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Thriller कामुक अर्धांगनी
किचन से खिलखिलाती मधु की हँसी सुन कर मेरा हृदय प्रफुलित हो चला था मानो वसंत ने मधु को पीछे से अपने बाहों मे जकड़ लिया हो और उसके बदन की महक से उसके हाथ मधु के उभारों पर थिरक रहे हो और मधु अपने बदन को वसंत के हाथों छुवा कर मचल सी रही हो और दोनों के जिस्मों मे एक हल्की चिंगारी भड़क सी उठी हो
 
आउच उफ्फ आउच रुको उफ्फ्फ नहीं अहह प्लीज् धीरे अहह दर्द हो रहा उफ्फ हल्के से अहह ऐसी आवाज़ों से घर गुज़ उठा मानो वसंत मधु को भोर मे अपने बदन से चिपका कर बेकाबू हो चुका था और मधु के मदमस्त योवन को खाने को तड़प रहा था
 
काफी देर स्यम करने के पश्चात जब रह गया तो मधु की सिसकियाँ सुन खिंचा जाने लगा और देख कर मेरे जिस्म मे उबाल भर आया
 
वसंत के हाथों मधु की पतली सी नाइटी बेजार हो चुकी थी और उसके उभारों के पास फटी हुई थी जिस पर वसंत के दोनों हाथों ने रसभरे स्तनों को जकड़ कर निचोड़े जा रहा था और मधु इठलाती उसके जवां जिस्म को अपने जिस्म पर चिपका कर खुद को लुटाती आहे भरे जा रही थी मानो दो बिछुड़े योवन के प्यासे जोड़े बेसब्र बन एक दूजे से लिपट रहे हो ।
 
धीमी आंच पर चाय उबल रही थी पर मधु की आँखे हवस की आंधी मे बन्द थी और मैगी के भगोने मे पानी सूख रही थी
 
दोनों मे किसी को होश नहीं था ये देख मे पास जा कर बोला तुम दोनों बस करो भूख लगी है मुझे ,मधु हल्का सा झेंपती बोली आप ही अपने छोटे भाई को रोको कहती वो वसंत के जिस्म से अलग हो चाय छानने लगी और वसंत मंद मंद मुश्कान लिए बाहर हाल मे बैठ गया और मैं पास जा मधु के फटे नाइटी को देख बोला उतार लेती न वो हँसते बोली आप भी न नई ले लुंगी वैसे भी मर्दो को कपड़े फाड़ने मे ज़्यादा मज़ा आता है और वो ट्रे मे चाय मैगी साथ लेती बोली चलिए कुछ खा लिजेए ।
 
उधर वसंत के पास मधु बैठ बोली आपके छोटे भाई बहुत बदमाश हो गए है इतने ज़ोर से मेरे दूध दबाते है कि दर्द होने लगता है ये सुन वसंत ने अपने हाथों को मधु के स्तन पर रखते बोला भैया इतने बड़े है, ना दबाऊंगा ज़ोर से तो कैसे अच्छे से पकड़ पाउँगा ये सुन मधु हँसने लगी और वसंत ने निपल्ल खिंच बोला भाभी अपना दूध पिला दो चाय के साथ साथ ।
 
 
मधु ने वसंत को बच्चे की तरह अपने गोद पर लेटा लिया और बोली पियो न मेरे बदमाश देवर जी और वो चाय पीते बोली जो कहिए आपके छोटे भाई बड़े ही भोले भाले है देखिए कैसे मेरे निप्पल्स को चूस रहे है ।
 
 
वसंत दूसरे स्तन को दबाता दूध चूसता रहा और हम मिया बीवी मैगी खा कर चाय पीते रहे ।
 
 
आधा घंटा कब कैसे बीत गया पता नहीं चला और अब धूप की किरणें कमरे को रोसनमयी किए जा रही थी पर किसी के आँखों मे नींद की सिकन न थी ।
 
 
वसंत ने बारी बारी दोनों स्तनों से जी भर निप्पल पान किया और मधु उसके केसों को सहलाते बेटे की तरह उसको पुचकार कर अपने योवन के निप्पलों को चुस्वाये जा रही थी ।
 
मधु को इस तरह शालीन भाव से बैठे कामुक क्रीड़ा करते देख मेरा तन बदन गर्म होने लगा और मेरी लुल्ली छटपटा उठी ।
 
कहानी जारी रहेगी ।
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RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 20-04-2021, 01:39 AM



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