18-04-2021, 10:28 AM
तरुण को चाय देते हुए दीपा ने तरुण से कहा, "माफ़ी तो मुझे भी तुमसे मांगनी है। मैंने तुम्हारी गिफ्ट को नकार दिया था उसके लिए प्लीज मुझे माफ़ कर देना। मैं तुम्हें गलत समझ रही थी। दीपक ने मुझे बताया की तुम वह गिफ्ट उसे पूछ कर ही मुझे दे रहे थे।"
फिर दीपा ने उसे शरारत भरे लहजे में कहा, "तरुण मुझे गिफ्ट देकर तुम ने घाटे का सौदा कर लिया है। अब मुझे वह गिफ्ट चाहिए। और वह ही नहीं और भी गिफ्ट लाते रहना।" ऐसा बोल कर दीपा हँस पड़ी।
तरुण ने भी उसी लहजे में कहा, "भाभी, आपके लिए गिफ्ट तो क्या, मेरी जान भी हाजिर है।"
दीपा ने भी उसी अंदाज में हँसते हुए कहा, "जान तो आप टीना के लिए ही रखना। मुझे तो सिर्फ गिफ्ट ही चाहिए।"
उस दिन जब मैं शाम को घर लौटा तो मैंने देखा की दीपा मुझसे कोई बात नहीं कर रही थी। खाना लगा दिया था तो उसने इशारे से ही बता दिया। काफी गुस्से में लग रही थी। मेरी आँखों से आँखें मिलाने से कतरा रही थी। मैं फ़ौरन समझ गया उस दिन कुछ ना कुछ तो हुआ था। मैं तरुण को तो जानता ही था। अगर मौक़ा मिला तो तरुण दीपा को छोड़ेगा नहीं। खैर जब दीपा का ध्यान नहीं था तब मैंने चिटकनी का ऊपर का हिस्सा फिर लगा दिया।
मैंने सोचा, हो भी सकता है की तरुण ने मेरी बीबी को तौलिये में देखकर कहीं उसे पकड़ कर चोद ही ना दिया हो। मैं चुप रहा। मैंने रात को सोते समय भी पूछने की बड़ी कोशिश की पर वह कुछ ना बोली, उलटा बेटे को हमारे बिच में सुलाकर खुद सो गयी। मैंने एक बार बच्चे के बदन के ऊपर से जब दीपा का हाथ पकड़ा तो दीपा ने मेरा हाथ जोर से झटका मार कर उसे हटा दिया।
फिर दीपा ने उसे शरारत भरे लहजे में कहा, "तरुण मुझे गिफ्ट देकर तुम ने घाटे का सौदा कर लिया है। अब मुझे वह गिफ्ट चाहिए। और वह ही नहीं और भी गिफ्ट लाते रहना।" ऐसा बोल कर दीपा हँस पड़ी।
तरुण ने भी उसी लहजे में कहा, "भाभी, आपके लिए गिफ्ट तो क्या, मेरी जान भी हाजिर है।"
दीपा ने भी उसी अंदाज में हँसते हुए कहा, "जान तो आप टीना के लिए ही रखना। मुझे तो सिर्फ गिफ्ट ही चाहिए।"
उस दिन जब मैं शाम को घर लौटा तो मैंने देखा की दीपा मुझसे कोई बात नहीं कर रही थी। खाना लगा दिया था तो उसने इशारे से ही बता दिया। काफी गुस्से में लग रही थी। मेरी आँखों से आँखें मिलाने से कतरा रही थी। मैं फ़ौरन समझ गया उस दिन कुछ ना कुछ तो हुआ था। मैं तरुण को तो जानता ही था। अगर मौक़ा मिला तो तरुण दीपा को छोड़ेगा नहीं। खैर जब दीपा का ध्यान नहीं था तब मैंने चिटकनी का ऊपर का हिस्सा फिर लगा दिया।
मैंने सोचा, हो भी सकता है की तरुण ने मेरी बीबी को तौलिये में देखकर कहीं उसे पकड़ कर चोद ही ना दिया हो। मैं चुप रहा। मैंने रात को सोते समय भी पूछने की बड़ी कोशिश की पर वह कुछ ना बोली, उलटा बेटे को हमारे बिच में सुलाकर खुद सो गयी। मैंने एक बार बच्चे के बदन के ऊपर से जब दीपा का हाथ पकड़ा तो दीपा ने मेरा हाथ जोर से झटका मार कर उसे हटा दिया।