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Adultery मम्मी बनी मेरे दोस्त के पापा की रखैल
#17
अब कंबल के नीचे से, अंकल ने अपना लण्ड सही किया और एक धक्का मारा।।

मम्मी थोड़ी सी हिलीं और छत की तरफ देखती हुई, वैसे ही पड़ी रहीं।।

अंकल ने कहा – बस महक.. ! हो गया.. ! आ आ आ अहह.. !

मम्मी ने अब भी कुछ नहीं कहा और छत की तरफ टकटकी लगाए, देखती रहीं।।

अंकल ने कहा – कुछ देर और महक.. ! और, एक और धक्का मारा और धीरे धीरे, मम्मी की फुददी मे लण्ड ठुसने लगे।।

मैंने देखा, अब मम्मी की आँखों से आँसू निकल रहे थे पर वो वैसी ही पड़ी हुई थीं।।

अंकल बड़ी बेशरमी से मेरी मम्मी के आँसू चाटते हुए, उन्हें चोदने लगे और ठप ठप ठप ठप ठप की आवाज़ आने लगी।।

मम्मी के चेहरे पर कोई “भाव” नहीं था।।

ना दर्द का।। ना चुदाई का।।

बस उनकी आँखों से आँसू टपक रहे थे और वो एक टक छत की तरफ देख रहीं थीं।।

उन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था की अंकल उन्हें चोद रहे हैं या क्या कर रहे हैं।।

असल में, अंकल को भी मम्मी की हालत से कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था।।

वो अपनी मस्ती में ही कहते जा रहे थे – महक, तेरी फुददी में एक अलग मज़ा है.. ! सुकून है.. ! ठंडा कर दे, मुझे रानी.. ! आ आ आ अहह.. !

अंकल, अब मेरी “जिंदा लाश मम्मी” को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे।।

मम्मी की तरफ से, बस उनकी चूडी और पायल की छन छन की आवाज़ आ रही थी और किसी भी तरह से नहीं लग रहा था की वो जिंदा हैं.. !

बस बस हो गया.. ! आ आ आहह.. ! की आवाज़ के साथ, अंकल शांत हो गये और धीरे धीरे, कमर हिलाने लगे।।

उन्होंने अपना वीर्य मेरी मम्मी की फुददी में गिरा दिया और अब वो उन के ऊपर लेट गये।।

बस, हो गया.. ! अब सच में नहीं करूँगा.. ! आँसू पोछ लो.. ! अब नहीं करूँगा, तुम्हारी कसम.. ! ये बोलते बोलते, अंकल ने लाइट ऑफ कर दी।।

कुछ देर तक, अंकल कुछ कुछ बोलते रहे पर मम्मी की तरफ से कोई जवाब नहीं आ रहा था।।

मुझे डर था की कहीं मम्मी को सुबह तक कुछ हो ना जाए पर मैं कुछ नहीं कर सकता था।।

रात के, नहीं नहीं सुबह के लगभग 5 बज गये थे और बारिश भी धीमी थी।।

मैं घर के लिए निकल गया और अपने बिस्तर पर आने के बाद, कुछ देर तक मेरे दिमाग़ में वही सब चल रहा था।।

मेरे बेस्ट फ्रेंड के पापा ने, मम्मी को चोदा है।।

मैं कुछ नहीं कर सकता था क्यूंकि अंकल ने मेरी मम्मी के साथ कोई ज़बरदस्ती नहीं की थी और उन्होंने मम्मी को उनकी मर्ज़ी से चोदा है।।

पापा को बताने का मतलब था, दोनों का “तलाक़”।।

मैं श्लोक को भी बता नहीं सकता था क्यूंकि वो कभी नहीं मानेगा।।

अगर आँखों से नहीं देखा होता तो मैं भी नहीं मानता की मेरी मम्मी उसके पापा से चुद कर आई हैं।। फिर, वो कैसे मानता।।

मैं ये भी नहीं समझ पा रहा था मम्मी पर गुस्सा आना चाहिए या आख़िर में जो उनकी हालत थी, उस पर तरस।।

ऐसे ही ये सब सोचते सोचते, मेरी आँख लग गई।।

सुबह 9 बजे के करीब, जब मैं जागा तब भी मम्मी घर नहीं आई थीं।।

लगभग एक घंटे बाद, कॉल बेल बजी।।

मैंने दरवाज़े खोला।।

मम्मी ही थीं।।

उनकी आँखों में नींद भरी हुई थीं और अभी भी वो बहुत थकी हुई लग रही थीं।।

उन्हें अभी भी खड़े होने के लिए, दरवाज़े का सहारा लेना पड़ रहा था।।

मैंने मम्मी से पूछा – मम्मी, आप कहाँ थीं, रात भर.. ! ??

मम्मी ने मेरी आँखों में आँखें डाल कर, मुझसे साफ साफ झूठ बोल दिया और कहा की वो एक आंटी की तबीयत खराब होने पर, उनके के साथ चली गई थीं उनको घर छोड़ने और बारिश की वजह से, आंटी ने उन्हें घर पर ही रोक लिया।।

मैंने भी उनसे, कुछ नहीं कहा।।

मैं उन्हें ये नहीं जानने देना चाहता था की मैंने सब देखा है।।

फिर उन्होंने कहा – बेटा, मैं बहुत थक गई हूँ.. ! मैं सोने जा रही हूँ.. !

अंदर जाकर, उन्होंने अपने रूम को अंदर से बंद कर दिया और सो गईं।।

उनकी नींद, रात के 9 बजे खुली।।

मैंने मम्मी के लिए चाय बनाई और फिर वो नहाने चली गयीं।।
[Image: 2950623_012_2114.jpg]
नहा के आने के बाद, मम्मी एकदम सामान्य हो गईं।।

उन्हें देख कर लग ही नहीं रहा था की कल पूरी रात, वो एक गैर मर्द के साथ थीं।।
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RE: मम्मी बनी मेरे दोस्त के पापा की रखैल - by badmaster122 - 05-04-2019, 10:53 AM



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