04-04-2019, 08:50 PM
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भरौटी के ....
![[Image: male-10.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/male-10.jpg)
“लेकिन भरौटी के लौंडन से बच के रहना…”
“काहें भौजी?”
![[Image: guddi-cute-19264654.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/guddi-cute-19264654.jpg)
अपनी बड़ी-बड़ी गोल आँखें नचाते मैंने पूछा।
“अरे हमार छिनार ननद रानी, एक तो उन साल्लों का, मनई क ना, गदहन क लण्ड होला।
बित्ता भर से कम तो कौनो क ना होई।
![[Image: cock11.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/cock11.jpg)
फिर अगर कहीं तोहार एक माल उनके पकड़ में आ गया तो बस… यू इहां तक की गन्ना और अरहर क खेत भी नहीं खोजते, उंहीं सीधे मेड़ के नीचे, सरपत के पीछे, कहीं भी चढ़ जाएंगे।
और फिर एस रगड़-रगड़ के चोदिहें न… मिटटी का ढेला, गाण्ड से रगड़-रगड़ के टूट न जाय तब तक, और ऐसी गंदी-गंदी गाली देते हैं और चोदवाने वाली से दिलवाते हैं की बस कान में उंगली डाल लो।
और फिर खाली चोद के छोड़ने वाली नहीं, उंहीं निहुरा के कुतिया बनाकर गाण्ड भी मारेंगे, कम से कम दो-तीन बार।
![[Image: anal-doggy-2.gif]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/anal-doggy-2.gif)
और अकेले नहीं दो-तीन लौंडे मिल जाते है, और एक गाण्ड में तो दूसरा बुर में, कौनो दो-तीन बार से कम नहीं चोदता। जितना रोओ, चीखो चिल्लाओ, कौनो बचाने वाला नहीं।
![[Image: gangbang-tumblr_nk9b1qfoaw1uniz58o7_500.gif]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/gangbang-tumblr_nk9b1qfoaw1uniz58o7_500.gif)
और अगर कहीं भरौटी क मेहरारुन देख लिहिन तो बजाय बचावे के ऊ और लौंडन क ललकरिहें…”
और उसके साथ जितनी जोर-जोर से बंसती भौजी की दो उँगलियां मेरी चूत चोद रही थी की जैसे कोई लण्ड ही चूत मंथन कर रहा हो।
मैं सोच रही थी की बंसती मना कर रही है या मुझे उकसा रही है उन लौंडो के साथ?
मेरी उंगली भी बसंती की बुर में गोल-गोल घूम रही थी। अच्छी तरह पनिया गई थी। मीठा शीरा निकलना शुरू हो गया था, खूब गाढ़ा लसलसा।
मैं तो पहले अजय, सुनील, रवि और दिनेश के साथ ही… लेकिन यहाँ तो बसंती ने पूरी लाइन लगा दी और वो भी एक से एक।
जोर से मेरी क्लिट रगड़ते बसंती बोली-
![[Image: pussy-clit-594.jpg.extra.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/pussy-clit-594.jpg.extra.jpg)
“अरे देखना बिन्नो, लण्ड की लाइन लगा दूंगी। आखिर तोहार भौजी हूँ, एक जाइ त दू गो घुसे बदे तैयार रहिहें, एक से एक मोटे लम्बे, जब घर लौटबू न रोज त हम चेक करब, आगे पीछे दूनों ओर से सड़का टप-टप टपकत रही…”
“भौजी आपके मुँह में घी शक्कर…”
मारे ख़ुशी के भौजी के सीधे होंठों पे चूमती और जोर से उनकी बड़ी-बड़ी चूची मीजती मैं बोली।
![[Image: Girl-c700e2577a60939c4fdc387d88ede460.jpg]](https://i.ibb.co/sPGZ85V/Girl-c700e2577a60939c4fdc387d88ede460.jpg)
खाना तो कब का ख़तम हो गया था अब तो बस चुम्मा चाटी रगड़न मसलन चल रही थी। हम दोनों झड़ने के कगार पर ही थीं।
" अरे एक चीज तो रहिये गयी, कामिनी भाभी का बताया असली टोटका, ओकरे बाद तो तू गाँव क कुल मरदन क लौंड़ा हँसत खेलत गाँड़ में घोंट लेबू , सटासट , सटासट। "
और मैं जब तक रोकूं, टोकूं तो बंसती किचेन में और थोड़ी देर में बाहर और उसे देख कर मेरा दिल दहल गया,
खूब बड़ा सा कटोरा, और जब बसंती या माँ ज्यादा मोहाती थीं तो वो कटोरा भर दूध मुझे पूरा पीना पड़ता था ,
आज दूध में डेढ़ दो इंच मोटी साढ़ी ( मलाई ) पड़ी थी ,
मुझे धक्का देके बंसती ने चटाई पर गिरा दिया और बोली घबड़ा जिन अबहीं तुमको दूध नहीं पिला रही हूँ , लेकिन ज़रा एक बार फिर से पिछवाड़े का हाल चाल ले लूँ ,
अब तक आधी कटोरी कड़ुवा तेल तो वो मेरे पिछवाड़े पिला ही चुकी थी।
गच्चाक , एक झटके में अबकी पूरी मंझली ऊँगली गाँड़ में पेल दी , और जैसे सुनील ने मेरी गाँड़ मारी थी , वैसे ही हचक के सटाक सटाक , बंसती ऊँगली बार बार पेलती, निकालती , फिर पूरी ताकत से गचाक से पेल देती बहुत ताकत थी बसंती भौजी में ,
मैं चीख रही थी लेकिन किसी ननद के चीखने पर कोई भौजाई छोड़ती है जो बसंती भौजी छोड़तीं,
और अबकी दूसरी ऊँगली भी , मेरी जान निकल गयी जोर से चीखी मैं पर बसंती बिना जड़ तक पेले बिना कहाँ छोड़ने वाली थी , और फिर दोनों उँगलियों को चम्मच की तरह मोड़ कर , गाँड़ के अंदर करोच करोच कर, गोल गोल घुमा घुमा ,
और फिर दोनों उँगलियाँ सीधे दूध के कटोरे में ,
मेरा तो दिल दहल गया , लेकिन ननद के दिल दहलने से भाभी पर क्या असर पड़ता है ,
दो चार मिनट तक वो ऊँगली दोनों दूध में घुमाती रहीं , फिर जब साढ़ी अच्छी तरह ऊँगली में लिपट गयी तो सीधे दोनों ऊँगली साढ़ी से लिपटी फिर मेरे पिछवाड़े , धीमे धीमे अंदर ,
और अबकी बसंती अंदर बाहर नहीं कर रही थी , बस धीमे धीमे सरका रही थी , जब पूरी साढ़ी लगी ऊँगली मेरी गाँड़ में जड़ तक तो बसंती ने मुझसे बोला
" ननद रानी अब कस के आपन गाँड़ एहि ऊँगली पर भींचो, सोचो तोहरे यार का लंड है , ... मेरे मन में सुनील का का लंड ही आया और वही सोच के मैं बसंती की ऊँगली ,...
हाँ ऐसे थोड़ी और ताकत से भींचो , दबा के झाड़ दो स्साले का लंड ,... बसंती ने उकसाया
थोड़ी देर तक मैं ऐसे भींचती रही , फिर बसंती ने बोला अब धीमे धीमे ढीली करो ,...
पांच -छह बार ऐसे ही सात आठ मिनट तक और जब ऊँगली बाहर निकली तो साढ़ी सब की सब अंदर रह गयी थी ,...
और अब बसंती ने कटोरा मेरी ओर बढ़ा दिया ,
तब तक बंसती बोलीं-
“अरे चला, तोहार मुँह हम अबहियें मीठ करा देती हूँ…”
और अगले पल धक्का देकर मुझे चटाई पर लिटा दिया और सीधे मेरे ऊपर, उनकी झांटों भरी बुर मेरे मुँह के ऊपर, उनकी दोनों मांसल जाँघों के बीच में मेरा सर दबा।
![[Image: Lez-face-sitting-14271176.gif]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/Lez-face-sitting-14271176.gif)
ये नहीं था कि इसके पहले मैंने चूत नहीं चाटी थी। चन्दा की, फिर नदी नहाने में पूरबी की, कल इसी आँगन में चम्पा भाभी की भी।
लेकिन जो मजा आज बसंती की चूत में आ रहा था, एकदम अलग। एक गजब का स्वाद, और उसके साथ जो अंदाज था उसका, एक कच्चे सेक्स का जो मजा होता है न बस वही और साथ में जो वो जबरदस्ती कर रही थी, जो उसकी ना न सुनने की आदत थी… और साथ में गालियों की फुहार, बस मजा आ गया।
उसने सबसे पहले मेरी नाक दबाई और जैसे मैंने सांस लेने के लिए मुँह खोला, बस झाटों भरी उसकी बुर सीधे मेरे गुलाबी होंठों के बीच।
मैंने थोड़ा बहुत सर हिलाने की कोशिश की तो कचकचा के उसने अपनी भरी-भरी मांसल जाँघों के बीच उसे कसकर भींच दिया और अब मैं सूत बराबर भी सर नहीं हिला सकती थी। और वह सीधे एकदम ‘फेस सिटिंग’ वाली पोजीशन में।
![[Image: Lez-face-sitting-13632604.gif]](https://i.ibb.co/Jd7yVrL/Lez-face-sitting-13632604.gif)
और जब मैंने हल्के-हल्के चाटना चूसना शुरू किया तभी उसने नाक छोड़ी।
लेकिन बसंती भौजी ने जिस हाथ से नाक छोड़ा मेरे निपल को पकड़ लिया।
बस शहद, थोड़ी देर तक बाहर से चूसने चाटने के बाद, मुझसे भी नहीं रहा गया
और मेरी जीभ ने प्रेम गली का रास्ता ढूँढ़ ही लिया और सीधे अंदर। जैसे एक तार की चाशनी हो, खूब गाढ़ी, और रसीली।
![[Image: lez-tumblr_op9gcornV91uojrlyo1_540.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/lez-tumblr_op9gcornV91uojrlyo1_540.jpg)
जितनी जोर से मैं चाटती थी उसके दूने जोर से बसंती मेरे होंठों पर मेरे मुँह पे अपनी बुर रगड़ती थी, क्या कोई मर्द किसी लौंडिया का मुँह चोदेगा। और साथ में उनकी उंगली कभी-कभी मेरी चूत में भी… बार बार वो मुझे किनारे पे ले जाती लेकिन झड़ने नहीं देती।
दस पंद्रह मिनट की जबरदस्त रगडाई, चुसाई के बाद, वो झड़ी और झड़ती रही देर तक। सब शहद और चासनी सिर्फ मेरे मुँह पे नहीं बल्की चेहरे पर भी।
लेकिन उसके बाद भी उनकी बुर ने मेरे मुँह पर से कब्जा नहीं छोड़ा। कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखें डालकर देखते रहे।
फिर भौजी ने शरारत से जोर से मेरे गाल पर एक चिकोटी काटी और बोलीं-
“ननद रानी मन तो कर रहा था की अबहियें तुम्हें पेट भर खारा शरबत पिला देती लेकिन…”
![[Image: male-10.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/male-10.jpg)
“लेकिन भरौटी के लौंडन से बच के रहना…”
“काहें भौजी?”
![[Image: guddi-cute-19264654.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/guddi-cute-19264654.jpg)
अपनी बड़ी-बड़ी गोल आँखें नचाते मैंने पूछा।
“अरे हमार छिनार ननद रानी, एक तो उन साल्लों का, मनई क ना, गदहन क लण्ड होला।
बित्ता भर से कम तो कौनो क ना होई।
![[Image: cock11.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/cock11.jpg)
फिर अगर कहीं तोहार एक माल उनके पकड़ में आ गया तो बस… यू इहां तक की गन्ना और अरहर क खेत भी नहीं खोजते, उंहीं सीधे मेड़ के नीचे, सरपत के पीछे, कहीं भी चढ़ जाएंगे।
और फिर एस रगड़-रगड़ के चोदिहें न… मिटटी का ढेला, गाण्ड से रगड़-रगड़ के टूट न जाय तब तक, और ऐसी गंदी-गंदी गाली देते हैं और चोदवाने वाली से दिलवाते हैं की बस कान में उंगली डाल लो।
और फिर खाली चोद के छोड़ने वाली नहीं, उंहीं निहुरा के कुतिया बनाकर गाण्ड भी मारेंगे, कम से कम दो-तीन बार।
![[Image: anal-doggy-2.gif]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/anal-doggy-2.gif)
और अकेले नहीं दो-तीन लौंडे मिल जाते है, और एक गाण्ड में तो दूसरा बुर में, कौनो दो-तीन बार से कम नहीं चोदता। जितना रोओ, चीखो चिल्लाओ, कौनो बचाने वाला नहीं।
![[Image: gangbang-tumblr_nk9b1qfoaw1uniz58o7_500.gif]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/gangbang-tumblr_nk9b1qfoaw1uniz58o7_500.gif)
और अगर कहीं भरौटी क मेहरारुन देख लिहिन तो बजाय बचावे के ऊ और लौंडन क ललकरिहें…”
और उसके साथ जितनी जोर-जोर से बंसती भौजी की दो उँगलियां मेरी चूत चोद रही थी की जैसे कोई लण्ड ही चूत मंथन कर रहा हो।
मैं सोच रही थी की बंसती मना कर रही है या मुझे उकसा रही है उन लौंडो के साथ?
मेरी उंगली भी बसंती की बुर में गोल-गोल घूम रही थी। अच्छी तरह पनिया गई थी। मीठा शीरा निकलना शुरू हो गया था, खूब गाढ़ा लसलसा।
मैं तो पहले अजय, सुनील, रवि और दिनेश के साथ ही… लेकिन यहाँ तो बसंती ने पूरी लाइन लगा दी और वो भी एक से एक।
जोर से मेरी क्लिट रगड़ते बसंती बोली-
![[Image: pussy-clit-594.jpg.extra.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/pussy-clit-594.jpg.extra.jpg)
“अरे देखना बिन्नो, लण्ड की लाइन लगा दूंगी। आखिर तोहार भौजी हूँ, एक जाइ त दू गो घुसे बदे तैयार रहिहें, एक से एक मोटे लम्बे, जब घर लौटबू न रोज त हम चेक करब, आगे पीछे दूनों ओर से सड़का टप-टप टपकत रही…”
“भौजी आपके मुँह में घी शक्कर…”
मारे ख़ुशी के भौजी के सीधे होंठों पे चूमती और जोर से उनकी बड़ी-बड़ी चूची मीजती मैं बोली।
![[Image: Girl-c700e2577a60939c4fdc387d88ede460.jpg]](https://i.ibb.co/sPGZ85V/Girl-c700e2577a60939c4fdc387d88ede460.jpg)
खाना तो कब का ख़तम हो गया था अब तो बस चुम्मा चाटी रगड़न मसलन चल रही थी। हम दोनों झड़ने के कगार पर ही थीं।
" अरे एक चीज तो रहिये गयी, कामिनी भाभी का बताया असली टोटका, ओकरे बाद तो तू गाँव क कुल मरदन क लौंड़ा हँसत खेलत गाँड़ में घोंट लेबू , सटासट , सटासट। "
और मैं जब तक रोकूं, टोकूं तो बंसती किचेन में और थोड़ी देर में बाहर और उसे देख कर मेरा दिल दहल गया,
खूब बड़ा सा कटोरा, और जब बसंती या माँ ज्यादा मोहाती थीं तो वो कटोरा भर दूध मुझे पूरा पीना पड़ता था ,
आज दूध में डेढ़ दो इंच मोटी साढ़ी ( मलाई ) पड़ी थी ,
मुझे धक्का देके बंसती ने चटाई पर गिरा दिया और बोली घबड़ा जिन अबहीं तुमको दूध नहीं पिला रही हूँ , लेकिन ज़रा एक बार फिर से पिछवाड़े का हाल चाल ले लूँ ,
अब तक आधी कटोरी कड़ुवा तेल तो वो मेरे पिछवाड़े पिला ही चुकी थी।
गच्चाक , एक झटके में अबकी पूरी मंझली ऊँगली गाँड़ में पेल दी , और जैसे सुनील ने मेरी गाँड़ मारी थी , वैसे ही हचक के सटाक सटाक , बंसती ऊँगली बार बार पेलती, निकालती , फिर पूरी ताकत से गचाक से पेल देती बहुत ताकत थी बसंती भौजी में ,
मैं चीख रही थी लेकिन किसी ननद के चीखने पर कोई भौजाई छोड़ती है जो बसंती भौजी छोड़तीं,
और अबकी दूसरी ऊँगली भी , मेरी जान निकल गयी जोर से चीखी मैं पर बसंती बिना जड़ तक पेले बिना कहाँ छोड़ने वाली थी , और फिर दोनों उँगलियों को चम्मच की तरह मोड़ कर , गाँड़ के अंदर करोच करोच कर, गोल गोल घुमा घुमा ,
और फिर दोनों उँगलियाँ सीधे दूध के कटोरे में ,
मेरा तो दिल दहल गया , लेकिन ननद के दिल दहलने से भाभी पर क्या असर पड़ता है ,
दो चार मिनट तक वो ऊँगली दोनों दूध में घुमाती रहीं , फिर जब साढ़ी अच्छी तरह ऊँगली में लिपट गयी तो सीधे दोनों ऊँगली साढ़ी से लिपटी फिर मेरे पिछवाड़े , धीमे धीमे अंदर ,
और अबकी बसंती अंदर बाहर नहीं कर रही थी , बस धीमे धीमे सरका रही थी , जब पूरी साढ़ी लगी ऊँगली मेरी गाँड़ में जड़ तक तो बसंती ने मुझसे बोला
" ननद रानी अब कस के आपन गाँड़ एहि ऊँगली पर भींचो, सोचो तोहरे यार का लंड है , ... मेरे मन में सुनील का का लंड ही आया और वही सोच के मैं बसंती की ऊँगली ,...
हाँ ऐसे थोड़ी और ताकत से भींचो , दबा के झाड़ दो स्साले का लंड ,... बसंती ने उकसाया
थोड़ी देर तक मैं ऐसे भींचती रही , फिर बसंती ने बोला अब धीमे धीमे ढीली करो ,...
पांच -छह बार ऐसे ही सात आठ मिनट तक और जब ऊँगली बाहर निकली तो साढ़ी सब की सब अंदर रह गयी थी ,...
और अब बसंती ने कटोरा मेरी ओर बढ़ा दिया ,
तब तक बंसती बोलीं-
“अरे चला, तोहार मुँह हम अबहियें मीठ करा देती हूँ…”
और अगले पल धक्का देकर मुझे चटाई पर लिटा दिया और सीधे मेरे ऊपर, उनकी झांटों भरी बुर मेरे मुँह के ऊपर, उनकी दोनों मांसल जाँघों के बीच में मेरा सर दबा।
![[Image: Lez-face-sitting-14271176.gif]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/Lez-face-sitting-14271176.gif)
ये नहीं था कि इसके पहले मैंने चूत नहीं चाटी थी। चन्दा की, फिर नदी नहाने में पूरबी की, कल इसी आँगन में चम्पा भाभी की भी।
लेकिन जो मजा आज बसंती की चूत में आ रहा था, एकदम अलग। एक गजब का स्वाद, और उसके साथ जो अंदाज था उसका, एक कच्चे सेक्स का जो मजा होता है न बस वही और साथ में जो वो जबरदस्ती कर रही थी, जो उसकी ना न सुनने की आदत थी… और साथ में गालियों की फुहार, बस मजा आ गया।
उसने सबसे पहले मेरी नाक दबाई और जैसे मैंने सांस लेने के लिए मुँह खोला, बस झाटों भरी उसकी बुर सीधे मेरे गुलाबी होंठों के बीच।
मैंने थोड़ा बहुत सर हिलाने की कोशिश की तो कचकचा के उसने अपनी भरी-भरी मांसल जाँघों के बीच उसे कसकर भींच दिया और अब मैं सूत बराबर भी सर नहीं हिला सकती थी। और वह सीधे एकदम ‘फेस सिटिंग’ वाली पोजीशन में।
![[Image: Lez-face-sitting-13632604.gif]](https://i.ibb.co/Jd7yVrL/Lez-face-sitting-13632604.gif)
और जब मैंने हल्के-हल्के चाटना चूसना शुरू किया तभी उसने नाक छोड़ी।
लेकिन बसंती भौजी ने जिस हाथ से नाक छोड़ा मेरे निपल को पकड़ लिया।
बस शहद, थोड़ी देर तक बाहर से चूसने चाटने के बाद, मुझसे भी नहीं रहा गया
और मेरी जीभ ने प्रेम गली का रास्ता ढूँढ़ ही लिया और सीधे अंदर। जैसे एक तार की चाशनी हो, खूब गाढ़ी, और रसीली।
![[Image: lez-tumblr_op9gcornV91uojrlyo1_540.jpg]](https://picsbees.com/images/2018/11/25/lez-tumblr_op9gcornV91uojrlyo1_540.jpg)
जितनी जोर से मैं चाटती थी उसके दूने जोर से बसंती मेरे होंठों पर मेरे मुँह पे अपनी बुर रगड़ती थी, क्या कोई मर्द किसी लौंडिया का मुँह चोदेगा। और साथ में उनकी उंगली कभी-कभी मेरी चूत में भी… बार बार वो मुझे किनारे पे ले जाती लेकिन झड़ने नहीं देती।
दस पंद्रह मिनट की जबरदस्त रगडाई, चुसाई के बाद, वो झड़ी और झड़ती रही देर तक। सब शहद और चासनी सिर्फ मेरे मुँह पे नहीं बल्की चेहरे पर भी।
लेकिन उसके बाद भी उनकी बुर ने मेरे मुँह पर से कब्जा नहीं छोड़ा। कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखें डालकर देखते रहे।
फिर भौजी ने शरारत से जोर से मेरे गाल पर एक चिकोटी काटी और बोलीं-
“ननद रानी मन तो कर रहा था की अबहियें तुम्हें पेट भर खारा शरबत पिला देती लेकिन…”