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Adultery मेहमान बेईमान
बाहर हल्का हल्का अंधेरा सा होने लग गया था. और आसमान मे बादल होने की वजह से बाहर से आती ठंडी हवा मुझे एक अजीब ही तरह का सकून आनंद महसूस करवा रही थी. मैं उस ठंडी हवा को अभी पूरी तरह से महसूस भी नही कर पाई थी कि बाहर से पानी की बूंदे सीधे मेरे उपर आ कर गिरना शुरू हो गयी. बारिश इतनी तेज़ी के साथ शुरू हुई कि कुछ भी सोचती समझती इस से पहले ही मेरे आधे कपड़े गीले से हो गये.

वो बुड्ढ़ा मेरे सामने ही दूसरी सीट पर बैठा हुआ था. मैने पानी से बचने के लिए बस मे दूसरी सीट पर बैठने के लिए सोचा पर पूरी बस मे हर तरफ से पानी की बूंदे अंदर आ रही थी. एक दो सीट पर कुछ लोग बैठे हुए थे जिनमे से 2 तो पति पत्नी थे और बाकी 1 आदमी कंडक्टर के साथ बैठा हुआ था. बस मे बूढ़े और मैं पीछे की तरफ थे और जिस सीट पर बैठा हुआ था वो सीट बस मे सेफ थी जहाँ पर पानी की बूंदे नही आ रही थी. मरती क्या ना करती मुझे अपने कपड़े भीगने से बचाने के लिए उस बूढ़े वाली सीट पर बैठना पड़ेगा यही सोच कर मैं उस बूढ़े की सीट पर जा कर बैठ गयी. सीट पीछे होने की वजह से और बारिश होने की वजह से अंधेरा हो गया था.

बूढ़ा मुझे अपने पास देख कर बोहोत खुस हो गया. उसे लगा कि मैं उसकी बातो से एमोशनल या उत्तेजित हो कर उसके पास आ कर बैठी हू. इस लिए वो भी मेरे पास मे मुझसे एक दम चिपक कर बैठ गया. थोड़ी देर तक हम दोनो एक दम खामोश ही बैठे रहे. पर थोड़ी ही देर मे उस बूढ़े ने अपना नाटक शुरू कर दिया. 

उसने अपनी धोती जो वो पहने हुए था को उतारना शुरू कर दिया.

“ये क्या कर रहे हो ?” मैने उसको इस तरह की हरकत करते हुए देख कर कहा.

“वो तुम्हारे कपड़े पूरी तरह से गीले हो चुके थे और तुम्हारे गीले कपड़ो की वजह से मेरी धोती भी गीली हो गयी. इस लिए उसे उतार रहा हू. गीले कपड़े पहनने से दाद खाज खुजली हो जाती है. मैं तो कहता हू कि तुम भी अपने कपड़े उतार दो थोड़ी देर अगर ऐसे ही गीले कपड़े पहन कर बैठी रही तो तुम्हे सर्दी हो जाएगी.” बूढ़े ने अपनी धोती पूरी तरह से उतारने के साथ कहा. उसके इस तरह अपनी धोती खोलने से मैं थोड़ा घबरा गयी. मैने आगे की तरफ इधर उधर नज़र दौड़ा कर देखा कि किसी ने देखा तो नही पर किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नही था. 

अब वो सीट पर पूरी तरह से नंगा था उसका 3” का लिंग जो पता ही नही चल रहा था कि खड़ा हुआ है या बैठा हुआ है पर वो अपना हाथ फिरा रहा था. मैने उसकी किसी भी हरकत पर कोई गौर नही किया वरना बिना बात के बात आगे बढ़ जाती इस लिए मैं चुप-चाप दूसरी तरफ मुँह कर लिया और अपनी आँख बंद कर ली. थोड़ी ही देर मैं मुझे अपनी थाइस पर कुछ महसूस सा हुआ. मैने पूरी तरह से महसूस किया तो वो बूढ़ा मेरी थाइस सहला रहा था. एक मन तो किया कि एक तमाचा खीच कर बूढ़े को लगा दूं. पर पता नही कहाँ से मन मे ये ख़याल आया कि देखते है कि ये किस लेवल तक जाता है और अगर ये ज़्यादा हद से बाहर जाएगा तो उसे ठीक करने का रास्ता है मेरे पास. इस लिए मैं सोने का नाटक करते हुए थोड़ा नीचे की तरफ हो गयी ताकि आगे की सीट से अगर कोई हमारी तरफ देखे तो उसे हम बिल्कुल भी नही दिखाई दे.
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RE: मेहमान बेईमान - by Deadman2 - 18-04-2021, 10:22 AM
RE: मेहमान बेईमान - by Newdevil - 18-07-2021, 03:03 PM



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