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कहानी किरन की (कॉपी पेस्ट)
#8
दूसरे दिन मैं फिर सजधज कर ऑफिस गयी तो उसने मुझे अपने कंप्यूटर के प्रोग्राम पर ही बता दिया के कैसे एंट्रिज़ करनी हैं और कहा कि ये प्रोग्राम, मेरे पास जो कंप्यूटर भेजा है, उस पर भी है। काम उतना मुश्किल नहीं था, जल्दी ही समझ में आ गया। हाँ कुछ चीज़ें ऐसी थी जो कि समझ में नहीं आ रही थी। कुछ केलक्यूलेशन थे कुछ एडिशन और सबट्रेक्शन थे पर उसने कहा कि जो भी मैं कर सकती हूँ करूँ और जो मेरी समझ में नहीं आ रहा है, वो लंच टाईम पे मेरे पास आ कर मुझे समझा देगा। मैं इनवोयस का बंडल उठा के घर चली आयी।
ऑफिस से घर, तकरीबन पंद्रह-बीस मिनट की वॉक है। घर आने के बाद सारे इनवोयस और वाऊचर को अपने सामने रख कर पहले तो ऐसे ही समझने की कोशिश करती रही और थोड़ी देर के बाद एंट्री करना शुरू किया। नया-नया काम शुरू किया था तो काम करने में मज़ा आ रहा था और जोश के साथ काम कर रही थी। मुझे टाईम का पता ही नहीं चला। शाम के साढ़े तीन हो गये और जब एस-के ने बेल बजायी तो मैंने टाईम देखा। “उफ़ ये तो साढ़े तीन हो गये।“
मैंने डोर खोला। एस-के अंदर आ गया और हम दोनों कंप्यूटर वाले रूम में चले आये। पता नहीं एस-के की पर्सनैलिटी में क्या था कि मैं उसको देखते ही अपने होश खो बैठती और गीली होना शुरू हो जाती। उसने काम देखना शुरू किया। कुछ मैंने गलत किया था कुछ सही किया था। उसने केलक्यूलेशन वगैरह करना सिखाया और कुछ देर बैठ कर कॉफी पी कर चला गया। जितनी देर वो मेरे पास बैठा रहा, उसके जिस्म से हल्की उठती हुई पर्फ़्यूम की खुशबू से मैं मस्त होती रही। उसके साथ बैठना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं तो ये सोचने लगी के एस-के यहीं मेरे साथ ही रहे तो कितना अच्छा हो और मेरी गरम और प्यासी चूत को चोद-चोद के अपनी क्रीम चूत के अंदर डाल के उसकी प्यास बुझा दे और मेरी गरम चूत को ठंडा कर दे। पर ये मुमकिन नहीं था। एक तो वो मैरिड था और रात मेरे साथ नहीं रह सकता था, दूसरे ये कि ऑफिस के दूसरे काम भी तो देखने होते हैं। मैं एस-के को अपने दिल की बात ना कह सकी पर मेरा दिल चाह रहा था के वो मेरे साथ ही रहे। वो मेरा काम देख के और कुछ काम समझा के अपने घर चला गया और मैं पता नहीं क्यों उदास हो गयी।
इसी तरह से एक हफ़्ता गुज़र गया। कोई खास बात नहीं हुई बस ये कि मैं उसके लिये हर रोज़ अच्छे से तैयार होती और जितनी देर वो मेरे करीब रहता, मैं मस्त रहती और पूरे मूड में रहती, पर उसके चले जाने के बाद मैं उदास हो जाती। मैं ऑफिस से तकरीबन दो हफ़्तों का काम ले आयी थी तो ऑफिस भी नहीं जाना था। सुबह उठ के नाश्ता कर के, फिर अच्छे से तैयार होकर, काम शुरू करती और काम के बीच-बीच में अपने काम भी करती रहती, जैसे खाना बनाना या और भी छोटे-मोटे काम। धोबन तो हर दूसरे दिन आ कर कपड़े धो जाया करती थी। इसी तरह से रुटीन चलने लगी।
सलमा आँटी को भी पता चल गया था के मैं दिन में बिज़ी रहती हूँ तो वो भी मुझे दिन के टाईम पे डिस्टर्ब नहीं करती और कभी उनका मन करता तो वो शाम को या रात को किसी टाईम पे आ जाती और गप्पें लगाने लगती और साथ में हम वही करते जो बालकोनी में किया था और फिर आँटी चली जाती और मैं मस्त हो के सो जाती। पहले भी जब अशफाक मेरी चूत में आग लगा देता और बुझा नहीं पता तो मैं कभी-कभी बैंगन, मोमबत्ती या लंड की शक्ल की कोई और चीज़ अपनी चूत में डालकर मज़ा ले लेती थी पर आजकल काम में बिज़ी रहने के बावजूद मेरी ये हरकत बहुट बढ़ गयी थी। कंप्यूटर पर डेटा ऐंट्री करते-करते एस-के की याद आ जाती तो उसके लंड का तसव्वुर करते हुए मैं खुद ही अपनी चूत को कोई भी लंड के शक्ल की चीज़ से चोद-चोद कर झड़ जाती और फिर अपना काम में लग जाती।
एक दिन ऐसे हुआ के मैं काम कर रही थी और एस-के आ गये और मेरे पीछे खड़े हो कर काम देखने लगे। कभी-कभी कोई मिस्टेक हो जाती तो बता देते। मैं काम में बिज़ी थी। बीच में मुड़ कर देखा तो एस-के मेरे पीछे नहीं थे। मैंने सोचा कि शायद कुछ काम होगा और चले गये होंगे और मैं उठ कर बाथरूम में गयी। बाथरूम का डोर खोल के अंदर पैर रखते ही एक शॉक लगा। एस-के वहाँ खड़ा पेशाब कर रहा था और उसने अपना इतना मोटा गधे जैसा बे-खतना लौड़ा हाथ में पकड़ा हुआ था।
पूरा हाथ में पकड़ने के बाद भी उसका लंड उसके हाथ से बाहर निकला हुआ था और अभी वो इरेक्ट भी नहीं था। मैं एक ही सेकेंड के अंदर पलटी और “ओह सॉरी” कह कर बाहर निकल गयी और सोचने लगी के अभी उसका लंड अकड़ा नहीं है तो ये हाल है उसके लौड़े का और जब अकड़ जायेगा तो क्या हाल होगा और ये तो लड़कियों की चूतें फाड़ डालेगा। इसी सोच के साथ मैं दूसरे बाथरूम में चली गयी और पेशाब करके वापस आ गयी और अपने काम में लग गयी। एस-के फिर से मेरे पीछे आ कर खड़ा हो गया और मेरा काम देखने लगा। मैं काम तो कर रही थी पर मेरा सारा ध्यान उसके लंड में था और उसका लंड जैसे ही मेरे ज़हन में आया, मेरी चूत गीली होनी शुरू हो गयी। एस-के को भी पक्का यकीन था के मैंने उसके लंड को देख लिया है और औरों की तरह मैं भी हैरान रह गयी हूँ।
मैं काम में बिज़ी थी और वो पीछे खड़ा था। अब उसने मेरे कंधे पे हाथ रख दिया और कहा कि “किरन तुम्हारा ध्यान किधर है?” मैं घबड़ा गयी और सोचने लगी के उसको कैसे पता चला कि मैं दिल में क्या सोच रही हूँ। मैं खामोश रही तो उसने कहा कि “देखो तुमने कितनी एंट्रिज़ गलत कर दी हैं।“ मैं और घबरा गयी क्योंकि सच में मेरा दिल काम में था ही नहीं। मेरा दिमाग तो एस-के के लंड में ही अटक के रह गया था। मैं घर में होने के बावजूद मैं काफ़ी सजधज कर और अच्छे कपड़े पहन कर काम करती थी क्योंकि एस-के कभी भी आ सकता था। लो-कट गले वाले स्लीवलेस और टाईट सलवार-कमीज़ और साथ में उँची हील के सैंडल पहनना नहीं भूलती थी। कभी-कभार साड़ी भी पहनती थी|
उस दिन भी मैंने स्काई ब्लू कलर की स्लीवलेस कमीज़ और सफेद सलवार पहनी थी जो मेरे जिस्म पे बहुत अच्छी लग रही थी। मेरी कमीज़ का गला भी काफी लो-कट था और चूछियों का क्लीवेज काफी हद तक नुमाया हो रहा था। मेरे कंधे खुले हुए थे और एस-के के दोनों हाथ मेरे कंधों पे थे। उसके गरम हाथों के लम्स से मेरा सारा जिस्म जलने लगा और मेरी ज़ुबान लड़खड़ाने लगी। मैं कुछ बोलना चाहती थी और ज़ुबान से कुछ और निकल रहा था। मेरे सारे जिस्म में जैसे बिजली का करंट दौड़ रहा था और दिमाग में साँय साँय होने लगी थी।
एस-के के दोनों हाथ अब मेरे कंधों से स्लिप हो के मेरी चूचियों पे आ गये थे और मेरी आँखें बंद होने लगी थी। पहले कमीज़ के ऊपर से ही दबाता रहा और फिर बिना हुक खोले ऊपर से ही कमीज़ के अंदर हाथ डाल दिये। क्योंकि मैंने लो-कट कमीज़ के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी तो उसके हाथ डायरेक्ट मेरी चूचियों के ऊपर आ गये और वो उनको मसलने लगा। मेरी कुर्सी सेक्रेटरी चेयर टाइप कि थी जिस में नॉर्मल कुर्सी की तरह से बैक-रेस्ट नहीं था बल्कि पीठ की जगह पर एक छोटा सा रेस्ट था और कुर्सी के बैठने कि जगह से बैक-रेस्ट तक पतली सी प्लास्टिक की पट्टी लगी हुई थी जिससे मेरा पीछे से सारा जिस्म एक्सपोज़्ड था,
सिर्फ मेरी पीठ का वो हिस्सा छोड़कर जहाँ बैक रेस्ट का छोटा सा कुशन था। एस-के मेरे और करीब आ गया तो उसकी पैंट में से उसके लंड का लम्स मुझे मेरे जिस्म पे महसूस होने लगा। मैं तो उसका हाथ चूचियों पे महसूस कर के पहले से ही गीली हो चुकी थी और जब लंड मेरे जिस्म से लगा तो मैं अपनी जाँघें एक दूसरे से रगड़ने लगी और एक ही मिनट में झड़ गयी और मेरे मुँह से एक लंबी सी “आआआआहहहहह” निकल गयी और मैं अपनी कुर्सी पे थोड़ा सा और आगे को खिसक गयी और मेरे पैर खुद-ब-खुद खुल गये। मेरी जाँघें और टाँगें मेरे चूत के रस से भीग गयीं और मेरी आँखें बंद हो गयीं और मैं रिलैक्स हो गयी। मेरी सलवार बिल्कुल भीग गयी और मुझे अपना रस टाँगों से बह कर अपने पैरों के तलवों और सैंडलों के बीच में चूता हुआ महसूस हुआ। इतना रस था कि ऐसा लग रहा थ जैसे मेरा पेशाब निकल गया हो। अब मुझे यकीन हो गया कि आज मेरे दिल कि मुराद पूरी होने वाली है।
एस-के मेरी चूचियों को मसल रहा था और मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि दिखावे की मुज़ाहमत भी नहीं कर सकी और मेरे हाथ उसके हाथ पे आ गये और मैं उसके हाथों को सहलाने लगी। उसने मेरी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगा और निप्पलों को पिंच करने लगा। मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि अपने ही हाथों से अपनी कमीज़ के हुक खोलने लगी। हुक खोल कर कमीज़ ढीली करते हुए ज़रा नीचे खिसका दी और अब वो मेरी चूचियों को अच्छी तरह से मसल रहा था और कह रहा था कि, “आअहह किरन! क्या मस्त चूचियाँ हैं, लगाता है अशफाक इन्हें दबाता नहीं है।“ मैं कुछ नहीं बोली और खामोश रही। वो मेरे पीछे से ही झुक कर मेरी गर्दन पे किस करने लगा और उसके लिप्स मेरे जिस्म पे लगते ही मेरे जिस्म में एक करंट सा दौड़ने लगा। फिर ऐसे ही किस करते-करते वो झुके हुए ही मेरी चूचियों को किस करने लगा तो मेरे हाथ बेसाखता उसकी गर्दन पे चले गये और मैं उसको अपनी तरफ़ खींचने लगी।
अब एस-के मेरे पीछे से हट कर मेरे सामने आ गया था। उसकी पैंट में से उसका लंड बाहर निकलने को बेताब था। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ को अपने लंड पे रख दिया और सच मानो, मैं अपना हाथ वहाँ से हटा ही नहीं सकी और उसने मेरे हाथ को ऐसे दबाया जैसे मेरा हाथ उसके लंड को दबा रहा हो। उसने अपनी पैंट की ज़िप खोल दी और बोला कि, “किरन! इसे बाहर निकाल लो”, तो मैंने उसका अंडरवीयर नीचे को खींच दिया और उसका लंड बाहर निकाला तो वो एक दम से उछल के मेरे मुँह के सामने आ गया और मैं तो सच में डर ही गयी। इतना लंबा मोटा बिला-खतना लंड और उसका मशरूम जैसा चिकना सुपाड़ा चमक रहा था और जोश के मारे हिल रहा था। मेरे मुँह से निकल गया, “हाय अल्लाह!! ये क्या है एस-के? इतना बड़ा और मोटा….. ये तो किलर है…. ये तो जान ही ले लेगा!” तो वो हँसने लगा और बोला कि “आज से ये तुम्हारा ही है, जब चाहो ले लेना” और फिर उसने अपनी पैंट नीचे करके उतार दी।
उसका लंड इतना मोटा और लंबा वो भी बिला-खतना लंड देख कर मैं तो सच में घबरा गयी थी और मन में ही सोचने लगी कि ये तो मेरी चूत को फाड़ के गाँड में से बाहर निकल जायेगा। इतना मस्त लंड और उसका सुपाड़ा भी बहुत ही मोटा था, बिल्कुल हेलमेट की तरह से, जैसे कोई बहुत बड़ा चिकना मशरूम हो और लंड के सुपाड़े का सुराख भी बहुत बड़ा था। मैंने कभी इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा था। और पहली दफा बिला -खतना लंड देख रही थी| उसका लंड बहुत गरम था। हाथ में लेते ही मुझे लगा जैसे कोई गरम-गरम लोहे का पाइप पकड़ लिया हो। लगाता है वो झांटें शेव करता था। उसका लंड एक दम से चिकना था और बिना झाँटों वाला लंड बेहद दिलकश लग रहा था। उसने अपनी शर्ट भी उतार दी तो मैं उसके नंगे जिस्म को देखती ही रह गयी। सारे जिस्म पे हल्के-हल्के से नरम-नरम बाल जो बहुत सैक्सी लग रहे थे और मसक्यूलर बॉडी। उसने मुझे चेयर पे से उठाया और मेरे हाथ पीछे कर के मेरी कमीज़ को निकाल दिया और साथ में मेरी सलवार का नाड़ा उसने एक ही झटके में खोल दिया और मेरी टाँगों से चिपकी हुई भीगी सलवार एक-एक करके मेरी दोनों टाँगों और सैंडलों से नीचे खींचते हुए उतार दी।
मैं एक दम से नंगी हो चुकी थी और वो भी। चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहने होने के बाद भी मेरी हाईट एस-के की हाईट से काफी कम थी और जब उसने मुझे खींच के अपने जिस्म से लिपटा लिया तो उसका लंड मेरे पेट में घुसता हुआ महसूस होने लगा। वो लोहे की तरह से सख्त था और मेरे पेट में ज़ोर से चुभ रहा था और मेरी चूचियाँ हम दोनों के जिस्म के बीच में चिपक गयी थीं। उसका नंगा जिस्म मेरी चूचियों को टच होते ही मेरे निप्पल खड़े हो गये। इसी तरह से वो मुझसे लिपटा रहा। मैं भी ज़ोर से उसको पकड़े रही और अपनी ग्रिप टाइट कर ली। मेरी चूत का हाल तो मत पूछो। उस में से जूस ऐसे निकल रहा था जैसे कोई नल खुला हो और उस में से पानी निकल-निकल के बह रहा हो। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड से लगाया तो मेरे जिस्म में झुरझुरी सी आ गयी।
पहले तो मैंने डर के मारे अपना हाथ हटा लिया पर एस-के ने फिर से मेरा हाथ अपने लंड पे रखा तो मैं उसको धीरे से दबाने लगी और दिल में सोचने लगी कि आज मेरी छोटी सी चूत की खैर नहीं। आज तो ज़रूर मेरी चूत फटने वाली है। एस-के के हाथ मेरे जिस्म पे फिसल रहे थे, कभी चूचियों पर तो कभी गाँड पर, और जब उसका हाथ मेरी चिकनी चूत पे लगा तो मैं बहुत ज़ोर से काँपने लगी और साथ में ही झड़ने लगी तो एस-के बोला, “वॉव किरन, तुम्हारी चूत तो मक्खन जैसी चिकनी और समंदर जैसी गीली है….. मज़ा आयेगा इसे चोदने में।“ और जब उसने अपनी मोटी उंगली मेरी छोटी सी चूत के अंदर डाली तो मानो ऐसे महसूस हुआ कि कोई छोटा सा लंड ही घुस गया हो। वो मेरा जूस उंगली में लेकर चूसने लगा और बोला, “वाह तुम्हारी मीठी चूत का जूस भी बहुत मीठा है”, और फिर से मेरी चूत में अपनी उंगली डाल के मेरी चूत का जूस निकाल के मेरे मुँह में दे दिया और कहा कि “तुम भी टेस्ट करो कि तुम्हारी चूत का जूस कितना मीठा है।“ मैंने अपनी चूत का जूस चाट तो लिया पर मस्ती में मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि टेस्ट कैसा है।
कंप्यूटर की टेबल काफी बड़ी थी। कंप्यूटर रखने के बाद भी काफी जगह रहती थी तो एस-के ने मुझे मेरे बगल से पकड़ कर उठा लिया और मुझे टेबल पे बिठा दिया और वो नीचे खड़े-खड़े मेरी चूचियों को दोनों हाथों से मसलने लगा और एक के बाद दूसरी चूँची को चूसने लगा और निप्पलों को काटने लगा। मैं बहुत ही मस्त और गरम हो गयी और उसके अकड़े हुए लंबे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। मैं उसके लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़े हुए थी लेकिन उसका लंड फिर भी मेरे दोनों हाथों के थोड़ा सा बाहर निकल रहा था
और मैं उसके लंड को अपने पूरे हाथ में पकड़ नहीं पा रही थी। कितना मोटा और बड़ा था उसका लंड जो मेरे हाथ में नहीं आ रहा था। मैं उसके लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी। वो मेरे सामने खड़ा था और उसका लंड मेरे जाँघों पे लग रहा था। मैं खुद थोड़ा सा टेबल पे सामने को खिसक गयी और टेबल के किनारे पे आ गयी तो उसका लंड अब मेरी चूत पे लगने लगा जिसमें से निकलता हुआ प्री-कम मेरी चूत के अंदरूनी हिस्से को चिकना कर रहा था। मैंने अपनी टाँगें थोड़ी और खोल लीं और उसके बैक पे क्रॉस कर लीं और उसे अपनी तरफ़ खींचने लगी। उसके लंड के सुपाड़े को अपनी चूत के लिप्स के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया और इतना एक्साइटमेंट था कि उसके प्री-कम से चिकने लंड का सुपाड़ा चूत के अंदर लगने से मैं जल्दी ही झड़ने लगी। इतना बड़ा तगड़ा लंड देख के डर भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था।
वो कभी मेरी चूचियों को मसलता तो कभी मेरी गाँड को दबाता। मेरा तो मस्ती के मारे बुरा हाल था। उसने चेयर को टेबल के करीब खींच लिया और उसपे बैठ गया और मेरी टाँगों और जाँघों पे अपने होंठ रख दिये। मैं टेबल के पूरे किनारे पे आ गयी और अपने हाथों से उसका सर पकड़ के अपनी चूत पे दबा दिया और अपनी टाँगें उसके कंधों पे रख के उसको अपनी तरफ़ खींचने लगी। उसका मुँह मेरी चूत पे लगते ही मैं फिर से झड़ने लगी। मैं आज बहुत मस्ती मैं थी, एक तो ये कि आज से पहले कभी इतना बड़ा और इतना मस्त लंबा-मोटा और लोहे जैसा सख्त लंड देखा भी नहीं था और दूसरे ये कि अशफाक तो बस आग लगाना ही जानता था, आग बुझाना नहीं।
आज मुझे पक्का यकीन था के मेरी इतने महीनों से जलती चूत में लगी आग आज इस तगड़े लंड से बुझ जायेगी। मेरे हाथ उसके सर को पकड़े हुए थे और मैं उसके सर को चूत के जितना करीब हो सकता था, दबा लेना चाहती थी। वो चाटता रहा और उसकी ज़ुबान मेरी चूत के अंदर बहुत मज़ा दे रही थी। कभी-कभी तो पूरी चूत को अपने दाँतों से पकड़ के काट लेता तो मेरी सिसकरी निकल जाती। मेरी आँखें बंद थी। “ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओहहहह”, बेइंतेहा मज़ा आ रहा था। चूत बेहद गीली हो चुकी थी और जूस लगातार निकल रहा था। पता नहीं कितने टाईम मैं झड़ गयी और एस-के सारा जूस पीता रहा।
थोड़ी देर के बाद एस-के खड़ा हो गया और मुझे उठा लिया तो मेरी टाँगें उसकी बैक पे लिपट गयीं और मैं उसके बंबू जैसे लंड पे बैठ गयी और वो मुझे ऐसे ही उठाये-उठाये बेडरूम में ले आया और मुझे ऐसे आधा बेड पे लिटा दिया कि हाई हील सैंडल पहने मेरे पैर ज़मीन पर थे और मेरे घुटने मुड़े हुए थे और मेरा आधा जिस्म बेड के किनारे पे था। अब एस-के फिर से ज़मीन पे बैठ गया और मेरी चूत को सहलाने लगा और कहने लगा कि, “वॉव किरन, क्या मक्खन जैसी चिकनी चूत है…. मस्त मलाई जैसी चूत….
लगाता है आज ही झाँटें साफ़ की हैं तुमने।“ मैं कुछ भी नहीं बोल सक रही थी। मस्ती में आँखें बंद थी और गहरी-गहरी साँसें ले रही थी। थोड़ी देर ऐसे ही चूत को सहलाते-सहलाते उसने मेरी चूत को एक बार फिर से मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और चूत में से जूस लगातार निकलने लगा और मेरी चूत में आग लगने लगी। मेरी टाँगें उसकी गर्दन पे थीं और मैं उसके सिर को पकड़ के अपनी चूत पे दबा रही थी और अपनी गाँड हिला-हिला के अपनी चूत उसके मुँह में रगड़ रही थी। मेरी चूत में से जूस निकलता रहा और मैं झड़ती रही। थोड़ी देर के बाद वो अपनी जगह से उठा और अपने लंड के मशरूम जैसे सुपाड़े को मेरी चूत के लिप्स के बीच में रख दिया तो मैं तभी उसके लंड को अपने हाथ में लेकर अपनी चूत में रगड़ने लगी। लंड का प्री-कम और चूत का जूस, दोनों मिल कर मेरी नाज़ुक चूत को गीला कर चुके थे और मेरी चूत बेहद गीली और स्लिपरी हो चुकी थी।
वो अपने लंड के सुपाड़े को चूत के दरवाजे पे रख कर मेरे ऊपर झुक गया और मुझे किस करने लगा। दोनों एक दूसरे की ज़ुबानें चूस रहे थे। मेरी गाँड बेड के किनरे पे थी और मेरी टाँगें उसके बैक पे लपटी हुई थी और वो ज़मीन पे खड़ा हुआ था। वो धीरे-धीरे अपने लंड का दबाव बढ़ा रहा था और उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के होल में स्लिप हो कर अटक गया और अभी सिर्फ़ सुपाड़ा ही अंदर गया था कि मैं चींख उठी, “ऊऊऊऊईईईईईईई अल्लाह….आआआआआ धीरे! एस-के धीरे!”
वो फिर से किस करने लगा और सिर्फ़ अपने लंड के सुपाड़े को ही चूत के अंदर-बाहर करने लगा तो मुझे बेहद मज़ा आने लगा और मैं झड़ने लगी। फिर ऐसे ही सुपाड़ा अंदर-बाहर-अंदर-बाहर करते-करते उसने एक धक्का मारा तो लंड थोड़ा और अंदर घुस गया और मेरे मुँह से चींख निकल गयी, “ऊऊऊऊऊऊऊईईईईईई ईईईईईईईईईईईई आंआंआंआंआं ईईईईईईईंईंईंईंईं” और मैं उसको अपने ऊपर से धकेलने लगी क्योंकि चूत में जलन होने लगी थी। वो एक दम से रुक गया और झटका देना बंद कर दिया। मेरी आँख से आँसू निकल गये और जैसे ही उसका लंड मेरी चूत के अंदर घुसा वैसे ही मेरी आँखें बाहर निकलने लगी
और मुझे लगा के मेरी आई बॉल्स अपने सॉकेट में से बाहर निकल गयी हों। थोड़ी देर वो ऐसे ही मेरे ऊपर झुका-झुका मुझे फ्रेंच किस करने लगा तो थोड़ी देर के बाद मेरी चूत ने उसके लंड को अपने अंदर एडजस्ट कर लिया। अब वो ऐसे ही तकरीबन आधे से कुछ कम लंड को अंदर-बाहर करने लगा जिससे मुझे मज़ा आने लगा और चूत के जूस से उतना लंड आसनी से फिसल के अंदर-बाहर होने लगा। उसके हाथ मेरी बगल में से निकल कर मेरे कंधों को ज़ोर से टाइट पकड़े हुए थे। अब मेरी चूत उसके लंड को एडजस्ट कर रही थी। उसका लंड अंदर-बाहर स्लिप हो रहा था
और कभी-कभी वो सुपाड़े तक निकाल के अंदर घुसाता तो कभी ऐसे ही छोटे-छोटे धक्के से अंदर बाहर करता। फिर उसने देखा कि मेरी ग्रिप उसके ऊपर कुछ लूज़ होने लगी और मेरी चूत उसके लंड को अपने अंदर एडजस्ट कर चुकी है तो वो समझ गया कि बाकी का लंड खाने के लिये अब मैं रेडी हूँ। फिर उसने मुझे टाइट पकड़ कर लंड को पूरा सुपाड़े तक बाहर निकाल के एक इतना ज़ोरदार झटका मारा कि मेरे मुँह से चींख निकल गयी, “ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओ‍ओ ईईईईईईईईईईईईईई ईंईंईंईंआंआंआंआंआंऊंऊंऊंऊंऊं मैं मर  गयी…ईईईईईईईई”, और उसका लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ मेरे पेट में घुस चुका था। मेरा अंदर का दम अंदर और बाहर का दम बाहर रह गया और मुझे लगा मानो किसी ने मेरी चूत को किसी तेज़ चाकू से काट डाला हो।
चूत में बहुत ज़ोर की जलन होने लगी और एस-के के जिस्म पे मेरी ग्रिप बहुत ही टाइट हो गयी। मेरे मुँह से “ऊऊऊफफफफ” और “आआआहहहह” की तेज़ आवाज़ें निकलने लगीं जैसे किसी बकरे को हलाल करने के टाईम पे बकरे के मुँह से निकलती है और फिर मेरी ग्रिप एस-के के जिस्म से एक दम से लूज़ हो गयी और मेरे हाथ बेड पे गिर गये और मेरे सैंडल ज़मीन पर टकराये और फिर ऐसे लगा जैसे टोटल ब्लैक ऑऊट, और मैं शायद चार या पाँच मिनट के लिये बेहोश हो गयी थी। मेरा सारा जिस्म पसीने से भीग चुका था। साँसें तेज़ी से चल रही थी और मेरी आँख खुली तो सारा कमरा धुँधला सा नज़र आ रहा था और धीरे-धीरे मुझे साफ़ नज़र आने लगा और मैं होश में आ गयी।
और जब होश आया तो एस-के मेरे ऊपर लेटा था और लोहे जैसा सख्त लंड मेरी छोटी सी नाज़ुक चूत को फाड़ के अंदर घुस चुका था, लेकिन धक्के नहीं लगा रहा था। शायद एस-के को पता था कि मेरा टोटल ब्लैक ऑउट हो गया है और मैं बेहोश हो चुकी हूँ। फिर थोड़ी देर के बाद जब मेरे जिस्म में कुछ जान वापस आयी तो मैंने फटी आँखों से एस-के की तरफ़ देखा जैसे मेरी आँखें एस-के से कह रही हों कि तुम बड़े ज़ालिम हो, हथोड़े जैसे लंड से मेरी नाज़ुक चूत को फाड़ डाला। पर शायद वो मेरी नज़रों को समझ नहीं पाया और थोड़ा सा मुस्कुरा दिया और किस करने लगा।
उसका लंड मेरी चूत में फँसा हुआ था। मेरी चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी और मुझे लग रहा था जैसे मेरी चूत के अंदर कोई रेल इंजन का पिस्टन घुसा हो जिससे मेरी चूत के अंदर की सारी हवा निकल गयी हो। मुझे लग रहा था कि मेरे जिस्म के दो टुकड़े हो गये हों।
थोड़ा और होश आया और मेरी आँखें खुली तो एस-के ने पूछा, “क्यों मेरी रानी, अभी तक तकलीफ हो रही है क्या??” मेरे मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला, मैंने बस सिर हिला के हाँ मैं जवाब दिया तो वो मुझे किस करने लगा और कहा, “अभी सब ठीक हो जायेगा, तुम फिक्र ना करो”, और धीरे से लंड को बाहर खींचने लगा। जैसे-जैसे वो अपने लंड को बाहर खींचता, मुझे लगाता जैसे मेरे जिस्म में से कोई चीज़ बाहर निकल रही हो और मेरे जिस्म को खाली कर रही हो।
पहले तो वो आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारने लगा और धीरे-धीरे उसकी चुदाई की स्पीड बढ़ने लगी। अब मेरी चूत एस-के के इतने बड़े और मोटे लंड को पूरी तरह से एडजस्ट कर चुकी थी और मैं मज़े लेने लगी और सिसकने और चींखने लगी, “आआआहहहह ओ‍ओ‍ओहहह औंऔंऔं।“ मुझे इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था। मेरी टाँगें उसके बैक पे लिपटी हुई थी और वो नीचे खड़े-खड़े धक्के मार रहा था और लंड चूत के अंदर बाहर हो रहा था। उसी ताल में मेरे सैंडल उसकी चूतड़ों पे थाप रहे थे। जैसे ही लंड बाहर निकलता तो मुझे लगाता जैसे मेरा जिस्म खाली हो रहा हो और जैसे ही फिर से लंड चूत के अंदर घुस जाता मुझे लगाता जैसे मेरा जिस्म और चूत फिर से भर गये हो।
उसके हर झटके से मेरे मुँह से “हंफहंफहंफ ऊफौफऊपऊप आआआहहहह ऊऊईईईई ईंईंईंईं आंआंआं ऊंहऊंहऊंह” जैसी आवाज़ें निकल रही थी और मैं फिर से झड़ने लगी। अब मेरी आँखों से आँसू भी नहीं निकल रहे थे। तकलीफ कि जगह मज़े ने ले ली थी और मैं मस्त चुदाई के पूरे मज़े ले रही थी।
एस-के अपनी गाँड हिला-हिला के लंड को पूरा बाहर तक निकाल-निकाल के मुझे गचा-गच गचा-गच चोद रहा था। कमरे में चुदाई की फच-फच-फच की आवाज़ें गूँज रही थीं। मैं एस-के के जिस्म से चिपकी हुई थी। मेरी चूचियाँ हर एक झटके से मेरे जिस्म पे डाँस करने लगती। एस-के कभी मेरी चूचियों को पकड़ के मसल देता, कभी झुक के मुँह में लेकर चूसने लगता और कभी निप्पलों को काटने लगता। लंड सुपाड़े तक पूरा बाहर निकाल-निकाल के वो मेरी टाइट चूत में घुसेड़ देता तो मेरी आँखें बाहर निकल आतीं और मुझे लगाता जैसे एस-के का मूसल जैसा लंड मेरी चूत को फाड़ के मेरी गाँड मैं से बाहर निकल जायेगा। अब मैं दर्द और मज़े से कराह रही थी।
बेहद मज़ा आ रहा था और मैं एस-के के जिस्म से छिपकली की तरह चिपकी हुई थी। मैंने उसके जिस्म को टाइट पकड़ा हुआ था और वो था कि फ़ुल स्पीड से चोदे जा रहा था। मैं तो पता नहीं कितनी दफ़ा झड़ गयी। झड़ने से चूत अंदर से बेहद गीली हो गयी थी और अब लंड आसानी से अंदर-बाहर फिसल रहा था। मेरी चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी और सूज के डबल रोटी हो गयी थी। चुदाई की स्पीड बढ़ गयी थी और मेरी चूत के अंदर फिर से लावा निकलने को बेचैन होने लगा। मेरे मुँह से मज़े की सिसकारियाँ निकलने लगी और उसी टाईम पे एस-के की चुदाई की स्पीड और बढ़ गयी और फिर एस-के ने अपना “आकाश मिसाइल”
जैसा रॉकेट -लंड पूरा सुपाड़े तक बाहर निकाला और एक इतनी ज़ोर से धक्का मारा कि मैं फिर से चिल्ला उठी, “आआआआआहहहहहह अल्लाहहह…आआआआआआ ऊंऊंऊंऊंऊंआआआआआआंआंआं”, और मुझे लगा जैसे कमरा गोल-गोल घूम रहा हो और मुझे कुछ नज़र ही नहीं आ रहा था। सारा जिस्म पसीने से भीग चुका था। आँखें बाहर को निकल गयी थीं और फिर उसके लंड में से मलाई की पिचकारियाँ निकलने लगी। पहली पिचकारी मेरी चूत में लगते ही मेरी चूत फिर से झड़ने लगी और जो लावा चूत के अंदर उबल रहा था, बाहर निकलने लगा। उसकी पिचकारियाँ निकलती रही और उसके धक्के धीरे होते गये और थोड़ी देर में एस-के मेरे जिस्म पे गिर गया और मेरी ग्रिप भी उसके जिस्म पे लूज़ हो गयी और मेरे हाथ पैर फिर से ढीले पड़ गये।
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RE: कहानी किरन की (कॉपी पेस्ट) - by Gpoint - 12-04-2021, 10:39 PM



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