12-04-2021, 10:15 PM
” लेकिन अच्छा लगा ना?”
“हाँ, बहुत अच्छा.. मुझे तो अभी तक विश्वास ही नही हो रहा है की मैंने ऐसा किया है..लेकिन अगर तुम ये बात गुप्त रखोगे तो मै इसके बाद भी तुम्हारे साथ करने के लिए तैयार हूँ” कहकर उसने मेरे होंठो को किस किया.. फ़िर उठ कर बैठी..”मुझे बाथरूम जाना है..मै अभी आती हूँ “और वो नंगी ही बाथरूम गई..मै उसके जाते हुए बदन को देख रहा था.. उसके नितम्ब और चूतड.. पतली कमर उफ्फ्फ..मै उसके चूतड देख कर फ़िर से गरम हो गया.. चूतड के बीच में लंड डाल कर घिसने का मजा ही कुछ और है… उसके वापिस आते ही मैंने कहा “रागिनी मुझे तुम्हारे चूतड और गांड देखना है.. मै वहाँ प्यार करना चाहता हूँ..”
“मुझे पूरी नंगी कर के सब कुछ तो देख लिया तुमने.”
“रागिनी तुम्हारे चूतड सच में किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर देंगे. शायद तुम्हारे पीछे चलने वाले मर्द तो अपने पंट में ही झड़ जाते होंगे” मैंने उसका हाथ पकड़ कर पास खींचा और उसका मुंह घुमा दिया और उसके चूतड पर हाथ फेरते हुए कहा.
“अच्छा..
मै उसके चूतड पर सहला रहा था, उन्हें दबा रहा था. फ़िर दोनों चूतड को दो हाथ से फैलाया.. ओह्ह उसकी गांड भी एकदम गुलाबी थी और चूतडों के बहुत अन्दर की तरफ़ याने गहराई में थी. एकदम नाज़ुक सी गुलाबी गांड मै गांड का शौकीन नही हूँ.. लेकिन ऐसी मतवाली गांड देख कर मेरा लंड अपनी आदत बदलने के लिए तैयार हो गया. मैंने उसकी गांड में एक ऊँगली डालने की कोशिश की.. वो चिहुंक उठी..
मैंने गांड फैला कर उसके होल में थूका और ऊँगली को घुमाते हुए धीरे धीरे ऊँगली अन्दर करने लगा. आधी ऊँगली अन्दर जाते ही उसने कहा..”संजय वहाँ नही प्लीज़.. बहुत दर्द होगा.. ” मैंने पूंछा कभी ट्राय किया है?” उसने कहा हाँ मेरे पति ने एक बार किया था लेकिन बहुत दर्द की वजह से हमने फ़िर नही किया.. और उनका ज्यादा सख्त नही था इसलिए अन्दर भी नही गया.” मैंने उससे कहा मै भी ट्राय करता हूँ.. ” उसने कहा “नही.. प्लीज़.. तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है.. और ये सख्त भी है.. ये तो फाड़ कर अन्दर घुस जाएगा.”
मैंने कहा मै धीरे धीरे करूँगा..” कह कर मै किचेन में गया और वहां से बटर ले कर आया. मैंने उसकी गांड पर और मेरे लंड पर बहुत सारा बटर लगाया. फ़िर उसके चून्चियों पर भी लगाया और उन्हें चूसना शुरू किया.. उसे मैंने एक चेयर पर बिठाया.. उसके पैर ऊपर मेरे कंधे पर लिए और मै उसके सामने पंजो के बल बैठा..उसकी चूत कर भी बटर लगाया और उसे चाटने लगा. उसके चूत के दाने को मुंह में लेकर जैसे ही मैंने चुसना शुरू किया उसकी चूत से पानी निकलने लगा.. बटर और उसका पानी दोनों मै जीभ से चाट रहा था..
और ऐसा करते हुए मै एक ऊँगली उसकी गांड में डाल रहा था.. बटर लगा होने से अब ऊँगली आराम से अन्दर बाहर हो रही थी. मैंने फ़िर दो ऊँगली अन्दर डाली.. और गांड के छेद को बड़ा करने के लिए गोल गोल घुमाने लगा.. इस तरह रागिनी की चूत और गांड दोनों जगह एक साथ मै गरम कर रहा था.. मेरे होंठो में उसकी चूत का दाना था.. जिसे मै बहुत तेज़ी से चूस रहा था.. उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और..”आह..संजय..गयी..मै..गयीई..आह..आह्ह.. जोर से..
ओह्ह ऐसे मत चुसो.. मेरा.. हो जाएगा….ओह्ह..ओह्ह.. सं..ज..ज..य..य.य.य… आ..आ.आ…आ.आह्ह..गयी..ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई..स्..स् स्.स्.स्.स्. ” करते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..मैंने अपनी जीभ उसी चूत पर फेरते हुए गांड से ऊँगली निकाल ली और फ़िर उसकी चूत का पानी उसकी गांड पर लगाने लगा.. मेरा लंड तो फ़िर से खंभे जैसा खड़ा हो चुका था..
मैंने खड़े होते हुए अपना लंड उसके मुंह के पास दिया.. उसने बटर लगे लंड को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना मुंह खोल कर अन्दर ले लिया .. पूरे लंड को उसने चाटा. फ़िर से बटर लगाया.. मैंने उसे खड़ा किया और बेड पकड़ कर .झुकाया..
मै उसके चूतड पर सहला रहा था, उन्हें दबा रहा था. फ़िर दोनों चूतड को दो हाथ से फैलाया.. ओह्ह उसकी गांड भी एकदम गुलाबी थी और चूतडों के बहुत अन्दर की तरफ़ याने गहराई में थी. एकदम नाज़ुक सी गुलाबी गांडमै गांड का शौकीन नही हूँ.. लेकिन ऐसी मतवाली गांड देख कर मेरा लंड अपनी आदत बदलने के लिए तैयार हो गया. मैंने उसकी गांड में एक ऊँगली डालने की कोशिश की..
वो चिहुंक उठी.. मैंने गांड फैला कर उसके होल में थूका और ऊँगली को घुमाते हुए धीरे धीरे ऊँगली अन्दर करने लगा. आधी ऊँगली अन्दर जाते ही उसने कहा..”संजय वहाँ नही प्लीज़.. बहुत दर्द होगा.. ” मैंने पूंछा कभी ट्राय किया है?” उसने कहा हाँ मेरे पति ने एक बार किया था लेकिन बहुत दर्द की वजह से हमने फ़िर नही किया.. और उनका ज्यादा सख्त नही था इसलिए अन्दर भी नही गया.”
मैंने उससे कहा मै भी ट्राय करता हूँ.. ” उसने कहा “नही.. प्लीज़.. तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है.. और ये सख्त भी है.. ये तो फाड़ कर अन्दर घुस जाएगा.” मैंने कहा मै धीरे धीरे करूँगा..” कह कर मै किचेन में गया और वहां से बटर ले कर आया. मैंने उसकी गांड पर और मेरे लंड पर बहुत सारा बटर लगाया. फ़िर उसके चून्चियों पर भी लगाया और उन्हें चूसना शुरू किया..
उसे मैंने एक चेयर पर बिठाया.. उसके पैर ऊपर मेरे कंधे पर लिए और मै उसके सामने पंजो के बल बैठा..उसकी चूत कर भी बटर लगाया और उसे चाटने लगा. उसके चूत के दाने को मुंह में लेकर जैसे ही मैंने चुसना शुरू किया उसकी चूत से पानी निकलने लगा.. बटर और उसका पानी दोनों मै जीभ से चाट रहा था.. और ऐसा करते हुए मै एक ऊँगली उसकी गांड में डाल रहा था.. बटर लगा होने से अब ऊँगली आराम से अन्दर बाहर हो रही थी. मैंने फ़िर दो ऊँगली अन्दर डाली.. और गांड के छेद को बड़ा करने के लिए गोल गोल घुमाने लगा..
इस तरह रागिनी की चूत और गांड दोनों जगह एक साथ मै गरम कर रहा था.. मेरे होंठो में उसकी चूत का दाना था.. जिसे मै बहुत तेज़ी से चूस रहा था.. उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और..”आह..संजय..गयी..मै..गयीई..आह..आह्ह.. जोर से.. ओह्ह ऐसे मत चुसो.. मेरा.. हो जाएगा….ओह्ह..ओह्ह.. सं..ज..ज..य..य.य.य… आ..आ.आ…आ.आह्ह..गयी..ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई..स्..स् स्.स्.स्.स्. ” करते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..
मैंने अपनी जीभ उसी चूत पर फेरते हुए गांड से ऊँगली निकाल ली और फ़िर उसकी चूत का पानी उसकी गांड पर लगाने लगा.. मेरा लंड तो फ़िर से खंभे जैसा खड़ा हो चुका था.. मैंने खड़े होते हुए अपना लंड उसके मुंह के पास दिया.. उसने बटर लगे लंड को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना मुंह खोल कर अन्दर ले लिया .. पूरे लंड को उसने चाटा. फ़िर से बटर लगाया.. मैंने उसे खड़ा किया और बेड पकड़ कर .झुकाया..
इस तरह खड़े होने से उसके चौडे और उभरे हुए चूतड बहुत ही सेक्सी दिख रहे थे.. गांड का छेद और चूत दोनों उभर आए थे.. मैंने पहले उसके चूत और गांड दोनों पर मेरे लंड को बहुत अच्छे से रगडा और पहले मैंने उसकी चूत के ऊपर मेरा लंड टिकाया और उसकी पतली कमर को जोर से पकड़ कर दबाया.. मेरा लंड अन्दर घुसने लगा.. उसकी कसी हुयी चूत मेरा लंड धीरे धीरे अन्दर ले रही थी.. दुसरे झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया.. और मै उससे चिपक कर उसकी चून्चियों को मसलने लगा..
इधर मेरे लंड के हलके हलके धक्कों से रागिनी करह रही थी.. संजय बहुत भीतर घुस गया है.. इस पोज़ में और ज्यादा अन्दर तक घुसा दिया तुमने.. आह्ह. मैंने कभी ऐसा नही किया.. चोदो..वो भी अपने चूतड पीछे धकेल कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी अपनी छोटी से चूत में. . अब मैंने बटर ऊँगली में लिया और उसकी गांड के छेद में फ़िर से लगाया और ऊँगली अन्दर डाल कर घुमाने लगा..
गांड का छेद कुछ खुल गया था.. अचानक मैंने लंड पूरा बाहर खींचा और उसे गांड के छेद पर रखा.. रागिनी के कुछ समझने के पहले मैंने उसकी पतली कमर को पूरी ताकत से जकड कर एक धक्का लगा दिया..”भच्च” की आवाज़ हुयी और लंड का सुपाड़ा गांड में घुस गया और रागिनी चीख कर छूटने का प्रयास करने लगी.. लेकिन मेरी पकड़ मज़बूत थी..”ओह्ह..मा..र.डा.आ.आ.ला.आ.आ..आ…स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स् .स्.. . निकालो..संजय.. . मैंने कहा रुको रानी.. अभी मजा आयेगा.. और मै उसके चूतड दबाने लगा.. लंड को भी दबाते हुए अन्दर धकेल रहा था.. बटर होने की वजह से उसकी टाईट गांड में लंड फिसल रहा था. मेरा लंड भी छिल रहा था..आधे से ज्यादा अन्दर करने के बाद मैंने अब लंड को हलके से आगे पीछे करने लगा..
रागिनी की आंखों से आंसू .निकल आए थे. .लेकिन जैसे जैसे लंड अन्दर जा रहा था उसे मजा आने लगा था.. अब मैंने देर करना उचित नही समझा और लंड को बाहर खींच कर जोर का धक्का दिया और पूरा लंड जड़ तक उसकी गांड में समा गया.. रागिनी फ़िर से चीखी और सामने की तरफ़ गिरने को हुई तो मैंने सामने हाथ बढाया और उसकी चून्चियों को थाम लिया.. पूरा लंड अन्दर निकल कर मै उसकी गांड मार रहा था.. अब मैंने गांड और चूत दोनों को एक साथ छोड़ने का इरादा किया..
और लंड को गांड से निकाला और एक ही धक्के में चूत के अन्दर डाल दिया फ़िर वैसे ही चूत से बाहर निकला और गांड में एक धक्के में अन्दर पूरा लंड डाल दिया.. इस तरह से एक बार गांड में फ़िर एक बार चूत में.. मै मेरे लंड से रागिनी को छोड़ रहा था.. अब उसे भी मजा आ रहा था.. वो कहने लगी..”शादी के 15 साल में चुदाई का ऐसा मजा मुझे नही मिला” मैंने कहा रानी तुम्हारी गांड और चूतड इतने सुंदर है की मेरे जैसा मर्द जो की गांड का शौकीन नही है उसे भी आज तुम्हारे गांड में लंड डालने का दिल हो गया. ”
उसने पूंछा “सच मेरे चूतड इतने सुंदर है?” मैंने कहा “सुंदर कहना तो कम होगा.. ये खुबसूरत और बहुत ही उत्तेजक है” कहते हुए मै उसकी गांड और चूत चोदने लगा… करीब २० मिनट से ज्यादा हो गया था. रागिनी कहने लगी मेरे पैर दुःख रहे है.. मैंने कहा.. ठीक है. मैंने लंड बाहर निकला और सामने रखी चेयर पर बैठ गया.. उस चेयर में बाजू के हत्थे नही थे..मैंने रागिनी से कहा अब तुम अपनी चूत मेरे लंड के ऊपर रखो और दोनों पैर मेरे पैरों के साइड में फैला लो.. मेरी तरफ़ मुंह करके बैठो.. उसने कहा “नही संजय.. इतने मोटे पर मै नही बैठ पाऊँगी.. बहुत दर्द होगा.. और मैंने ऐसा कभी किया भी नही”.. मैंने उसे अपने पास खींचा और कहा.. तुम आओ तो.. वो दोनों पैर फैला कर मेरे लंड के ऊपर आई.. मैंने कहा.. अब अपने छेद को इसके ऊपर रखो.. उसने वैसा ही किया.. मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे बैठाने लगा.. जैसे ही सुपाड़ा अन्दर गया वो खड़ी होने लगी.. नही संजय.. ऐसे में ये बहुत अन्दर घुस जाएगा.. कितना लंबा और कड़क है.. मैंने उसे उठाने नही दिया.. और अब उसके निपल मेरे मुंह के सामने थे..
मैंने एक निपल मुंह में लिया और नीचे से धक्का दिया.. और उसकी कमर को नीचे दबाया.. मेरा लंड “गप्प्प” से पुरा अन्दर घुस गया.. मैंने दूसरा हाथ उसकी गांड के पास लगाया.. गांड का मुंह अब खुल गया था.. मैंने उसके होंठ ओने होंठ में लिए और उसके चूतड से पकड़ कर उसे मेरे सीने से चिपका लिया.. दोस्तों इस आसन में चुदाई का मजा ही अलग है. मै उसके होंठ चूस रहा था और वो आहिस्ता आहिस्ता अपनी गांड उठा कर चूत में लंड अन्दर बाहर कर रही थी.. मै कभी उसके होंठ..
कभी चूंची और कभी उसके कंधे चूमता..इस पोज़ में ५-७ मिनट में ही वो झाड़ गई.. अब मैंने उसे वैसे ही गोद में उठाया.. क्युकी मेरा लंड भी अब झड़ने वाला था.. उसे फ़िर से बेड के किनारे पर लिटाया.. चेयर से बेड तक जाते हुए लंड उसकी चूत में ही था.. बेड के किनारे पर उसे लिटाकर उसके पैर मेरे कंधे पर लिए और फ़िर तो मैंने १० मिनट तक उसकी चूत का बुरा हाल किया..
और आख़िर में लंड को उसकी चूत के अनादर गहरी में रख कर १ मिनट तक पिचकारी मारता रहा.. मुझे लगता है उस वक्त मेरे लंड ने जितनी पिचकारी निकली होगी उतनी पहले कभी नही निकली.. .. उसके बाद मै थक कर उसके ऊपर ही लेट गया. उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी. और मेरे साथ वो भी झड़ गई थी…मैंने उसे पकड़ कर बेड के ऊपर ले लिया वो मेरे सीने पर थी.. लंड चूत में.
मैंने उसे चूमते हुए कहा “आई लव यू रागिनी. मै बहुत दिनों से तुम्हे पाना चाहता था ”
वो मुस्कुरायी और कहा ” मै ये नही कहूँगी की मै तुम्हे पाना चाहती थी.. लेकिन आज के बाद जरुर तुम्हे हमेशा पाना चाहूंगी. तुमने मुझे सेक्स का जो मजा दिया है उससे मै अनजान थी.. और इसमे इतना मजा है ये मुझे पता ही नही था.” कहते हुए उसने मुझे किस किया.
” तुम खुश हो न संजय? तुमने जो चाह वो मैंने तुम्हे दिया.. ज़िन्दगी में पहली बार मैंने पीछे से सेक्स का मजा लिया.. तुम पहले मर्द हो जिसने मेरे पीछे वाले में अपना ये मोटा वाला पूरा अन्दर डाला.”
“मेरी रानी रागिनी मै खुश ही नही खुश किस्मत हूँ जो तुम्हारी लाजवाब चूत और मस्त गांड में मेरे लंड को जगह मिली.” उसके बाद करीब एक घंटा हम दोनों वैसे ही नंगे पड़े रहे.. फ़िर वो उठी और बाथरूम गई.. वहां से बाहर आ कर उसने कपड़े पहने..”संजय. मुझे लगता है मैंने जरुरत से ज्यादा वक्त यहाँ बिता दिया है अब मै चलूंगी”
“काश तुम और रुक सकती.. शायद तुम ठीक कहती हो .. किसी को शक करने का मौका नही देना चाहिए..” मै भी उठा .. बाथरूम में गया. रागिनी ने ड्रेसिंग टेबल पर मेरी बीवी के मेकअप के समान से अपना हुलिया ठीक किया.. मै बाथरूम से नंगा ही साफ़ करके बाहर आया तो वो तैयार थी.. मैंने उसे फ़िर से बांहों में लिया और किस किया..
उसने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाया.. मैंने उसे बताया की संगीता अभी और २ हफ्ते नही लौटेगी.. उसने कहा अब घर पर नही कही बाहर.. और तुमने मेरी जो हालत की है मै वैसे भी २-३ दिन कुछ नही कर पाउंगी.. जानते हो मै वहां हाथ लगा कर धो भी नही पा रही हूँ.. बहुत दर्द हो रहा है और बहुत फूल गई है.. वो तो अच्छा है मेरे पति महीने में एक बार ही करते है वो भी कभी कभी.. इसलिए . जब मै ठीक हो जाउंगी तो तुम्हे कॉल करुँगी.. मैंने घड़ी देखा .. अब ऑफिस आधे दिन के लिए ही जा सकता था.
मैंने देखा रागिनी की चाल भी बदल चुकी है.. थोडी से लंगडा रही थी.. शायद गांड मरने की वजह से.. पैर भी फैला के चल रही थी.. फ़िर भी वो दरवाजे तक ई.. दरवाजा खोला .. और कहा..”thank you’ और मुस्कुराकर चली गई..
दोस्तों, मै उस दिन की हर घटना को सपना समझ रहा था. लेकिन 2 दिन बाद ही रागिनी का फ़ोन आया की आज बच्चे आज अपने मामा के घर गए है और पति भी टूर पर है 3 दिन के लिए. इसलिए ऑफिस से सीधे मेरे घर आ जाओ..
“हाँ, बहुत अच्छा.. मुझे तो अभी तक विश्वास ही नही हो रहा है की मैंने ऐसा किया है..लेकिन अगर तुम ये बात गुप्त रखोगे तो मै इसके बाद भी तुम्हारे साथ करने के लिए तैयार हूँ” कहकर उसने मेरे होंठो को किस किया.. फ़िर उठ कर बैठी..”मुझे बाथरूम जाना है..मै अभी आती हूँ “और वो नंगी ही बाथरूम गई..मै उसके जाते हुए बदन को देख रहा था.. उसके नितम्ब और चूतड.. पतली कमर उफ्फ्फ..मै उसके चूतड देख कर फ़िर से गरम हो गया.. चूतड के बीच में लंड डाल कर घिसने का मजा ही कुछ और है… उसके वापिस आते ही मैंने कहा “रागिनी मुझे तुम्हारे चूतड और गांड देखना है.. मै वहाँ प्यार करना चाहता हूँ..”
“मुझे पूरी नंगी कर के सब कुछ तो देख लिया तुमने.”
“रागिनी तुम्हारे चूतड सच में किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर देंगे. शायद तुम्हारे पीछे चलने वाले मर्द तो अपने पंट में ही झड़ जाते होंगे” मैंने उसका हाथ पकड़ कर पास खींचा और उसका मुंह घुमा दिया और उसके चूतड पर हाथ फेरते हुए कहा.
“अच्छा..
मै उसके चूतड पर सहला रहा था, उन्हें दबा रहा था. फ़िर दोनों चूतड को दो हाथ से फैलाया.. ओह्ह उसकी गांड भी एकदम गुलाबी थी और चूतडों के बहुत अन्दर की तरफ़ याने गहराई में थी. एकदम नाज़ुक सी गुलाबी गांड मै गांड का शौकीन नही हूँ.. लेकिन ऐसी मतवाली गांड देख कर मेरा लंड अपनी आदत बदलने के लिए तैयार हो गया. मैंने उसकी गांड में एक ऊँगली डालने की कोशिश की.. वो चिहुंक उठी..
मैंने गांड फैला कर उसके होल में थूका और ऊँगली को घुमाते हुए धीरे धीरे ऊँगली अन्दर करने लगा. आधी ऊँगली अन्दर जाते ही उसने कहा..”संजय वहाँ नही प्लीज़.. बहुत दर्द होगा.. ” मैंने पूंछा कभी ट्राय किया है?” उसने कहा हाँ मेरे पति ने एक बार किया था लेकिन बहुत दर्द की वजह से हमने फ़िर नही किया.. और उनका ज्यादा सख्त नही था इसलिए अन्दर भी नही गया.” मैंने उससे कहा मै भी ट्राय करता हूँ.. ” उसने कहा “नही.. प्लीज़.. तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है.. और ये सख्त भी है.. ये तो फाड़ कर अन्दर घुस जाएगा.”
मैंने कहा मै धीरे धीरे करूँगा..” कह कर मै किचेन में गया और वहां से बटर ले कर आया. मैंने उसकी गांड पर और मेरे लंड पर बहुत सारा बटर लगाया. फ़िर उसके चून्चियों पर भी लगाया और उन्हें चूसना शुरू किया.. उसे मैंने एक चेयर पर बिठाया.. उसके पैर ऊपर मेरे कंधे पर लिए और मै उसके सामने पंजो के बल बैठा..उसकी चूत कर भी बटर लगाया और उसे चाटने लगा. उसके चूत के दाने को मुंह में लेकर जैसे ही मैंने चुसना शुरू किया उसकी चूत से पानी निकलने लगा.. बटर और उसका पानी दोनों मै जीभ से चाट रहा था..
और ऐसा करते हुए मै एक ऊँगली उसकी गांड में डाल रहा था.. बटर लगा होने से अब ऊँगली आराम से अन्दर बाहर हो रही थी. मैंने फ़िर दो ऊँगली अन्दर डाली.. और गांड के छेद को बड़ा करने के लिए गोल गोल घुमाने लगा.. इस तरह रागिनी की चूत और गांड दोनों जगह एक साथ मै गरम कर रहा था.. मेरे होंठो में उसकी चूत का दाना था.. जिसे मै बहुत तेज़ी से चूस रहा था.. उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और..”आह..संजय..गयी..मै..गयीई..आह..आह्ह.. जोर से..
ओह्ह ऐसे मत चुसो.. मेरा.. हो जाएगा….ओह्ह..ओह्ह.. सं..ज..ज..य..य.य.य… आ..आ.आ…आ.आह्ह..गयी..ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई..स्..स् स्.स्.स्.स्. ” करते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..मैंने अपनी जीभ उसी चूत पर फेरते हुए गांड से ऊँगली निकाल ली और फ़िर उसकी चूत का पानी उसकी गांड पर लगाने लगा.. मेरा लंड तो फ़िर से खंभे जैसा खड़ा हो चुका था..
मैंने खड़े होते हुए अपना लंड उसके मुंह के पास दिया.. उसने बटर लगे लंड को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना मुंह खोल कर अन्दर ले लिया .. पूरे लंड को उसने चाटा. फ़िर से बटर लगाया.. मैंने उसे खड़ा किया और बेड पकड़ कर .झुकाया..
मै उसके चूतड पर सहला रहा था, उन्हें दबा रहा था. फ़िर दोनों चूतड को दो हाथ से फैलाया.. ओह्ह उसकी गांड भी एकदम गुलाबी थी और चूतडों के बहुत अन्दर की तरफ़ याने गहराई में थी. एकदम नाज़ुक सी गुलाबी गांडमै गांड का शौकीन नही हूँ.. लेकिन ऐसी मतवाली गांड देख कर मेरा लंड अपनी आदत बदलने के लिए तैयार हो गया. मैंने उसकी गांड में एक ऊँगली डालने की कोशिश की..
वो चिहुंक उठी.. मैंने गांड फैला कर उसके होल में थूका और ऊँगली को घुमाते हुए धीरे धीरे ऊँगली अन्दर करने लगा. आधी ऊँगली अन्दर जाते ही उसने कहा..”संजय वहाँ नही प्लीज़.. बहुत दर्द होगा.. ” मैंने पूंछा कभी ट्राय किया है?” उसने कहा हाँ मेरे पति ने एक बार किया था लेकिन बहुत दर्द की वजह से हमने फ़िर नही किया.. और उनका ज्यादा सख्त नही था इसलिए अन्दर भी नही गया.”
मैंने उससे कहा मै भी ट्राय करता हूँ.. ” उसने कहा “नही.. प्लीज़.. तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है.. और ये सख्त भी है.. ये तो फाड़ कर अन्दर घुस जाएगा.” मैंने कहा मै धीरे धीरे करूँगा..” कह कर मै किचेन में गया और वहां से बटर ले कर आया. मैंने उसकी गांड पर और मेरे लंड पर बहुत सारा बटर लगाया. फ़िर उसके चून्चियों पर भी लगाया और उन्हें चूसना शुरू किया..
उसे मैंने एक चेयर पर बिठाया.. उसके पैर ऊपर मेरे कंधे पर लिए और मै उसके सामने पंजो के बल बैठा..उसकी चूत कर भी बटर लगाया और उसे चाटने लगा. उसके चूत के दाने को मुंह में लेकर जैसे ही मैंने चुसना शुरू किया उसकी चूत से पानी निकलने लगा.. बटर और उसका पानी दोनों मै जीभ से चाट रहा था.. और ऐसा करते हुए मै एक ऊँगली उसकी गांड में डाल रहा था.. बटर लगा होने से अब ऊँगली आराम से अन्दर बाहर हो रही थी. मैंने फ़िर दो ऊँगली अन्दर डाली.. और गांड के छेद को बड़ा करने के लिए गोल गोल घुमाने लगा..
इस तरह रागिनी की चूत और गांड दोनों जगह एक साथ मै गरम कर रहा था.. मेरे होंठो में उसकी चूत का दाना था.. जिसे मै बहुत तेज़ी से चूस रहा था.. उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और..”आह..संजय..गयी..मै..गयीई..आह..आह्ह.. जोर से.. ओह्ह ऐसे मत चुसो.. मेरा.. हो जाएगा….ओह्ह..ओह्ह.. सं..ज..ज..य..य.य.य… आ..आ.आ…आ.आह्ह..गयी..ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई.ई..स्..स् स्.स्.स्.स्. ” करते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया..
मैंने अपनी जीभ उसी चूत पर फेरते हुए गांड से ऊँगली निकाल ली और फ़िर उसकी चूत का पानी उसकी गांड पर लगाने लगा.. मेरा लंड तो फ़िर से खंभे जैसा खड़ा हो चुका था.. मैंने खड़े होते हुए अपना लंड उसके मुंह के पास दिया.. उसने बटर लगे लंड को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना मुंह खोल कर अन्दर ले लिया .. पूरे लंड को उसने चाटा. फ़िर से बटर लगाया.. मैंने उसे खड़ा किया और बेड पकड़ कर .झुकाया..
इस तरह खड़े होने से उसके चौडे और उभरे हुए चूतड बहुत ही सेक्सी दिख रहे थे.. गांड का छेद और चूत दोनों उभर आए थे.. मैंने पहले उसके चूत और गांड दोनों पर मेरे लंड को बहुत अच्छे से रगडा और पहले मैंने उसकी चूत के ऊपर मेरा लंड टिकाया और उसकी पतली कमर को जोर से पकड़ कर दबाया.. मेरा लंड अन्दर घुसने लगा.. उसकी कसी हुयी चूत मेरा लंड धीरे धीरे अन्दर ले रही थी.. दुसरे झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया.. और मै उससे चिपक कर उसकी चून्चियों को मसलने लगा..
इधर मेरे लंड के हलके हलके धक्कों से रागिनी करह रही थी.. संजय बहुत भीतर घुस गया है.. इस पोज़ में और ज्यादा अन्दर तक घुसा दिया तुमने.. आह्ह. मैंने कभी ऐसा नही किया.. चोदो..वो भी अपने चूतड पीछे धकेल कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी अपनी छोटी से चूत में. . अब मैंने बटर ऊँगली में लिया और उसकी गांड के छेद में फ़िर से लगाया और ऊँगली अन्दर डाल कर घुमाने लगा..
गांड का छेद कुछ खुल गया था.. अचानक मैंने लंड पूरा बाहर खींचा और उसे गांड के छेद पर रखा.. रागिनी के कुछ समझने के पहले मैंने उसकी पतली कमर को पूरी ताकत से जकड कर एक धक्का लगा दिया..”भच्च” की आवाज़ हुयी और लंड का सुपाड़ा गांड में घुस गया और रागिनी चीख कर छूटने का प्रयास करने लगी.. लेकिन मेरी पकड़ मज़बूत थी..”ओह्ह..मा..र.डा.आ.आ.ला.आ.आ..आ…स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स्.स् .स्.. . निकालो..संजय.. . मैंने कहा रुको रानी.. अभी मजा आयेगा.. और मै उसके चूतड दबाने लगा.. लंड को भी दबाते हुए अन्दर धकेल रहा था.. बटर होने की वजह से उसकी टाईट गांड में लंड फिसल रहा था. मेरा लंड भी छिल रहा था..आधे से ज्यादा अन्दर करने के बाद मैंने अब लंड को हलके से आगे पीछे करने लगा..
रागिनी की आंखों से आंसू .निकल आए थे. .लेकिन जैसे जैसे लंड अन्दर जा रहा था उसे मजा आने लगा था.. अब मैंने देर करना उचित नही समझा और लंड को बाहर खींच कर जोर का धक्का दिया और पूरा लंड जड़ तक उसकी गांड में समा गया.. रागिनी फ़िर से चीखी और सामने की तरफ़ गिरने को हुई तो मैंने सामने हाथ बढाया और उसकी चून्चियों को थाम लिया.. पूरा लंड अन्दर निकल कर मै उसकी गांड मार रहा था.. अब मैंने गांड और चूत दोनों को एक साथ छोड़ने का इरादा किया..
और लंड को गांड से निकाला और एक ही धक्के में चूत के अन्दर डाल दिया फ़िर वैसे ही चूत से बाहर निकला और गांड में एक धक्के में अन्दर पूरा लंड डाल दिया.. इस तरह से एक बार गांड में फ़िर एक बार चूत में.. मै मेरे लंड से रागिनी को छोड़ रहा था.. अब उसे भी मजा आ रहा था.. वो कहने लगी..”शादी के 15 साल में चुदाई का ऐसा मजा मुझे नही मिला” मैंने कहा रानी तुम्हारी गांड और चूतड इतने सुंदर है की मेरे जैसा मर्द जो की गांड का शौकीन नही है उसे भी आज तुम्हारे गांड में लंड डालने का दिल हो गया. ”
उसने पूंछा “सच मेरे चूतड इतने सुंदर है?” मैंने कहा “सुंदर कहना तो कम होगा.. ये खुबसूरत और बहुत ही उत्तेजक है” कहते हुए मै उसकी गांड और चूत चोदने लगा… करीब २० मिनट से ज्यादा हो गया था. रागिनी कहने लगी मेरे पैर दुःख रहे है.. मैंने कहा.. ठीक है. मैंने लंड बाहर निकला और सामने रखी चेयर पर बैठ गया.. उस चेयर में बाजू के हत्थे नही थे..मैंने रागिनी से कहा अब तुम अपनी चूत मेरे लंड के ऊपर रखो और दोनों पैर मेरे पैरों के साइड में फैला लो.. मेरी तरफ़ मुंह करके बैठो.. उसने कहा “नही संजय.. इतने मोटे पर मै नही बैठ पाऊँगी.. बहुत दर्द होगा.. और मैंने ऐसा कभी किया भी नही”.. मैंने उसे अपने पास खींचा और कहा.. तुम आओ तो.. वो दोनों पैर फैला कर मेरे लंड के ऊपर आई.. मैंने कहा.. अब अपने छेद को इसके ऊपर रखो.. उसने वैसा ही किया.. मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे बैठाने लगा.. जैसे ही सुपाड़ा अन्दर गया वो खड़ी होने लगी.. नही संजय.. ऐसे में ये बहुत अन्दर घुस जाएगा.. कितना लंबा और कड़क है.. मैंने उसे उठाने नही दिया.. और अब उसके निपल मेरे मुंह के सामने थे..
मैंने एक निपल मुंह में लिया और नीचे से धक्का दिया.. और उसकी कमर को नीचे दबाया.. मेरा लंड “गप्प्प” से पुरा अन्दर घुस गया.. मैंने दूसरा हाथ उसकी गांड के पास लगाया.. गांड का मुंह अब खुल गया था.. मैंने उसके होंठ ओने होंठ में लिए और उसके चूतड से पकड़ कर उसे मेरे सीने से चिपका लिया.. दोस्तों इस आसन में चुदाई का मजा ही अलग है. मै उसके होंठ चूस रहा था और वो आहिस्ता आहिस्ता अपनी गांड उठा कर चूत में लंड अन्दर बाहर कर रही थी.. मै कभी उसके होंठ..
कभी चूंची और कभी उसके कंधे चूमता..इस पोज़ में ५-७ मिनट में ही वो झाड़ गई.. अब मैंने उसे वैसे ही गोद में उठाया.. क्युकी मेरा लंड भी अब झड़ने वाला था.. उसे फ़िर से बेड के किनारे पर लिटाया.. चेयर से बेड तक जाते हुए लंड उसकी चूत में ही था.. बेड के किनारे पर उसे लिटाकर उसके पैर मेरे कंधे पर लिए और फ़िर तो मैंने १० मिनट तक उसकी चूत का बुरा हाल किया..
और आख़िर में लंड को उसकी चूत के अनादर गहरी में रख कर १ मिनट तक पिचकारी मारता रहा.. मुझे लगता है उस वक्त मेरे लंड ने जितनी पिचकारी निकली होगी उतनी पहले कभी नही निकली.. .. उसके बाद मै थक कर उसके ऊपर ही लेट गया. उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी. और मेरे साथ वो भी झड़ गई थी…मैंने उसे पकड़ कर बेड के ऊपर ले लिया वो मेरे सीने पर थी.. लंड चूत में.
मैंने उसे चूमते हुए कहा “आई लव यू रागिनी. मै बहुत दिनों से तुम्हे पाना चाहता था ”
वो मुस्कुरायी और कहा ” मै ये नही कहूँगी की मै तुम्हे पाना चाहती थी.. लेकिन आज के बाद जरुर तुम्हे हमेशा पाना चाहूंगी. तुमने मुझे सेक्स का जो मजा दिया है उससे मै अनजान थी.. और इसमे इतना मजा है ये मुझे पता ही नही था.” कहते हुए उसने मुझे किस किया.
” तुम खुश हो न संजय? तुमने जो चाह वो मैंने तुम्हे दिया.. ज़िन्दगी में पहली बार मैंने पीछे से सेक्स का मजा लिया.. तुम पहले मर्द हो जिसने मेरे पीछे वाले में अपना ये मोटा वाला पूरा अन्दर डाला.”
“मेरी रानी रागिनी मै खुश ही नही खुश किस्मत हूँ जो तुम्हारी लाजवाब चूत और मस्त गांड में मेरे लंड को जगह मिली.” उसके बाद करीब एक घंटा हम दोनों वैसे ही नंगे पड़े रहे.. फ़िर वो उठी और बाथरूम गई.. वहां से बाहर आ कर उसने कपड़े पहने..”संजय. मुझे लगता है मैंने जरुरत से ज्यादा वक्त यहाँ बिता दिया है अब मै चलूंगी”
“काश तुम और रुक सकती.. शायद तुम ठीक कहती हो .. किसी को शक करने का मौका नही देना चाहिए..” मै भी उठा .. बाथरूम में गया. रागिनी ने ड्रेसिंग टेबल पर मेरी बीवी के मेकअप के समान से अपना हुलिया ठीक किया.. मै बाथरूम से नंगा ही साफ़ करके बाहर आया तो वो तैयार थी.. मैंने उसे फ़िर से बांहों में लिया और किस किया..
उसने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाया.. मैंने उसे बताया की संगीता अभी और २ हफ्ते नही लौटेगी.. उसने कहा अब घर पर नही कही बाहर.. और तुमने मेरी जो हालत की है मै वैसे भी २-३ दिन कुछ नही कर पाउंगी.. जानते हो मै वहां हाथ लगा कर धो भी नही पा रही हूँ.. बहुत दर्द हो रहा है और बहुत फूल गई है.. वो तो अच्छा है मेरे पति महीने में एक बार ही करते है वो भी कभी कभी.. इसलिए . जब मै ठीक हो जाउंगी तो तुम्हे कॉल करुँगी.. मैंने घड़ी देखा .. अब ऑफिस आधे दिन के लिए ही जा सकता था.
मैंने देखा रागिनी की चाल भी बदल चुकी है.. थोडी से लंगडा रही थी.. शायद गांड मरने की वजह से.. पैर भी फैला के चल रही थी.. फ़िर भी वो दरवाजे तक ई.. दरवाजा खोला .. और कहा..”thank you’ और मुस्कुराकर चली गई..
दोस्तों, मै उस दिन की हर घटना को सपना समझ रहा था. लेकिन 2 दिन बाद ही रागिनी का फ़ोन आया की आज बच्चे आज अपने मामा के घर गए है और पति भी टूर पर है 3 दिन के लिए. इसलिए ऑफिस से सीधे मेरे घर आ जाओ..