04-04-2019, 12:36 PM
रात के 8 बज रहे थे और अंकल अपने 2 दोस्तो के साथ, बैठ के शराब पी रहे थे।।
हंसने की आवाज़, अंदर के कमरे तक आ रही थी।।
लगभग 9 बजे, मैंने श्लोक से कहा – भाई, अब मैं चलता हूँ.. ! काफ़ी देर हो गई है.. !
श्लोक ने भी कहा – हाँ भाई.. ! तू जा.. ! अब कल कॉलेज में मिलते हैं और वहीं पूरा करेंगे, अपना काम.. !
जाते वक़्त, अंकल ने मुझे देखा और कहा – प्रणव बेटे, यहाँ आना.. !
मैं अंदर चला गया।।
अंकल ने कहा – बेटा, श्लोक को ज़रा बुला देना.. !
उनके कमरे से दारू की भयंकर महक आ रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था की वहीं, मैं उल्टी कर दूँगा।।
मैंने अंकल से कहा – अंकल, कुछ काम है तो बोलिए.. ! मैं कर देता हूँ.. !
तभी अचनाक से एक दूसरे अंकल ने श्लोक के पापा से पूछा – यही है, उसका सपूत.. !
अंकल ने सिर हिलाते हुए कहा – हाँ, यार.. !
अंकल ने मुझे फ्रिज से बर्फ लाने को कहा और मैंने उन्हें बर्फ ला कर दे दिया।।
पर काफ़ी देर, मैं सोचता रहा की आख़िर क्या बात थी।।
उस आदमी ने ऐसा क्यों कहा की यही है, क्यूंकि मैं तो मैं उनसे आज तक मिला नहीं हूँ.. !
सोचते सोचते, मैं बाहर की तरफ निकल गया और खिड़की से चुपके से उनकी बातें सुनने लगा।।
उन्हीं अंकल ने फिर से कहा – ये लड़का, तेरे बेटे का दोस्त है क्या.. !
अंकल ने (श्लोक के पापा ने) कहा – हाँ, दोनों एक ही क्लास में हैं.. !
उस आदमी ने कहा – फिर, तू इतना क्यों सोच रहा है.. ! जा के चोद डाल उसे.. ! इसमें कोई मुश्किल नहीं है.. !
श्लोक के पापा ने कहा – हाँ यार सोचता हूँ, लेकिन साली नहीं मानी तो.. !
उस आदमी ने कहा – देख, उसका पति तो बाहर रहता है और तू जैसा बता रहा है उसके बारे में, वो पक्का “छमिया” है.. ! मुझे लगता है, एक मिनट नहीं लगेगा, ऐसी औरत की टांग खोलने में.. ! और यार, भाभी भी नहीं हैं.. ! देख, जिस औरत का मर्द बाहर रहता है, होता नहीं है या अकेली औरत को, चोदना बहुत आसान होता है.. ! शुरू में नाटक करती हैं पर फिर भड़ाभड़ लण्ड पर कूदती है.. ! सोच मत यार, चोद डाल उसको और मन और लण्ड को शांत कर ले.. ! कितने दिन से उसके बारे में सोच रहा है.. !
श्लोक के पापा ने कहा – यार, कह तो तू सच रहा है.. ! अब बर्दशात नहीं होता.. ! कभी कभी तो मन करता है, उठा के ले आता हूँ, रांड़ को.. ! यार चुचे की घटियाँ, दिखा दिखा कर और गाण्ड मटका मटका के पागल कर रखा है.. ! उसे तो चोदना ही है हर हाल में, चाहे कुछ भी हो.. ! मैं उसे चोद के ही रहूँगा चाहे खुशी से माने या ज़बरदस्ती ही क्यूँ ना करनी पड़े.. ! और अंकल ने शराब का एक पैग लगाया।।
फिर उस आदमी ने कहा – भाई, लेकिन अपना काम होने के बाद हमें मत भूल जाना.. ! इस मामले में तो हम कुत्ते हैं, तेरी झूठन भी खा लेंगे.. ! और, सब ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे।।
मैं समझ गया की मेरी “मम्मी की इज़्ज़त” ख़तरे में है।।
मैं ये बात श्लोक को बताना चाहता था पर मैं जानता था की श्लोक कभी नहीं मानेगा, मेरी बात.. !
एक तो अंकल उसके पापा हैं और अपनी बात को मैं कैसे साबित करूँगा।।
कुछ दिन, ऐसे ही बीत गये और अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी के करीब आने लगे।।
मैं कुछ नहीं कर सकता था, उस समय क्यूंकि मैं कैसे जाकर मम्मी को ये सब बताता की अंकल की नियत क्या है और वो किस नियत से उनसे इतना दोस्ताना व्यावहार कर रहे हैं।।
सच कहूँ तो मुझे इतना मालूम था की हर मर्द की नियत, अकेली औरत के लिए खराब रहती है और अगर मेरी मम्मी उन्हें लिफ्ट नहीं देंगी तो वो मम्मी को कभी नहीं चोद पाएँगे।।
लेकिन क्या, मैं अपनी मम्मी के बारे में सही था.. ! .. !
अब मैं आपको उस दिन की कहानी सुनने जा रहा हूँ, जिस दिन मैंने अपने दोस्त के पापा को, मेरी मम्मी को चोदते हुए देख लिया।।
31 दिसम्बर की रात थी।।
अंकल ने पार्टी रखी हुई थी।।
जिसमें, हम सब आमंत्रित थे।।
नाच गाना, चल रहा था।।
मुझे आज भी याद है, मेरी मम्मी ने उस दिन “गुलाबी साड़ी” पहन रखी थी।।
हंसने की आवाज़, अंदर के कमरे तक आ रही थी।।
लगभग 9 बजे, मैंने श्लोक से कहा – भाई, अब मैं चलता हूँ.. ! काफ़ी देर हो गई है.. !
श्लोक ने भी कहा – हाँ भाई.. ! तू जा.. ! अब कल कॉलेज में मिलते हैं और वहीं पूरा करेंगे, अपना काम.. !
जाते वक़्त, अंकल ने मुझे देखा और कहा – प्रणव बेटे, यहाँ आना.. !
मैं अंदर चला गया।।
अंकल ने कहा – बेटा, श्लोक को ज़रा बुला देना.. !
उनके कमरे से दारू की भयंकर महक आ रही थी और मुझे ऐसा लग रहा था की वहीं, मैं उल्टी कर दूँगा।।
मैंने अंकल से कहा – अंकल, कुछ काम है तो बोलिए.. ! मैं कर देता हूँ.. !
तभी अचनाक से एक दूसरे अंकल ने श्लोक के पापा से पूछा – यही है, उसका सपूत.. !
अंकल ने सिर हिलाते हुए कहा – हाँ, यार.. !
अंकल ने मुझे फ्रिज से बर्फ लाने को कहा और मैंने उन्हें बर्फ ला कर दे दिया।।
पर काफ़ी देर, मैं सोचता रहा की आख़िर क्या बात थी।।
उस आदमी ने ऐसा क्यों कहा की यही है, क्यूंकि मैं तो मैं उनसे आज तक मिला नहीं हूँ.. !
सोचते सोचते, मैं बाहर की तरफ निकल गया और खिड़की से चुपके से उनकी बातें सुनने लगा।।
उन्हीं अंकल ने फिर से कहा – ये लड़का, तेरे बेटे का दोस्त है क्या.. !
अंकल ने (श्लोक के पापा ने) कहा – हाँ, दोनों एक ही क्लास में हैं.. !
उस आदमी ने कहा – फिर, तू इतना क्यों सोच रहा है.. ! जा के चोद डाल उसे.. ! इसमें कोई मुश्किल नहीं है.. !
श्लोक के पापा ने कहा – हाँ यार सोचता हूँ, लेकिन साली नहीं मानी तो.. !
उस आदमी ने कहा – देख, उसका पति तो बाहर रहता है और तू जैसा बता रहा है उसके बारे में, वो पक्का “छमिया” है.. ! मुझे लगता है, एक मिनट नहीं लगेगा, ऐसी औरत की टांग खोलने में.. ! और यार, भाभी भी नहीं हैं.. ! देख, जिस औरत का मर्द बाहर रहता है, होता नहीं है या अकेली औरत को, चोदना बहुत आसान होता है.. ! शुरू में नाटक करती हैं पर फिर भड़ाभड़ लण्ड पर कूदती है.. ! सोच मत यार, चोद डाल उसको और मन और लण्ड को शांत कर ले.. ! कितने दिन से उसके बारे में सोच रहा है.. !
श्लोक के पापा ने कहा – यार, कह तो तू सच रहा है.. ! अब बर्दशात नहीं होता.. ! कभी कभी तो मन करता है, उठा के ले आता हूँ, रांड़ को.. ! यार चुचे की घटियाँ, दिखा दिखा कर और गाण्ड मटका मटका के पागल कर रखा है.. ! उसे तो चोदना ही है हर हाल में, चाहे कुछ भी हो.. ! मैं उसे चोद के ही रहूँगा चाहे खुशी से माने या ज़बरदस्ती ही क्यूँ ना करनी पड़े.. ! और अंकल ने शराब का एक पैग लगाया।।
फिर उस आदमी ने कहा – भाई, लेकिन अपना काम होने के बाद हमें मत भूल जाना.. ! इस मामले में तो हम कुत्ते हैं, तेरी झूठन भी खा लेंगे.. ! और, सब ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे।।
मैं समझ गया की मेरी “मम्मी की इज़्ज़त” ख़तरे में है।।
मैं ये बात श्लोक को बताना चाहता था पर मैं जानता था की श्लोक कभी नहीं मानेगा, मेरी बात.. !
एक तो अंकल उसके पापा हैं और अपनी बात को मैं कैसे साबित करूँगा।।
कुछ दिन, ऐसे ही बीत गये और अंकल धीरे धीरे, मेरी मम्मी के करीब आने लगे।।
मैं कुछ नहीं कर सकता था, उस समय क्यूंकि मैं कैसे जाकर मम्मी को ये सब बताता की अंकल की नियत क्या है और वो किस नियत से उनसे इतना दोस्ताना व्यावहार कर रहे हैं।।
सच कहूँ तो मुझे इतना मालूम था की हर मर्द की नियत, अकेली औरत के लिए खराब रहती है और अगर मेरी मम्मी उन्हें लिफ्ट नहीं देंगी तो वो मम्मी को कभी नहीं चोद पाएँगे।।
लेकिन क्या, मैं अपनी मम्मी के बारे में सही था.. ! .. !
अब मैं आपको उस दिन की कहानी सुनने जा रहा हूँ, जिस दिन मैंने अपने दोस्त के पापा को, मेरी मम्मी को चोदते हुए देख लिया।।
31 दिसम्बर की रात थी।।
अंकल ने पार्टी रखी हुई थी।।
जिसमें, हम सब आमंत्रित थे।।
नाच गाना, चल रहा था।।
मुझे आज भी याद है, मेरी मम्मी ने उस दिन “गुलाबी साड़ी” पहन रखी थी।।