12-04-2021, 11:18 PM
उक्त रात्रि समाप्त होने के पश्चात तड़के सुबह कालू और बिरजू अपने घर लौट गए और भाभी शर्मा जी संग रात की थकान मिटाने निकल गए इधर मेरी अर्धाग्नि नग्न भारी आँखों से सबको विदा कर बैठी हुई थी और दरवाज़े को बंद कर मैं अर्धाग्नि के पास बैठ कर उसके चिकने जिस्म को उँगलियों से सहलाने लगा और वो धीरे धीरे मेरे बाहों मे सिमट गई ।
उसके जिस्म से एक अलग महक मेरे सासों मे समाने लगी और मैं मधु को कस कर अपने नंगे जिस्म से चिपका कर बस उसके बदन के गर्मी को अपने बदन पर महसूस करने लगा ।
काफी देर हम दोनों यू ही शांत एक दूसरे के बाहों मैं सिमटे रहे और बिना किसी बात चीत के बस एक दूजे को सहलाते रहे ।
मधु के गोरे चिकने बदन पर मर्दों के निशान साफ झलक रहे थे और उसकी केसों की दशा सम्पूर्ण रूप से लूटी औरत के भाती दिख रही थी ।
सुबह का पहला पहर है था हल्की मंद मंद भोर ही हुई थी जो हल्की ठंडी हवाओं के साथ आती है जिस वजह से मधु का बदन सिहरन महसूस करने लगा था और इस सब के बीच अपनी पत्नी को लंबे समय के बाद अकेला पा कर मेरा मन प्रसन्नता से गदगद था ।
मधु कॉफी शांत चुप चाप सी थी मानो वो पूर्ण रूप से संतुष्ट हो ओर ऐसा हो भी क्यों नहीं आखिर ऐसी चुदाई मिले जो कि योवन के सारे रस छलका दे तो बाकी प्यास बचती भी कहा है ।
खैर मैंने मधु के केसों को सहलाते पूछा क्या चाय बना लाऊ वो मेरे बदन को कस कर जकड़ते बोली बस कुछ देर ऐसे रहिए न चाय मैं ही बना लाऊंगी ये सुन मेरा रोम रोम सिहरने लगा मानो मधु योवन सुख पा कर मेरे से ज़्यादा प्यार करने लगी हो ओर मेरा मन गदगद होने लगा था ।
सच मे अगर एक औरत बिस्तर पर निढाल हो जाए मर्द से तो वो ऐसी गृहणि बन जाती है जो घर को स्वर्ग बना दे ऐसे मैं जब मैंने खुद ही अपनी अर्धाग्नि को पराए मर्दो से मस्ती करवा के निढाल होते देखा है तब कहाँ कोई कसर रहेगी मेरी पत्नी के प्रेम मैं ।
आप पाठकों को एक बात बताना चाहूँगा की मधु के गोरे बदन पर दोनों मज़दूरों के हाथों से बने निशान नीले पड़ चुके थे जो अलग अंदाज मैं गवाही दे रहे हो कि मदमस्त मस्ती लूटी थी योवन की ।
खैर कॉफी देर मधु मेरे आगोश मे यू है समाई रही फिर वो धीरे से मुझसे अलग हो मटकती चाय बनाने चली गई ,बर्तन की आवाज़ से मालूम पड़ रहा था कि वो चाय उबालते वक़्त बाकी काम भी कर रही थी और थोड़े देर बाद वो पानी और चाय के साथ बगल मे बैठी और हम दोनों ने चाय का आनंद लिया और फिर वो मुझे बोली आप नहा लिजेए मैं झाड़ू पोछा कर के नाहउँगी और सारा दिन सोऊंगी आपसे चिपक कर बड़ी थकान सी लग रही है ।
मैंने हाथ बढ़ा कर मधु के निप्पलों को सहलाया और बोला तुम काम कर लो न साथ नहाना है मुझे वो शर्मा के हँसते बोली क्या बात है आप जोश मैं लग रहे है ।
मैंने उसके निपल्ल को हल्के हाथों से मसल बोला नहाने से पहले जी भर चाटूँगा तुझे मेरी जान वो हँसते बोली आपकी ही हूँ जैसा चाहो मज़ा दूँगी आपने मेरे खुशी के लिए इतना कर दिया कि बस ये जवानी का हर कोना आप के लिए तड़प रहा ।
चाय चुस्की के बाद मधु घर मे काम करने लगी और सारे पँखे बंद होने की वजह से उसका नंगा योवन पसीने से भीग मेहकने के साथ चमकने लगा ।
एक घंटे बस मधु को काम करते देख मन ही मन पटक के चोदने का होने लगा था पर खुद के शरीर से मजबूर अपनी लुल्ली पर हल्का तनाव भी नही भरता देख बस ख़यालों मैं ही चोदने का सोचता रहा ।
आखिर जब मधु सारे काम खत्म कर थकी हारि पास आ बैठी तोह मैंने अपने झाघो को फैलाया और उसे अपने गोद मे बिठा कर अपना मुँह उसके दोनों मदमस्त चुचियों के बीच रख तेज़ सास लेता उसके बदन के पसीने से अपना पूरा चेहरा भिगोता आह भरने लगा और मधु मेरे बालों को कस कर खिंचती बोली कोई एक मर्द साथ होता तो क्या हम तीनों साथ नाहा के एक दो घंटे बाद न सोते ।
मधु अत्यधिक चुदासी हुई पड़ी थी ये मुझे समझ आ चुका था पर भोर छे बजे कौन मर्द मिलेगा ये सोच मेरे गांड की सुराख मे हलचल होने लगी थी कि मधु बोली बेचारा वसंत न जाने कहाँ होगा ।
मेरी जवानी मैं मानो उफान उठ गया हो ऐसा लगा जब मधु के मुँह से वसंत का नाम सुना वो आहे भर बोली उफ्फ कितनी गर्मी है एक मर्द के बहो मे ।
खैर मरता क्या न करता ऊपर से खुद लड़ का चस्का लगाए मेरा बदन हाथों से मोबाइल टटोलने लगा कि मधु बोली क्या ढूंढ रहे है ।
मधु जानती थी कि मर्द की बात होगी तो उसका नामर्द पति कभी न नहीं बोलेगा ।
मैं बोला वसंत को बुला लेता हूँ वो हँसते बोली आप क्यों बुला रहे है मैं है बुला लेती हूँ , सोच रही हूँ चलिए दोनों नहाते हैं क्या सोचेगा बेचारा रात भर चुदा कर बैठी भाभी मिल गई चलिए तरो ताज़ा हो कर वसंत के साथ मस्ती करेंगे फिर आराम से आराम करेंगे ।
मधु की उत्सुकता देख मे हाँ मे हाँ मिलाता रहा ओर उसके साथ गुसलखाने मे चूमा चाटि करते उसके योनि को जी भर चाट कर आनंदमय हो गया और वो साबुन लगा खूब कस के जिस्म को रगड़ रगड़ कर साफ करती इठलाती तोलिये को अपने गीले बालों मे बांधती बाहर की और चल पड़ी और मे भी अच्छे से नहा कर बाहर निकल आया और मधु के खिलखिलाकर हँसते चेहरे को देख समझ गया वसंत को जवानी की दावत पर बुलाया जा रहा था ।
मधु के खिलखिलाते चमकते योवन बदन से पीछे से चिपक उसके गर्दन को चूम मैने अपने हाथों को उसके मचलते उभारों पर रख सहलाया और हल्की आह करती मधु बोली इतंज़ार न कराना देवर जी जल्दी से आ जाना और फ़ोन को बिस्तर पर फेंक मेरे पत्नी मेरे हाथों को ऊपर से पकड़ अपने बेताबी को महसूस कराती बोली सुनिए जी वसंत बोल रहा है वो आज दुकान नहीं खोलेगा सारा दिन यही मेरी छेदों मे मेहनत करेगा ऐसी बात सुन मे अपनी चहिती को अपने और मोड़ बोला ये तो अच्छा है ना दिन भर एक गबरू जवान लौड़े से चुदाई होगी तो ये जवानी निखार जाएगी ।
मधु शर्मा के मेरे बाहों मैं समा गई और बोली क्या बताऊँ आपको जितना चुदवाती उतना और मन करता चुदने का ।
अरे पगली मैंने कहा रोका तुझे जी भर मज़ा लो न एक दो क्या अनगिनत मर्दो से मस्ती करो मेरी जान क्योंकि ये जवानी एक बार की मेहमान है वो भी चंद दिनों तक ही रहती है बाकी योवन ढलने के बाद भवरे भी नही मंडराते ।
खुल कर रंडी नाच करती रहो नए नए मर्दो से अनुभव लो बाकी इस मोहल्ले मैं एक से एक रंडी है ही ये सुन मधु हँसते बोली आप भी न ।
मधु के होंठो को चूम मैं अंगवस्त्र धारण कर बाहर बैठ गया और वो अपने हुस्न को लिपस्टिक बिंदी काजल और मांग भर कर एक पतली नाइटी पहन मेरे पास आ बोली भूख लग रही मैगी बना लेती हूँ आप खाएँगे क्या ।
हाँ खा लूँगा बना लो और थोड़ी चाय भी बना लेना बोल मे पेपर उठा पढ़ने लगा और थोड़े देर मैं ही दस्तक हुई और वसंत घर मे दाखिल हो गया ।
मधु किचन से झाँक कर देखी ओर वसंत बशीभूत हो मधु की ओर चल पड़ा और मैंने दरवाज़ा बन्द कर वापस बैठ चाय के इंतज़ार मैं पेपर पढ़ता रहा ।
कहानी जारी रहेगी ।
उसके जिस्म से एक अलग महक मेरे सासों मे समाने लगी और मैं मधु को कस कर अपने नंगे जिस्म से चिपका कर बस उसके बदन के गर्मी को अपने बदन पर महसूस करने लगा ।
काफी देर हम दोनों यू ही शांत एक दूसरे के बाहों मैं सिमटे रहे और बिना किसी बात चीत के बस एक दूजे को सहलाते रहे ।
मधु के गोरे चिकने बदन पर मर्दों के निशान साफ झलक रहे थे और उसकी केसों की दशा सम्पूर्ण रूप से लूटी औरत के भाती दिख रही थी ।
सुबह का पहला पहर है था हल्की मंद मंद भोर ही हुई थी जो हल्की ठंडी हवाओं के साथ आती है जिस वजह से मधु का बदन सिहरन महसूस करने लगा था और इस सब के बीच अपनी पत्नी को लंबे समय के बाद अकेला पा कर मेरा मन प्रसन्नता से गदगद था ।
मधु कॉफी शांत चुप चाप सी थी मानो वो पूर्ण रूप से संतुष्ट हो ओर ऐसा हो भी क्यों नहीं आखिर ऐसी चुदाई मिले जो कि योवन के सारे रस छलका दे तो बाकी प्यास बचती भी कहा है ।
खैर मैंने मधु के केसों को सहलाते पूछा क्या चाय बना लाऊ वो मेरे बदन को कस कर जकड़ते बोली बस कुछ देर ऐसे रहिए न चाय मैं ही बना लाऊंगी ये सुन मेरा रोम रोम सिहरने लगा मानो मधु योवन सुख पा कर मेरे से ज़्यादा प्यार करने लगी हो ओर मेरा मन गदगद होने लगा था ।
सच मे अगर एक औरत बिस्तर पर निढाल हो जाए मर्द से तो वो ऐसी गृहणि बन जाती है जो घर को स्वर्ग बना दे ऐसे मैं जब मैंने खुद ही अपनी अर्धाग्नि को पराए मर्दो से मस्ती करवा के निढाल होते देखा है तब कहाँ कोई कसर रहेगी मेरी पत्नी के प्रेम मैं ।
आप पाठकों को एक बात बताना चाहूँगा की मधु के गोरे बदन पर दोनों मज़दूरों के हाथों से बने निशान नीले पड़ चुके थे जो अलग अंदाज मैं गवाही दे रहे हो कि मदमस्त मस्ती लूटी थी योवन की ।
खैर कॉफी देर मधु मेरे आगोश मे यू है समाई रही फिर वो धीरे से मुझसे अलग हो मटकती चाय बनाने चली गई ,बर्तन की आवाज़ से मालूम पड़ रहा था कि वो चाय उबालते वक़्त बाकी काम भी कर रही थी और थोड़े देर बाद वो पानी और चाय के साथ बगल मे बैठी और हम दोनों ने चाय का आनंद लिया और फिर वो मुझे बोली आप नहा लिजेए मैं झाड़ू पोछा कर के नाहउँगी और सारा दिन सोऊंगी आपसे चिपक कर बड़ी थकान सी लग रही है ।
मैंने हाथ बढ़ा कर मधु के निप्पलों को सहलाया और बोला तुम काम कर लो न साथ नहाना है मुझे वो शर्मा के हँसते बोली क्या बात है आप जोश मैं लग रहे है ।
मैंने उसके निपल्ल को हल्के हाथों से मसल बोला नहाने से पहले जी भर चाटूँगा तुझे मेरी जान वो हँसते बोली आपकी ही हूँ जैसा चाहो मज़ा दूँगी आपने मेरे खुशी के लिए इतना कर दिया कि बस ये जवानी का हर कोना आप के लिए तड़प रहा ।
चाय चुस्की के बाद मधु घर मे काम करने लगी और सारे पँखे बंद होने की वजह से उसका नंगा योवन पसीने से भीग मेहकने के साथ चमकने लगा ।
एक घंटे बस मधु को काम करते देख मन ही मन पटक के चोदने का होने लगा था पर खुद के शरीर से मजबूर अपनी लुल्ली पर हल्का तनाव भी नही भरता देख बस ख़यालों मैं ही चोदने का सोचता रहा ।
आखिर जब मधु सारे काम खत्म कर थकी हारि पास आ बैठी तोह मैंने अपने झाघो को फैलाया और उसे अपने गोद मे बिठा कर अपना मुँह उसके दोनों मदमस्त चुचियों के बीच रख तेज़ सास लेता उसके बदन के पसीने से अपना पूरा चेहरा भिगोता आह भरने लगा और मधु मेरे बालों को कस कर खिंचती बोली कोई एक मर्द साथ होता तो क्या हम तीनों साथ नाहा के एक दो घंटे बाद न सोते ।
मधु अत्यधिक चुदासी हुई पड़ी थी ये मुझे समझ आ चुका था पर भोर छे बजे कौन मर्द मिलेगा ये सोच मेरे गांड की सुराख मे हलचल होने लगी थी कि मधु बोली बेचारा वसंत न जाने कहाँ होगा ।
मेरी जवानी मैं मानो उफान उठ गया हो ऐसा लगा जब मधु के मुँह से वसंत का नाम सुना वो आहे भर बोली उफ्फ कितनी गर्मी है एक मर्द के बहो मे ।
खैर मरता क्या न करता ऊपर से खुद लड़ का चस्का लगाए मेरा बदन हाथों से मोबाइल टटोलने लगा कि मधु बोली क्या ढूंढ रहे है ।
मधु जानती थी कि मर्द की बात होगी तो उसका नामर्द पति कभी न नहीं बोलेगा ।
मैं बोला वसंत को बुला लेता हूँ वो हँसते बोली आप क्यों बुला रहे है मैं है बुला लेती हूँ , सोच रही हूँ चलिए दोनों नहाते हैं क्या सोचेगा बेचारा रात भर चुदा कर बैठी भाभी मिल गई चलिए तरो ताज़ा हो कर वसंत के साथ मस्ती करेंगे फिर आराम से आराम करेंगे ।
मधु की उत्सुकता देख मे हाँ मे हाँ मिलाता रहा ओर उसके साथ गुसलखाने मे चूमा चाटि करते उसके योनि को जी भर चाट कर आनंदमय हो गया और वो साबुन लगा खूब कस के जिस्म को रगड़ रगड़ कर साफ करती इठलाती तोलिये को अपने गीले बालों मे बांधती बाहर की और चल पड़ी और मे भी अच्छे से नहा कर बाहर निकल आया और मधु के खिलखिलाकर हँसते चेहरे को देख समझ गया वसंत को जवानी की दावत पर बुलाया जा रहा था ।
मधु के खिलखिलाते चमकते योवन बदन से पीछे से चिपक उसके गर्दन को चूम मैने अपने हाथों को उसके मचलते उभारों पर रख सहलाया और हल्की आह करती मधु बोली इतंज़ार न कराना देवर जी जल्दी से आ जाना और फ़ोन को बिस्तर पर फेंक मेरे पत्नी मेरे हाथों को ऊपर से पकड़ अपने बेताबी को महसूस कराती बोली सुनिए जी वसंत बोल रहा है वो आज दुकान नहीं खोलेगा सारा दिन यही मेरी छेदों मे मेहनत करेगा ऐसी बात सुन मे अपनी चहिती को अपने और मोड़ बोला ये तो अच्छा है ना दिन भर एक गबरू जवान लौड़े से चुदाई होगी तो ये जवानी निखार जाएगी ।
मधु शर्मा के मेरे बाहों मैं समा गई और बोली क्या बताऊँ आपको जितना चुदवाती उतना और मन करता चुदने का ।
अरे पगली मैंने कहा रोका तुझे जी भर मज़ा लो न एक दो क्या अनगिनत मर्दो से मस्ती करो मेरी जान क्योंकि ये जवानी एक बार की मेहमान है वो भी चंद दिनों तक ही रहती है बाकी योवन ढलने के बाद भवरे भी नही मंडराते ।
खुल कर रंडी नाच करती रहो नए नए मर्दो से अनुभव लो बाकी इस मोहल्ले मैं एक से एक रंडी है ही ये सुन मधु हँसते बोली आप भी न ।
मधु के होंठो को चूम मैं अंगवस्त्र धारण कर बाहर बैठ गया और वो अपने हुस्न को लिपस्टिक बिंदी काजल और मांग भर कर एक पतली नाइटी पहन मेरे पास आ बोली भूख लग रही मैगी बना लेती हूँ आप खाएँगे क्या ।
हाँ खा लूँगा बना लो और थोड़ी चाय भी बना लेना बोल मे पेपर उठा पढ़ने लगा और थोड़े देर मैं ही दस्तक हुई और वसंत घर मे दाखिल हो गया ।
मधु किचन से झाँक कर देखी ओर वसंत बशीभूत हो मधु की ओर चल पड़ा और मैंने दरवाज़ा बन्द कर वापस बैठ चाय के इंतज़ार मैं पेपर पढ़ता रहा ।
कहानी जारी रहेगी ।