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Adultery एक औरत की आत्मकथा
#9
सज धज कर जब उसने अपने आप को शीशे में देखा तो खुद ही शरमा गई। उसके पति ने जब उसे देखा तो पूछ उठा- कहाँ कि तैयारी है ...?

प्रगति ने बताया कि आज दफ्तर में ग्रुप फोटो का कार्यक्रम है इसलिए सब को तैयार हो कर आना है !! रोज़ की तरह उसका पति उसे मोटर साइकिल पर दफ्तर तक छोड़ कर अपने काम पर चला गया। प्रगति ने चलते वक़्त उसे कह दिया हो सकता है आज उसे दफ्टर में देर हो जाये क्योंकि ग्रुप फोटो के बाद चाय-पानी का कार्यक्रम भी है।
दफ्तर १० बजे शुरू होता था पर प्रगति ९.३० बजे पहुँच जाती थी क्योंकि उसे छोड़ने के बाद उसके पति को अपने दफ्तर भी जाना होता था। प्रगति ने ख़ास तौर से शेखर का कमरा ठीक किया और पिछले १० दिनों की तमाम रिपोर्ट्स और फाइल करीने से लगा कर शेखर की मेज़ पर रख दी।
कुछ देर में दफ्तर के बाकी लोग आने शुरू हो गए। सबने प्रगति की ड्रेस की तारीफ़ की और पूछने लगे कि आज कोई ख़ास बात है क्या?
प्रगति ने कहा कि अभी उसे नहीं मालूम पर हो सकता है आज का दिन उसके लिए नए द्वार खोल सकता है !!!
लोगों को इस व्यंग्य का मतलब समझ नहीं आ सकता था !!
वह मन ही मन मुस्कराई ....
ठीक दस बजे शेखर दफ्तर में दाखिल हुआ। सबने उसका अभिनन्दन किया और शेखर ने सबके साथ हाथ मिलाया। जब प्रगति शेखर के ऑफिस में उस से अकेले में मिली शेखर ने ऐसे बर्ताव किया जैसे उनके बीच कुछ हुआ ही न हो। वह नहीं चाहता था कि दफ्तर के किसी भी कर्मचारी को उन पर कोई शक हो। प्रगति को उसने दफ्तर के बाद रुकने के लिए कह दिया जिस से उसके दिल की धड़कन बढ़ गई।
किसी तरह शाम के ५ बजे और सभी लोग शेखर के जाने का इंतजार करने लगे। शेखर बिना वक़्त गँवाए दफ्तर से घर की ओर निकल पड़ा। शीघ्र ही बाकी लोग भी निकल गए। प्रगति यह कह कर रुक गई कि उसे एक ज़रूरी फैक्स का इंतजार है। उसके बाद वह दफ्तर को ताला भी लगा देगी और चली जायेगी।
उसने चौकीदार को भी छुट्टी दे दी। जब मैदान साफ़ हो गया तो प्रगति ने शेखर को मोबाइल पर खबर दे दी। करीब आधे घंटे बाद शेखर दोबारा ऑफिस आ गया और अन्दर से दरवाज़ा बंद करके दफ्टर की सभी लाइट, पंखे व एसी बंद कर दिए। सिर्फ अन्दर के गेस्ट रूम की एक लाइट तथा एसी चालू रखा।
अब उसने प्रगति को अपनी ओर खींच कर जोर से अपने आलिंगन में ले लिया और वे बहुत देर तक एक दूसरे के साथ जकड़े रहे। सिर्फ उनके होंठ आपस में हरकत कर रहे थे और उनकी जीभ एक दूसरे के मुँह की गहराई नाप रही थी। थोड़ी देर में शेखर ने पकड़ ढीली की तो दोनों अलग हुए।
घड़ी में ५.३० बज रहे थे। समय कम बचा था इसलिए शेखर ने अपने कपड़े उतारने शुरू किये पर प्रगति ने उसे रोक कर खुद उसके कपड़े उतारने लगी। शेखर को निर्वस्त्र कर उसने उसके लिंग को झुक कर पुच्ची की और खड़ी हो गई।
अब शेखर ने उसे नंगा किया और एक बार फिर दोनों आलिंगन बद्ध हो गए। इस बार शेखर का लिंग प्रगति की नाभि को टटोल रहा था। प्रगति ने अपने पंजों पर खड़े हो कर किसी तरह लिंग को अपनी योनि की तरफ किया और अपनी टांगें थोड़ी चौड़ी कर लीं। शेखर का लिंग अब प्रगति की चूत के दरवाज़े पर था और प्रगति उसकी तरफ आशा भरी नज़रों से देख रही थी। शेखर ने एक ऊपर की तरफ धक्का लगाया और उसका लंड चूत में थोड़ा सा चला गया।
अब उसने प्रगति को चूतड़ से पकड़ कर ऊपर उठा लिया और प्रगति ने अपने हाथ शेखर की गर्दन के इर्द-गिर्द कर लिए तथा उसकी टांगें उसकी कमर से लिपट गईं। अब वह अधर थी और शेखर खड़ा हो कर उसे अपने लंड पर उतारने की कोशिश कर रहा था। थोड़ी देर में लंड पूरा प्रगति की चूत में घुस गया या यों कहिये कि चूत उसके लंड पर पूरी उतर गई।
प्रगति ने ऊपर नीचे हो कर अपने आप को चुदवाना शुरू किया। उसे बड़ा मज़ा आ रहा था क्योंकि ऐसा आसन उसने पहली बार ग्रहण किया था। कुछ देर के बाद शेखर ने बिना लंड बाहर निकाले प्रगति को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसको जोर जोर से चोदने लगा। हालाँकि शेखर आज प्रगति की गांड मारने के इरादे से आया था पर काम और क्रोध पर किसका जोर चलता है !!

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RE: एक औरत की आत्मकथा - by odinchacha - 16-04-2021, 04:06 PM



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