12-04-2021, 11:04 PM
ये अनिल कुमार अच्छी शकल सूरत का लड़का था और बहुत यंग था। उसी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में ब्यूटी पॉर्लर या ग्रोसरी की दुकान में आते-जाते उसकी दुकान के आगे से गुज़रते हुए कभी हम दोनों की नज़र मिल जाती तो दोनों ही एक दूसरे को कुछ पल तक नज़र गड़ा कर देखते रहते। कभी-कभी तो मैं उसकी दुकान से आगे जाने के बाद मुस्कुरा देती जिसका मतलब मुझे भी नहीं समझ में आता था। थोड़े ही दिनों में मुझे अनिल अच्छा लगने लगा और उससे बात करने को मेरा मन करने लगा। अच्छे कपड़े पहनता था।
मीडियम हाईट, एथलेटिक बॉडी, रंग गोरा और स्मार्ट। काले बाल जिनको स्टाईल से सेट करता था और लाईट ब्राऊन बड़ी-बड़ी आँखें। देखने से ही लगाता था जैसे किसी अच्छे खानदान का है। मैंने सोच लिया कि किसी दिन अनिल से ज़रूर अपने कपड़े सिलवाऊँगी। उसकी दुकान पे लड़कियाँ बहुत आती जाती थीं। हमेशा कोई ना कोई लड़की खड़ी होती और कभी-कभी तो एक से ज़्यादा भी लड़कियाँ होतीं अपने कपड़े सिलवाने या खरीदने के लिये। ज़ाहिराना उसकी दुकान खूब चलती थी और ज्यादातर वक्त उसकी दुकान पे भीड़ ही रहती थी। काफ़ी बिज़ी टेलर था।
एक शाम जब मैं ऑफिस से वापस आ रही थी तो बारिश शुरू हो गयी और मैं उसकी दुकान के सामने आ कर खड़ी हो गयी। बारिश अचानक शुरू हुई थी तो मेरे कपड़े भीग चुके थे और जैसा मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि ऑफिस जाने के टाईम पे मैंने ब्रा और फैंटी पहनना छोड़ दिया था तो बारिश में भीगने से मेरे कपड़े मेरे जिस्म से चिपक गये थे और मेरा एक-एक अंग अच्छी तरह से नज़र आ रहा था।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं नंगी हो गयी हूँ। शरम भी थोड़ी आ रही थी पर अब क्या कर सकती थी। ऊपर से आज ऑफिस में एस-के के साथ व्हिस्की के दो तगड़े पैग पी लिये थे और थोड़े नशे में मुझे अपना सिर बहुत हल्का महसुस हो रहा था और ऐसे मौसम में जिस्म में जैसे मीठी सी मस्ती दौड़ रही थी। चूत में अभी भी एस-के की मलाई का गीलापन महसूस दे रहा था।
अनिल अकेला ही था दुकान में। उसने मुझे अंदर बुलाया और मैं उसकी दुकान के अंदर आ गयी। उसने एक गद्देदार स्टूल दिया मेरे बैठने के लिये। उसे शायद मेरी साँसों में व्हिस्की की महक़ आ गयी थी और मुझे ठंड से काँपते देख वो बोला कि “आपके लिये चाय मंगवाऊँ या शायद आप रम प्रेफर करेंगी… मेरे पास ओल्ड कास्क रम है इस वक्त।“ मैं मना नहीं कर सकी…. ठंड बहुत लग रही थी। थोड़ी देर पहले ही एस-के के ऑफिस में व्हिस्की पी थी तो अब चाय पीने से बेमेल हो सकता था।
इसलिये मैंने कहा कि इस मौसम में रम ही ठीक रहेगी। मैं स्टूल पे बैठ गयी और उसने मुस्कुराते हुए अपनी दराज़ में से रम की बोतल निकाल कर एक ग्लास में थोड़ी सी डाल कर मुझे दी। मैंने दो घूँट में ही पी ली…. ठंड में रम बहुत अच्छी लग रही थी। मैंने ग्लास रखा तो इससे पहले मैं मना करती, उसने थोड़ी सी और मेरे ग्लास में डाल दी और इस बार दूसरे ग्लास में अपने लिये भी थोड़ी सी डाल दी। वो धीरे-धीरे सिप कर रहा रहा था और मुझे देख रहा था। हम दोनों कभी इधर उधर की बातें भी कर लेते। उसने मुझे बताया कि वो कॉमर्स का ग्रेजुयेट है और फैशन डिज़ाईनिंग का कोर्स भी कर रहा है। इसी लिये ट्रायल के तौर पे लेडीज़ टेलर की दुकान खोल ली है।
उसका घर कहीं और था लेकिन दुकान हमारे इलाके में थी। वो डेली आता जाता था अपनी मोटर बाईक पर। उसने मेरे बारे में भी पूछा। उसने मेरे ड्रेसिंग सेंस की भी काफी तारीफ की। वो बोला, कि “मैंने आपको कईं बार यहाँ से गुज़रते देखा है और आप हमेशा ही लेटेस्ट फैशन के कपड़े बहुत ही एप्रोप्रियेटली पहनती हैं… और आपकी चाल तो बिल्कुल किसी मॉडल जैसी है।“ मैं उसकी बात सुन कर हँस दी। ऐसे ही हम बातें करते रहे। थोड़ी देर के बाद बारिश रुक गयी तो मैं उसको थैंक यू कह कर जाने लगी तो उसने कहा कि “इसमें थैंक यू की क्या बात है मैडम…. कभी हमें अपनी खिदमत का मौका दें तो हमें खुशी होगी।“ वॉव….
जब उसने मैडम कहा तो मुझे अनिल एक दम से बहुत ही अच्छा लगने लगा। उसकी ज़ुबान से अपने लिये मैडम सुन कर मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मैं किसी छोटे बच्चे की तरह खुश हो गयी। फिर उसने पूछा कि “मैडम, आप ठीक हैं ना… आप कहें तो मैं आप के साथ घर तक चलूँ।“ उसका मतलब समझकर मैंने हंस कर कहा कि “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है…. मैं ठीक से चल सकती हूँ…. मुझे अक्सर ड्रिंक्स लेने की आदत है… और फिर तुम्हारे दुकान छोड़कर मेरे साथ आने से कस्टमर्स को परेशानी होगी।“
फिर मैं धीरे-धीरे बड़े एहतियात से चल कर घर आ गयी क्योंकि एक तो सड़क पर काफी पानी भर गया था और मैंने महसूस किया कि मेरे कदम बीच-बीच में काफी लड़खड़ा जाते थे। किस्मत से मैं कहीं गिरी नहीं और महफूज़ घर पहुँच गयी। उस रात जब मैं सोने के लिये बेड पर लेटी तो मेरे ज़हन में अनिल ही घूमता रहा। उसका रम पिलाना और रम का ग्लास देते-देते मेरे हाथ से अपने हाथ टच करना, मुझे मीठी-मीठी नज़रों से देखना और फैशन मॉडल्स से मुझे तशबीह देना और खासकर के मुझे मैडम कहना और ये कहना कि हमें भी अपनी खिदमत का मौका दें तो हमें खुशी होगी….।
मुझे ये सब याद आने लगा तो मैं खुद-ब-खुद मुस्कुराने लगी और सोचने लगी के कौनसी खिदमत का मौका देना है अनिल को और ये सोचते ही एक दम से मेरी चूत गीली हो गयी और मेरी उंगली अपने आप ही चूत के अंदर घुस गयी और मैं क्लीटोरिस का मसाज करने लगी। मैंने अपनी उंगली को चूत के सुराख में घुसेड़ कर अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया और सोचने लगी कि अनिल कैसा चोदता होगा? वैसे उससे चुदवाने का ऐसा मेरा कोई इरादा तो नहीं था पर ये खयाल आते ही मैं झड़ गयी और थोड़ी देर में गहरी नींद सो गयी। सुबह उठी तो सबसे पहले सोच लिया कि अनिल से अपने कुछ सलवार-कमीज़ सिलवाऊँगी।
दिन ऐसे ही गुज़रते रहे। ऑफिस आते-जाते अनिल मुझे देखता और मैं उसको देखती और हमारी नज़रें एक दूसरे को एक अंजाना इशारा देती रहीं। हम इशारों ही इशारों में एक दूसरे को विश भी कर लेते। कभी तो आहिस्ता से हाथ भी उठा के इशारा कर लेते जो किसी और को नज़र नहीं आता। ऐसे ही जैसे लवर्स एक दूसरे को इशारा करते हैं।
इसी तरह से हम दोनों के बीच में एक अंजाना ब्रिज बन गया। किसी दिन वो दुकान के अंदर होता और मुझे दिखायी नहीं देता तो उस दिन अजीब सा महसूस होता। दिल में एक बेचैनी रहती। मैं चाहने लगी कि मेरे उसकी दुकान के सामने से गुज़रने के टाईम पे वो मैं उसको देख लूँ तो मुझे इत्तमिनान हो जाये। ऐसे ही करीब तीन हफते गुज़र गये।
एक दिन मैं घर में ही थी और ऑफिस नहीं गयी थी। एक हफते से एस-के भी ऑउट ऑफ टाऊन था। अशफाक भी अपने टूर पे थे। सलमा आँटी से तो खैर मैं हर रोज़ मिलती थी लेकिन आज सुबह ही वो भी अपनी किसी मौसी के घर गयी हुई थीं। मैं बहुत ही बोर हो रही थी। शाम से एस-के की भी बहुत याद आ रही थी। मन कर रहा था कि कहीं से एस-के आ जाये और मुझे बड़ी बेदर्दी से चोद डाले और इतना चोदे कि मेरी चूत एक बार फिर से फट जाये और खून निकल आये। एस-के से चुदाई का सोचते ही मेरी चूत गीली होने लगी।
मैं अब घर पर अकेली होती तो सिर्फ सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी ही रहती थी। मैंने झट से व्हिस्की का पैग बनाया और एक झटके में नीट ही पी गयी और फिर दूसरा पैग लेकर एक-ब्लू फिल्म की सी-डी लगाकर बैठ गयी। सोफ़े पर बैठे-बैठे ही अपनी टाँगें खोल दीं और मेरा हाथ खुद-ब-खुद चूत में चला गया। मैं अपनी चिकनी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगी और मेरी आँखें बंद हो गयी। मैं अपनी उंगली अंदर-बाहर करने लगी और थोड़ी ही देर में झड़ गयी।
मुझे मार्केट से कुछ खाने का सामान भी लेना था तो सोचा कि मार्केट जाऊँगी तो शायद सैक्सी खयालात मेरे दिल से निकल जायेंगे। फिर खयाल आया कि चलो क्यों ना अपने सलवार कमीज़ का कपड़ा भी ले लूँ और सिलने के लिये दे दूँ। ये सोचते ही मैंने अपनी अलमरी से दो नये सलवार सूट के कपड़े निकाले और बैग में डाल कर बाहर निकल गयी। देर शाम हो चुकी थी। बाहर ठंडी-ठंडी हवा भी चलने लगी थी और लगाता था जैसे बारिश होगी पर हो नहीं रही थी। अनिल की दुकान तो बज़ार में जाते हुए पहले ही पड़ती थी तो मैं पहले वहीं चली गयी। उस वक़्त अनिल कहीं बाहर गया हुआ था। उसका कोई मुलाज़िम बैठा था।
उसने बताया कि अनिल अभी दस मिनट में आ जायेगा…. तो मैंने कहा, “ठीक है…. ये कपड़े यहीं रहने दो…. मैं भी बाकी शॉपिंग के लिये जा रही हूँ, वापसी में आ जाऊँगी…. अनिल से कह देना कि किरन मैडम आयी थी और ये कपड़े रख कर गयी है…. अभी आ जायेगी।“ उसने कहा, “ठीक है” और कपड़े एक साईड में रख दिये।
मुझे बाकी शॉपिंग में एक घंटे से कुछ ज़्यादा ही लग गया। वापस आते वक्त तक तो रात के तकरीबन आठ बज गये थे। मैं सोच रही थी कि कहीं अनिल दुकान ना बंद कर दे, इसी लिये जल्दी से उसकी दुकान की ओर बढ़ी। अनिल दुकान में आ चुका था और उसकी दुकान भी खाली हो चुकी थी। वो भी बंद करने की तैयारी कर रहा था और साथ ही मेरा इंतज़ार भी कर रहा था। उसका दूसरा स्टाफ छुट्टी कर चुका था और अनिल दुकान में अकेला ही था। मुझे देख कर वो खुश हो गया और उसका चेहरा चमकने लगा।
मैंने देखा कि वो रम पी रहा था। उसने मेरे लिये भी एक पैग बना दिया। हालांकि मैंने शाम को ही दो पैग व्हिस्की के पिये थे और बहुत हल्का सा असर मुझ पर बरकरार था लेकिन ठंडी हवा चल रही थी और मेरा मन पीने का कर रहा था। वैसे भी एस-के और सलमा आँटी के साथ रह कर मैं पीने की बहुत आदी हो गयी थी और जब कभी भी पीने का मौका मिले तो मना नहीं कर पाती थी। दिन भर में आम तौर पे चार-पाँच पैग हो ही जाते थे लेकिन ऐसा कभी-कभार ही होता था कि मैं नशे में बुरी तरह चूर हो जाऊँ। मैंने उसको थैंक्स कहा और अपना ड्रिंक सिप करने लगी जो ठंड में बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसने पूछा, “आपके कपड़े हैं मैडम?” तो मैंने कहा, “हाँ…. बहुत दिनों से सोच रही थी कि तुमसे कुछ ड्रेस सिलवाऊँगी तो आज चली आयी।“
मैं भी फ्री थी और कोई काम नहीं था। मुझे भी टाईम पास करना था तो दो पैग पीने तक हम इधर-उधर की बातें करते रहे। मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो फैशन डीज़ाईनिंग का कोर्स भी कर रहा है तो मैंने उससे फैशन डीज़ाईनिंग के बारे में पूछा। उसने मुझे फैशन डीज़ाईनिंग के बारे में काफी कुछ बताया और बात-बात में बताया कि “मैडम कईं बार किसी खास डिज़ाईन के लिये जिस फैशन-मॉडल का नाप लेना होता है तो उसको नंगा करके नाप लिया जाता है ताकि फिटिंग सही बैठे।“
मैं हैरान रह गयी और पूछा कि “लड़कियाँ नंगी हो जाती हैं?” तो उसने कहा “हाँ मैडम…. अगर किसी को अच्छी तरह से और सही फ़िटिंग का ड्रेस सिलवाना हो तो बहुत अराम से नंगी हो जाती हैं लेकिन उस टाईम पे बस वही डिज़ाईनर अंदर होता है जो नाप ले रहा होता है ताकि फैशन-मॉडल बस एक ही डिज़ाईनर के सामने नंगी हो…. पूरी क्लास के सामने नहीं।“ मैंने कहा कि “ऐसे कैसे हो सकता है?” तो उसने कहा कि “मैं सच कह रहा हूँ मैडम…. हम ऐसे ही नाप लेते हैं!” तो मैंने हँसते हुए कहा कि “क्या मेरा भी ऐसे ही लोगे?”
तो उसने कहा कि “अगर आप भी सही और परफेक्ट फिटिंग के डिज़ाईनर कपड़े सिलवाना चाहती हैं और अगर आपको कोई ऑबजेक्शन ना हो तो आप अपने कपड़े निकाल सकती हैं…. नहीं तो हम सैंपल साईज़ से ही काम चला लेते हैं।“ मैंने कहा कि “मैं तो सैंपल नहीं लेकर आयी” तो उसने कहा कि “मैं ऐसे ही ऊपर से आपका साईज़ ले लुँगा…. आप अंदर ड्रेसिंग रूम में चलिये।“
अभी मैं सोच ही रही थी कि क्या करूँ, इतने में हवा बहुत ही तेज़ी से चलने लगी और उसके काऊँटर पर रखे कपड़े उड़के नीचे गिरने लगे और नाप के रजिस्टर के पन्ने फड़फड़ाने लगे तो उसने अपनी दुकान का शटर जल्दी से गिरा दिया और नीचे गिरे हुए कपड़े उठाने लगा। मैंने देखा कि उसने लुँगी पहनी हुई है और टी-शर्ट। जब उसने देखा कि मैं उसकी लूँगी को हैरत से देख रही हूँ तो उसने बताया कि मार्केट में किसी दुकान से नीचे उतरते हुए कील लगने से उसकी पैंट फट गयी तो इसी लिये उसने पैंट चेंज कर के लुँगी बाँध ली थी।
दुकान का शटर बंद करने से दुकान में ठंडी हवा के झोंके नहीं आ रहे थे, वैसे बाहर तो अच्छी खासी सर्दी होने लगी थी। हम दोनों अंदर ड्रेसिंग रूम में आ गये, जहाँ वो मेरा नाप लेने वाला था। दुकान का शटर गिरते ही मुझे लगा जैसे हम एक सेपरेट रूम में अकेले हैं और मेरे खयाल में आया कि इस दुकान में मैं और अनिल अकेले हैं और हमें देखने वाला कोई नहीं। मेरे दिमाग में गर्मी चढ़ने लगी। नशा तो पहले ही चढ़ा हुआ था। जिस्म में खून तेज़ी से दौड़ने लगा साँस तेज़ी से चलने लगी और एक अजीब सा सुरूर महसूस होने लगा।
खैर उसने अंदर की लाईट जला दी। ड्रेसिंग रूम बहुत बड़ा तो नहीं था लेकिन बहुत छोटा भी नहीं था। मीडियम साईज़ का था जहाँ पर एक तरफ़ बड़ा सा मिरर लगा हुआ था ताकि अगर कोई लड़की चेक करना चाहे तो कपड़े पहन कर मिरर में देख सकती थी। वो मेरे सामने खड़ा हो गया और पहले उसने सलवार का नाप लेने को कहा। जैसे टेलर्स की आदत होती है, नाप लेने से पहले वो थोड़ा सा झुका और मेरे सामने बैठते-बैठते उसने मेरी सलवार के सामने के हिस्से को पकड़ के थोड़ा सा झटका दिया जिससे सलवार थोड़ी सी सरक के नीचे हुई। मैंने जल्दी से सलवार को ऊपर से पकड़ लिया। उसने अब नाप लेना शुरू किया।
साईड से कमर से पैर तक का नाप लेते हुए उसने पूछा कि “मैडम आप अधिकतर इतनी ही ऊँची हील पहनती हैं क्या….? मैं उसी हिसाब से नाप लेना चाहता हूँ।“ मैंने कहा, “हाँ यही चार-साढ़े चार इंच और कईं दफ़ा पाँच इंच तक!” उसके बाद वो फिर टेप का बड़ा वाला हिस्सा जिस पर मेटल लगा होता है, उसको जाँघों के अंदर पकड़ कर साईज़ लेने लगा तो वो मेटल का पीस मेरी चूत से टकराया और मेरे मुँह से एक सिसकरी सी निकल गयी। उसने पूछा, “क्या हुआ मैडम?” तो मैंने कहा, “कुछ नहीं…. तुम नाप लो।“ उसने उस मेटल के पीस को थोड़ा और अंदर किया तो मुझे लगा जैसे वो पीस मेरी चूत के लिप्स को खोल के अंदर घुस गया और क्लीटोरिस को टच करने लगा। जैसा कि मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि जब से ऑफिस जाने लगी थी, मैंने अब पैंटी और ब्रा पहनना करीब- करीब छोड़ ही दिया था तो आज भी मैंने ना पैंटी पहनी थी और ना ब्रा ।
उसका हाथ मेरी जाँघों के अंदर वाले हिस्से में था और नाप ले रहा था जिससे मेरी आँखें बंद हो गयी और टाँगें अपने आप ही खुल गयी थी और मैं उसके हाथ को अपनी चूत से खेलने का आसान एक्सेस दे रही थी। मेटल पीस चूत के अंदर महसूस करते ही चूत गीली होना शुरू हो गयी और जिस्म में सनसनी दौड़ने लगी। वो खड़ा हो गया और मेरी कमर का नाप लेने लगा और बोला कि “मैडम कमीज़ को थोड़ा ऊपर उठा लीजिये” तो मैंने कमीज़ को थोड़ा उठाया जिससे मेरा पेट दिखायी देने लगा
तो उसने कहा कि “मैडम आपका कलर तो क्रीम जैसा है और बहुत चिकना भी है।“ मैं शर्मा गयी पर कुछ नहीं बोली। जबसे मुझे उसका हाथ मेरी जाँघों के अंदर महसूस हुआ, उसी वक़्त से मुझे तो मस्ती छाने लगी थी और चूत में खुजली भी होने लगी थी। मैं सोचने लगी कि फैशन -मॉडल्स ऐसे कैसे नंगी हो कर नाप देती होंगी। ये सोचते ही मेरा भी मन करने लगा कि अनिल अगर मुझसे भी कहे तो मैं नंगी हो कर नाप दे सकती हूँ और फिर ये खयाल आते ही मैं और गीली हो गयी।
इतने में वो खड़ा हो गया और कमीज़ का नाप लेने लगा। लंबाई लेने के लिये कंधों से नीचे तक टेप लगाया। टेप मेरी चूचियों को टच करने लगा तो एक दम से मेरे निप्पल खड़े हो गये और साँसें तेज़ी से चलने लगी। फिर उसने मुझे हाथ सीधे रखने को कहा और मेरी बगल के अंदर से टेप डाल कर चूचियों के ऊपर से नाप लेना शुरू किया। उसी वक़्त पे पीछे से जब वो टेप ठीक कर रहा था तो उसकी गरम साँस मेरे नंगे कंधों पे महसूस होने लगी जिससे मैं और गरम हो गयी। वो भी करीब मेरी ही हाईट का था।
जब वो खड़ा हुआ तो मेरे हाथ को ऐसा लगा जैसे उसका लंड मेरे हाथ से टच हुआ हो। बस ऐसा महसूस होते ही मेरे ज़हन में एस-के का लंड घूमने लगा। वो थोड़ा और आगे आया और टेप पीछे से ठीक करने लगा तो इस बार सही में उसका लंड मेरे हाथ पे लगा। उसका लंड एक दम से खड़ा हो चुका था। शायद वो भी गरम हो गया था। उसका लंड मेरे हाथ से टच होते ही मेरी चूत समंदर जैसी गीली हो गयी और मुझे यकीन हो गया कि उसे भी एहसास था कि उसका लंड मेरे हाथ से टकराया है पर वो पीछे नहीं हटा और अपने लंड को मेरे हाथ पे ही रखे-रखे टेप ठीक करने लगा।
मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी और मेरे ज़हन में जो शाम से चुदाई का भूत सवार था वो अब ज़ोर पकड़ने लगा और मैं हवस की आग में जलने लगी। ऊपर से शाम की व्हिस्की और अभी अनिल के साथ पी हुई रम का नशा मेरी हवस को और भड़का रहा था और मैं सोचने लगी कि अगर अनिल ने मुझे नहीं चोदा तो मैं खुद ही उसको चोद डालुँगी आज। नशे भरे मेरे दिमाग में आया कि उसके अकड़े हुए लंड को पकड़ कर अपनी गीली गरम चूत में घुसेड़ डालूँ पर बड़ी मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल कर पायी और चाहते हुए भी उसके लंड को अपनी मुट्ठी में ले कर नहीं दबाया।
नशे से मेरी हिम्मत खुल रही थी और अब मैंने फ़ैसला कर लिया कि मैं भी नंगी हो कर ही नाप दुँगी। मैंने कहा, “अनिल! क्या तुम मेरे लिये भी डिज़ाईनर और परफेक्ट फिटिंग की सलवार कमीज़ बना सकते हो?” तो उसने कहा कि “मैडम उसके लिये आपको…।“ मैंने कहा, “कोई बात नहीं यहाँ सिर्फ़ हम दो ही तो हैं…. क्या हुआ, कोई बात नहीं….. जैसा तुम चाहोगे मैं नाप दे दुँगी” तो उसके चेहरे से खुशी छलकने लगी। उसने कहा कि “ओके मैडम, आप अपने कपड़े उतार लीजिये” तो मैंने कमीज़ के अंदर हाथ डाल के कमीज़ को ऊपर उठा कर निकाल दिया जिससे मेरी गोल-गोल चूचियाँ हिलने लगीं।
उसके मुँह से ‘वोव वंडरफुल’ निकल गया। अब मैं उसके सामने आधी-नंगी खड़ी थी। उसने कहा कि “अब सलवार भी निकाल दीजिये मैडम, ताकि मैं नाप ले सकूँ” तो मैंने सलवार का स्ट्रिंग खोल दिया और मेरी सलवार फरमान बरदार कनीज़ की तरह से मेरे कदमों में गिर पड़ी। मैंने अपने सैंडलों के स्ट्रैप खोल कर सलवार को अपने पैरों से निकाल कर एक तरफ़ हटा दिया। फिर उसने कहा कि “मैडम आप सैंडल पहन लीजिये ताकि आपके सैंडल की ऊँचाई के अनुसार मैं आपका नाप ले सकुँ और क्योंकि हाई-हील से आपकी चेस्ट और हिप्स का पोसचर भी पर्फेक्ट रहेगा और मैं ठीक से आपकी ड्रेस बना सकुँगा।“
अब मैं सिर्फ हाई-हील सैंडल पहने, उसके सामने बिल्कुल ही नंगी खड़ी थी। मेरी उसी दिन की शेव की हुई चिकनी चमकदार चूत देख कर उसने कहा “आप बहुत ही खूबसूरत हैं मैडम। इतनी खूबसूरत मैंने किसी को नहीं देखा…. आप एक दम से परफेक्ट फिगर की हो… आपको तो मॉडलिंग करनी चाहिये।“ उसके मुँह से अपनी तारीफ सुन कर मुझे बेहद अच्छा लग रहा था। बाहर हवा तेज़ी से चलने लगी थी और लाईट बार-बार जलने-बुझने लगी जैसे कहीं लूज़ कनेक्शन हो गया हो तो उसने साईड में रखी हुई एक केंडल जला दी। नशे और हवस में मेरा रहा-सहा पश-ओ-पेश भी हवा हो गया था
और मैंने हँसते हुए पूछा कि “क्या नाप लेते वक्त तुम सिर्फ़ मॉडल्स को ही नंगा करते हो या तुम भी नंगे हो जाते हो?” तो वो शर्मा गया और बोला कि “अगर मॉडल चाहे तो मैं भी नंगा हो कर ही नाप लेता हूँ।“ मैंने फिर हँसते हुए कहा कि “अब क्या इरादा है?” तो उसने कहा कि “मैडम अगर आप चाहें तो मैं भी आपकी तरह ही नंगा हो कर नाप ले सकता हूँ।“ मैंने कहा, “तुम्हारी मर्ज़ी” और अपनी टाँगें थोड़ी खोल दी ताकि वो नाप लेना शुरू कर सके। उसने मेरा इशारा शायद समझ लिया था और बैठे-बैठे ही अपनी टी -शर्ट निकाल दी। अब वो सिर्फ़ लुँगी में बैठा हुआ था और नाप लेना शुरू किया।
एक बार फिर से उसके हाथ मेरे जाँघों के अंदर वाले हिस्से पे लगने लगे और मेटल का पीस चूत के अंदर महसूस होने लगा। उसने भी शरारत में मेटल पीस चूत के अंदर घुसा दिया और मैंने अपनी टाँगें खोल दीं। मेटल पीस चूत के अंदर लगते ही मेरे मुँह से मस्ती भरी सिसकरी निकल गयी। उसकी अँगुलियाँ मेरी चूत से टकरा रही थीं और मेरी चूत और ज़्यादा गीली होने लगी। उसने बैठे-बैठे पूछा कि मैडम, “सच आप चाहती हैं कि मैं भी नंगा हो जाऊँ?” तो मैंने मुस्कुरा के कहा, “तुम्हारी मर्ज़ी…. मुझे तो कोई प्रॉबलम नहीं है क्योंकि मैं भी तो तुम्हारे सामने नंगी खड़ी हूँ।“
मेरी चिकनी चूत लाईट में चमक रही थी और गीली भी हो गयी थी और मुझे पक्का यकीन था कि अनिल को मेरी गीली चूत की महक ज़रूर आ रही होगी। जिस तरह वो नीचे बैठा था, मेरी चूत उसके मुँह के सामने थी। उसने ऊपर टेप की तरफ़ देखते-देखते मेरी चूत पे किस कर दिया तो मेरी टाँगें खुद ही खुल गयीं और मेरा हाथ उसके सिर पे चला गया और वो घुटनों के बल झुक गया और मेरी गाँड पे हाथ रख कर मेरी चूत को चूमने और चूसने लगा। मैं तो नशे में मदहोश थी ही और हवस की आग में पहले से ही जल रही थी।
उसका मुँह अपनी चूत पे महसूस करते ही मैं तो जैसे दीवानी हो गयी और उसके सिर को पकड़ के अपनी चूत में दबाने लगी। उसने मेरी पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से कटा तो मेरे मुँह से मस्ती की चींख निकल गयी, “आआआआहहहहह “और मैं एक दम से झड़ने लगी। मेरी आँखें बंद हो गयीं और मैं अपनी चूत को उसके मुँह से रगड़ने लगी। मैं झड़ती गयी और वो मेरा जूस पीता गया। जब मेरा झड़ना खतम हुआ तो मैंने झुक कर उसके कंधों को पकड़ा तो वो उठ खड़ा हुआ। उसने पहले ही बैठे-बैठे ही अपनी लुँगी को खोल दिया था और मेरी चूत चाटते हुए वो अपना लंड मेरे सैंडलों पर रगड़ रहा था।
जब वो खड़ा हुआ तो उसकी लुँगी भी नीचे गिर पड़ी और वो भी नंगा हो चुका था और उसका लंड स्प्रिंग के जैसे ऊपर नीचे हो कर हिल रहा था जैसे मेरी चूत को सेल्यूट कर रहा हो। उसका लंड भी बहुत ही मस्त था…. बड़ा और मोटा बिला-खतना लंड। नशे में मैं पूरी बेशर्म तो हो ही गयी थी और मैंने एक ही सेकेंड में उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और दबाने लगी। वॉव… मस्त और बहुत ही कड़क लंड था उसका। काफी लंबा और मोटा, लोहे जैसा सख्त था। मैंने एक हाथ उसकी बैक पे रख कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया और दूसरे हाथ से उसके लंड को पकड़ के अपनी चूत में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर रगड़ने लगी। उसने झुक कर मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। उसके लंड में से प्री-कम निकल रहा था जो चूत को स्लिपरी बना रहा था।
मेरी चूत में तो जैसे आग लगी हुई थी और नशे में मैं खड़ी-खड़ी ही हाई हील सैंडलों में झूमने लगी थी। मैं नीचे बैठ गयी और उसके लंड को किस किया और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी गाँड आगे पीछे करके मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया। अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। अब तो बस मेरी गरम और गीली चूत को उसका लंबा मोटा कड़क और तगड़ा लंड चाहिये था। मैं बैठे-बैठे ही लेट गयी और उसको अपने ऊपर खींच लिया। बस उसी वक्त बिजली चली गयी और कमरे में एक दम से अंधेरा हो गया पर केंडल की रोशनी से रूम बहुत ही रोमैंटिक लगने लगा।
उस वक्त जितने नशे और वासना में मैं चूर थी, उस हालत में म्यूनिसपैलटी का कुढ़ाघर भी मुझे रोमैंटिक लगता। खैर, मैं लेट गयी और उसको अपने ऊपर खींच लिया और अपनी टाँगें फैला लीं। अनिल मेरी दोनों टाँगों के बीच में आ गया। उसने अपने पैर पीछे की तरफ़ को सीधे कर दिये और उसका लंड मेरी चूत के लिप्स के बीच में था। अपनी दोनों कुहनियों को मेरे जिस्म के दोनों तरफ़ रख कर वो मुझ पर झुक गया और मुझे किस करने लगा। उसकी ज़ुबान मेरे मुँह में घुस गयी थी और मुझे अपनी चूत के जूस का टेस्ट उसके मुँह से आने लगा।
वो अपने लंड के सुपाड़े को मेरी चिकनी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था। मेरी टाँगें उसकी गाँड पे क्रॉस रखी हुई थी। उसने सुपाड़े को अंदर-बाहर करते-करते एक ज़ोर का धक्का मारा तो मेरे मुँह से मस्ती की “आआआआआहहहहह” निकल गयी और उसका गरम लंड मेरी तंदूर जैसी चूत में ऐसे घुस गया जैसे गरम चाकू मक्खन में घुस जाता है। उसका लंड बेहद मोटा था। उसके लंड से मेरी चूत खुल गयी थी। मेरी आँख से दो बूँद आँसू भी निकल गये। ये आँसू मस्ती के थे जिसे उसने नहीं देखा।
मैंने उसको ज़ोर से पकड़ा हुआ था और मेरी टाँगें उसकी गाँड पे क्रॉस थी। उसने लंड को बाहर निकाल कर चोदना शुरू कर दिया। बहुत ही मज़ा आ रहा था उसकी चुदाई से। उसके हाथ मेरी बगल से निकल कर कंधों को पकड़े हुए थे। वो अपनी टाँगें पीछे दीवार से टिका कर गचागच चोद रहा था। उसके हर झटके से मेरे चूचियाँ डाँस करने लगी थी। कमरे में हल्की सी रोशनी चुदाई में मज़ा दे रही थी। कमरा रोमैंटिक लग रहा था और चुदाने में मज़ा आ रहा था। वो गचागच चोद रहा था और मुझे लग रहा था कि आज उसका लंड मेरी चूत फाड़ डालेगा। लेकिन मैं भी तैयार थी,
मैं चाहती थी कि आज वो सच में मेरी चूत को फाड़ डाले और चोदते-चोदते मेरी चूत को अपनी मनि से भर दे। एक हफ़्ते से मेरी चुदाई नहीं हुई थी और मेरी चूत को तो बस लंड चाहिये था। मेरी चूत की खुजली बढ़ गयी थी और मैं चाहती थी कि मस्त चुदाई हो। अनिल का लंड बेहद वंडरफुल था। वो पूरी मस्ती में चोद रहा था। लंड को पूरा सुपाड़े तक बाहर निकाल-निकाल कर चूत में घुसेड़ देता तो उसके लंड का हेल्मेट जैसा सुपाड़ा मेरी बच्चे दानी से टकरा जाता और मेरा सारा जिस्म काँप जाता।
अब वो बहुत तेज़ी से चोद रहा था और मैं शायद तीन बार झड़ चुकी थी। मेरे जूस से चूत बहुत ही गीली हो चुकी थी और अब उसका लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था और वो बहुत ही ज़ोर-ज़ोर से चूत फाड़ झटके मार रहा था। यंग था ना, इसी लिये पूरी ताकत से धक्के मार-मार के चुदाई कर रहा था। मेरे मुँह से खुद-ब-खुद निकलना शुरू हो गया, “आआआईईईईईई आहहहहाआआआआआ ऐसे ही…ईईईईई चोदो…. ओओओओ ऊऊऊईईईई आआआआआहहह मज़ा…आआआआ रहा है….. और ज़ोर से…एएएएए आआंआंआंआंहहह” और उसका लंड बड़ी बे-दर्दी से मेरी चूत को चोद रहा था।
अब उसके चोदने की रफ़्तार बढ़ गयी थी और उसके मुँह से भी अजीब आवाज़ें निकलने लगी थी। फिर अचानक उसने अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर इतनी ज़ोर से मेरी चूत के अंदर धक्का मार कर घुसेड़ दिया कि मेरे मुँह से चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईई अल्लाह…आआआआआ”, और मैंने उसको बहुत ज़ोर से पकड़ लिया और उसके लंड में से मलाई की पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी। उसकी पहली पिचकारी जब मेरी चूत के अंदर पड़ी तो मैं फिर से झड़ने लगी और अब उसके लंड में से क्रीम निकल-निकल कर मेरी एक हफते से प्यासी चूत की प्यास बुझाने लगी। उसकी मलाई निकलती रही और मेरी चूत भरती रही। उसकी मलाई भी बहुत ही गाढ़ी थी, मज़ा आ रहा था उसकी मलाई चूत के अंदर महसूस करके।
उसके धक्के अब धीरे होने लगे और अभी भी उसका लंड अंदर ही था। वो मेरे सीने पर गिर गया जिससे मेरे चूचियाँ दब गयी। वो थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा और उसका लंड अभी अंदर ही था। जब मेरा झड़ना खतम हुआ और मेरी साँसें ठीक हुई तो देखा कि अभी तक उसका लंड मेरी चूत के अंदर ही घुसा हुआ है और वैसे ही तना हुआ है, लोहे जैसा सख्त। उसकी क्रीम निकलने से भी लंड नरम नहीं हुआ था। थोड़ी ही देर में उसकी साँसें भी ठीक हो गयी और फिर उसने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी और हम एक दूसरे की जीभ को चूसने लगे। कमरे में अभी भी मोमबत्ती जल रही थी और धीमी रोशनी बहुत दिलकश और रोमैंटिक लग रही थी।
मैंने गौर किया है कि रूम में अगर थोड़ा अंधेरा हो और लड़की ने शराब पी हुई हो तो लड़की में शरम नहीं रहती और वो हर तरीके से चुदवा सकती है और वो भी कर लेती है जो वो बिना शराब पिये नहीं कर सकती। कुछ यही हाल मेरा भी था। मेरे पास अब कोई शरम -हया बाकी नहीं थी। ऐसा लग रहा था जैसे सारे जहाँ में बस हम दो ही हों और कोई नहीं…… फिर चाहे जिस तरह से चुदाई हो, लंड चूस लो या अपनी चूत चटवा लो… कोई फ़रक नहीं पड़ता।
अनिल मेरे ऊपर ही लेटा हुआ था और उसका अकड़ा हुआ सख्त लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर घुसा हुआ था। उसका लंड मेरी चूत के अंदर ऐसे फिक्स बैठा था जैसे बोतल के ऊपर कॉर्क और लंड अंदर ही रहने की वजह से हमारी दोनों की क्रीम भी मेरी चूत के अंदर ही फंसी हुई थी, बाहर नहीं निकली थी। हम दोनों किस कर रहे थे और वो मेरी चूचियों को मसल रहा था। वो मेरे निप्पलों को अंगूठे और उंगली से मसल रहा था। थोड़ी ही देर में उसने मेरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया जिससे मेरी चूत में फिर से खुजली होने लगी और जिस्म में बिजली सी दौड़ने लगी। पर उसका इरादा तो कुछ और ही था।उसने एक ही हरकत में अपना लंड मेरी चूत में से बाहर निकाल लिया और इस से पहले कि मेरी क्रीम से भरी चूत में से क्रीम बहने लगती, वो पलट गया और अपनी दोनों टाँगें मेरे सिर के दोनों तरफ़ रख के अपना लंड मेरे होंठों से लगा दिया। उसके लंड से हम दोनों की मिक्स क्रीम टपक कर मेरे मुँह पे गिर रही थी तो मैंने मुँह खोल दिया और हम दोनों की मिक्स क्रीम से भीगे हुए उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। बहुत ही टेस्टी था उसका लंड। ऐसे लग रहा था जैसे मैं कोई शहद चूस रही हूँ।
उसका लंड तो अभी तक नरम नहीं हुआ था, बल्कि मेरे चूसने से उसका लंड और भी ज़्यादा अकड़ गया था और अब वो मेरे मुँह को चोद रहा था । वो आगे झुक कर मेरी मेरी चूत में अपनी उंगलियाँ अंदर-बाहर करके चोदने लगा। मैं इतनी मस्ती में आ गयी और गरम हो गयी कि उसके लंड को बहुत ही ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और वो भी अपनी गाँड उठा-उठा के मेरे मुँह को चोदने लगा। उसने जब मेरी चूत में चार उंगलियाँ घुसेड़ीं और अंगूठे से क्लिटोरिस को रगड़ा तो मैं काँपने लगी और बहुत ज़ोर से झड़ गयी।
मेरी चूत से जूस निकलने लगा और मैं कुछ ज़्यादा ही मस्ती से उसके लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड मेरे मुँह में ही और ज़्यादा ही मोटा हो रहा है। मैं समझ गयी कि अब उसकी क्रीम भी निकलने वाली है और उसी वक्त उसने अपने लंड को मेरे हलक में पूरा अंदर तक घुसा दिया जिससे मेरी आँखें बाहर निकल आयीं और साँस बंद होने लगी। उसके लंड से मलाई की गाढ़ी-गाढ़ी पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी और डायरेक्ट मेरे हलक में गिरने लगी। उसके लंड में से मलाई निकलती ही चली गयी…. निकलती ही चली गयी और इस कदर निकली कि मुझे लगा जैसे मेरा पेट उसकी क्रीम से ही भर जायेगा। पता नहीं इतनी क्रीम कैसे निकली उसके लंड से।
हम दोनों झड़ चुके थे और दोनों के जूस निकल चुके थे और दोनों गहरी-गहरी साँसें ले रहे थे। उसका लंड मेरे मुँह में ही था और उसका मुँह मेरी चूत पे। अब उसका लंड मेरे मुँह में थोड़ा-थोड़ा नरम हो गया था पर उसके यंग लंड में अभी भी सख्ती थी। थोड़ी ही देर के बाद मैंने उसको अपने ऊपर से हटा दिया और वो नीचे मेरी बगल में लेट गया।
मीडियम हाईट, एथलेटिक बॉडी, रंग गोरा और स्मार्ट। काले बाल जिनको स्टाईल से सेट करता था और लाईट ब्राऊन बड़ी-बड़ी आँखें। देखने से ही लगाता था जैसे किसी अच्छे खानदान का है। मैंने सोच लिया कि किसी दिन अनिल से ज़रूर अपने कपड़े सिलवाऊँगी। उसकी दुकान पे लड़कियाँ बहुत आती जाती थीं। हमेशा कोई ना कोई लड़की खड़ी होती और कभी-कभी तो एक से ज़्यादा भी लड़कियाँ होतीं अपने कपड़े सिलवाने या खरीदने के लिये। ज़ाहिराना उसकी दुकान खूब चलती थी और ज्यादातर वक्त उसकी दुकान पे भीड़ ही रहती थी। काफ़ी बिज़ी टेलर था।
एक शाम जब मैं ऑफिस से वापस आ रही थी तो बारिश शुरू हो गयी और मैं उसकी दुकान के सामने आ कर खड़ी हो गयी। बारिश अचानक शुरू हुई थी तो मेरे कपड़े भीग चुके थे और जैसा मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि ऑफिस जाने के टाईम पे मैंने ब्रा और फैंटी पहनना छोड़ दिया था तो बारिश में भीगने से मेरे कपड़े मेरे जिस्म से चिपक गये थे और मेरा एक-एक अंग अच्छी तरह से नज़र आ रहा था।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं नंगी हो गयी हूँ। शरम भी थोड़ी आ रही थी पर अब क्या कर सकती थी। ऊपर से आज ऑफिस में एस-के के साथ व्हिस्की के दो तगड़े पैग पी लिये थे और थोड़े नशे में मुझे अपना सिर बहुत हल्का महसुस हो रहा था और ऐसे मौसम में जिस्म में जैसे मीठी सी मस्ती दौड़ रही थी। चूत में अभी भी एस-के की मलाई का गीलापन महसूस दे रहा था।
अनिल अकेला ही था दुकान में। उसने मुझे अंदर बुलाया और मैं उसकी दुकान के अंदर आ गयी। उसने एक गद्देदार स्टूल दिया मेरे बैठने के लिये। उसे शायद मेरी साँसों में व्हिस्की की महक़ आ गयी थी और मुझे ठंड से काँपते देख वो बोला कि “आपके लिये चाय मंगवाऊँ या शायद आप रम प्रेफर करेंगी… मेरे पास ओल्ड कास्क रम है इस वक्त।“ मैं मना नहीं कर सकी…. ठंड बहुत लग रही थी। थोड़ी देर पहले ही एस-के के ऑफिस में व्हिस्की पी थी तो अब चाय पीने से बेमेल हो सकता था।
इसलिये मैंने कहा कि इस मौसम में रम ही ठीक रहेगी। मैं स्टूल पे बैठ गयी और उसने मुस्कुराते हुए अपनी दराज़ में से रम की बोतल निकाल कर एक ग्लास में थोड़ी सी डाल कर मुझे दी। मैंने दो घूँट में ही पी ली…. ठंड में रम बहुत अच्छी लग रही थी। मैंने ग्लास रखा तो इससे पहले मैं मना करती, उसने थोड़ी सी और मेरे ग्लास में डाल दी और इस बार दूसरे ग्लास में अपने लिये भी थोड़ी सी डाल दी। वो धीरे-धीरे सिप कर रहा रहा था और मुझे देख रहा था। हम दोनों कभी इधर उधर की बातें भी कर लेते। उसने मुझे बताया कि वो कॉमर्स का ग्रेजुयेट है और फैशन डिज़ाईनिंग का कोर्स भी कर रहा है। इसी लिये ट्रायल के तौर पे लेडीज़ टेलर की दुकान खोल ली है।
उसका घर कहीं और था लेकिन दुकान हमारे इलाके में थी। वो डेली आता जाता था अपनी मोटर बाईक पर। उसने मेरे बारे में भी पूछा। उसने मेरे ड्रेसिंग सेंस की भी काफी तारीफ की। वो बोला, कि “मैंने आपको कईं बार यहाँ से गुज़रते देखा है और आप हमेशा ही लेटेस्ट फैशन के कपड़े बहुत ही एप्रोप्रियेटली पहनती हैं… और आपकी चाल तो बिल्कुल किसी मॉडल जैसी है।“ मैं उसकी बात सुन कर हँस दी। ऐसे ही हम बातें करते रहे। थोड़ी देर के बाद बारिश रुक गयी तो मैं उसको थैंक यू कह कर जाने लगी तो उसने कहा कि “इसमें थैंक यू की क्या बात है मैडम…. कभी हमें अपनी खिदमत का मौका दें तो हमें खुशी होगी।“ वॉव….
जब उसने मैडम कहा तो मुझे अनिल एक दम से बहुत ही अच्छा लगने लगा। उसकी ज़ुबान से अपने लिये मैडम सुन कर मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मैं किसी छोटे बच्चे की तरह खुश हो गयी। फिर उसने पूछा कि “मैडम, आप ठीक हैं ना… आप कहें तो मैं आप के साथ घर तक चलूँ।“ उसका मतलब समझकर मैंने हंस कर कहा कि “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है…. मैं ठीक से चल सकती हूँ…. मुझे अक्सर ड्रिंक्स लेने की आदत है… और फिर तुम्हारे दुकान छोड़कर मेरे साथ आने से कस्टमर्स को परेशानी होगी।“
फिर मैं धीरे-धीरे बड़े एहतियात से चल कर घर आ गयी क्योंकि एक तो सड़क पर काफी पानी भर गया था और मैंने महसूस किया कि मेरे कदम बीच-बीच में काफी लड़खड़ा जाते थे। किस्मत से मैं कहीं गिरी नहीं और महफूज़ घर पहुँच गयी। उस रात जब मैं सोने के लिये बेड पर लेटी तो मेरे ज़हन में अनिल ही घूमता रहा। उसका रम पिलाना और रम का ग्लास देते-देते मेरे हाथ से अपने हाथ टच करना, मुझे मीठी-मीठी नज़रों से देखना और फैशन मॉडल्स से मुझे तशबीह देना और खासकर के मुझे मैडम कहना और ये कहना कि हमें भी अपनी खिदमत का मौका दें तो हमें खुशी होगी….।
मुझे ये सब याद आने लगा तो मैं खुद-ब-खुद मुस्कुराने लगी और सोचने लगी के कौनसी खिदमत का मौका देना है अनिल को और ये सोचते ही एक दम से मेरी चूत गीली हो गयी और मेरी उंगली अपने आप ही चूत के अंदर घुस गयी और मैं क्लीटोरिस का मसाज करने लगी। मैंने अपनी उंगली को चूत के सुराख में घुसेड़ कर अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया और सोचने लगी कि अनिल कैसा चोदता होगा? वैसे उससे चुदवाने का ऐसा मेरा कोई इरादा तो नहीं था पर ये खयाल आते ही मैं झड़ गयी और थोड़ी देर में गहरी नींद सो गयी। सुबह उठी तो सबसे पहले सोच लिया कि अनिल से अपने कुछ सलवार-कमीज़ सिलवाऊँगी।
दिन ऐसे ही गुज़रते रहे। ऑफिस आते-जाते अनिल मुझे देखता और मैं उसको देखती और हमारी नज़रें एक दूसरे को एक अंजाना इशारा देती रहीं। हम इशारों ही इशारों में एक दूसरे को विश भी कर लेते। कभी तो आहिस्ता से हाथ भी उठा के इशारा कर लेते जो किसी और को नज़र नहीं आता। ऐसे ही जैसे लवर्स एक दूसरे को इशारा करते हैं।
इसी तरह से हम दोनों के बीच में एक अंजाना ब्रिज बन गया। किसी दिन वो दुकान के अंदर होता और मुझे दिखायी नहीं देता तो उस दिन अजीब सा महसूस होता। दिल में एक बेचैनी रहती। मैं चाहने लगी कि मेरे उसकी दुकान के सामने से गुज़रने के टाईम पे वो मैं उसको देख लूँ तो मुझे इत्तमिनान हो जाये। ऐसे ही करीब तीन हफते गुज़र गये।
एक दिन मैं घर में ही थी और ऑफिस नहीं गयी थी। एक हफते से एस-के भी ऑउट ऑफ टाऊन था। अशफाक भी अपने टूर पे थे। सलमा आँटी से तो खैर मैं हर रोज़ मिलती थी लेकिन आज सुबह ही वो भी अपनी किसी मौसी के घर गयी हुई थीं। मैं बहुत ही बोर हो रही थी। शाम से एस-के की भी बहुत याद आ रही थी। मन कर रहा था कि कहीं से एस-के आ जाये और मुझे बड़ी बेदर्दी से चोद डाले और इतना चोदे कि मेरी चूत एक बार फिर से फट जाये और खून निकल आये। एस-के से चुदाई का सोचते ही मेरी चूत गीली होने लगी।
मैं अब घर पर अकेली होती तो सिर्फ सैंडल पहने हुए बिल्कुल नंगी ही रहती थी। मैंने झट से व्हिस्की का पैग बनाया और एक झटके में नीट ही पी गयी और फिर दूसरा पैग लेकर एक-ब्लू फिल्म की सी-डी लगाकर बैठ गयी। सोफ़े पर बैठे-बैठे ही अपनी टाँगें खोल दीं और मेरा हाथ खुद-ब-खुद चूत में चला गया। मैं अपनी चिकनी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगी और मेरी आँखें बंद हो गयी। मैं अपनी उंगली अंदर-बाहर करने लगी और थोड़ी ही देर में झड़ गयी।
मुझे मार्केट से कुछ खाने का सामान भी लेना था तो सोचा कि मार्केट जाऊँगी तो शायद सैक्सी खयालात मेरे दिल से निकल जायेंगे। फिर खयाल आया कि चलो क्यों ना अपने सलवार कमीज़ का कपड़ा भी ले लूँ और सिलने के लिये दे दूँ। ये सोचते ही मैंने अपनी अलमरी से दो नये सलवार सूट के कपड़े निकाले और बैग में डाल कर बाहर निकल गयी। देर शाम हो चुकी थी। बाहर ठंडी-ठंडी हवा भी चलने लगी थी और लगाता था जैसे बारिश होगी पर हो नहीं रही थी। अनिल की दुकान तो बज़ार में जाते हुए पहले ही पड़ती थी तो मैं पहले वहीं चली गयी। उस वक़्त अनिल कहीं बाहर गया हुआ था। उसका कोई मुलाज़िम बैठा था।
उसने बताया कि अनिल अभी दस मिनट में आ जायेगा…. तो मैंने कहा, “ठीक है…. ये कपड़े यहीं रहने दो…. मैं भी बाकी शॉपिंग के लिये जा रही हूँ, वापसी में आ जाऊँगी…. अनिल से कह देना कि किरन मैडम आयी थी और ये कपड़े रख कर गयी है…. अभी आ जायेगी।“ उसने कहा, “ठीक है” और कपड़े एक साईड में रख दिये।
मुझे बाकी शॉपिंग में एक घंटे से कुछ ज़्यादा ही लग गया। वापस आते वक्त तक तो रात के तकरीबन आठ बज गये थे। मैं सोच रही थी कि कहीं अनिल दुकान ना बंद कर दे, इसी लिये जल्दी से उसकी दुकान की ओर बढ़ी। अनिल दुकान में आ चुका था और उसकी दुकान भी खाली हो चुकी थी। वो भी बंद करने की तैयारी कर रहा था और साथ ही मेरा इंतज़ार भी कर रहा था। उसका दूसरा स्टाफ छुट्टी कर चुका था और अनिल दुकान में अकेला ही था। मुझे देख कर वो खुश हो गया और उसका चेहरा चमकने लगा।
मैंने देखा कि वो रम पी रहा था। उसने मेरे लिये भी एक पैग बना दिया। हालांकि मैंने शाम को ही दो पैग व्हिस्की के पिये थे और बहुत हल्का सा असर मुझ पर बरकरार था लेकिन ठंडी हवा चल रही थी और मेरा मन पीने का कर रहा था। वैसे भी एस-के और सलमा आँटी के साथ रह कर मैं पीने की बहुत आदी हो गयी थी और जब कभी भी पीने का मौका मिले तो मना नहीं कर पाती थी। दिन भर में आम तौर पे चार-पाँच पैग हो ही जाते थे लेकिन ऐसा कभी-कभार ही होता था कि मैं नशे में बुरी तरह चूर हो जाऊँ। मैंने उसको थैंक्स कहा और अपना ड्रिंक सिप करने लगी जो ठंड में बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसने पूछा, “आपके कपड़े हैं मैडम?” तो मैंने कहा, “हाँ…. बहुत दिनों से सोच रही थी कि तुमसे कुछ ड्रेस सिलवाऊँगी तो आज चली आयी।“
मैं भी फ्री थी और कोई काम नहीं था। मुझे भी टाईम पास करना था तो दो पैग पीने तक हम इधर-उधर की बातें करते रहे। मेरे पूछने पर उसने बताया कि वो फैशन डीज़ाईनिंग का कोर्स भी कर रहा है तो मैंने उससे फैशन डीज़ाईनिंग के बारे में पूछा। उसने मुझे फैशन डीज़ाईनिंग के बारे में काफी कुछ बताया और बात-बात में बताया कि “मैडम कईं बार किसी खास डिज़ाईन के लिये जिस फैशन-मॉडल का नाप लेना होता है तो उसको नंगा करके नाप लिया जाता है ताकि फिटिंग सही बैठे।“
मैं हैरान रह गयी और पूछा कि “लड़कियाँ नंगी हो जाती हैं?” तो उसने कहा “हाँ मैडम…. अगर किसी को अच्छी तरह से और सही फ़िटिंग का ड्रेस सिलवाना हो तो बहुत अराम से नंगी हो जाती हैं लेकिन उस टाईम पे बस वही डिज़ाईनर अंदर होता है जो नाप ले रहा होता है ताकि फैशन-मॉडल बस एक ही डिज़ाईनर के सामने नंगी हो…. पूरी क्लास के सामने नहीं।“ मैंने कहा कि “ऐसे कैसे हो सकता है?” तो उसने कहा कि “मैं सच कह रहा हूँ मैडम…. हम ऐसे ही नाप लेते हैं!” तो मैंने हँसते हुए कहा कि “क्या मेरा भी ऐसे ही लोगे?”
तो उसने कहा कि “अगर आप भी सही और परफेक्ट फिटिंग के डिज़ाईनर कपड़े सिलवाना चाहती हैं और अगर आपको कोई ऑबजेक्शन ना हो तो आप अपने कपड़े निकाल सकती हैं…. नहीं तो हम सैंपल साईज़ से ही काम चला लेते हैं।“ मैंने कहा कि “मैं तो सैंपल नहीं लेकर आयी” तो उसने कहा कि “मैं ऐसे ही ऊपर से आपका साईज़ ले लुँगा…. आप अंदर ड्रेसिंग रूम में चलिये।“
अभी मैं सोच ही रही थी कि क्या करूँ, इतने में हवा बहुत ही तेज़ी से चलने लगी और उसके काऊँटर पर रखे कपड़े उड़के नीचे गिरने लगे और नाप के रजिस्टर के पन्ने फड़फड़ाने लगे तो उसने अपनी दुकान का शटर जल्दी से गिरा दिया और नीचे गिरे हुए कपड़े उठाने लगा। मैंने देखा कि उसने लुँगी पहनी हुई है और टी-शर्ट। जब उसने देखा कि मैं उसकी लूँगी को हैरत से देख रही हूँ तो उसने बताया कि मार्केट में किसी दुकान से नीचे उतरते हुए कील लगने से उसकी पैंट फट गयी तो इसी लिये उसने पैंट चेंज कर के लुँगी बाँध ली थी।
दुकान का शटर बंद करने से दुकान में ठंडी हवा के झोंके नहीं आ रहे थे, वैसे बाहर तो अच्छी खासी सर्दी होने लगी थी। हम दोनों अंदर ड्रेसिंग रूम में आ गये, जहाँ वो मेरा नाप लेने वाला था। दुकान का शटर गिरते ही मुझे लगा जैसे हम एक सेपरेट रूम में अकेले हैं और मेरे खयाल में आया कि इस दुकान में मैं और अनिल अकेले हैं और हमें देखने वाला कोई नहीं। मेरे दिमाग में गर्मी चढ़ने लगी। नशा तो पहले ही चढ़ा हुआ था। जिस्म में खून तेज़ी से दौड़ने लगा साँस तेज़ी से चलने लगी और एक अजीब सा सुरूर महसूस होने लगा।
खैर उसने अंदर की लाईट जला दी। ड्रेसिंग रूम बहुत बड़ा तो नहीं था लेकिन बहुत छोटा भी नहीं था। मीडियम साईज़ का था जहाँ पर एक तरफ़ बड़ा सा मिरर लगा हुआ था ताकि अगर कोई लड़की चेक करना चाहे तो कपड़े पहन कर मिरर में देख सकती थी। वो मेरे सामने खड़ा हो गया और पहले उसने सलवार का नाप लेने को कहा। जैसे टेलर्स की आदत होती है, नाप लेने से पहले वो थोड़ा सा झुका और मेरे सामने बैठते-बैठते उसने मेरी सलवार के सामने के हिस्से को पकड़ के थोड़ा सा झटका दिया जिससे सलवार थोड़ी सी सरक के नीचे हुई। मैंने जल्दी से सलवार को ऊपर से पकड़ लिया। उसने अब नाप लेना शुरू किया।
साईड से कमर से पैर तक का नाप लेते हुए उसने पूछा कि “मैडम आप अधिकतर इतनी ही ऊँची हील पहनती हैं क्या….? मैं उसी हिसाब से नाप लेना चाहता हूँ।“ मैंने कहा, “हाँ यही चार-साढ़े चार इंच और कईं दफ़ा पाँच इंच तक!” उसके बाद वो फिर टेप का बड़ा वाला हिस्सा जिस पर मेटल लगा होता है, उसको जाँघों के अंदर पकड़ कर साईज़ लेने लगा तो वो मेटल का पीस मेरी चूत से टकराया और मेरे मुँह से एक सिसकरी सी निकल गयी। उसने पूछा, “क्या हुआ मैडम?” तो मैंने कहा, “कुछ नहीं…. तुम नाप लो।“ उसने उस मेटल के पीस को थोड़ा और अंदर किया तो मुझे लगा जैसे वो पीस मेरी चूत के लिप्स को खोल के अंदर घुस गया और क्लीटोरिस को टच करने लगा। जैसा कि मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि जब से ऑफिस जाने लगी थी, मैंने अब पैंटी और ब्रा पहनना करीब- करीब छोड़ ही दिया था तो आज भी मैंने ना पैंटी पहनी थी और ना ब्रा ।
उसका हाथ मेरी जाँघों के अंदर वाले हिस्से में था और नाप ले रहा था जिससे मेरी आँखें बंद हो गयी और टाँगें अपने आप ही खुल गयी थी और मैं उसके हाथ को अपनी चूत से खेलने का आसान एक्सेस दे रही थी। मेटल पीस चूत के अंदर महसूस करते ही चूत गीली होना शुरू हो गयी और जिस्म में सनसनी दौड़ने लगी। वो खड़ा हो गया और मेरी कमर का नाप लेने लगा और बोला कि “मैडम कमीज़ को थोड़ा ऊपर उठा लीजिये” तो मैंने कमीज़ को थोड़ा उठाया जिससे मेरा पेट दिखायी देने लगा
तो उसने कहा कि “मैडम आपका कलर तो क्रीम जैसा है और बहुत चिकना भी है।“ मैं शर्मा गयी पर कुछ नहीं बोली। जबसे मुझे उसका हाथ मेरी जाँघों के अंदर महसूस हुआ, उसी वक़्त से मुझे तो मस्ती छाने लगी थी और चूत में खुजली भी होने लगी थी। मैं सोचने लगी कि फैशन -मॉडल्स ऐसे कैसे नंगी हो कर नाप देती होंगी। ये सोचते ही मेरा भी मन करने लगा कि अनिल अगर मुझसे भी कहे तो मैं नंगी हो कर नाप दे सकती हूँ और फिर ये खयाल आते ही मैं और गीली हो गयी।
इतने में वो खड़ा हो गया और कमीज़ का नाप लेने लगा। लंबाई लेने के लिये कंधों से नीचे तक टेप लगाया। टेप मेरी चूचियों को टच करने लगा तो एक दम से मेरे निप्पल खड़े हो गये और साँसें तेज़ी से चलने लगी। फिर उसने मुझे हाथ सीधे रखने को कहा और मेरी बगल के अंदर से टेप डाल कर चूचियों के ऊपर से नाप लेना शुरू किया। उसी वक़्त पे पीछे से जब वो टेप ठीक कर रहा था तो उसकी गरम साँस मेरे नंगे कंधों पे महसूस होने लगी जिससे मैं और गरम हो गयी। वो भी करीब मेरी ही हाईट का था।
जब वो खड़ा हुआ तो मेरे हाथ को ऐसा लगा जैसे उसका लंड मेरे हाथ से टच हुआ हो। बस ऐसा महसूस होते ही मेरे ज़हन में एस-के का लंड घूमने लगा। वो थोड़ा और आगे आया और टेप पीछे से ठीक करने लगा तो इस बार सही में उसका लंड मेरे हाथ पे लगा। उसका लंड एक दम से खड़ा हो चुका था। शायद वो भी गरम हो गया था। उसका लंड मेरे हाथ से टच होते ही मेरी चूत समंदर जैसी गीली हो गयी और मुझे यकीन हो गया कि उसे भी एहसास था कि उसका लंड मेरे हाथ से टकराया है पर वो पीछे नहीं हटा और अपने लंड को मेरे हाथ पे ही रखे-रखे टेप ठीक करने लगा।
मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी और मेरे ज़हन में जो शाम से चुदाई का भूत सवार था वो अब ज़ोर पकड़ने लगा और मैं हवस की आग में जलने लगी। ऊपर से शाम की व्हिस्की और अभी अनिल के साथ पी हुई रम का नशा मेरी हवस को और भड़का रहा था और मैं सोचने लगी कि अगर अनिल ने मुझे नहीं चोदा तो मैं खुद ही उसको चोद डालुँगी आज। नशे भरे मेरे दिमाग में आया कि उसके अकड़े हुए लंड को पकड़ कर अपनी गीली गरम चूत में घुसेड़ डालूँ पर बड़ी मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल कर पायी और चाहते हुए भी उसके लंड को अपनी मुट्ठी में ले कर नहीं दबाया।
नशे से मेरी हिम्मत खुल रही थी और अब मैंने फ़ैसला कर लिया कि मैं भी नंगी हो कर ही नाप दुँगी। मैंने कहा, “अनिल! क्या तुम मेरे लिये भी डिज़ाईनर और परफेक्ट फिटिंग की सलवार कमीज़ बना सकते हो?” तो उसने कहा कि “मैडम उसके लिये आपको…।“ मैंने कहा, “कोई बात नहीं यहाँ सिर्फ़ हम दो ही तो हैं…. क्या हुआ, कोई बात नहीं….. जैसा तुम चाहोगे मैं नाप दे दुँगी” तो उसके चेहरे से खुशी छलकने लगी। उसने कहा कि “ओके मैडम, आप अपने कपड़े उतार लीजिये” तो मैंने कमीज़ के अंदर हाथ डाल के कमीज़ को ऊपर उठा कर निकाल दिया जिससे मेरी गोल-गोल चूचियाँ हिलने लगीं।
उसके मुँह से ‘वोव वंडरफुल’ निकल गया। अब मैं उसके सामने आधी-नंगी खड़ी थी। उसने कहा कि “अब सलवार भी निकाल दीजिये मैडम, ताकि मैं नाप ले सकूँ” तो मैंने सलवार का स्ट्रिंग खोल दिया और मेरी सलवार फरमान बरदार कनीज़ की तरह से मेरे कदमों में गिर पड़ी। मैंने अपने सैंडलों के स्ट्रैप खोल कर सलवार को अपने पैरों से निकाल कर एक तरफ़ हटा दिया। फिर उसने कहा कि “मैडम आप सैंडल पहन लीजिये ताकि आपके सैंडल की ऊँचाई के अनुसार मैं आपका नाप ले सकुँ और क्योंकि हाई-हील से आपकी चेस्ट और हिप्स का पोसचर भी पर्फेक्ट रहेगा और मैं ठीक से आपकी ड्रेस बना सकुँगा।“
अब मैं सिर्फ हाई-हील सैंडल पहने, उसके सामने बिल्कुल ही नंगी खड़ी थी। मेरी उसी दिन की शेव की हुई चिकनी चमकदार चूत देख कर उसने कहा “आप बहुत ही खूबसूरत हैं मैडम। इतनी खूबसूरत मैंने किसी को नहीं देखा…. आप एक दम से परफेक्ट फिगर की हो… आपको तो मॉडलिंग करनी चाहिये।“ उसके मुँह से अपनी तारीफ सुन कर मुझे बेहद अच्छा लग रहा था। बाहर हवा तेज़ी से चलने लगी थी और लाईट बार-बार जलने-बुझने लगी जैसे कहीं लूज़ कनेक्शन हो गया हो तो उसने साईड में रखी हुई एक केंडल जला दी। नशे और हवस में मेरा रहा-सहा पश-ओ-पेश भी हवा हो गया था
और मैंने हँसते हुए पूछा कि “क्या नाप लेते वक्त तुम सिर्फ़ मॉडल्स को ही नंगा करते हो या तुम भी नंगे हो जाते हो?” तो वो शर्मा गया और बोला कि “अगर मॉडल चाहे तो मैं भी नंगा हो कर ही नाप लेता हूँ।“ मैंने फिर हँसते हुए कहा कि “अब क्या इरादा है?” तो उसने कहा कि “मैडम अगर आप चाहें तो मैं भी आपकी तरह ही नंगा हो कर नाप ले सकता हूँ।“ मैंने कहा, “तुम्हारी मर्ज़ी” और अपनी टाँगें थोड़ी खोल दी ताकि वो नाप लेना शुरू कर सके। उसने मेरा इशारा शायद समझ लिया था और बैठे-बैठे ही अपनी टी -शर्ट निकाल दी। अब वो सिर्फ़ लुँगी में बैठा हुआ था और नाप लेना शुरू किया।
एक बार फिर से उसके हाथ मेरे जाँघों के अंदर वाले हिस्से पे लगने लगे और मेटल का पीस चूत के अंदर महसूस होने लगा। उसने भी शरारत में मेटल पीस चूत के अंदर घुसा दिया और मैंने अपनी टाँगें खोल दीं। मेटल पीस चूत के अंदर लगते ही मेरे मुँह से मस्ती भरी सिसकरी निकल गयी। उसकी अँगुलियाँ मेरी चूत से टकरा रही थीं और मेरी चूत और ज़्यादा गीली होने लगी। उसने बैठे-बैठे पूछा कि मैडम, “सच आप चाहती हैं कि मैं भी नंगा हो जाऊँ?” तो मैंने मुस्कुरा के कहा, “तुम्हारी मर्ज़ी…. मुझे तो कोई प्रॉबलम नहीं है क्योंकि मैं भी तो तुम्हारे सामने नंगी खड़ी हूँ।“
मेरी चिकनी चूत लाईट में चमक रही थी और गीली भी हो गयी थी और मुझे पक्का यकीन था कि अनिल को मेरी गीली चूत की महक ज़रूर आ रही होगी। जिस तरह वो नीचे बैठा था, मेरी चूत उसके मुँह के सामने थी। उसने ऊपर टेप की तरफ़ देखते-देखते मेरी चूत पे किस कर दिया तो मेरी टाँगें खुद ही खुल गयीं और मेरा हाथ उसके सिर पे चला गया और वो घुटनों के बल झुक गया और मेरी गाँड पे हाथ रख कर मेरी चूत को चूमने और चूसने लगा। मैं तो नशे में मदहोश थी ही और हवस की आग में पहले से ही जल रही थी।
उसका मुँह अपनी चूत पे महसूस करते ही मैं तो जैसे दीवानी हो गयी और उसके सिर को पकड़ के अपनी चूत में दबाने लगी। उसने मेरी पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से कटा तो मेरे मुँह से मस्ती की चींख निकल गयी, “आआआआहहहहह “और मैं एक दम से झड़ने लगी। मेरी आँखें बंद हो गयीं और मैं अपनी चूत को उसके मुँह से रगड़ने लगी। मैं झड़ती गयी और वो मेरा जूस पीता गया। जब मेरा झड़ना खतम हुआ तो मैंने झुक कर उसके कंधों को पकड़ा तो वो उठ खड़ा हुआ। उसने पहले ही बैठे-बैठे ही अपनी लुँगी को खोल दिया था और मेरी चूत चाटते हुए वो अपना लंड मेरे सैंडलों पर रगड़ रहा था।
जब वो खड़ा हुआ तो उसकी लुँगी भी नीचे गिर पड़ी और वो भी नंगा हो चुका था और उसका लंड स्प्रिंग के जैसे ऊपर नीचे हो कर हिल रहा था जैसे मेरी चूत को सेल्यूट कर रहा हो। उसका लंड भी बहुत ही मस्त था…. बड़ा और मोटा बिला-खतना लंड। नशे में मैं पूरी बेशर्म तो हो ही गयी थी और मैंने एक ही सेकेंड में उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और दबाने लगी। वॉव… मस्त और बहुत ही कड़क लंड था उसका। काफी लंबा और मोटा, लोहे जैसा सख्त था। मैंने एक हाथ उसकी बैक पे रख कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया और दूसरे हाथ से उसके लंड को पकड़ के अपनी चूत में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर रगड़ने लगी। उसने झुक कर मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। उसके लंड में से प्री-कम निकल रहा था जो चूत को स्लिपरी बना रहा था।
मेरी चूत में तो जैसे आग लगी हुई थी और नशे में मैं खड़ी-खड़ी ही हाई हील सैंडलों में झूमने लगी थी। मैं नीचे बैठ गयी और उसके लंड को किस किया और उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी गाँड आगे पीछे करके मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया। अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था। अब तो बस मेरी गरम और गीली चूत को उसका लंबा मोटा कड़क और तगड़ा लंड चाहिये था। मैं बैठे-बैठे ही लेट गयी और उसको अपने ऊपर खींच लिया। बस उसी वक्त बिजली चली गयी और कमरे में एक दम से अंधेरा हो गया पर केंडल की रोशनी से रूम बहुत ही रोमैंटिक लगने लगा।
उस वक्त जितने नशे और वासना में मैं चूर थी, उस हालत में म्यूनिसपैलटी का कुढ़ाघर भी मुझे रोमैंटिक लगता। खैर, मैं लेट गयी और उसको अपने ऊपर खींच लिया और अपनी टाँगें फैला लीं। अनिल मेरी दोनों टाँगों के बीच में आ गया। उसने अपने पैर पीछे की तरफ़ को सीधे कर दिये और उसका लंड मेरी चूत के लिप्स के बीच में था। अपनी दोनों कुहनियों को मेरे जिस्म के दोनों तरफ़ रख कर वो मुझ पर झुक गया और मुझे किस करने लगा। उसकी ज़ुबान मेरे मुँह में घुस गयी थी और मुझे अपनी चूत के जूस का टेस्ट उसके मुँह से आने लगा।
वो अपने लंड के सुपाड़े को मेरी चिकनी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था। मेरी टाँगें उसकी गाँड पे क्रॉस रखी हुई थी। उसने सुपाड़े को अंदर-बाहर करते-करते एक ज़ोर का धक्का मारा तो मेरे मुँह से मस्ती की “आआआआआहहहहह” निकल गयी और उसका गरम लंड मेरी तंदूर जैसी चूत में ऐसे घुस गया जैसे गरम चाकू मक्खन में घुस जाता है। उसका लंड बेहद मोटा था। उसके लंड से मेरी चूत खुल गयी थी। मेरी आँख से दो बूँद आँसू भी निकल गये। ये आँसू मस्ती के थे जिसे उसने नहीं देखा।
मैंने उसको ज़ोर से पकड़ा हुआ था और मेरी टाँगें उसकी गाँड पे क्रॉस थी। उसने लंड को बाहर निकाल कर चोदना शुरू कर दिया। बहुत ही मज़ा आ रहा था उसकी चुदाई से। उसके हाथ मेरी बगल से निकल कर कंधों को पकड़े हुए थे। वो अपनी टाँगें पीछे दीवार से टिका कर गचागच चोद रहा था। उसके हर झटके से मेरे चूचियाँ डाँस करने लगी थी। कमरे में हल्की सी रोशनी चुदाई में मज़ा दे रही थी। कमरा रोमैंटिक लग रहा था और चुदाने में मज़ा आ रहा था। वो गचागच चोद रहा था और मुझे लग रहा था कि आज उसका लंड मेरी चूत फाड़ डालेगा। लेकिन मैं भी तैयार थी,
मैं चाहती थी कि आज वो सच में मेरी चूत को फाड़ डाले और चोदते-चोदते मेरी चूत को अपनी मनि से भर दे। एक हफ़्ते से मेरी चुदाई नहीं हुई थी और मेरी चूत को तो बस लंड चाहिये था। मेरी चूत की खुजली बढ़ गयी थी और मैं चाहती थी कि मस्त चुदाई हो। अनिल का लंड बेहद वंडरफुल था। वो पूरी मस्ती में चोद रहा था। लंड को पूरा सुपाड़े तक बाहर निकाल-निकाल कर चूत में घुसेड़ देता तो उसके लंड का हेल्मेट जैसा सुपाड़ा मेरी बच्चे दानी से टकरा जाता और मेरा सारा जिस्म काँप जाता।
अब वो बहुत तेज़ी से चोद रहा था और मैं शायद तीन बार झड़ चुकी थी। मेरे जूस से चूत बहुत ही गीली हो चुकी थी और अब उसका लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था और वो बहुत ही ज़ोर-ज़ोर से चूत फाड़ झटके मार रहा था। यंग था ना, इसी लिये पूरी ताकत से धक्के मार-मार के चुदाई कर रहा था। मेरे मुँह से खुद-ब-खुद निकलना शुरू हो गया, “आआआईईईईईई आहहहहाआआआआआ ऐसे ही…ईईईईई चोदो…. ओओओओ ऊऊऊईईईई आआआआआहहह मज़ा…आआआआ रहा है….. और ज़ोर से…एएएएए आआंआंआंआंहहह” और उसका लंड बड़ी बे-दर्दी से मेरी चूत को चोद रहा था।
अब उसके चोदने की रफ़्तार बढ़ गयी थी और उसके मुँह से भी अजीब आवाज़ें निकलने लगी थी। फिर अचानक उसने अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर इतनी ज़ोर से मेरी चूत के अंदर धक्का मार कर घुसेड़ दिया कि मेरे मुँह से चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊऊऊऊईईईईईईई अल्लाह…आआआआआ”, और मैंने उसको बहुत ज़ोर से पकड़ लिया और उसके लंड में से मलाई की पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी। उसकी पहली पिचकारी जब मेरी चूत के अंदर पड़ी तो मैं फिर से झड़ने लगी और अब उसके लंड में से क्रीम निकल-निकल कर मेरी एक हफते से प्यासी चूत की प्यास बुझाने लगी। उसकी मलाई निकलती रही और मेरी चूत भरती रही। उसकी मलाई भी बहुत ही गाढ़ी थी, मज़ा आ रहा था उसकी मलाई चूत के अंदर महसूस करके।
उसके धक्के अब धीरे होने लगे और अभी भी उसका लंड अंदर ही था। वो मेरे सीने पर गिर गया जिससे मेरे चूचियाँ दब गयी। वो थोड़ी देर ऐसे ही लेटा रहा और उसका लंड अभी अंदर ही था। जब मेरा झड़ना खतम हुआ और मेरी साँसें ठीक हुई तो देखा कि अभी तक उसका लंड मेरी चूत के अंदर ही घुसा हुआ है और वैसे ही तना हुआ है, लोहे जैसा सख्त। उसकी क्रीम निकलने से भी लंड नरम नहीं हुआ था। थोड़ी ही देर में उसकी साँसें भी ठीक हो गयी और फिर उसने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी और हम एक दूसरे की जीभ को चूसने लगे। कमरे में अभी भी मोमबत्ती जल रही थी और धीमी रोशनी बहुत दिलकश और रोमैंटिक लग रही थी।
मैंने गौर किया है कि रूम में अगर थोड़ा अंधेरा हो और लड़की ने शराब पी हुई हो तो लड़की में शरम नहीं रहती और वो हर तरीके से चुदवा सकती है और वो भी कर लेती है जो वो बिना शराब पिये नहीं कर सकती। कुछ यही हाल मेरा भी था। मेरे पास अब कोई शरम -हया बाकी नहीं थी। ऐसा लग रहा था जैसे सारे जहाँ में बस हम दो ही हों और कोई नहीं…… फिर चाहे जिस तरह से चुदाई हो, लंड चूस लो या अपनी चूत चटवा लो… कोई फ़रक नहीं पड़ता।
अनिल मेरे ऊपर ही लेटा हुआ था और उसका अकड़ा हुआ सख्त लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर घुसा हुआ था। उसका लंड मेरी चूत के अंदर ऐसे फिक्स बैठा था जैसे बोतल के ऊपर कॉर्क और लंड अंदर ही रहने की वजह से हमारी दोनों की क्रीम भी मेरी चूत के अंदर ही फंसी हुई थी, बाहर नहीं निकली थी। हम दोनों किस कर रहे थे और वो मेरी चूचियों को मसल रहा था। वो मेरे निप्पलों को अंगूठे और उंगली से मसल रहा था। थोड़ी ही देर में उसने मेरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया जिससे मेरी चूत में फिर से खुजली होने लगी और जिस्म में बिजली सी दौड़ने लगी। पर उसका इरादा तो कुछ और ही था।उसने एक ही हरकत में अपना लंड मेरी चूत में से बाहर निकाल लिया और इस से पहले कि मेरी क्रीम से भरी चूत में से क्रीम बहने लगती, वो पलट गया और अपनी दोनों टाँगें मेरे सिर के दोनों तरफ़ रख के अपना लंड मेरे होंठों से लगा दिया। उसके लंड से हम दोनों की मिक्स क्रीम टपक कर मेरे मुँह पे गिर रही थी तो मैंने मुँह खोल दिया और हम दोनों की मिक्स क्रीम से भीगे हुए उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। बहुत ही टेस्टी था उसका लंड। ऐसे लग रहा था जैसे मैं कोई शहद चूस रही हूँ।
उसका लंड तो अभी तक नरम नहीं हुआ था, बल्कि मेरे चूसने से उसका लंड और भी ज़्यादा अकड़ गया था और अब वो मेरे मुँह को चोद रहा था । वो आगे झुक कर मेरी मेरी चूत में अपनी उंगलियाँ अंदर-बाहर करके चोदने लगा। मैं इतनी मस्ती में आ गयी और गरम हो गयी कि उसके लंड को बहुत ही ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और वो भी अपनी गाँड उठा-उठा के मेरे मुँह को चोदने लगा। उसने जब मेरी चूत में चार उंगलियाँ घुसेड़ीं और अंगूठे से क्लिटोरिस को रगड़ा तो मैं काँपने लगी और बहुत ज़ोर से झड़ गयी।
मेरी चूत से जूस निकलने लगा और मैं कुछ ज़्यादा ही मस्ती से उसके लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड मेरे मुँह में ही और ज़्यादा ही मोटा हो रहा है। मैं समझ गयी कि अब उसकी क्रीम भी निकलने वाली है और उसी वक्त उसने अपने लंड को मेरे हलक में पूरा अंदर तक घुसा दिया जिससे मेरी आँखें बाहर निकल आयीं और साँस बंद होने लगी। उसके लंड से मलाई की गाढ़ी-गाढ़ी पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी और डायरेक्ट मेरे हलक में गिरने लगी। उसके लंड में से मलाई निकलती ही चली गयी…. निकलती ही चली गयी और इस कदर निकली कि मुझे लगा जैसे मेरा पेट उसकी क्रीम से ही भर जायेगा। पता नहीं इतनी क्रीम कैसे निकली उसके लंड से।
हम दोनों झड़ चुके थे और दोनों के जूस निकल चुके थे और दोनों गहरी-गहरी साँसें ले रहे थे। उसका लंड मेरे मुँह में ही था और उसका मुँह मेरी चूत पे। अब उसका लंड मेरे मुँह में थोड़ा-थोड़ा नरम हो गया था पर उसके यंग लंड में अभी भी सख्ती थी। थोड़ी ही देर के बाद मैंने उसको अपने ऊपर से हटा दिया और वो नीचे मेरी बगल में लेट गया।