12-04-2021, 10:35 PM
हम दोनों बालकोनी में ही लगभग आमने-सामने बैठे थे। अब आँटी के सैंडल की हील सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत के लिप्स को खोल के ऊपर नीचे हो रही थी। आँटी कभी चूत के सुराख में सैंडल की हील डाल देती तो कभी क्लीटोरिस को मसल देती तो मेरा मस्ती के मरे बुरा हाल हो जाता। चूत में से लगातार जूस निकल रहा था और चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। हालांकि मैंने दूसरा पैग पीने के बाद और नहीं लिया था पर अब मेरा नशा और बढ़ने लगा था और मुझसे कुर्सी पर ठीक से बैठा नहीं जा रहा था। आँटी ने तो मुझसे भी ज्यादा व्हिस्की पी रखी थी पर उन्हें आदत थी। इसलिये नशा होने के बावजूद वो मुझसे बेहतर हालत में थीं।
मुझे झूमते हुए देख कर उन्होंने मुझे सहारा देकर पहले ज़मीन पर बिठा दिया और मेरी सलवार और पैंटी उतार कर मुझे तकरीबन नंगा कर दिया और फिर मेरी चूत में उंगली करने लगीं। मैं तो नशे में मस्त थीं और बालकोनी में अपनी इस नंगी हालत की मुझे कोई फिक्र नहीं थी। मुझे पता भी नहीं चला कि कब आँटी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये और मेरा हाथ लेकर अपनी चूत पे रख दिया। जब मेरा हाथ उनकी चूत में लगा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा हाथ किसी जलती हुई भट्टी या गरम चुल्हे में लगा दिया हो…..
इतनी गरम थी आँटी की चूत। मैंने भी आँटी की चूत का मसाज शुरू कर दिया और कभी अपनी उंगली अंदर डाल के सुराख में घुसेड़ देती तो कभी क्लीटोरिस को मसल देती तो आँटी के मुँह से “आआआहहहह ऊऊऊऊईईईई” जैसी आवाज़ें निकल जाती। दोनों ज़ोर-ज़ोर से एक दूसरे की चूतों का मसाज कर रहे थे और मज़े से दोनों की आँखें बंद हो चुकी थी।
सलमा आँटी ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैरों के बीच में बैठ गयीं और झुक कर मेरी टाँगें और पैर चूमने-चाटने लगीं। मैंने गर्दन उठा कर देखा तो दंग रह गयी कि वो मेरे पैरों में बंधे सैंडलों को भी बड़ी शिद्दत से चाट रही थीं। फिर वो मेरी सैंडल की लंबी हील को मुँह में लेकर इस तरह चूसने लगीं जैसे लंड चूस रही हों। ये नज़ारा देख कर मेरी चूत और भी फड़कने लगी। फिर उन्होंने आगे झुककर चूत पे किस किया और अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल कर चाटना शुरू किया तो मेरी मुँह से “आआआआआआ आआआहहहहह” की सिसकरी निकल गयी और मैंने आँटी का सर पकड़ के अपनी चूत में दबा दिया और उसी वक्त मेरी अंगारे जैसी गरम चूत झड़ने लगी।
मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मस्ती में मैं गहरी-गहरी साँसें ले रही थी। फिर आँटी मेरे ऊपर सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में आ गयी और मेरे मुँह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी तो मेरा मुँह खुल गया और सलमा आँटी की चूत का इस्तक़बाल किया। उनकी गरम चूत में से नमकीन गाढ़ा जूस निकलने लगा। मैंने आँटी की पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से काट डाला तो उनके मुँह से चींख निकल गयी, “आआआआहहहाह्ह ओंहओंहओंहओंहओंह आआआआआ ईईईईईईई ऊऊऊऊहहहहह”,
और उनकी चूत में से जूस निकलने लगा और वो झड़ने लगी। बहुत देर तक हम बिना कोई बात किये ऐसे ही सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में लेटे रहे। फिर थोड़ी देर के बाद आँटी ने कहा कि “आज मैं बहुत दिनों बाद इतना झड़ी हूँ और बहुत मज़ा आया!” मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था। अशफाक तो मेरी चूत में आग लगा के खुद झड़ के सो जाते थे और मैं रातों में तड़पती रहती थी। ऐसे में आँटी की चूत को चूसने से बहुत सकून मिला। उस दिन के बाद जब कभी आँटी को झड़ना होता तो वो अपनी चूत को अच्छी तरह से शेव करके मेरे पास आती और फिर हम दोनों व्हिस्की पी कर घंटों तक एक दूसरे की चूत चाटते और आपस में अपनी चूतें रगड़ कर मज़ा करते।
सलमा आँटी के पास दो तरह के डिल्डो भी थे। एक तो करीब दो फुट लंबा डबल डिल्डो था जिसके दोनों तरफ लंड थे और दूसरा बेटरी से चलने वाला नौ इंच लंबा डिल्डो था। सलमा आँटी किसिंग में तो बेहद माहिर थीं और उनके रसीले होंठों को चूमना और आपस में एक दूसरे के मुँह में ज़ुबाने डाल कर चूसना मुझे बेहद अच्छा लगता था। इसके अलावा सलमा आँटी को ऊँची हील के सैंडलों का बेहद जुनून था और मेरे साथ लेस्बियन चुदाई के वक़्त खुद भी हाई हील के सैंडल पहने रहती और मुझे भी सैंडल पहने रखने को कहतीं। उन्हें मेरे पैर और सैंडल चाटने में बेहद मज़ा आता था और फिर मुझे भी इसमें मज़ा आने लगा।
हकीकत में, उसके कुछ ही दिनों बाद मेरी चुदाई अपने बॉस के साथ होने लगी थी लेकिन मैं आँटी को इस बात का पता नहीं चलने देना चाहती थी। मैं अपना हर सीक्रेट उन्हें नहीं बताना चाहती थी, इसी लिये आँटी से नहीं कहा और उनके सामने ऐसी बनी रहती जैसे मेरी चूत बरसों कि प्यासी हो और उनके साथ मुझे बहुत ही मज़ा आता था।
हुआ यूँ कि मैं घर में अकेले रहते-रहते बोर होने लगी थी। सिवाय खाना पकाने के और कोई काम ही नहीं था। हर दूसरे दिन एक धोबन आ के हमारे कपड़े धो जाया करती थी। बोर होने की वजह से मैंने अशफाक से कहा कि अगर वो बुरा ना माने तो मैं कोई जोब कर लूँ ताकि मैं बिज़ी रह सकूँ। अशफाक को भी अपने बिज़नेस से फ़ुर्सत नहीं मिलती थी और अब तक तो उसको पता चल ही गया था कि मेरी चूत उसके लंड से और उसकी चुदाई से मुतमाईन नहीं है
तो उसने कहा, “ठीक है मेरा एक फ्रैंड है, वो अपनी खुद की कंपनी चलाता है, मैं उससे बात कर लूँगा, तुम घर बैठे ही उसका काम कर देना ताकि तुम बिज़ी भी रहो और तुम्हारा दिल भी लगा रहे।“ फिर एक दिन अशफाक ने बताया कि उसने अपने दोस्त को डिनर पे बुलाया है और साथ में काम की भी बात कर लेते हैं, तो मैं खुश हो गयी और अच्छे से अच्छा खाना बना के अपने होने वाले बॉस को खिलाना चाहती थी इसलिये मैं किचन में डिनर की तैयारी में बिज़ी हो गयी।
रात के खाने के टाईम से पहले ही अशफाक का दोस्त आ गया। कॉलबेल बजी तो अशफाक ने दरवाजा खोला और “हेलो, हाऊ आर यू”, कह कर अंदर बुला लिया। मैं देख के दंग रह गयी। वो तो एक अच्छा खासा स्मार्ट आदमी था। तकरीबन छः फ़ुट के करीब उसकी हाईट होगी, गोरा रंग, चौड़े कंधे। हट्टा कट्टा मज़बूत जवान लग रहा था। उसे देखते ही मेरी चूत में एक अजीब एक्साइटमेंट सी होने लगी और मुझे लगा के मेरी चूत गीली हो रही है। मुझे खुशी हुई कि मैंने उस दिन ठीक से मेक-अप करके चूड़ीदार सलवार और स्लीवलेस कमीज़ पहनी थी जिसका गला भी लो-कट था।
खुशकिस्मती से मैंने चार इंच उँची हील के सैंडल पहने हुए थे जिससे मेरी हाईट बढ़ कर पाँच फुट सात इंच के करीब हो गयी थी उसकी ऊँचाई के मुनासिब लग रही थी। अशफाक ने इंट्रोड्यूस करवाया और कहा कि ये मेरे बचपन का दोस्त और क्लासमेट सुशांत कुमार श्रीवास्तव है जो अपनी फायनेंस कंपनी चलाता है। दोनों कॉलेज से कॉलेज खतम होने तक क्लास-मेट रहे हैं और एक दूसरे से बहुत ही फ्री हैं। ऑफिस में वो ‘एस-के’ के नाम से फेमस है। और फिर अशफाक ने कहा, “एस-के! ये मेरी वाइफ है किरन!” हम दोनों ने एक दूसरे को सलाम किया और हम सब अंदर ड्राईंग रूम में आ के सोफ़े पे बैठ गये। अशफाक और एस-के बैठ के व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगे। अशफाक के कहने पर मैंने भी एक पैग पिया और फिर मैं खाना टेबल पे रखने के लिये चली गयी।
टेबल रेडी हो गयी तो मैंने दोनों से कहा कि “चलिये डिनर रेडी है!” वाश बेसिन पे हाथ धो के वो दोनों आ गये। सब मिलकर खाना खाने लगे। एस-के मेरे बनाये हुए खाने की बहुत तारीफ कर रहे थे। खाने में परांठे, दम का चिकन, आलू गोश्त का कोरमा, कबाब, टमाटर की चटनी, पुलाव बना के उस पे उबले अंडों को आधा काट कर सजा के रखा था और कस्टर्ड और आईसक्रीम थी। खाना सच में बहुत लज़ीज़ था। अशफाक कभी मुझे कुछ देता तो कभी एस-के कि प्लेट में कुछ डाल देता। खाना खाने के बाद फिर से वो दोनों ड्राईंग रूम में जा के सोफ़े पे बैठ गये और मैं टेबल साफ़ कर के वहीं आ गयी और हम सब साथ बैठ के व्हिस्की पीने लगे और बातें करने लगे।
अशफाक ने कहा, “यार एस-के! देखो तो किरन घर में अकेली रहती है और अकेले रहते-रहते बोर हो गयी है….. वो अपने आप को मसरूफ रखने के लिये कोई काम करना चाहती है…… तुम्हारे पास अगर कोई ऐसा काम हो तो बताना।“
एस-के ने कहा, “ये तो बहुत अच्छी बात है, मेरे पास डेटा एंट्री करने का काम पड़ा हुआ है। मेरे पास डेटा एंट्री का जो क्लर्क था वो चला गया। किरन ऑफिस से इनवोयस और वाऊचर घर ला सकती है और घर बैठे-बैठे ही मेरा काम कर सकती है। ऑफिस तो तुम्हारे घर के करीब ही है। किरन ऑफिस आके, डेली या वीकली, काम लेकर आ सकती है और घर बैठे ही काम कर सकती है। मैं शुरू में डेली आके चेक करता रहुँगा और उसको गाईड करता रहुँगा। मेरे पास ऑफिस में एक एक्स्ट्रा कंप्यूटर भी है, मैं वो भी किरन के पास भेज दुँगा….. यहीं किसी रूम में रख लेना और वो आराम से घर बैठे ही काम कर लेगी।“
अशफाक ने कहा कि ये तो बहुत अच्छी बात है, “किरन कल ही तुम्हारे ऑफिस अआ जायेगी और काम भी देख लेगी!”
दूसरे दिन मैं बेहद अच्छे से तैयार हो के एस-के के ऑफिस गयी। मैं साड़ी कुछ खास मौकों पर बहुत कम पहनती हूँ लेकिन उस दिन मैंने फिरोज़ी रंग की साड़ी इस तरह बांधी थी की मेरी पतली कमर और नाभी दिखायी दे और मेरा स्लीवलेस ब्लाऊज़ भी काफी लो-कट और लगभाग बैकलेस था। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि मेरा ब्लाऊज़ किसी ब्रा से ज्यादा बड़ा नहीं था। साथ ही मैं चार इंच ऊँची हील के काले रंग के स्ट्रैपी सैंडल पहनना नहीं भूली क्योंकि एक तो इससे मेरी हाईट पौने छ: फुट के करीब हो गयी थी और दूसरा ये कि उँची हील के सैंडलों से मेरा फिगर और कयामत-खेज़ हो गया था क्योंकि मेरी छातियाँ बाहर को उघड़ रही थीं और चूतड़ भी और ज्यादा उभर आये थे और चाल में भी नज़ाकत आ गयी थी। मैंने अपने लंबे बाल खुले ही रखे थे।
ऑफिस अच्छा खासा बड़ा था और नीट और क्लीन था। सारे ऑफिस में कार्पेट बिछी हुई थी और एस-के का ऑफिस तो एक दम से शानदार था। एक बहुत बड़ी सेमी-सर्क्यूलर टेबल थी जिसके एक साईड में छोटी सी कंप्यूटर टेबल भी थी जिस पर कंप्यूटर, एल-सी-डी मॉनिटर और नीचे प्रिंटर भी रखा हुआ था। डोर को अंदर से लॉक करने ये खोलने के लिये उसके पास आटोमेटिक बटन था। उसके रूम के बाहर एक छोटा सा कैमरा था जिससे उसको पता चल जाता था कि बाहर कौन वेट कर रहा है और उसको मिलना हो तो वो आटोमेटिक लॉक का बटन प्रेस कर देता जिससे दरवाजा खुल जाता और फिर अंदर से खुद-ब-खुद बंद भी हो जाता। ऑफिस सेंट्रली एयर कंडिशंड था। सब मिलाकर बहुत शानदार ऑफिस था। ऑफिस का सारा स्टाफ अपने-अपने काम में बिज़ी था।
मैं ऑफिस गयी तो एस-के ने मुझे फौरन अंदर बुला लिया और अपनी चेयर से खड़ा हो के मुझसे शेक हैंड किया तो उसका गरम हाथ मेरे हाथ में आते ही मेरे जिस्म में बिजली दौड़ने लगी और मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने कहा कि “सर आपका ऑफिस तो वंडरफुल है, एक दम से शानदार।“ उसने कहा कि “देखो किरन मुझे ये सर वगैरह कहने की ज़रूरत नहीं है। तुम मेरे लिये किरन हो और मैं तुम्हारे लिये सुशांत, तुम मुझे सब की तरह एस-के भी कह सकती हो लेकिन अगली बार से सर नहीं कहना, ठीक है?” मैंने मुस्कुराते हुआ कहा, “ठीक है सर!” और हम दोनों हँस पड़े। एस-के ने कॉफी के लिये ऑर्डर दे दिया जो थोड़ी ही देर में आ गयी। कैपेचिनो कॉफी की फ़र्स्ट क्लास खुशबू से सारा ऑफिस महक उठा। दोनों कॉफी पीने लगे। उसके बाद उसने किसी को बुला के एक कंप्यूटर, मॉनिटर और प्रिंटर अपनी कार में रखने के लिये कहा और थोड़ी देर के बाद वो मुझे अपनी कार में लेकर मेरे घर आ गया।
हमारे घर में एक स्पेयर रूम भी है जिस में कंप्यूटर रख दिया गया। कंप्यूटर की स्पेशल टेबल तो नहीं है लेकिन घर की ही एक टेबल पे रख दिया गया और एस-के ने कंप्यूटर के कनेक्शन लगा दिये और कंप्यूटर स्टार्ट कर के मुझे बता दिया। कनेक्शन लगाने के बाद वो हाथ धोने के लिये बाथरूम में चला गया तो मैं कॉफी बनाने लगी। हम दोनों ड्राईंग रूम में आ के बैठ गये और कॉफी पीने लगे। एस-के और मैं इधर-उधर की बातें करने लगे। वो अपने कॉलेज और कॉलेज के किस्से सुनाने लगे कि कैसे वो कॉलेज में बदमाशियाँ किया करते थे और लड़कियों को छेड़ते रहते थे। मैंने कहा कि “आप पर तो लड़कियाँ मरती होंगी!” तो वो हँस पड़ा और कहा “नहीं ऐसी बात नहीं है, बस हमारे कुछ क्लासमेट और कुछ जूनियर लड़कियाँ थीं, हम (एक आँख दबा के बोला) मस्ती करते थे।“
इतनी देर में लंच का टाईम हो गया तो मैंने कहा कि यहीं रुक जायें और साथ में खाना खा कर ही जाना तो उसने कहा कि “किरन तुम जैसी क्यूट लड़की के साथ किसे लंच या डिनर करना पसंद न होगा, पर सच में मुझे थोड़ा सा काम है….. हम किसी और दिन लंच या डिनर ले लेंगे साथ में।“ जब उसने मुझे क्यूट लड़की कहा तो मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया जिसको उसने भी नोट किया। उसने कहा कि मैं कल ऑफिस आ जाऊँ, तब तक वो सारी चीज़ें रेडी रखेगा मेरे लिये।
मुझे झूमते हुए देख कर उन्होंने मुझे सहारा देकर पहले ज़मीन पर बिठा दिया और मेरी सलवार और पैंटी उतार कर मुझे तकरीबन नंगा कर दिया और फिर मेरी चूत में उंगली करने लगीं। मैं तो नशे में मस्त थीं और बालकोनी में अपनी इस नंगी हालत की मुझे कोई फिक्र नहीं थी। मुझे पता भी नहीं चला कि कब आँटी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिये और मेरा हाथ लेकर अपनी चूत पे रख दिया। जब मेरा हाथ उनकी चूत में लगा तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा हाथ किसी जलती हुई भट्टी या गरम चुल्हे में लगा दिया हो…..
इतनी गरम थी आँटी की चूत। मैंने भी आँटी की चूत का मसाज शुरू कर दिया और कभी अपनी उंगली अंदर डाल के सुराख में घुसेड़ देती तो कभी क्लीटोरिस को मसल देती तो आँटी के मुँह से “आआआहहहह ऊऊऊऊईईईई” जैसी आवाज़ें निकल जाती। दोनों ज़ोर-ज़ोर से एक दूसरे की चूतों का मसाज कर रहे थे और मज़े से दोनों की आँखें बंद हो चुकी थी।
सलमा आँटी ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैरों के बीच में बैठ गयीं और झुक कर मेरी टाँगें और पैर चूमने-चाटने लगीं। मैंने गर्दन उठा कर देखा तो दंग रह गयी कि वो मेरे पैरों में बंधे सैंडलों को भी बड़ी शिद्दत से चाट रही थीं। फिर वो मेरी सैंडल की लंबी हील को मुँह में लेकर इस तरह चूसने लगीं जैसे लंड चूस रही हों। ये नज़ारा देख कर मेरी चूत और भी फड़कने लगी। फिर उन्होंने आगे झुककर चूत पे किस किया और अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डाल कर चाटना शुरू किया तो मेरी मुँह से “आआआआआआ आआआहहहहह” की सिसकरी निकल गयी और मैंने आँटी का सर पकड़ के अपनी चूत में दबा दिया और उसी वक्त मेरी अंगारे जैसी गरम चूत झड़ने लगी।
मेरी आँखें बंद हो चुकी थी और मस्ती में मैं गहरी-गहरी साँसें ले रही थी। फिर आँटी मेरे ऊपर सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में आ गयी और मेरे मुँह पे अपनी चूत को रगड़ने लगी तो मेरा मुँह खुल गया और सलमा आँटी की चूत का इस्तक़बाल किया। उनकी गरम चूत में से नमकीन गाढ़ा जूस निकलने लगा। मैंने आँटी की पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से काट डाला तो उनके मुँह से चींख निकल गयी, “आआआआहहहाह्ह ओंहओंहओंहओंहओंह आआआआआ ईईईईईईई ऊऊऊऊहहहहह”,
और उनकी चूत में से जूस निकलने लगा और वो झड़ने लगी। बहुत देर तक हम बिना कोई बात किये ऐसे ही सिक्स्टी-नाईन की पोज़िशन में लेटे रहे। फिर थोड़ी देर के बाद आँटी ने कहा कि “आज मैं बहुत दिनों बाद इतना झड़ी हूँ और बहुत मज़ा आया!” मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल था। अशफाक तो मेरी चूत में आग लगा के खुद झड़ के सो जाते थे और मैं रातों में तड़पती रहती थी। ऐसे में आँटी की चूत को चूसने से बहुत सकून मिला। उस दिन के बाद जब कभी आँटी को झड़ना होता तो वो अपनी चूत को अच्छी तरह से शेव करके मेरे पास आती और फिर हम दोनों व्हिस्की पी कर घंटों तक एक दूसरे की चूत चाटते और आपस में अपनी चूतें रगड़ कर मज़ा करते।
सलमा आँटी के पास दो तरह के डिल्डो भी थे। एक तो करीब दो फुट लंबा डबल डिल्डो था जिसके दोनों तरफ लंड थे और दूसरा बेटरी से चलने वाला नौ इंच लंबा डिल्डो था। सलमा आँटी किसिंग में तो बेहद माहिर थीं और उनके रसीले होंठों को चूमना और आपस में एक दूसरे के मुँह में ज़ुबाने डाल कर चूसना मुझे बेहद अच्छा लगता था। इसके अलावा सलमा आँटी को ऊँची हील के सैंडलों का बेहद जुनून था और मेरे साथ लेस्बियन चुदाई के वक़्त खुद भी हाई हील के सैंडल पहने रहती और मुझे भी सैंडल पहने रखने को कहतीं। उन्हें मेरे पैर और सैंडल चाटने में बेहद मज़ा आता था और फिर मुझे भी इसमें मज़ा आने लगा।
हकीकत में, उसके कुछ ही दिनों बाद मेरी चुदाई अपने बॉस के साथ होने लगी थी लेकिन मैं आँटी को इस बात का पता नहीं चलने देना चाहती थी। मैं अपना हर सीक्रेट उन्हें नहीं बताना चाहती थी, इसी लिये आँटी से नहीं कहा और उनके सामने ऐसी बनी रहती जैसे मेरी चूत बरसों कि प्यासी हो और उनके साथ मुझे बहुत ही मज़ा आता था।
हुआ यूँ कि मैं घर में अकेले रहते-रहते बोर होने लगी थी। सिवाय खाना पकाने के और कोई काम ही नहीं था। हर दूसरे दिन एक धोबन आ के हमारे कपड़े धो जाया करती थी। बोर होने की वजह से मैंने अशफाक से कहा कि अगर वो बुरा ना माने तो मैं कोई जोब कर लूँ ताकि मैं बिज़ी रह सकूँ। अशफाक को भी अपने बिज़नेस से फ़ुर्सत नहीं मिलती थी और अब तक तो उसको पता चल ही गया था कि मेरी चूत उसके लंड से और उसकी चुदाई से मुतमाईन नहीं है
तो उसने कहा, “ठीक है मेरा एक फ्रैंड है, वो अपनी खुद की कंपनी चलाता है, मैं उससे बात कर लूँगा, तुम घर बैठे ही उसका काम कर देना ताकि तुम बिज़ी भी रहो और तुम्हारा दिल भी लगा रहे।“ फिर एक दिन अशफाक ने बताया कि उसने अपने दोस्त को डिनर पे बुलाया है और साथ में काम की भी बात कर लेते हैं, तो मैं खुश हो गयी और अच्छे से अच्छा खाना बना के अपने होने वाले बॉस को खिलाना चाहती थी इसलिये मैं किचन में डिनर की तैयारी में बिज़ी हो गयी।
रात के खाने के टाईम से पहले ही अशफाक का दोस्त आ गया। कॉलबेल बजी तो अशफाक ने दरवाजा खोला और “हेलो, हाऊ आर यू”, कह कर अंदर बुला लिया। मैं देख के दंग रह गयी। वो तो एक अच्छा खासा स्मार्ट आदमी था। तकरीबन छः फ़ुट के करीब उसकी हाईट होगी, गोरा रंग, चौड़े कंधे। हट्टा कट्टा मज़बूत जवान लग रहा था। उसे देखते ही मेरी चूत में एक अजीब एक्साइटमेंट सी होने लगी और मुझे लगा के मेरी चूत गीली हो रही है। मुझे खुशी हुई कि मैंने उस दिन ठीक से मेक-अप करके चूड़ीदार सलवार और स्लीवलेस कमीज़ पहनी थी जिसका गला भी लो-कट था।
खुशकिस्मती से मैंने चार इंच उँची हील के सैंडल पहने हुए थे जिससे मेरी हाईट बढ़ कर पाँच फुट सात इंच के करीब हो गयी थी उसकी ऊँचाई के मुनासिब लग रही थी। अशफाक ने इंट्रोड्यूस करवाया और कहा कि ये मेरे बचपन का दोस्त और क्लासमेट सुशांत कुमार श्रीवास्तव है जो अपनी फायनेंस कंपनी चलाता है। दोनों कॉलेज से कॉलेज खतम होने तक क्लास-मेट रहे हैं और एक दूसरे से बहुत ही फ्री हैं। ऑफिस में वो ‘एस-के’ के नाम से फेमस है। और फिर अशफाक ने कहा, “एस-के! ये मेरी वाइफ है किरन!” हम दोनों ने एक दूसरे को सलाम किया और हम सब अंदर ड्राईंग रूम में आ के सोफ़े पे बैठ गये। अशफाक और एस-के बैठ के व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगे। अशफाक के कहने पर मैंने भी एक पैग पिया और फिर मैं खाना टेबल पे रखने के लिये चली गयी।
टेबल रेडी हो गयी तो मैंने दोनों से कहा कि “चलिये डिनर रेडी है!” वाश बेसिन पे हाथ धो के वो दोनों आ गये। सब मिलकर खाना खाने लगे। एस-के मेरे बनाये हुए खाने की बहुत तारीफ कर रहे थे। खाने में परांठे, दम का चिकन, आलू गोश्त का कोरमा, कबाब, टमाटर की चटनी, पुलाव बना के उस पे उबले अंडों को आधा काट कर सजा के रखा था और कस्टर्ड और आईसक्रीम थी। खाना सच में बहुत लज़ीज़ था। अशफाक कभी मुझे कुछ देता तो कभी एस-के कि प्लेट में कुछ डाल देता। खाना खाने के बाद फिर से वो दोनों ड्राईंग रूम में जा के सोफ़े पे बैठ गये और मैं टेबल साफ़ कर के वहीं आ गयी और हम सब साथ बैठ के व्हिस्की पीने लगे और बातें करने लगे।
अशफाक ने कहा, “यार एस-के! देखो तो किरन घर में अकेली रहती है और अकेले रहते-रहते बोर हो गयी है….. वो अपने आप को मसरूफ रखने के लिये कोई काम करना चाहती है…… तुम्हारे पास अगर कोई ऐसा काम हो तो बताना।“
एस-के ने कहा, “ये तो बहुत अच्छी बात है, मेरे पास डेटा एंट्री करने का काम पड़ा हुआ है। मेरे पास डेटा एंट्री का जो क्लर्क था वो चला गया। किरन ऑफिस से इनवोयस और वाऊचर घर ला सकती है और घर बैठे-बैठे ही मेरा काम कर सकती है। ऑफिस तो तुम्हारे घर के करीब ही है। किरन ऑफिस आके, डेली या वीकली, काम लेकर आ सकती है और घर बैठे ही काम कर सकती है। मैं शुरू में डेली आके चेक करता रहुँगा और उसको गाईड करता रहुँगा। मेरे पास ऑफिस में एक एक्स्ट्रा कंप्यूटर भी है, मैं वो भी किरन के पास भेज दुँगा….. यहीं किसी रूम में रख लेना और वो आराम से घर बैठे ही काम कर लेगी।“
अशफाक ने कहा कि ये तो बहुत अच्छी बात है, “किरन कल ही तुम्हारे ऑफिस अआ जायेगी और काम भी देख लेगी!”
दूसरे दिन मैं बेहद अच्छे से तैयार हो के एस-के के ऑफिस गयी। मैं साड़ी कुछ खास मौकों पर बहुत कम पहनती हूँ लेकिन उस दिन मैंने फिरोज़ी रंग की साड़ी इस तरह बांधी थी की मेरी पतली कमर और नाभी दिखायी दे और मेरा स्लीवलेस ब्लाऊज़ भी काफी लो-कट और लगभाग बैकलेस था। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि मेरा ब्लाऊज़ किसी ब्रा से ज्यादा बड़ा नहीं था। साथ ही मैं चार इंच ऊँची हील के काले रंग के स्ट्रैपी सैंडल पहनना नहीं भूली क्योंकि एक तो इससे मेरी हाईट पौने छ: फुट के करीब हो गयी थी और दूसरा ये कि उँची हील के सैंडलों से मेरा फिगर और कयामत-खेज़ हो गया था क्योंकि मेरी छातियाँ बाहर को उघड़ रही थीं और चूतड़ भी और ज्यादा उभर आये थे और चाल में भी नज़ाकत आ गयी थी। मैंने अपने लंबे बाल खुले ही रखे थे।
ऑफिस अच्छा खासा बड़ा था और नीट और क्लीन था। सारे ऑफिस में कार्पेट बिछी हुई थी और एस-के का ऑफिस तो एक दम से शानदार था। एक बहुत बड़ी सेमी-सर्क्यूलर टेबल थी जिसके एक साईड में छोटी सी कंप्यूटर टेबल भी थी जिस पर कंप्यूटर, एल-सी-डी मॉनिटर और नीचे प्रिंटर भी रखा हुआ था। डोर को अंदर से लॉक करने ये खोलने के लिये उसके पास आटोमेटिक बटन था। उसके रूम के बाहर एक छोटा सा कैमरा था जिससे उसको पता चल जाता था कि बाहर कौन वेट कर रहा है और उसको मिलना हो तो वो आटोमेटिक लॉक का बटन प्रेस कर देता जिससे दरवाजा खुल जाता और फिर अंदर से खुद-ब-खुद बंद भी हो जाता। ऑफिस सेंट्रली एयर कंडिशंड था। सब मिलाकर बहुत शानदार ऑफिस था। ऑफिस का सारा स्टाफ अपने-अपने काम में बिज़ी था।
मैं ऑफिस गयी तो एस-के ने मुझे फौरन अंदर बुला लिया और अपनी चेयर से खड़ा हो के मुझसे शेक हैंड किया तो उसका गरम हाथ मेरे हाथ में आते ही मेरे जिस्म में बिजली दौड़ने लगी और मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने कहा कि “सर आपका ऑफिस तो वंडरफुल है, एक दम से शानदार।“ उसने कहा कि “देखो किरन मुझे ये सर वगैरह कहने की ज़रूरत नहीं है। तुम मेरे लिये किरन हो और मैं तुम्हारे लिये सुशांत, तुम मुझे सब की तरह एस-के भी कह सकती हो लेकिन अगली बार से सर नहीं कहना, ठीक है?” मैंने मुस्कुराते हुआ कहा, “ठीक है सर!” और हम दोनों हँस पड़े। एस-के ने कॉफी के लिये ऑर्डर दे दिया जो थोड़ी ही देर में आ गयी। कैपेचिनो कॉफी की फ़र्स्ट क्लास खुशबू से सारा ऑफिस महक उठा। दोनों कॉफी पीने लगे। उसके बाद उसने किसी को बुला के एक कंप्यूटर, मॉनिटर और प्रिंटर अपनी कार में रखने के लिये कहा और थोड़ी देर के बाद वो मुझे अपनी कार में लेकर मेरे घर आ गया।
हमारे घर में एक स्पेयर रूम भी है जिस में कंप्यूटर रख दिया गया। कंप्यूटर की स्पेशल टेबल तो नहीं है लेकिन घर की ही एक टेबल पे रख दिया गया और एस-के ने कंप्यूटर के कनेक्शन लगा दिये और कंप्यूटर स्टार्ट कर के मुझे बता दिया। कनेक्शन लगाने के बाद वो हाथ धोने के लिये बाथरूम में चला गया तो मैं कॉफी बनाने लगी। हम दोनों ड्राईंग रूम में आ के बैठ गये और कॉफी पीने लगे। एस-के और मैं इधर-उधर की बातें करने लगे। वो अपने कॉलेज और कॉलेज के किस्से सुनाने लगे कि कैसे वो कॉलेज में बदमाशियाँ किया करते थे और लड़कियों को छेड़ते रहते थे। मैंने कहा कि “आप पर तो लड़कियाँ मरती होंगी!” तो वो हँस पड़ा और कहा “नहीं ऐसी बात नहीं है, बस हमारे कुछ क्लासमेट और कुछ जूनियर लड़कियाँ थीं, हम (एक आँख दबा के बोला) मस्ती करते थे।“
इतनी देर में लंच का टाईम हो गया तो मैंने कहा कि यहीं रुक जायें और साथ में खाना खा कर ही जाना तो उसने कहा कि “किरन तुम जैसी क्यूट लड़की के साथ किसे लंच या डिनर करना पसंद न होगा, पर सच में मुझे थोड़ा सा काम है….. हम किसी और दिन लंच या डिनर ले लेंगे साथ में।“ जब उसने मुझे क्यूट लड़की कहा तो मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया जिसको उसने भी नोट किया। उसने कहा कि मैं कल ऑफिस आ जाऊँ, तब तक वो सारी चीज़ें रेडी रखेगा मेरे लिये।