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कहानी किरन की (कॉपी पेस्ट)
#10
मैं उतनी देर में सोफ़े के सामने पड़ी हुई सेंटर टेबल  Angry पर से व्हिस्की की बोटल और ग्लास उठा के ले गयी। अब तो मेरे कदम ज़ाहिराना तौर से लड़खड़ा रहे थे पर मैं तो अपनी ही मस्ती में मदहोश थी। हमारी सेंटर टेबल सोफ़ा सेट के बीच में पड़ी है जो रेक्ट-‍एंगल शेप की है और अच्छी खासी बड़ी है, जिसपर एक आदमी अपनी टाँगें नीचे लटका कर आराम से लेट सकता है। टेबल बहुत ऊँची भी नहीं है और बिल्कुल नीची भी नहीं। मतलब के ऐसी हाईट की है कि कोई टेबल पे लेटा हो तो उसको बहुत मस्त तरीके से चोदा जा सकता है। हाँ तो एस-के ने मेरे सारे कपड़े तो पहले ही उतार दिये थे और मैं सिर्फ सैंडल पहने हुए थी। एस-के ने मुझे सेंटर टेबल पे लिटा दिया।
मैं घुटने मोड़कर टाँगें नीचे छोड़ कर टेबल पे लेट गयी और मेरे पैर साढ़े-चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहने होने से आसानी से फ़्लोर पे लग गये। एस-के खुद टेबल के साईड में खड़ा हो कर मेरे जिस्म पे ठंडी ठंडी चॉकलेट आईस ख्रीम डालने लगा। ठंडी आईस क्रीम जिस्म पर लगते ही सारे जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया और मज़ा आने लगा। एस-के ने सारी क्रीम मेरे जिस्म पे डाल दी और मेरे जिस्म पे मलने लगा। चूत पे कुछ ज़्यादा ही क्रीम डाली। गरम चूत पे ठंडी क्रीम बहुत अच्छी लग रही थी और गरम चूत पे ठंडी आईस क्रीम पड़ते ही चूत की गर्मी से पिघलने लगी।
चूचियों पे आईस क्रीम डाल कर वो मसलता और दबाता रहा। मेरा तो आने वाली चुदाई का सोच के ही चूत में से जूस निकलने लगा। जब सारे जिस्म पे क्रीम फैला दी तो अब एस-के मेरे जिस्म को चाटने लगा। कुछ क्रीम मेरे मुँह पे भी लगा दी थी। पहले तो किस किया जिससे क्रीम हम दोनों के मुँह में भी गयी और मज़ा आने लगा। अब एस-के मेरे जिस्म को चाट रहा था। छूचियों को दोनों हाथों से पकड़ के मसल भी रहा था और चूस भी रहा था और आईस क्रीम के मज़े भी ले रहा था।
एस-के मेरी दोनों टाँगों के बीच में खड़ा हुआ तो मेरी टाँगें खुद-ब-खुद उसके जिस्म के ऊपर कैंची बन गयीं और उसके जिस्म को अपनी टाँगों से पकड़ लिया। ऐसी पोज़िशन में उसके तने हुए लहराते लंड को देख कर मेरी चूत के मुँह में पानी आ गया। एस-के मेरी चूचियों को चूसता रहा और फिर मेरे नेवल के आसपस क्रीम डाल कर चाटता रहा। मेरा तो मस्ती के मारे बुरा हाल हो गया था। मेरी साँसें गहरी हो गयी थीं। अब एस-के नीचे फ़्लोर पे बैठ गया और मेरी टाँगों और पैरों और सैंडलों से क्रीम चाटने लगा। फिर जब वो चूत पे से क्रीम चाटने लगा तो मैंने अपने पैर उसकी गर्दन पे डाल कर अपनी चूत में उसका मुँह खींच लिया और उसका सर पकड़ के चूत के ऊपर दबा दिया और उसके मुँह से अपनी चूत को रगड़ने लगी।
ठंडी क्रीम चूत के अंदर बहुत अच्छी लग रही थी। उसकी जीभ चूत के अंदर, ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर होने लगी। मेरी आँखें बंद होने लगीं और मैं मस्ती मैं आ गयी और मेरी चूत के अंदर से जूस रेडी हो गया तो मैंने उसके सर को ज़ोर से पकड़ के अपनी चूत से रगड़ दिया। उसके दाँत मेरी चूत और क्लीटोरिस से लगते ही मैं झड़ने लगी और जैसे-जैसे मेरी चूत में से जूस निकलने लगा, मैं उतनी ही तेज़ी से उनके सर को पकड़े उनके मुँह पे अपनी चूत रगड़ती रही।
थोड़ी देर के बद मेरा झड़ना बंद हुआ तो मैंने कहा, “एस-के अब बर्दाश्त नहीं होता, प्लीज़ चोद डालो ना अब, कल से तड़प रही हूँ मैं तुम्हारे लंड के लिये।“ एस-के ने कुछ और आईस क्रीम मेरी चूत में लगायी उठ कर खड़ा हुआ और अपने लंड के सुपाड़े को चूत के सुराख में टिका कर मेरे ऊपर झुक गया और मेरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया। वो मेरे कंधों को पकड़ कर अपनी गाँड हिला-हिला कर लंड को चूत के अंदर बाहर करता रहा। फिर वो थोड़ा सा सीधा हुआ पर उसका लंड चूत के आधा ही अंदर रहा। उसने बहुत सारी क्रीम अपने लंड पे डाल दी और एक ज़ोर से झटका मारा तो मेरे मुँह से चींख निकल गयी “आआआआईईईईईई ईंईंईंईं”,
और फचक-फचक की आवाज़ से उसका इतना बड़ा, मोटा ताज़ा लंड मेरी गीली चूत में आईस क्रीम के साथ घुस गया। अब फिर से वो मुझ पे झुक गया और मेरे बगल के नीचे से हाथ डाल के मेरे कंधों को पकड़ लिया और चुदाई शुरू कर दी। लंड अंदर-बाहर हो रहा था। इतना मोटा लंबा लोहे जैसा सख्त लंड छोटी सी चूत मे घुसता तो चूत के लिप्स भी लंड के साथ अंदर तक घुस जाते और फिर लंड के साथ ही बाहर निकल आते। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
एस-के नीचे फ़्लोर पे खड़ा था और अपने पैरों की ग्रिप लेकर पूरी ताकत से मुझे चोद रहा था। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी, “आआआआआहहहहहह बबब..बहुत ममम…मज़ाआआआ आआआआ रहा….आआआ है….. आआआईंईंईं ऐसे ही चोदो….. ऊऊऊफफफ आआआहहहह यूऊऊऊ आर वंदर फुलललल  आआआआहहहहह ऐसे ही ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओहहहह।“ वो पूरा लंड, सुपाड़े तक बाहर निकाल-निकाल कर चोद रहा था। बेइंतेहा मज़ा आ रहा था। एस-के के लंबा मोटा लंड मेरी बच्चे दानी को हिट कर रहा था जिससे मुझे और मज़ा आ रहा था।
मेरे पैर उसकी बैक पे लिपटे हुए थे और मैं उसकी गाँड को पकड़ के चुदाई के मज़े ले रही थी। वो एक बार फिर थोड़ी और क्रीम अपने लंड पे डाल के चोदने लगा और अब उसकी चुदाई की स्पीड बढ़ गयी थी। मैंने अपने पैर उसकी बैक से हटा कर नीचे फ्लोर पे टिका दिये और सैंडल की हील्स को ज़मीन पे गड़ा कर अपने चूतड़ उठा-उठा कर उससे चुदवाने लगी। एस-के ने फिर एक इतनी ज़ोर से झटका मारा कि मेरे मुँह से फिर से चींख निकल गयी। मुझे लगा जैसे मेरी चूत फिर से फट गयी हो और सारा कमरा गोल-गोल घूमने लगा। मेरे आई बॉल्स ऊपर चड़ गये और मेरी ग्रिप एस-के के जिस्म पे टाइट हो गयी और मैंने उसको ज़ोर से पकड़ लिया। वो बहुत तेज़ी से और ज़ोर से चोद रहा था। उसका लंड मेरी छोटी सी चूत के अंदर मुझे फूलता हुआ महसूस हुआ और उसने फिर एक ज़ोर का झटका मारा तो मेरी बच्चे दानी में हलचल होने लगी और उस के साथ ही एस-के के लंड में से गाढ़ी-गाढ़ी थिक क्रीम के फुव्वारे निकलने लगे।
मैं एस-के से ज़ोर से लिपटी रही और मेरी ग्रिप टाइट थी। अब उसके धक्के स्लो होने लगे और मुझे लग रहा था जैसे मेरी चूत के मसल एस-के के लंड को जैसे निचोड़ रहे हों और जैसे उसके लंड से निकली हुई क्रीम की एक एक बूँद को चूत के अंदर लेना चाहती हो। उसकी क्रीम के साथ ही मेरा जूस भी निकलने लगा और हम दोनों के क्रीम से मेरी चूत लबालब भर गयी।
थोड़ी देर तक एस-के मेरे ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और अपने लंड को चूत के अंदर ही रहने दिया। जब हम दोनों की साँसें थोड़ी ठीक हुई तो एस-के ने अपना लंड मेरी बहती हुई चूत से बाहर निकाल लिया और फौरन ही पलट के मेरे मुँह की तरफ़ अपना लंड कर दिया, जिसमें से हम दोनों की क्रीम टपक रही थी। मैंने फौरन ही अपना मुँह खोल दिया और उसके लंड को चूसने लगी और दोनों की मिली मलाई का लेने लगी। मैंने डिब्बे से थोड़ी आईस क्रीम निकाल के एस-के के लंड पे लगाई और चूसने लगी। आआहहह क्या मज़ा आ रहा था, ऐसी आईस क्रीम पहली दफ़ा खा रही थी जिसपर आईस कि क्रीम के साथ हम दोनों की लंड और चूत की क्रीम भी थी।
मैं चोको -बार की तरह से चूस रही थी उसका मोटा लंड। अब उसका लंड फिर से अकड़ गया था और मेरे मुँह में फूलने लगा था। मेरी चूत में से भी जूस निकलना शुरू हो गया था। एस-के ने मेरी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया। अब वो जोश में मेरे मुँह को चोद रहा था और चूत को अपनी उंगली से चोद रहा था। मेरी क्लीटोरिस पे उसकी उंगली की रगड़ से मैं झड़ने लगी। एस-के मेरे मुँह को चोद रहा था। उसका इतना मोटा, लंबा लंड का सुपाड़ा मेरे हलक में टक्कर मार रहा था। मेरा जूस लगातार निकल रहा था और मैं उसी मस्ती में एस-के का लंड ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी और वो अपनी गाँड हिला-हिला कर अपना लंड पूरा बाहर निकाल-निकाल कर मेरे मुँह को चूत समझ कर चोदने लगा।
मेरा तो दम ही घुटने लगा था और फिर थोड़ी ही देर में मेरे मुँह की चुदाई की स्पीड बढ़ गयी और उसके लंड के सुराख में से क्रीम के फुव्वारे निकल-निकल के मेरे हलक में डायरेक्ट उतरने लगे। मुझे लगा जैसे तकरीबन एक कप जितना गाढ़ा-गाढ़ा निकला होगा और मैं उसके लंड की सारी मलाई मज़े से खा गयी। उसके लंड से क्रीम निकलते ही मेरी चूत फिर से झड़ने लगी और मैं अपनी गाँड उठा के चूत उसके हाथ से रगड़वाने लगी। जब दोनों की मलाई निकल गयी तो दोनों शाँत हो गये। मैं बेदम हो कर वहीं लेटी रही और एस-के नीचे फ़्लोर पे लुढ़क गया। दोनों गहरी गहरी साँसें ले रहे थे और दोनों की आँखें बंद हो गयी थी।
थोड़ी देर तक ऐसे ही लेटे रहे। फिर एस-के ने मुझे उठाया और पूछा कि “किरन मज़ा आया क्या” तो मैंने एक ज़ोरदार चुम्मा लिया और कहा, “एस-के किरन की छोटी सी चूत को अपने लंबे मोटे मूसल जैसे लंड से चोदे और किरन को मज़ा ना आये, ऐसे हो सकता है किया ?? और ये तुम्हारा ही लंड है जिसने मेरी प्यासी चूत की प्यास बुझायी है और इस में लगी आग को ठंडा किया है।“ एस-के हँसने लगा और मुझे उसी हालत में उठा कर बाथरूम में ले गया और शॉवर खोल दिया। दोनों ने एक दूसरे को साबुन लगाया और अच्छी तरह से एक दूसरे को साफ़ किया और नहाने लगे। नहाते-नहाते मैं एस-के के लंड को पकड़ के मसलती रही तो वो फिर से खड़ा हो गया।
यही हाल मेरी चूत का भी था। एस-के जब मुझे साबुन लगा के चूत धो रहे थे तो अपनी उंगली चूत के सुराख के अंदर डाल के उंगली से चोदने लगे। मैं भी मस्ती में आ गयी और एस-के से लिपट गयी। इसी तरह से नहाते-नहाते मस्ती करते रहे और फिर हम बाथरूम के बाहर निकल आये और टॉवल से एक दूसरे के जिस्म को साफ़ किया और फिर सोफ़े पे आ के बैठ के व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगे और एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। एस-के ने अशफाक के बारे में पूछा कि वो कैसे चोदता है तो मैंने बता दिया कि “शादी के कुछ ही दिनों तक तो उसका लंड मेरी चूत के अंदर गया और बस दो या तीन धक्कों में उसकी क्रीम निकल गयी।
ऐसे लगाता था जैसे क्रीम उसके लंड के सुपाड़े में रेडी है, चूत की गर्मी लगी और क्रीम निकल गयी। उसके बाद से तो अब तक ऐसा है कि कभी तो उसका छोटा सा पतला लंड पूरी तरह से अकड़ता भी नहीं और कभी अकड़ भी जाता है तो चूत के अंदर घुसाने से पहले ही मेरी चूत के लिप्स के ऊपर ही अपनी क्रीम गिरा देता है जिससे मेरी चूत की आग बढ़ जाती है पर मुतमाइन कभी नहीं हुई और शादी के बाद से पहली चुदाई से लेकर आज तक मुझे उसके लौड़े से कभी सेटिसफेक्शन नहीं मिला। कल जब तुमने चोदा तो मुझे पता चला की सही मानों में चुदाई कैसे होती है और औरत को चुदाई का मज़ा कैसे आता है।
जब मैं सत्रह-अठारह साल की थी तो मेरे कज़न ने मुझे चोदा था पर अब तो उस बात को भी तकरीबन दस-ग्यारह साल हो गये हैं और उस टाईम पे मुझे मेरे कज़न के लंड से चुदवाने में बहुत मज़ा आया था पर तुम्हारी चुदाई और तुम्हारा लंड तो इतना वंडरफुल है कि जी चाहता है कि तुम मुझे चोदते जाओ और मैं तुम से चुदवाती जाऊँ।“ एस-के ने पूछा, “अच्छा तो तुमने कज़न से भी चुदवाया है” तो मैंने कहा हाँ, “ऐसे ही हो गया था बस” और फिर उसको अपनी पहली चुदाई की दास्तान सुना डाली। एस-के मेरी कहानी सुनते-सुनते फिर से मेरे बूब्स को दबाने लगा और मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया, जो फिर से अकड़ के लोहे जैसा सख्त हो चुका था और मैं उसके लंड को दबाने लगी।
एस-के ने पूछा, “अब कैसा लग रहा है किरन”, तो मैंने कहा “बहुत मस्त फ़ील कर रही हूँ….  इस व्हिस्की का नशा सा छाया हुआ है और सारे जिस्म में एक अजीब सा मीठा-मीठा मस्ती-भरा दर्द जैसे हो रहा है।“ एस-के ने कहा, “चलो मैं तुम्हारे जिस्म की मालिश कर देता हूँ” तो मैंने कहा, “माशा अल्लाह! मालिश से तो मज़ा ही आ जायेगा…. चलो बेडरूम में चलते हैं।“ उसने कहा कि “कोई प्लास्टिक हो तो बेड पे बिछा दो।“ मैंने कहा कि नहीं, “ऐसा कोई प्लास्टिक तो नहीं है…..
मैं कोई पुरानी वाली बेडशीट बिछा देती हूँ” और अलमारी से एक पुरानी वाली बेड शीट निकाल के बेड पे बिछा दी। एस-के ने पूछा कौन सा तेल है तो मैंने कहा मालिश के लिये कौन-सा तेल अच्छा होता है। उसने पूछा कि “घर में ऑलिव ऑयल है क्या?” तो मैंने कहा कि “हाँ, है एक डिब्बा ऑलिव ऑयल का…. क्या उससे मालिश करोगे?” एस-के ने कहा कि “हाँ, वो ऑलिव ऑयल ही सब से अच्छा होता है मालिश के लिये।“ मैं थोड़ा सा लड़खड़ाती और सैंडल खटखटाती हुई दूसरे रूम में गयी और ऑलिव ऑयल का डिब्बा लेकर आ गयी।
एस-के ने कहा कि अब तुम सीधी लेट जाओ तो मैं ऐसे ही लेट गयी। टाँगें चौड़ी करके फैला लीं । एस-के मेरी टाँगों के बीच में घुटनों के बल बैठ गया और मेरे जिस्म पे तेल डालना शुरू किया। सारे जिस्म पे तेल डाला, चूचियों की गोलाई में और नाफ़ के सुराख में और चूत के पास तक डाल दिया और डिब्बा एक तरफ़ रख कर मालिश करना शुरू कर दिया। सारे जिस्म पे हाथ से तेल को फैला दिया और मालिश करने लगा। वो चूचियों को मसलता रहा। सारा जिस्म स्लिपरी हो गया। बहुत मज़ा आने लगा और जिस्म बहुत लाईट महसूस होने लगा। जब वो मेरे पैरों पे मालिश करने लग तो मैंने कहा कि मैं सैंडल उतार देती हूँ जिससे तुम ठीक से मालिश कर सको।
वो बोला कि “किरन रहने दो, इन हाई हील सैंडलों में तुम्हारे ये सैक्सी पैर और भी सैक्सी लगते हैं”, और फिर उसने मेरे सैंडलों और पैरों को चूम लिया तो मैं सिसक उठी। मेरी चिकनी चूत को देख कर उसका लंड फिर से टनटना कर खड़ा हो गया था और मेरी चूत देख कर उसके लंड के मुँह में से प्री-कम का पानी आने लगा था। हम दोनों एक दूसरे की आँख से आँख मिला कर एक दूसरे को घूर रहे थे। दोनों नंगे थे और बहुत अच्छा लग रहा था। एस-के बड़ी ज़बरदस्त मालिश कर रहा था। मेरे जिस्म में मस्ती छा रही थी और मेरी चूत जूस के निकलने से गीली हो चुकी थी। उसका लंड मेरी चूत के सामने था। एक टाईम जब वो झुक कर मालिश कर रहा था और उसका लंड मेरी चूत के सामने ही था तो उसका हाथ फिसल गया।
मेरी टाँगें तो फैली ही थीं, जिससे चूत खुली हुई थी और जब उसका हाथ फिसला और वो बैलेंस ऑउट होने की वजह से सामने की तरफ़ फिसल गया तो उसका लंड एक ही झटके में मेरी चिकनी चूत के अंदर घुसता चला गया। मेरी आँखें एक दम से बाहर निकल आयीं। मैं उसका लंड चूत के अंदर एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी। एस-के ने थोड़े झटके मारे और जब मेरी चूत ने उनके लंड को एडजस्ट कर लिया और मुझे मज़ा आने लगा तो एस-के ने अपना अकड़ा हुआ लंड बाहर निकाल लिया। मैंने कहा, “अरे ये क्यों, एस-के….. रहने दो ना अंदर ही…. अच्छा मज़ा आ रहा है”, तो उसने कहा, “रुको अभी चोदता हूँ थोड़ी देर में, पहले अच्छी तरह से मालिश तो कर लूँ”, तो मैंने कहा, “ठीक है।“
फिर एस-के ने कहा, “अब तुम बेड पे उलटी लेट जाओ और तकिया निकाल दो और अपने हाथों को अपने मुँह के सामने फ़ोल्ड करके रख लो”, तो मैं वैसे ही लेट गयी जैसा एस-के ने बोला था। अब मैं उलटी लेटी हुई थी और इसी लिये एस-के को नहीं देख सकती थी। एस-के ने फिर मेरे पीछे पीठ पे ऑलिव ऑयल डाला और कंधों के पास और फिर पीठ पे फैला दिया और फिर मेरे गोल-गोल चूतड़ों पे तेल डाल के फैला दिया ताकि तेल नीचे ना गिरे और फिर मेरी टाँगें फैला करके वो मेरी टाँगों के बीच में फिर से घुटनों के बल बैठ गया और झुक कर दोनों हाथों से मेरे कंधों की मालिश करने लगा। ऑयल बहुत चिकना था और उसके हाथ आसानी से फिसल रहे थे।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जिस्म में मस्ती छा रही थी। मेरी आँखें बंद हो रही थी। एस-के ने मेरे पेट से थोड़ा नीचे चूत के पास फिर से तकिया रख दिया जिससे मेरे चूतड़ ऊपर उठ गये। अब एस-के मेरे दोनों चूतड़ों को मसल रहा था और ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था। थोड़ा और तेल डालकर उसने थोड़ा तेल मेरी गाँड खोल के उसके सुराख में भी डाल दिया। अब एस-के मेरी टाँगों के बीच में अपने पैर फ़ोल्ड करके बैठा था। ऐसी पोज़िशन में उसके लंड का सुपाड़ा कभी मेरी चूत से टकराता तो कभी गाँड से। वो आधा उठ-उठ के मालिश कर रहा था और चूतड़ों को ज़ोर-सोर से मसल रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। दोनों चूतड़ खोल-खोल के गाँड में भी तेल डाल के अपनी उंगली गाँड में अंदर बाहर करता तो मुझे और ज़्यादा मज़ा आता।
एस-के ने अपना लंड तेल के डिब्बे में डाल कर पूरी तरह से तेल से भर लिया। फिर वो मेरे ऊपर आ गया और चूतड़ों के बीच में लंड रख कर मेरे ऊपर झुक गया और मेरे कंधों को मालिश करने लगा। उसका लंड दोनों चूतड़ों के बीच में ऊपर-नीचे ऊपर-नीचे हो रहा था। कभी-कभी लंड का सुपाड़ा फिसल के चूत के सुराख में घुस जाता तो मुझे बहुत मज़ा आता और कभी फिसल के गाँड के सुराख में अटक जाता तो मुझे तकलीफ होती पर मैंने कुछ कहा नहीं क्योंकि तकलीफ उतनी ज़्यादा नहीं होती थी। उसका लंड बिना गाँड के सुराख में घुसे, चूतड़ों की खायी में ऊपर नीचे हो रहा था। अब वो फिर से मेरे जिस्म पे झुका हुआ था
और पीठ की मालिश कर रहा था जिससे उसका लंड गाँड के सुराख से टकरा रहा था। उसने बहुत सा तेल फिर से मेरी गाँड में डाल दिया और अपने लंड के सुपाड़े को गाँड के सुराख में घुसा कर ऊपर से तेल टपकाने लगा जिससे तेल डायरेक्ट उसके सुपाड़े पर और गाँड के छेद में गिरता हुआ मुझे महसूस हो रहा था। ऐसे ही करते-करते वो प्रेशर दे रहा था तो सुपाड़ा पूरा अंदर चला गया। मेरी गाँड खुलने-बंद होने लगी। उसने कहा, “रिलैक्स किरन!” तो मैं चौंकी और कहा, “नहीं एस-के प्लीज़….. गाँड मे नहीं डालना नहीं तो मैं मर जाऊँगी।“
एस-के ने कहा “तुम फिक्र ना करो किरन, तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी…. मैं गारंटी देता हूँ”, तो मैंने कहा, “नहीं प्लीज़!” तो एस-के ने कहा कि “तुम हमारी शर्त को भूल रही हो।“ मैंने पूछा “कैसी शर्त?” एस-के ने कहा, “ओह तुम मेरी शर्त भूल गयी क्या? रात यहीं गुज़ारने की?” तो मुझे अचानक याद आ गया और मैं घबरा गयी। तब समझ में आया कि ये किस शर्त की बात कर रहा है। पर अब क्या हो सकता था और अब मुझे यकीन हो गया कि आज मेरी गाँड की खैर नहीं। एस-के मेरी गाँड मारे बिना छोड़ने वाला नहीं। मैं डर रही थी पर कुछ कर भी नहीं सकती थी।
मैं एस-के की मिन्नतें करने लगी कि प्लीज़ गाँड मारने को छोड़ के कोई भी शर्त मंज़ूर है तो उसने कहा, “अब नहीं हो सकता…. तुमने कहा था कि तुम्हें मेरी हर शर्त बिना सुने ही मंज़ूर है।“ एस-के ने कहा, “देखो किरन, आज तो मैं तुम्हारी गाँड ज़रूर मारूँगा और अगर तुम अपनी गाँड को टाइट करोगी तो तुम्हें तकलीफ होगी। तुम्हारी गाँड में फ़ुल तेल लगा हुआ है और अगर तुम अपनी गाँड को बिल्कुल रिलैक्स कर दोगी तो बिल्कुल भी तकलीफ नहीं होगी और लंड आसानी गाँड के अंदर फिसल जायेगा क्योंकि मैं मेरे लंड को और तुम्हारी गाँड को तेल से चिकना कर चुका हूँ….. तो बेहतर यही है कि तुम रिलैक्स हो जाओ और गाँड में लंड लेने का मज़ा लो।“
मैंने सोचा कि आज तो मेरी गाँड इस लौड़े से नहीं बच सकती तो क्यों ना एस-के जैसे कहता है, मैं वैसे ही करती रहूँ। ये खयाल आते ही मैंने अपनी गाँड को रिलैक्स कर दिया और गहरी-गहरी साँस लेने लगी जिससे मेरी गाँड कुछ रिलैक्स हुई। मैंने फिर कहा, “देखो एस-के बहुत धीरे करना, नहीं तो मेरी गाँड फट जायेगी।“ एस-के ने हँस कर कहा, “तो क्या हुआ….. चूत भी तो फट चुकी है तुम्हारी…. अब अगर गाँड भी फट जायेगी तो क्या प्रॉबलम है।“ मैंने कहा, “मुझे बहुत दर्द होगा” तो उसने कहा कि “तुम गाँड को रिलैक्स रखो इससे तुम्हें कोई दर्द नहीं होगा, ओके?” तो मैंने भी कहा, “ओके।“
अब वो फिर से मालिश करने लगा। लंड का सुपाड़ा ऐसे ही गाँड के छेद में ही टिका हुआ था। उसने थोड़ा सा और तेल खुली हुई गाँड में टपकाया और लंड के सुपाड़े को अंदर-बाहर करने लगा। अब उसका लंड और मेरी गाँड, बहुत ही चिकने हो चुके थे और सुपाड़ा आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। एस-के अब मेरे ऊपर फिर से झुक कर करीब लेट गया और मेरे कंधों को ऐसे पकड़ लिया कि उसके दोनों हाथ मेरी दोनों चूचियों के बीच में थे, जिससे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। उसने धीरे-धीरे अपनी गाँड उठा-उठा कर लंड के सुपाड़े को मेरी गाँड के अंदर-बाहर अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। दोनों के जिस्म चिकने होने से फिसल रहे थे।
तकिया मेरी गाँड के नीचे होने से गाँड ऊपर उठ गयी थी और लंड को अंदर आने की दावत दे रही थी। एस-के ने सुपाड़ा अंदर-बाहर करते-करते एक जम के झटका दिया तो लंड तकरीबन आधा गाँड के अंदर घुस गया और मेरे मुँह से एक चींख निकल गयी “हाय…. मैं मर गयीईईईईईई….. निकाल लो इसे आआआआहहहह।“ वो थोड़ी देर ऐसे ही आधा लंड अंदर घुसेड़ कर मेरे ऊपर लेटा रहा। मेरी गाँड एस-के के लंड से कुछ एडजस्ट हुई तो फिर एस-के थोड़ा सा ऊपर उठ गया और फिर से अपने लंड पे, जो आधा मेरी गाँड के अंदर घुसा हुआ था, उसके डंडे पे तेल उढ़ेलने लगा और लंड को अंदर बाहर करने लगा। तेल उढ़ेलने से लंड का डंडा और स्लिपरी हो चुका था और गाँड का सुराख भी स्लिपरी हो गया था।
एस-के ने कहा, “किरन अब तुम थोड़ा सा ऊपर उठ कर अपने नीचे से तकिया निकल लो….. अब उसकी ज़रूरत नहीं है…… ऐसे ही नीचे रहेगा तो तुम्हें और दर्द होगा।“ मैं थोड़ा सा उठी और एस-के ने मेरे नीचे से तकिया निकाल लिया। एस-के ने कहा, “किरन अब तुम अपनी गाँड को थोड़ा सा ऊपर उठा लो” तो मैंने अपने चूतड़ों को थोड़ा ऊपर उठा लिया। अब मैं बेड पे उलटी लेटी थी और मेरी गाँड थोड़ी सी ऊपर उठी हुई थी और एस-के का मूसल लंड गाँड में आधा अंदर घुसा हुआ था। एस-के ने फिर से अपने हाथ मेरे जिस्म के नीचे से डाल के कंधों को पकड़ लिया और उसके हाथ मेरी चूचियों से लगने लगे। दोनों हाथ दोनों चूचियों के बीच में थे।
दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही चिपके हुए लेटे रहे। अब मेरी गाँड उसके लंड से पूरी तरह एडजस्ट हो चुकी थी और मेरी गाँड अपने आप ही थोड़ी सी उठ गयी और गाँड के सुराख के मसल थोड़े रिलैक्स हुए तो एस-के ने समझ लिया कि अब मैं अच्छी तरह से गाँड मरवाने के लिये रेडी हूँ। उसने अपने लंड को आधा ही अंदर-बाहर अंदर-बाहर करके मेरी गाँड मारनी शुरू कर दी। अब मुझे भी अच्छा लगने लगा और मैं मज़े लेने लगी। लंड और गाँड दोनों बहुत ही चिकने और स्लिपरी हो चुके थे। मेरी साँसें अब ठीक से चलने लगी थी।
एस-के ऐसे ही गाँड के अंदर आधा लंड घुसा के धक्के मारता रहा और फिर मेरे कंधों को ज़ोर से पकड़ कर इतनी ज़ोर से झटका मारा कि मैं चिल्ला पड़ी, “ऊऊऊईईईई अल्लाहहह….आआआआ मर गयी…ईईईईईई ऊऊऊऊऊऊऊ निकाल लो!!” पर अब उसका लंड पूरा जड़ तक मेरी गाँड में घुस चुका था और मुझे उसका लंड गाँड फाड़ कर पेट में से घुस कर मुँह से बाहर तक निकलता हुआ महसूस होने लगा। दर्द से मेरी आँखें बाहर निकल गयी और साँसें रुक गयीं और मेरे सामने अंधेरा छाने लगा। शायद मैं फिर से बेहोश हो गयी थी।
एस-के मेरी गाँड में अपना रॉकेट जैसा लंड घुसेड़ कर थोड़ी देर ऐसे ही मेरे ऊपर लेटा रहा। कुछ ही देर के बाद मेरी गाँड अब पूरी तरह से रेडी हो गयी थी और अब गाँड में लंड अच्छा लग रहा था तो एस-के ने पीछे बेड से पैर टिकाकर उछल-उछल के मेरी गाँड मारनी शुरू कर दी। कभी आधा लंड बाहर तक खींच लेता तो कभी सुपाड़े तक बाहर निकाल कर ज़ोर का झटका मारता तो मेरी जान ही निकल जाती और अंदर की साँस अंदर और बाहर की बाहर रह जाती।
थोड़ी देर तक तो तकलीफ होती रही लेकिन थोड़ी ही देर में मुझे गाँड मरवाने में बहुत ही मज़ा आने लगा और मैं अपनी गाँड से लंड को पीछे से धक्के मारने लगी। तेल लगा होने से फच-फचक-फचक की आवाज़ें आ रही थी और एस-के का मूसल जैसा लंड मेरी गाँड में घुसा हुआ था। वो ज़ोर-ज़ोर से खचाखच मेरी गाँड मार रहा था और मैं मज़े से मरवा रही थी। मैं अपनी गाँड पीछे धकेल कर उसका मोटा लंड अपनी गाँड में ले रही थी। बहुत मज़ा आने लगा था और उसी वक्त मेरा जिस्म काँपने लगा और मेरी चूत में से जूस निकलने लगा। मेरा ऑर्गेज़म चलता रहा और मैं बे-दम हो कर बेड पे गिर गयी। एस-के अपनी गाँड उठा-उठा कर लंड को पूरा सुपाड़े तक बाहर निकाल-निकाल के मेरी गाँड मार रहा था। उसकी स्पीड बढ़ गयी
और वो दीवानों की तरह से मेरी गाँड के अंदर अपना मूसल लंड घुसेड़ रहा था और तेज़ी से मेरी गाँड मार रहा था। फिर उसने एक बहुत ही ज़ोरदार झटका मारा तो मेरे मुँह से फिर से चींख निकल गयी “आंआंआंआंआं मर गयी….ईईईई” और फिर फौरन ही उसके लंड से मलाई की पिचकारियाँ मेरी फटी हुई गाँड में निकल कर गिरने लगी। पहली पिचकारी के साथ ही मेरी चूत से जूस निकलने लगा और मैं भी झड़ने लगी। एस-के के लंड में से मलाई निकलती गयी और मुझे लगने लगा जैसे उसकी मलाई से मेरी गाँड और मेरा पेट दोनों भर जायेंगे।
अभी उसका लंड मेरी गाँड के अंदर ही घुसा हुआ था और वो मेरे जिस्म पे गिर गया। हम दोनों गहरी गहरी साँसें ले रहे थे। थोड़ी ही देर के बाद जब हमारी साँसें ठीक हुई तो एस-के मेरे ऊपर से मेरी साईड में लुढ़क गया और उसका लंड मेरी गाँड में से निकलते ही मेरी गाँड में से उसकी मनि बाहर निकलने लगी और मेरी चूत की दरार में से होता हुई नीचे बेड शीट पर गिरने लगी।
मैं भी अब सीधी हो कर लेट गयी और करवट लेकर एस-के को प्यार करने लगी। दोनों करवट से लेटे थे, एक दूसरे की तरफ़ मुँह करके। फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट के गहरी नींद सो गये। सुबह उठी थो चूत और गाँड में मीठा-मीठा दर्द हो रहा था। हम दोनों ने साथ ही शॉवर लिया और दोनों एक दूसरे को साबुन लगा कर नहलाने लगे। एस-के ने मेरी चूत और गाँड में साबुन लगाया और मैंने एस-के के लंड पे साबुन लगायी और धोने लगी। एस-के के लंड पे हाथ लगते ही उसका लंड एक बार फिर से खड़ा हो गया और मेरे नंगे जिस्म को और मेरी चिकनी मक्खन जैसी चूत को सेलयूट करने लगा जैसे हाथी अपनी सूँड से सेलयूट करता है।
मैंने हँस कर कहा, “वॉव एस-के…. ये तो फिर से अकड़ने लगा…..” तो उसने कहा, “किरन तुम्हारी मक्खन जैसी चिकनी और प्यारी चूत शायद मेरे लंड को पसंद आ गयी है और फिर से ये उस में घुसना चाहता है।“ मैं हँसने लगी और बोली कि “एस-के, मैं तुम्हारे लिये और तुम्हारे इतने शानदार लंड के लिये हमेशा ही रेडी हूँ।“ फिर शॉवर के अंदर ही एस-के ने मुझे अपनी गोदी में उठा लिया और दीवार से टिका कर मेरी चूत में लंड एक ही झटके में पेल दिया और चोदने लगा। मेरी बैक, दीवार से टिकी हुई थी और पैर एस-के की बैक पे लिपटे हुए थे और मैं अपने हाथ एस-के की गर्दन में डाल कर उसके जिस्म से झूल रही थी और उसका लंड मेरी चूत में तूफान मचा रहा था।
वो गचागच चोद रहा था और उसका लंड चूत के अंदर ऐसे जा रहा था जैसे हथोड़े से दीवार में सुराख कर रहा हो। मुझे लग रहा था कि मेरी चूत और गाँड फाड़ कर उसका लंड दीवार में घुस जायेगा। उसके एक-एक झटके से मेरी चूचियाँ डाँस करने लगी। एस-के के हाथ मेरे चूतड़ों पे थे और मेरी बैक दीवार से टिकी थी। वो इसी तरह चोदता रहा और मैं दो बार झड़ चुकी थी। अब मुझे लगा कि एस-के भी झड़ने वाला है तो मैंने उसको कस कर पकड़ लिया।
एस-के के झटके बहुत ही तेज़ हो गये और मेरी ज़बरदस्त चुदाई होने लगी और फिर उसने एक इतनी ज़ोर से झटका मारा कि मेरी चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊईईईईईई ईईईईईईई”, और मेरा मुँह खुला का खुला रह गया और मैंने महसूस किया कि एस-के का लंड मेरी चूत में फूल रहा है और उसके लंड से गरम-गरम मलाई की पिचकारियाँ निकल रही हैं और मैं फिर से झड़ने लगी। चुदाई होने के बाद उसने मुझे नीचे उतारा और हम ने फिर से शॉवर लिया।
बाथरूम से बाहर निकल कर मैंने फिर से हाई-हील के सैंडल पहने और फिर जब कपड़े पहनने लगी तो एस-के ने कहा, “नहीं किरन….. मैं और तुम जितनी देर घर में अकेले रहेंगे, तुम और मैं कोई कपड़ा नहीं पहनेंगे और हम दोनों नंगे ही रहेंगे…. तुम सिर्फ ये सैक्सी सैंडल पहने रहो…..” तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “ओक एस-के….. मैं तो तुम्हारी गुलाम हो गयी हूँ….. तुम जैसा कहोगे, मैं वैसा ही करुँगी।“ फिर मैंने सिर्फ सैंडल पहने, नंगी ही किचन में गयी और ब्रेकफास्ट बनाया और हम दोनों ने नंगे ही डायनिंग टेबल पे बिठ कर खाया। वो शनिवार का दिन था तो एस-के ने ऑफिस फोन कर दिया कि वो किसी और जगह काम से जा रहा है और ऑफिस नहीं अयेगा और फिर अपनी सेक्रेटरी को कुछ इंस्ट्रक्शन दे दिये और सारा काम समझा दिया। शनिवार और इतवार को मेरी जम कर चुदाई हुई। अब मैं अशफाक को भूल चुकी थी और मुझे अशफाक की याद भी नहीं आ रही थी। मैं तो ये सोच रही थी कि एस-के ही मेरा शौहर है और मैं उसकी बीवी ।
मंडे को एस-के को ऑफिस जाना था तो मैंने फिर उससे लिपट कर कहा कि “मैं कैसे रहुँगी तुम्हारे बिना” तो एस-के मुझे से लिपट गया और किस करने लगा और कहा कि “मैं कहीं नहीं जा रहा हूँ…. शाम को फिर आ जाऊँगा और मैंने तुम से प्रामिस भी तो किया हुआ है कि मैं अशफाक के आने तक तुम्हारे साथ ही रहुँगा और फिर आज अपनी वाइफ को एक वीक के लिये उसके मायके जाने के लिये कह दुँगा और बता दुँगा कि मैं किसी काम से मुंबई जा रहा हूँ और एक वीक के बाद आऊँगा।“
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RE: कहानी किरन की (कॉपी पेस्ट) - by Gpoint - 12-04-2021, 10:47 PM



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