18-04-2021, 10:27 AM
थोड़ी ही देर में दीपा बाथरूम से बाहर आयी। वह तौलिये में लिपटी हुई थी। दरवाजा खोलने के लिए जब वह ड्राइंग रूम में आयी तब उसने तरुण को देखा। तरुण को ड्राइंग रूम में बैठे हुए देख कर मेरी बीबी के तो होश उड़ गए। उसकी समझ में नहीं आया की तरुण अंदर कैसे आ गया। उसने तो दरवाजा अंदर से बंद किया हुआ था। उधर तरुण ने दीपा को तौलिये में लिपटे हुए देखा तो उसकी तो सिटी पट्टी गुम हो गयी। मेरी बीबी का तौलिया कोई ख़ास बड़ी साइज का तो था नहीं। दीपा को देख कर वह सोफे से उठ खड़ा हो गया। दीपा का आधे से ज्यादा बदन खुला हुआ था। उसके उन्नत स्तनोँ का मस्त उभार दिख रहा था। तौलिया दीपा की जांघों तक दीपा की चूत को ही ढके हुए था। दीपा की सुडौल जांघे तरुण को पागल बना रही थी। दीपा के भीगे हुए बाल उसके मुंह और पुरे बदन पर बिखरे हुए थे। भीगी हुयी दीपा उसे सेक्स की मूर्ति लग रही थी।
जब दीपा ने तरुण को देखा तो वह एकदम चिल्लाने लगी। फिर यह सोच कर एकदम चुप हो गयी की कहीं पड़ौसी उसकी चीख सुनकर भागते हुए आ न जाएँ। वह थोडी सहम कर बोली, "अरे तरुण, तुम? यहाँ, इस वक्त? तुम अंदर कैसे आ गये?"
तरुण की जबान पर तो जैसे ताला लग गया था। बड़ी मुश्किल से बोला, "दीपा मुझे माफ़ कर दो। मुझे पता नहीं था की तुम नहा रही हो। मैंने घंटी तो बजायी पर दरवाजे पर कोई न आया। मैंने धक्का मारा तो दरवाजा खुला पाया। दीपक ने फ़ोन किया था की तुम्हे मैगी के दो पैकेट चाहिए। वह देर से आयेगा इस लिए उसने यह पैकेट मुझे लाकर तुम्हे देने के लिए बोला।"
जब दीपा मैगी लेने करीब आयी तो तरुण ने दीपा को मैगी के दो पैकेट हाथ में थमाये। पर उसकी नजर तो दीपा के मम्मो पर अटकी हुयी थी। तरुण अपनी नजरें तौलिया और मेरी बीबी के आधे नंगे बदन के बिच में से हटा ही नहीं पा रहा था। हालाँकि दीपा ने तौलिया एकदम ताकत से पकड़ रखा था, दीपा के स्तन तौलिये में समा नहीं रहे थे और बाहर से ही उनके काफी बड़े हिस्से दिखायी दे रहे थे। दीपा की जांघे घुटने से काफी ऊपर तक नंगी थीं। अगर तरुण निचे झुकता और देखता तो उसे मेरी बीबी की रसीली चूत उसकी नज़रों के सामने साफ़ साफ़ दिख जाती। उस समय तरुण का मन किया की वह दीपा को अपने आहोश में कस कर जकड़ ले, उसके तौलिये को एक हाथ से खिंच कर खोल कर फेंक दे, दीपा को नंगी कर दे और वहीँ दीपा को सोफे पर सुला कर उस पर चढ़ जाय और चोद डाले। तरुण का तगड़ा लण्ड उसकी पतलून में खड़ा हो गया।
जब दीपा ने तरुण को देखा तो वह एकदम चिल्लाने लगी। फिर यह सोच कर एकदम चुप हो गयी की कहीं पड़ौसी उसकी चीख सुनकर भागते हुए आ न जाएँ। वह थोडी सहम कर बोली, "अरे तरुण, तुम? यहाँ, इस वक्त? तुम अंदर कैसे आ गये?"
तरुण की जबान पर तो जैसे ताला लग गया था। बड़ी मुश्किल से बोला, "दीपा मुझे माफ़ कर दो। मुझे पता नहीं था की तुम नहा रही हो। मैंने घंटी तो बजायी पर दरवाजे पर कोई न आया। मैंने धक्का मारा तो दरवाजा खुला पाया। दीपक ने फ़ोन किया था की तुम्हे मैगी के दो पैकेट चाहिए। वह देर से आयेगा इस लिए उसने यह पैकेट मुझे लाकर तुम्हे देने के लिए बोला।"
जब दीपा मैगी लेने करीब आयी तो तरुण ने दीपा को मैगी के दो पैकेट हाथ में थमाये। पर उसकी नजर तो दीपा के मम्मो पर अटकी हुयी थी। तरुण अपनी नजरें तौलिया और मेरी बीबी के आधे नंगे बदन के बिच में से हटा ही नहीं पा रहा था। हालाँकि दीपा ने तौलिया एकदम ताकत से पकड़ रखा था, दीपा के स्तन तौलिये में समा नहीं रहे थे और बाहर से ही उनके काफी बड़े हिस्से दिखायी दे रहे थे। दीपा की जांघे घुटने से काफी ऊपर तक नंगी थीं। अगर तरुण निचे झुकता और देखता तो उसे मेरी बीबी की रसीली चूत उसकी नज़रों के सामने साफ़ साफ़ दिख जाती। उस समय तरुण का मन किया की वह दीपा को अपने आहोश में कस कर जकड़ ले, उसके तौलिये को एक हाथ से खिंच कर खोल कर फेंक दे, दीपा को नंगी कर दे और वहीँ दीपा को सोफे पर सुला कर उस पर चढ़ जाय और चोद डाले। तरुण का तगड़ा लण्ड उसकी पतलून में खड़ा हो गया।