04-04-2019, 09:24 PM
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खारा शरबत
![[Image: Golden-shower-F-2-M-13908098.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/Golden-shower-F-2-M-13908098.jpg)
- “ननद रानी मन तो कर रहा था की अबहियें तुम्हें पेट भर खारा शरबत पिला देती लेकिन…”
फिर कुछ देर रुक के वो बोली-
![[Image: geeta-KJ.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/geeta-KJ.jpg)
“लेकिन, चम्पा भाभी ने बोला था पहली बार उनके सामने, आखिर जंगल में मोर नाचा किसी ने न देखा तो, क्या मजा?”
मेरी मुश्कुराती आँखें बस यही कह रही थीं, पिला देती तो पिला देती, मैं गटक जाती।
और जब वो हटीं तो मैं थकी अलसायी वहीं चटाई पे लुढक गई।
और जब मैं उठी तो बसंती मुझे जगा रही थी, शाम होने वाली थी और झूला झूलने चलना था।
मेरे लिए साड़ी भी उसने ला के रख दी थी। पेटीकोट न मैं पहनती थी न कोई भौजाइ पहनने देती थी।
“भौजी, ब्लाउज?”
“आज अईसे चलो, तोहार जोबन क उभार तनी गाँव क लौंडन खुलकर देख लें…”
बसंती कोई मौका छोड़ती क्या?
लेकिन बहुत निहोरा करने पर वो एक ब्लाउज ले आई, चोली कट बहुत छोटा सा। पहनाया भी उसी ने।
आधे से ज्यादा उभार बाहर छलक रहे थे। आगे से बंद होने वाले हुक थे और बड़ी मुश्किल से दो हुक बंद हुए, कटाव उभार निपल्स सब साफ दिखते थे।
![[Image: boobs-01e5879ea5c5cf00bf9778d188a09747.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/boobs-01e5879ea5c5cf00bf9778d188a09747.jpg)
लेकिन बसंती की शरारत घर से निकलने पर मुझे समझ में आई।
बाहर मौसम का क्या कहूँ, आसमान में बादल खूब घने घिर आये थे।
![[Image: clouds-5.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/clouds-5.jpg)
![[Image: Golden-shower-F-2-M-13908098.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/Golden-shower-F-2-M-13908098.jpg)
- “ननद रानी मन तो कर रहा था की अबहियें तुम्हें पेट भर खारा शरबत पिला देती लेकिन…”
फिर कुछ देर रुक के वो बोली-
![[Image: geeta-KJ.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/geeta-KJ.jpg)
“लेकिन, चम्पा भाभी ने बोला था पहली बार उनके सामने, आखिर जंगल में मोर नाचा किसी ने न देखा तो, क्या मजा?”
मेरी मुश्कुराती आँखें बस यही कह रही थीं, पिला देती तो पिला देती, मैं गटक जाती।
और जब वो हटीं तो मैं थकी अलसायी वहीं चटाई पे लुढक गई।
और जब मैं उठी तो बसंती मुझे जगा रही थी, शाम होने वाली थी और झूला झूलने चलना था।
मेरे लिए साड़ी भी उसने ला के रख दी थी। पेटीकोट न मैं पहनती थी न कोई भौजाइ पहनने देती थी।
“भौजी, ब्लाउज?”
“आज अईसे चलो, तोहार जोबन क उभार तनी गाँव क लौंडन खुलकर देख लें…”
बसंती कोई मौका छोड़ती क्या?
लेकिन बहुत निहोरा करने पर वो एक ब्लाउज ले आई, चोली कट बहुत छोटा सा। पहनाया भी उसी ने।
आधे से ज्यादा उभार बाहर छलक रहे थे। आगे से बंद होने वाले हुक थे और बड़ी मुश्किल से दो हुक बंद हुए, कटाव उभार निपल्स सब साफ दिखते थे।
![[Image: boobs-01e5879ea5c5cf00bf9778d188a09747.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/boobs-01e5879ea5c5cf00bf9778d188a09747.jpg)
लेकिन बसंती की शरारत घर से निकलने पर मुझे समझ में आई।
बाहर मौसम का क्या कहूँ, आसमान में बादल खूब घने घिर आये थे।
![[Image: clouds-5.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/clouds-5.jpg)
![[Image: paddy-fields-2.md.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/paddy-fields-2.md.jpg)