16-04-2021, 03:50 PM
तब मैंने उसे कहा, "देखा? मैं तुम्हें ना कहता था? मेरी बीबी को पटाना इतना आसान नहीं है। खैर, तुम्हें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं। मैं दीपा से आज रात जरूर बात करूंगा और उसे मना लूंगा।"
तरुण ने मेरा हाथ थाम कर मेरा शुक्रिया कहा।
उस रात जब हम सोने के लिए तैयार हुए तब मैंने दीपा को बाँहों में लिया और अपनी गोद में बिठा कर उसे प्यार जताने लगा। दीपा भी कुछ देर बाद जब गरम हो गयी तो मैंने मेरे होँठ मेरी बीबी के होंठ पर रखते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, आपने तरुण का दिल क्यों दुखाया? वह बेचारा हमारे लिए कुछ छोटी मोटी गिफ्ट लाया तो आपने उसे बुरी तरह से डांट दिया।"
यह सुन दीपा खिसिया गयी और बोली, "मुझे पता नहीं था की वह इस बारेमें आपसे बात करता है। मैंने सोचा शायद वह आपसे छुपाकर मुझसे मिलने आता है और ऐसे उपहार देकर मुझे पटाने की कोशिश कर रहा है।"
मैंने मेरी बीबी के गाउन में हाथ डालकर उसके बॉल को मसलते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, तुम तो कमाल हो! ऐसा नहीं है। वह मुझे सब कुछ बताता है। उसने मुझे फ़ोन पर बताया था की वह गिफ्ट लाया था और हमें देना चाहता था। मैंने उसे कहा ठीक है, आते जाते जब वक्त मिले तब दे देना। मैंने ही उसे हमारे यहाँ आकर मुन्नुसे खेलने के लिए कहा है। उसकी गिफ्ट तुमने वापस की तो वह बड़ा दुखी है। तुम उसकी गिफ्ट का गलत मतलब मत निकालना। वह गिफ्ट दे तो ले लेना।"
मेरी बात सुनकर दीपा कुछ सोचने लगी। मैंने मेरी बात जारी रखते हुए कहा, "मैं मानता हूँ की वह तुम्हारी तरफ आकर्षित है। हो सकता है वह तुम्हें पटाने की कोशिश भी करता हो। तो यार क्या हुआ? उसमे भला उसका क्या दोष? भला कौन मर्द ऐसा है जो तुमसे आकर्षित न होगा और तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं करेगा? क्या मेरा बॉस तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं कर रहा? तुम इतनी सेक्सी जो हो। मुझसे शादी करने के लिए भी क्या मैंने तुम्हें नहीं पटाया था? शादी के पहले जब मैं और तुम तुम्हारी भाभी के साथ हिल स्टेशन पर गए थे तब रात में तुम जब मना कर रही थी तब तुम्हें चोदने के लिए मैंने कितने हथकंडे अपनाये थे और आखिर में तुम्हें पटा ही लिया था ना? और अभी भी जब तुम चुदाई करवाने में नानुक्कड करती हो तो तुम्हें चुदवाने के लिए राजी करने के लिए पटाना पड़ता है की नहीं? इन बातों को माइंड मत करो और इसकी आदत डाल लो। "
ऐसा कह कर मैंने दीपा को यह कह दिया की तरुण उसके प्रति आकर्षित है और अगर उसे पटाने की कोशिश कर रहा था तो वह स्वाभाविक था। बल्कि मैंने बात बात में यह भी इशारा कर दिया की हो सकता है की तरुण उसे चुदवाने के लिए पटाने की ही कोशिश कर रहा हो।
दीपा ने थोड़ा शर्मा कर और उलझन भरी आवाज में जैसे ऊपर वाले से बात कर रही हो ऐसे दोनों हाथ ऊपर कर बोली, "हे भगवान! मेरा पति तो कमाल का है। अपने दोस्त की कितनी तरफदारी कर रहा है? ठीक है बाबा, मैं मानती हूँ की गलती हो गयी। तुम कह रहे हो तो मैं उससे गिफ्ट ले लुंगी। अबसे मैं तुम्हारे दोस्त का ध्यान रखूंगी। उसे नहीं डाटूँगी, बस? अब तो खुश?"
मैंने दीपा के पास जाकर उसे बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया। मुझे ऐसे लगा जैसे मरी पत्नी ने मेरी यह बात सुन कर राहत की सांस ली। वह मेरी बात सुनकर खुश दिख रही थी। मुझे लगा जैसे मैंने उसके मन की बात ही कह डाली। शायद उसे खुद अफ़सोस हो रहा था की क्यों उसने तरुण को इतनी मामूली बात को लेकर इतना ज्यादा डाँट दिया था।
दीपा ने भी मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, "तुम बहुत ही भले इंसान और संवेदनशील पति हो। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अपने दोस्त को इतना सपोर्ट न करता। मुझे तरुण का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा था और इसी वजह से मैं उसे दूर रखना चाहती थी। उस दिन पिकनिक में भी जब मैं गिरने लगी थी तब उसने मुझे गिरने से तो बचा लिया पर बादमें उसने मुझे अपनों बाँहों में जकड लिया और अगर मैं उसे झटका दे कर हटा ना देती तो हो सकता है वह मुझे और भी छेड़ता। मेरी समझ में नहीं आया की मैं तरुण को मुझे बचाने के लिए शुक्रिया अदा करूँ या छेड़ने के लिए उसे डाटूँ? कई बार मुझे लगता है को वह एक अच्छा इंसान है। कभी कभी लगता है की वह मुझ पर फ़िदा है और मुझ पर डोरे डाल रहा है। अब तुम मुझे रोक रहे हो और उसे छूट दे रहे हो तो फिर मैं कया करूँ?"
तरुण ने मेरा हाथ थाम कर मेरा शुक्रिया कहा।
उस रात जब हम सोने के लिए तैयार हुए तब मैंने दीपा को बाँहों में लिया और अपनी गोद में बिठा कर उसे प्यार जताने लगा। दीपा भी कुछ देर बाद जब गरम हो गयी तो मैंने मेरे होँठ मेरी बीबी के होंठ पर रखते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, आपने तरुण का दिल क्यों दुखाया? वह बेचारा हमारे लिए कुछ छोटी मोटी गिफ्ट लाया तो आपने उसे बुरी तरह से डांट दिया।"
यह सुन दीपा खिसिया गयी और बोली, "मुझे पता नहीं था की वह इस बारेमें आपसे बात करता है। मैंने सोचा शायद वह आपसे छुपाकर मुझसे मिलने आता है और ऐसे उपहार देकर मुझे पटाने की कोशिश कर रहा है।"
मैंने मेरी बीबी के गाउन में हाथ डालकर उसके बॉल को मसलते हुए कहा, "दीपा डार्लिंग, तुम तो कमाल हो! ऐसा नहीं है। वह मुझे सब कुछ बताता है। उसने मुझे फ़ोन पर बताया था की वह गिफ्ट लाया था और हमें देना चाहता था। मैंने उसे कहा ठीक है, आते जाते जब वक्त मिले तब दे देना। मैंने ही उसे हमारे यहाँ आकर मुन्नुसे खेलने के लिए कहा है। उसकी गिफ्ट तुमने वापस की तो वह बड़ा दुखी है। तुम उसकी गिफ्ट का गलत मतलब मत निकालना। वह गिफ्ट दे तो ले लेना।"
मेरी बात सुनकर दीपा कुछ सोचने लगी। मैंने मेरी बात जारी रखते हुए कहा, "मैं मानता हूँ की वह तुम्हारी तरफ आकर्षित है। हो सकता है वह तुम्हें पटाने की कोशिश भी करता हो। तो यार क्या हुआ? उसमे भला उसका क्या दोष? भला कौन मर्द ऐसा है जो तुमसे आकर्षित न होगा और तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं करेगा? क्या मेरा बॉस तुम्हें पटाने की कोशिश नहीं कर रहा? तुम इतनी सेक्सी जो हो। मुझसे शादी करने के लिए भी क्या मैंने तुम्हें नहीं पटाया था? शादी के पहले जब मैं और तुम तुम्हारी भाभी के साथ हिल स्टेशन पर गए थे तब रात में तुम जब मना कर रही थी तब तुम्हें चोदने के लिए मैंने कितने हथकंडे अपनाये थे और आखिर में तुम्हें पटा ही लिया था ना? और अभी भी जब तुम चुदाई करवाने में नानुक्कड करती हो तो तुम्हें चुदवाने के लिए राजी करने के लिए पटाना पड़ता है की नहीं? इन बातों को माइंड मत करो और इसकी आदत डाल लो। "
ऐसा कह कर मैंने दीपा को यह कह दिया की तरुण उसके प्रति आकर्षित है और अगर उसे पटाने की कोशिश कर रहा था तो वह स्वाभाविक था। बल्कि मैंने बात बात में यह भी इशारा कर दिया की हो सकता है की तरुण उसे चुदवाने के लिए पटाने की ही कोशिश कर रहा हो।
दीपा ने थोड़ा शर्मा कर और उलझन भरी आवाज में जैसे ऊपर वाले से बात कर रही हो ऐसे दोनों हाथ ऊपर कर बोली, "हे भगवान! मेरा पति तो कमाल का है। अपने दोस्त की कितनी तरफदारी कर रहा है? ठीक है बाबा, मैं मानती हूँ की गलती हो गयी। तुम कह रहे हो तो मैं उससे गिफ्ट ले लुंगी। अबसे मैं तुम्हारे दोस्त का ध्यान रखूंगी। उसे नहीं डाटूँगी, बस? अब तो खुश?"
मैंने दीपा के पास जाकर उसे बाँहों में भर कर एक चुम्बन कर लिया। मुझे ऐसे लगा जैसे मरी पत्नी ने मेरी यह बात सुन कर राहत की सांस ली। वह मेरी बात सुनकर खुश दिख रही थी। मुझे लगा जैसे मैंने उसके मन की बात ही कह डाली। शायद उसे खुद अफ़सोस हो रहा था की क्यों उसने तरुण को इतनी मामूली बात को लेकर इतना ज्यादा डाँट दिया था।
दीपा ने भी मेरे होंठ से होंठ चिपका कर और मेरे मुंह में अपनी जीभ डालकर मेरा रस चूसते हुए मेरी बाँहों में सिमटकर बोली, "तुम बहुत ही भले इंसान और संवेदनशील पति हो। तुम्हारी जगह कोई और होता तो अपने दोस्त को इतना सपोर्ट न करता। मुझे तरुण का चाल चलन ठीक नहीं लग रहा था और इसी वजह से मैं उसे दूर रखना चाहती थी। उस दिन पिकनिक में भी जब मैं गिरने लगी थी तब उसने मुझे गिरने से तो बचा लिया पर बादमें उसने मुझे अपनों बाँहों में जकड लिया और अगर मैं उसे झटका दे कर हटा ना देती तो हो सकता है वह मुझे और भी छेड़ता। मेरी समझ में नहीं आया की मैं तरुण को मुझे बचाने के लिए शुक्रिया अदा करूँ या छेड़ने के लिए उसे डाटूँ? कई बार मुझे लगता है को वह एक अच्छा इंसान है। कभी कभी लगता है की वह मुझ पर फ़िदा है और मुझ पर डोरे डाल रहा है। अब तुम मुझे रोक रहे हो और उसे छूट दे रहे हो तो फिर मैं कया करूँ?"