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Adultery एक नंबर के ठरकी (from internet)
#88
और इन दस मिनटों में बाहर क्या हुआ, ये भी देखते है ।

जब राहुल ने सबा को अपनी जगह पर बैठने को कहा था तो उसे अपने बीच बिठाकर सभी ठर्कियों की तो मौज ही हो गयी थी...कारण था उसकी ड्रेस.... आज सबा ने जो ड्रेस पहनी हुई थी , उसका गला काफ़ी खुला था...और बिना दुपट्टे वाला था.. इसलिए जब वो उन हरामियों के बीच बैठी तो उसके आधी से ज़्यादा नंगी छातियों की सफेदी देखकर पत्तो पर तो किसी की नज़र ही नही गयी.... सब उसके मुम्मो को अपनी-2 आँखो से चोदने में लगे थे...

उनमे से सिर्फ़ शशांक को छोड़कर किसी को भी ये अंदाज़ा नही था की राहुल अंदर क्या कर रहा है... सब अपने-2 मन में बस यही दुआ माँग रहे थे की जल्दी बाहर ना निकले... और इन सबसे अंजान, अपनी पहली गेम खेल रही सबा थोड़ा नर्वस सी होकर अपना पूरा ध्यान सिर्फ़ पत्तो पर लगाकर बैठी थी... उसे तो ये भी पता नहीं था की आज की ये गेम उसकी जिंदगी में कितना बड़ा बदलाव लाने वाली है... और ना चाहते हुए भी वो उन सभी ठर्कियों की उस चाल में फँसने वाली थी जो काफ़ी पहले से शशांक ने उसके बारे में सोचकर रखी हुई थी.



पहली बाजी शुरू हुई और सबके सामने पत्ते आ गये...इस बार का वैरीएशन था मुफ़लिस...यानी सबसे छोटे पत्ते वाला जीतेगा..

सबकी देखा-देखी सबा ने भी 500 की 2 ब्लाइंड चल दी... घर पर राहुल के साथ तो वो फ्री में खेल लेती थी (वो अलग बात थी की जीतने वाला अपनी मर्ज़ी से चुदाई करता था) लेकिन आज करारे नोटों के साथ खेलते हुए सबा को एक अलग ही रोमांच का अनुभव हो रहा था...आज वो खुद पैसे जीतकर राहुल को दिखा देना चाहती थी की वो भी कुछ कर सकती है इस खेल में ...

सबसे पहले कपूर साहब ने अपने पत्ते उठाए...उन्होने कुछ देर तक पत्तो को घूरा और फिर 1 हज़ार की चाल चल दी..

गुप्ता जी ने भी पत्ते देखकर 1 हज़ार की चाल चल दी..सरदारजी ने हर बार की तरह एक और ब्लाइंड चली..और शशांक जो कब से अपने पत्ते उठा कर बैठा था, उसने भी एक चाल चल दी..

यानी सबा का नंबर आते-आते 3 चाल आ चुकी थी...उसने धड़कते दिल से अपने पत्ते उठाए...उसके पास 2,5 और 9 आया था...उसकी समझ में नही आ रहा था की वो क्या करे...उसे तो खुद के पत्ते छोटे ही लग रहे थे...क्योंकि एक बार घर पर भी ऐसी मुफ़लिस वाली गेम खेलते हुए राहुल ने बताया था की 10 के अंदर जो भी पत्ते आते है उनसे ये गेम खेली जा सकती है...लेकिन सबा को थोड़ा डाउट हो रहा था की जब सामने से 3 चालें आ जाए तो क्या तब भी गेम आगे खेलनी चाहिए या नही..

उसने कुछ देर सोचने के बाद चाल चल ही दी...ये सोचते हुए की जो होगा देखा जाएगा , अपनी पहली ही गेम में वो डरपोक नहीं कहलाना चाहती थी
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RE: एक नंबर के ठरकी (from internet) - by Deadman2 - 20-04-2021, 11:41 AM



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