04-04-2019, 06:22 PM
मम्मी की गाँड़
और बिना बाहर निकाले मैं देर तक गोल गोल घुमाती रही, गाण्ड की दीवालों से सटा के करोचते हुए,
और वो एक नदीदे बच्चे की तरह उसे देखते रहे,
मेरी दोनों उँगलियाँ , तर्जनी और मंझली , मम्मी की गाँड़ में एकदम जड़ तक धंसी थी , गांड की दीवारों पर रगड़ती , खूब लसलसी , गीली गीली , गुई सी ,...
मैंनेदोनों ऊँगली चम्मच की तरह मोड़ कर , ... कस कस के मैं करोच रही थी , खरोंच रही थी।
मेरे मन में , अभी कल की ही तो बात थी , होली की सुबह मेरी सास ने मेरी गांड में इसी तरह अपनी दोनों उँगलियों को ,... और सबके सामने ,
... मेरी चचेरी सास , गाँव की सास , दोनों ननदें , जेठानी , घर में काम करने वालियां ,... और मेरी बड़ी ननद उन्होंने सास को चढ़ा दिया ,
... ममी जरा भाभी को मंजन करा दो न ,
और मेरे पिछवाड़े से निकल कर मेरी सास की दोनों उँगलियाँ सीधे मेरेमुंह के अंदर ,
मेरे दांतों पर रगड़ रगड़ कर ,...
( और जब मैं यहाँ आ रही थी तो मेरी सास ने मेरे कान में कहा था , लौट के आओ बहु तो रोज सास का असलीपरसाद ,.. असली होली तो लौट के आओगी तो तब होगी वो भी पूरे तीन दिन तक , रंगपंचमी तक ).
ये सोच सोच कर मम्मी की गांड में मेरी उंगलिया और ताकत से रगड़ रगड़ कर ,
गोल गोल ,... चार पांच मिनट तक ,...
और जब दोनों उँगलियाँ बाहर निकलीं , इनकी सास की गाँड़ का माखन ,
और बिना उनको कोई सोचने का मौका दिए , मैंने सीधे दोनों उँगलियाँ , ... अपने साजन के मुंह में धकेल दीं , एकदम जड़ तक , इनके हलक तक ,...
लेकिन मेरे ' ये ' भी न ,.. खूब मजे से चूसने लगे , खूब रस ले ले के ,...
और थोड़ी देर में मेरी दोनों उँगलियाँ एकदम साफ़ चिकनी ,...
मैं भी मम्मी की बुर चाटते-चाटते बीच-बीच में इनके मोटे खड़े पगलाये लण्ड को भी मुंह में लेकर चूस लेती थी।
लेकिन उनके लण्ड को अभी मेरे होंठ नहीं बल्कि कुछ और चाहिए था,
और वो मौका मिल गया।
मैंने मम्मी की अब क्लिट जोर जोर से चूसनी शुरू कर दी
और जैसे ही मैंने उसे हलके से काटा, एकदम एक्सप्लोजन हुआ,
मम्मी जोर-जोर से झड़ने लगीं और साथमें मैं भी।
सारी दुनियां से बेखबर वो आंधी में पत्ते की तरह काँप रही थी। जोर से झड़ने लगीं वो ,
और मुझे मालूम था इस हालत में मम्मी एकदम मस्ती में बेहोश रहती हैं ,
और मेरे साजन ने उस मौके का पूरा फायदा उठाया।
मैंने अपनी लम्बी तगड़ी टाूँगें मम्मी की पीठ पे पूरी तरह कैंची की स्टाइल में जकड़ रखी थी। वो जरा भी हिल डुल नहीं सकती थीं , 69 की पोज में मम्मी मेरे ऊपरथीं।
और साथ ही में मेरे दोनों हाथ खूब जोर लगा के उनकी गाण्ड का छेद फैलाये हुये थे ,
कस के।
और मम्मी दुनिया से बेखबर बार बार झड़ रहीं थी , काँप रही थीं ,
बस
बस उन्होंने मुट्ठी सा मोटा सुपाड़ा मम्मी की कसी , संकरी , फैली गाँड़ में सटाया,
अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े बड़े ३८ ++ साइज चूतड़ों को पकड़ा बस ,..
और हचक के पेल दिया अपना तगड़ा मोटा सुपाड़ा गांड में , अपनी पूरी ताकत से ,
और बिना बाहर निकाले मैं देर तक गोल गोल घुमाती रही, गाण्ड की दीवालों से सटा के करोचते हुए,
और वो एक नदीदे बच्चे की तरह उसे देखते रहे,
मेरी दोनों उँगलियाँ , तर्जनी और मंझली , मम्मी की गाँड़ में एकदम जड़ तक धंसी थी , गांड की दीवारों पर रगड़ती , खूब लसलसी , गीली गीली , गुई सी ,...
मैंनेदोनों ऊँगली चम्मच की तरह मोड़ कर , ... कस कस के मैं करोच रही थी , खरोंच रही थी।
मेरे मन में , अभी कल की ही तो बात थी , होली की सुबह मेरी सास ने मेरी गांड में इसी तरह अपनी दोनों उँगलियों को ,... और सबके सामने ,
... मेरी चचेरी सास , गाँव की सास , दोनों ननदें , जेठानी , घर में काम करने वालियां ,... और मेरी बड़ी ननद उन्होंने सास को चढ़ा दिया ,
... ममी जरा भाभी को मंजन करा दो न ,
और मेरे पिछवाड़े से निकल कर मेरी सास की दोनों उँगलियाँ सीधे मेरेमुंह के अंदर ,
मेरे दांतों पर रगड़ रगड़ कर ,...
( और जब मैं यहाँ आ रही थी तो मेरी सास ने मेरे कान में कहा था , लौट के आओ बहु तो रोज सास का असलीपरसाद ,.. असली होली तो लौट के आओगी तो तब होगी वो भी पूरे तीन दिन तक , रंगपंचमी तक ).
ये सोच सोच कर मम्मी की गांड में मेरी उंगलिया और ताकत से रगड़ रगड़ कर ,
गोल गोल ,... चार पांच मिनट तक ,...
और जब दोनों उँगलियाँ बाहर निकलीं , इनकी सास की गाँड़ का माखन ,
और बिना उनको कोई सोचने का मौका दिए , मैंने सीधे दोनों उँगलियाँ , ... अपने साजन के मुंह में धकेल दीं , एकदम जड़ तक , इनके हलक तक ,...
लेकिन मेरे ' ये ' भी न ,.. खूब मजे से चूसने लगे , खूब रस ले ले के ,...
और थोड़ी देर में मेरी दोनों उँगलियाँ एकदम साफ़ चिकनी ,...
मैं भी मम्मी की बुर चाटते-चाटते बीच-बीच में इनके मोटे खड़े पगलाये लण्ड को भी मुंह में लेकर चूस लेती थी।
लेकिन उनके लण्ड को अभी मेरे होंठ नहीं बल्कि कुछ और चाहिए था,
और वो मौका मिल गया।
मैंने मम्मी की अब क्लिट जोर जोर से चूसनी शुरू कर दी
और जैसे ही मैंने उसे हलके से काटा, एकदम एक्सप्लोजन हुआ,
मम्मी जोर-जोर से झड़ने लगीं और साथमें मैं भी।
सारी दुनियां से बेखबर वो आंधी में पत्ते की तरह काँप रही थी। जोर से झड़ने लगीं वो ,
और मुझे मालूम था इस हालत में मम्मी एकदम मस्ती में बेहोश रहती हैं ,
और मेरे साजन ने उस मौके का पूरा फायदा उठाया।
मैंने अपनी लम्बी तगड़ी टाूँगें मम्मी की पीठ पे पूरी तरह कैंची की स्टाइल में जकड़ रखी थी। वो जरा भी हिल डुल नहीं सकती थीं , 69 की पोज में मम्मी मेरे ऊपरथीं।
और साथ ही में मेरे दोनों हाथ खूब जोर लगा के उनकी गाण्ड का छेद फैलाये हुये थे ,
कस के।
और मम्मी दुनिया से बेखबर बार बार झड़ रहीं थी , काँप रही थीं ,
बस
बस उन्होंने मुट्ठी सा मोटा सुपाड़ा मम्मी की कसी , संकरी , फैली गाँड़ में सटाया,
अपने दोनों हाथों से मम्मी के बड़े बड़े ३८ ++ साइज चूतड़ों को पकड़ा बस ,..
और हचक के पेल दिया अपना तगड़ा मोटा सुपाड़ा गांड में , अपनी पूरी ताकत से ,