक टूटी चुडी का टुकड़ा, गिरा हुआ था।।
मुझे पैर के नीचे थोड़ा लगा, जैसे कुछ फिसल रहा है।।
मैंने झट से, अपना पाँव हटाया।।
नीचे कॉन्डम था और उसमें, अंकल का “वीर्य” भरा हुआ था।।
मेरे पाँव रखने से, फैल गया था।।
मैंने सबसे पहले जाके, अपना पाँव धोया और अपने बिस्तर पर चुप चाप बैठ गया।।
पढ़ने वालों में से शायद ही कोई हो, जो मेरी स्थिति समझे।।
मम्मी नहा के आईं और अपना स्कर्ट और टॉप पहन के, कमरे से बाहर आ गईं।।
मेरी मम्मी ने सफेद स्कर्ट पहन रखी थी और नीले रंग की टॉप।।
मम्मी की स्कर्ट, बहुत छोटी सी थी और जैसे ही वो थोड़ा इधर उधर होतीं, उनकी नीली पैंटी साफ झलक रही थीं।।
मम्मी ने खाना निकाला और हमने, खाना खाया।।
उसके बाद, मम्मी अपने कमरे में चली गईं और सो गईं।।
मैं अपने ही कमरे में था।।
अब मेरी मम्मी अपनी मर्ज़ी से, अंकल को घर पर बुलाती हैं।।
पिछले कुछ दिनों मे अंकल ने ना जाने कितने बार, मेरी मम्मी को चोदा होगा।।
पटक पटक कर, अपनी कुतिया बना कर।।
और मेरी, दो कौड़ी की, रंडी माँ ना जाने कितनी बार, टाँगें उठा कर उससे चुदी होगी।।
हर बार एक पति के, एक बेटे के भरोसे को, प्यार को, विश्वास को, उसने अपने नंगे बदन के नीचे, रोन्द डाला था।।
अगर सच में नर्क होता है तो शायद, इससे बुरा नहीं होता होगा।।
खैर.. !!
ऐसा नहीं था की, मैं कमजोर था।।
सोचिए, क्या होता अगर मैं उनकी चुदाई के वक़्त, उनके सामने पहुँच जाता और उन्हें रंगे हाथों पकड़ लेता।।
एक माँ बेटे का रिश्ता, वहीं ख़तम हो जाता।।
हो सकता था, मुँह बंद रखने के लिए या पकड़े जाने के डर से अंकल मुझे या मम्मी को कुछ नुकसान भी पहुँचा देते।।
भले ही ये बात इतनी ख़ास ना हो, पर पूरी जिंदगी में मेरी मम्मी मुझसे कभी नज़र नहीं मिला पाती।।