12-04-2021, 10:07 PM
मैंने उसके दोनों हाथ पकड लिए. अब वो मुझे आगे बढ़ने से रोकने का हल्का प्रयास कर रही थी. मैंने कहा तुम्हे तो मालूम है की असली किस कैसे और कहाँ किया जाता है.. और तुम ख़ुद ये करने के लिए तैयार हुयी हो.. कहते हुए मै उसकी बांहों को मेरी ऊँगली से हलके से नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे सहलाने लगा. उसके कंधे पर दबाव बढ़ते हुए फ़िर से उसके गालों पर कान के ठीक पास में चूमा और जीभ से उसके कान को सहलाया.. उसकी सांसे बिखरने लगी. वो मेरी तरफ़ शरमाई नज़र से देख रही थी..
उसके मुंह से एक भी शब्द नही निकला.अब मैंने उसके चहरे की तरफ़ अपना चेहरा किया और उसके थरथराते लाल रसीले लरज़ते होंठो पर मेरे होंठ रख दिए.मैंने बहुत हलके से उसके होंठो पर “चु..ऊ..क.,” करके चुम्बन कर दिया. मै उसके बांहों को सहला रहा था.. और उन्हें सहलाते हुए मैंने उसका आँचल धीरे से कंधे से हटा दिया. उसके दोनों हाथ मैंने पकड़ रखे थे..
इसलिए वो अपना आँचल संवार नही पायी. और मेरे सामने उसके पीन पयोधर आमंत्रण देते हुए महसूस हुए.वैसे मै उसकी बांहों की सहलाते हुए उसकी चुन्चियों को बाजू से स्पर्श कर रहा था. मैंने उसके गालों को हलके हलके “पुच्च.. पुच्च.. ” करते हुए चूमना जारी रखा था… फ़िर मैंने अपने होंठ उसके कानों की तरफ़ बढाये.. और उसके कान में फूस फुसाकर कहा.. “रागिनी तुम बहुत खुबसूरत हो. तुम्हे पाने के लिए मै बहुत बेताब हूँ.” कहते हुए उसके कान के लैब अपने होंठो में लिए .. उसके मुंह से हलके से सी.आह्ह..की आवाज़ निकली.
मै उसकी गर्दन और कंधे मसल रहा था. वो थोड़ा सा कसमसाई. अब मैंने उसकी साडी को उसकी चुन्चियों से पुरी तरह हटा दी. वो हलके से विरोध कर रही थी.. “नही..संजय.. प्लीज़ ऐसा मत करो.. किसी को पता चल गया तो” मैंने उसकी बात नही सुनी.. मैंने अपना हाथ उसकी बांयी चूंची पर ब्लाउज के ऊपर से रख दिया और गोलाई को सहलाया.. उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और दबा लिया..
मैंने पंजे में चूंची पकड़ी और हलके से दबाया तो उसके मुंह से आ…आ..आह.. निकल पड़ी…मेरे हाथ को पकड़ते हुए उसने कहा.. “बस संजय.. इसके आगे नही.. इसके आगे जाने से हम दोनों बदनाम हो सकते है…” मैंने उसकी बात नही सुनी.. मेरे हाथ तो उसके ब्लाउज के बटन खोल रहे थे. उसका हाथ मेरे हाथ पर था. लेकिन कोई हरकत नही थी.. ब्लाउज के दोनों पल्ले खोल कर मैंने देखा अन्दर काले रंग की ब्रा है..मैंने जल्दी से उसके स्तनों पर मेरे होंठ रखे और उसके उरोजों की गर्मी महसूस की…आह्ह..
उसके गोरे बदन पर मस्तानी चूंचियों पर काले रंग का ब्रा.. मैंने जल्दी से ब्रा को बिना खोले ऊपर की तरफ़ उठा दिया. वो सोफे पर पीछे झुक गई थी.. जिससे उसके फूले हुए गदराये स्तन और उभर हुए थे. मैंने उसकी चूंची पर किस किया. और उसके मुंह से सी..सी..स्..स्..स्. आह..ऐसी कराहें निकलने लगी.. उसके लाजवाब चूंचियां मेरे सामने थी.. जिनके मै सपने देखा करता था.. मैंने उसके गालों पर फ़िर से किस करते हुए उसके कान में कहा.”रागिनी मै तुम्हे प्यार करता हूँ.. मुझे आज मत रोकना प्लीज़.” उसने कुछ कहा नही..
वो सोफे पर और पीछे झुक गई.. उसने अपने स्तन और ऊपर कर दिए.. उसके स्तन अभी भी सख्त थे.. किसी रबर की गेंद की तरह. उसके स्तन का साइज़ 36 डी था. ये मैंने उन्हें हाथ में ले कर जाना. .अब मैंने पीछे हाथ ले जा कर उसके ब्रा का हूक निकल दिया और ब्रा के खुलते ही उसने अपने दोनों हाथो से अपने स्तनों को ढंकना चाहा. लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मै उसके नायाब खजाने को देखना चाह रहा था..उसका गोरा बदन.. एकदम चिकना.. हाथ रखते ही हाथ फिसल जाता.. इतना चिकना बदन किसी का हो सकता है ..
ये सोच कर ही मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी.. ये नरम गदराया जिस्म मेरे सामने है .. इसकी चूत कितनी नरम होगी.. कितनी मजेदार नज़ारा होगा.. उफ़.. ये ख्याल इंच दर इंच मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को और बढ़ा रहे थे. मैंने कहा “रागिनी मुझे इन्हे जी भर के देखने और प्यार करने दो..कहते हुए मैंने उसके गुलाबी निपल को हाथ लगाया..और मसला.. वो अब कड़क होने लगे थे.. उसके मुंह से आउच..की आवाज़ निकली.. मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा.. वो सीधे मेरे कंधे पर सर टिका कर मेरे गालों को चूमने लगी…
मेरे हाथ की उँगलियाँ हलके हलके उसकी चूंचियों को सहला रही थी. .. उसकी साँस बहुत तेज़ हो रही थी.. उसकी साडी का आँचल अब ज़मीन पर पड़ा था.
संजय अभी अगर कोई आ जाए और हमें इस तरह देख ले तो? क्या होगा बोलो?
” फिकर मत करो इतनी सुबह कोई नही आयेगा. और फ़िर मैंने बाहर का दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दिया है. इसलिए अगर कोई आयेगा तो उसे वैसे ही दरवाजे से वापस जाना होगा.” कहते हुए अब मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.. और उसके होंठों पर एक लंबा किस किया.. उसने भी अब मेरा साथ दिया.. उसकी साँस फूलने से उसने मुझे धकेला और बहुत ही सेक्सी नज़र से देखा..आह क्या दिख रही थी वो.. गोल गोल गोरे गोरे उरोज.. एकदम तने हुए और गुलाबी निपल…मैंने अपनी बनियान निकाल दी. मेरे बालों से भरे सीने में उसके गुलाबी निपल रगड़ने लगा…
उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा “तुम बहुत बदमाश हो. एक दम गंदे.” और फ़िर मेरे सीने से लग गई.. वो अपनी चूंचियों को मेरे नज़रों से छुपाने की कोशिश कर रही थी.मैंने उसे थोड़ा परे किया और अब मैंने अपना मुंह उसकी चूंचियों पर रखा और उसके निपल मुंह में लिया. दुसरे को उँगलियों से मसल रहा था.. उसने मेरा सर जोर से अपनी छाती पर दबाया..
और “आह्ह..बस..उफ़.. संजय..” करने लगी.. लेकिन मुझे तो नशा हो रहा था.. उसके मदमस्त स्तन.. चूसने में मुझे किसी शहद या मिठाई से ज्यादा मीठापन महसूस हो रहा था.. मै अब जोर से चूसने लगा..मैंने हलके से उसके बांये निपल में काट लिया ..ऊईई…उफ्फ्फ्फ़…बस संजय.. रुक जाओ.. अब और नही..” कहते हुए वो उठाने लगी.
मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा “नही रागिनी मुझे मत रोको प्लीज़.. मुझे आज मेरे सपनो की रानी को जीभर कर प्यार करने दो.” और मै फ़िर से उसके निपल मुंह में ले कर एक एक कर चूसने लगा. उसके मुंह से अब..”आआआआआह्ह्ह..हाँ..संजय.. जोर से… उफ़. बहुत अच्छा लग रहा है..” कहते हुए मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी.
मैंने अब उसकी साडी को निकालना शुरू किया.. वो उठने लगी..मैंने साडी निकाल कर फेंक दी.. अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में थी… कमर पर थोड़ा गदरायापन था. उसकी नाभि बहुत गहरी थी. मैंने उसकी नाभि पर हाथ फेरा… वो मचल उठी..मैंने फ़िर से उसके गालों को चूमा.. फ़िर उसके कान पर गीली जीभ फेरा.. वो उछल पड़ी.. मै चाहता था की उसके उछलने से उसकी चून्चियां भी उछले.. लेकिन नही.. वो तो जैसे उसके सीने पर चिपकी हुयी थी.. जैसे किसी मूर्ति के स्तन हो.एकदम सख्त..
दोस्तों आप सोच सकते हो मेरी क्या हालत हो रही थी. उसके इस रूप को देख कर… उसके निपल मानो स्ट्राबेरी हों इस तरह गुलाबी से लाल हो रहे थे… मेरे चूसने से और कड़क हो गए थे.. मैंने उसके एक स्तन को पंजे से पकड़ा और ज्यादा से ज्यादा मुंह के अन्दर ले कर चूसने लगा… आह..आह.. ओह्ह.. संजय.. उफ़.. तुम बहुत बदमाश हो.. आह.. उफ़.. मुझे क्या हो रहा..इश..इश्ह.. कहते हुए वो अपनी दोनों जांघों को रगड़ने लगी..
संजय.. क्या कर रहे हो.. आ..आह्ह..बस.. हाँ दबाव.. चुसो.. और उसने एक हाथ से अपनी चूंची पकड़ी और मेरे मुंह में निपल डालने लगी…. उसके पैर उसी तरह हिल रहे थे.. वो अपने चुतद ऊपर कर रही थी.. और अचानक उसने मुझे जोर से भींच लिया.. और आह्ह..आह्ह.. आह… करते हुए अपने पैरों को पूरा लंबा कर दिया.. मै समझ गया वो झड़ गई है..
अब उसको मैंने फ़िर से होंठो से चूमना शुरू किया.. और चूमते हुए मैंने उसके हाथों को ऊपर उठाया और मेरा मुंह उसके बगल में घुसाया.. ओह्ह.. उसके बगल की वोह मादक खुशबू.. पसीने और पावडर की मिलीजुली खुशबू.. मैंने उसे सूंघा और फ़िर मेरी जीभ फेरते हुए चाटने लगा. उसे गुदगुदी होने लगी.. मैंने दोनों बगलों को करीब १० मिनट तक छठा.. वो मचलती रही.. फ़िर मै दुबारा उसके स्तनों पर आ गया.. इस बार मै पुरे स्तन को हथेली में लेता और निपल समेत जितना मुंह में ले सकता उतना मुंह में लेता और चूसता.. दोनों चूंचिया.. अब लाल हो चुकी थी.. दबाने से नीले निशान दिख रहे थे.. मैंने जहाँ जहाँ दांत लगाये वहां पर दांतों के निशान भी पड़ गए थे…
रागिनी सिर्फ़ आह.. ओह्ह.. कर रही थी.. मै उसकी पतली कमर को सहलाता.. पेट पर हाथ फेरता.. अब मै नीचे पेट की तरफ़ आया.. जैसे ही गोरे पेट पर किस किया.. वो थोडी उछल पड़ी.. मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड के नीचे डाल दिए. उसके चूतड किसी कुंवारी लड़की जैसे सख्त थे.. लेकिन उस सख्ती में एक मुलामियत का अहसास था… मैंने उन्हें दबाते हुए मेरी जीभ उसकी नाभि पर गोलाई में घुमाना शुरू किया.. अब वो फ़िर से बेचैन होने लगी थी.. ओह्ह संजय.. बहुत बदमाश हो तुम.. उफ़ नही.. बस.. मै.. मर जाउंगी.इ.इ.इ.इ.”
और वो थोड़ा उठ कर बैठ गई.. मैंने जल्दी से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए. और चूमने लगा.. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी… मैंने अपनी जीभ उसके मुंह के अन्दर डाल दी.. फ़िर उसकी जीभ मुंह में लेकर चूसने लगा..मुझे मालूम था की अब रागिनी भी गरम हो चुकी है फ़िर से.. मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा.. उसके चूंचियों को देखते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठो पर चिपका दिए.. और जोरो से चूसने लगा.. उसके मुंह से.. उम् उम् आह की आवाज़ निकलने लगी.. मेरे हाथ स्तनों पर थे..
मैंने मेरे होंठ फ़िर से उसके निपल पर रखे ..उसका हाथ मेरे बालों में घूम रहा था.. इस पोज़ में मुझे थोडी दिक्कत हो रही थी. मैंने उसे सोफे के किनारे पर पैर लटका कर बिठाया और मै नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया.. इस तरह बैठने से उसकी चूंचिया ठीक मेरे होंठो के सामने आ गई. मैंने दोनों चूंचियों के मेरे हथेलीयों में भर लिया और उसके निपल मुंह में लिए.. कभी कभी मै उसकी कमर को भी सहला देता था.. मैंने नीचे सर झुकाया तो मैंने देखा उसका पेटीकोट सामने से गीला हो रहा है.. मैंने मेरा मुंह नीचे की तरफ़ लाया उसके पेट पर से होते हुए उसके दोनों जांघों के बीच में मैंने सर रखा और नाभी का चुम्बन लेते हुए उसके जांघों को मेरे हाथों से फैलाया..
पेटीकोट का कपड़ा पूरा फ़ैल गया. मेरे होंठ उसकी जांघो पर पहुंचे पेटीकोट के ऊपर से ही..पैर फैला देने से मुझे उसकी उभरी हुयी चूत का आभास मिल रहा था. मैंने बहुत हलके से उस उभार पर होंठ रखे और “पुच्च..पुच्च.” किया.. वो सिहर उठी.. अपनी जांघ सिकोड़ने लगी. अब मैंने उसका पेटीकोट निकलने का निश्चय किया और उसकी डोरी पर हाथ रखा. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया “नही संजय.. ये मत करो.. प्लिज्ज़. तुम्हारी बीवी और मेरे पति के बारे में सोचो.. ये ग़लत है.. हम उनसे दगाबाजी कर रहे है.. रुक जाओ संजय.” उसने मुझे रोकने का एक असफल प्रयत्न किया. और उठ कर खड़ी होने लगी.
उसके मुंह से एक भी शब्द नही निकला.अब मैंने उसके चहरे की तरफ़ अपना चेहरा किया और उसके थरथराते लाल रसीले लरज़ते होंठो पर मेरे होंठ रख दिए.मैंने बहुत हलके से उसके होंठो पर “चु..ऊ..क.,” करके चुम्बन कर दिया. मै उसके बांहों को सहला रहा था.. और उन्हें सहलाते हुए मैंने उसका आँचल धीरे से कंधे से हटा दिया. उसके दोनों हाथ मैंने पकड़ रखे थे..
इसलिए वो अपना आँचल संवार नही पायी. और मेरे सामने उसके पीन पयोधर आमंत्रण देते हुए महसूस हुए.वैसे मै उसकी बांहों की सहलाते हुए उसकी चुन्चियों को बाजू से स्पर्श कर रहा था. मैंने उसके गालों को हलके हलके “पुच्च.. पुच्च.. ” करते हुए चूमना जारी रखा था… फ़िर मैंने अपने होंठ उसके कानों की तरफ़ बढाये.. और उसके कान में फूस फुसाकर कहा.. “रागिनी तुम बहुत खुबसूरत हो. तुम्हे पाने के लिए मै बहुत बेताब हूँ.” कहते हुए उसके कान के लैब अपने होंठो में लिए .. उसके मुंह से हलके से सी.आह्ह..की आवाज़ निकली.
मै उसकी गर्दन और कंधे मसल रहा था. वो थोड़ा सा कसमसाई. अब मैंने उसकी साडी को उसकी चुन्चियों से पुरी तरह हटा दी. वो हलके से विरोध कर रही थी.. “नही..संजय.. प्लीज़ ऐसा मत करो.. किसी को पता चल गया तो” मैंने उसकी बात नही सुनी.. मैंने अपना हाथ उसकी बांयी चूंची पर ब्लाउज के ऊपर से रख दिया और गोलाई को सहलाया.. उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और दबा लिया..
मैंने पंजे में चूंची पकड़ी और हलके से दबाया तो उसके मुंह से आ…आ..आह.. निकल पड़ी…मेरे हाथ को पकड़ते हुए उसने कहा.. “बस संजय.. इसके आगे नही.. इसके आगे जाने से हम दोनों बदनाम हो सकते है…” मैंने उसकी बात नही सुनी.. मेरे हाथ तो उसके ब्लाउज के बटन खोल रहे थे. उसका हाथ मेरे हाथ पर था. लेकिन कोई हरकत नही थी.. ब्लाउज के दोनों पल्ले खोल कर मैंने देखा अन्दर काले रंग की ब्रा है..मैंने जल्दी से उसके स्तनों पर मेरे होंठ रखे और उसके उरोजों की गर्मी महसूस की…आह्ह..
उसके गोरे बदन पर मस्तानी चूंचियों पर काले रंग का ब्रा.. मैंने जल्दी से ब्रा को बिना खोले ऊपर की तरफ़ उठा दिया. वो सोफे पर पीछे झुक गई थी.. जिससे उसके फूले हुए गदराये स्तन और उभर हुए थे. मैंने उसकी चूंची पर किस किया. और उसके मुंह से सी..सी..स्..स्..स्. आह..ऐसी कराहें निकलने लगी.. उसके लाजवाब चूंचियां मेरे सामने थी.. जिनके मै सपने देखा करता था.. मैंने उसके गालों पर फ़िर से किस करते हुए उसके कान में कहा.”रागिनी मै तुम्हे प्यार करता हूँ.. मुझे आज मत रोकना प्लीज़.” उसने कुछ कहा नही..
वो सोफे पर और पीछे झुक गई.. उसने अपने स्तन और ऊपर कर दिए.. उसके स्तन अभी भी सख्त थे.. किसी रबर की गेंद की तरह. उसके स्तन का साइज़ 36 डी था. ये मैंने उन्हें हाथ में ले कर जाना. .अब मैंने पीछे हाथ ले जा कर उसके ब्रा का हूक निकल दिया और ब्रा के खुलते ही उसने अपने दोनों हाथो से अपने स्तनों को ढंकना चाहा. लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मै उसके नायाब खजाने को देखना चाह रहा था..उसका गोरा बदन.. एकदम चिकना.. हाथ रखते ही हाथ फिसल जाता.. इतना चिकना बदन किसी का हो सकता है ..
ये सोच कर ही मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी.. ये नरम गदराया जिस्म मेरे सामने है .. इसकी चूत कितनी नरम होगी.. कितनी मजेदार नज़ारा होगा.. उफ़.. ये ख्याल इंच दर इंच मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को और बढ़ा रहे थे. मैंने कहा “रागिनी मुझे इन्हे जी भर के देखने और प्यार करने दो..कहते हुए मैंने उसके गुलाबी निपल को हाथ लगाया..और मसला.. वो अब कड़क होने लगे थे.. उसके मुंह से आउच..की आवाज़ निकली.. मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा.. वो सीधे मेरे कंधे पर सर टिका कर मेरे गालों को चूमने लगी…
मेरे हाथ की उँगलियाँ हलके हलके उसकी चूंचियों को सहला रही थी. .. उसकी साँस बहुत तेज़ हो रही थी.. उसकी साडी का आँचल अब ज़मीन पर पड़ा था.
संजय अभी अगर कोई आ जाए और हमें इस तरह देख ले तो? क्या होगा बोलो?
” फिकर मत करो इतनी सुबह कोई नही आयेगा. और फ़िर मैंने बाहर का दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दिया है. इसलिए अगर कोई आयेगा तो उसे वैसे ही दरवाजे से वापस जाना होगा.” कहते हुए अब मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया.. और उसके होंठों पर एक लंबा किस किया.. उसने भी अब मेरा साथ दिया.. उसकी साँस फूलने से उसने मुझे धकेला और बहुत ही सेक्सी नज़र से देखा..आह क्या दिख रही थी वो.. गोल गोल गोरे गोरे उरोज.. एकदम तने हुए और गुलाबी निपल…मैंने अपनी बनियान निकाल दी. मेरे बालों से भरे सीने में उसके गुलाबी निपल रगड़ने लगा…
उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा “तुम बहुत बदमाश हो. एक दम गंदे.” और फ़िर मेरे सीने से लग गई.. वो अपनी चूंचियों को मेरे नज़रों से छुपाने की कोशिश कर रही थी.मैंने उसे थोड़ा परे किया और अब मैंने अपना मुंह उसकी चूंचियों पर रखा और उसके निपल मुंह में लिया. दुसरे को उँगलियों से मसल रहा था.. उसने मेरा सर जोर से अपनी छाती पर दबाया..
और “आह्ह..बस..उफ़.. संजय..” करने लगी.. लेकिन मुझे तो नशा हो रहा था.. उसके मदमस्त स्तन.. चूसने में मुझे किसी शहद या मिठाई से ज्यादा मीठापन महसूस हो रहा था.. मै अब जोर से चूसने लगा..मैंने हलके से उसके बांये निपल में काट लिया ..ऊईई…उफ्फ्फ्फ़…बस संजय.. रुक जाओ.. अब और नही..” कहते हुए वो उठाने लगी.
मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा “नही रागिनी मुझे मत रोको प्लीज़.. मुझे आज मेरे सपनो की रानी को जीभर कर प्यार करने दो.” और मै फ़िर से उसके निपल मुंह में ले कर एक एक कर चूसने लगा. उसके मुंह से अब..”आआआआआह्ह्ह..हाँ..संजय.. जोर से… उफ़. बहुत अच्छा लग रहा है..” कहते हुए मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी.
मैंने अब उसकी साडी को निकालना शुरू किया.. वो उठने लगी..मैंने साडी निकाल कर फेंक दी.. अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में थी… कमर पर थोड़ा गदरायापन था. उसकी नाभि बहुत गहरी थी. मैंने उसकी नाभि पर हाथ फेरा… वो मचल उठी..मैंने फ़िर से उसके गालों को चूमा.. फ़िर उसके कान पर गीली जीभ फेरा.. वो उछल पड़ी.. मै चाहता था की उसके उछलने से उसकी चून्चियां भी उछले.. लेकिन नही.. वो तो जैसे उसके सीने पर चिपकी हुयी थी.. जैसे किसी मूर्ति के स्तन हो.एकदम सख्त..
दोस्तों आप सोच सकते हो मेरी क्या हालत हो रही थी. उसके इस रूप को देख कर… उसके निपल मानो स्ट्राबेरी हों इस तरह गुलाबी से लाल हो रहे थे… मेरे चूसने से और कड़क हो गए थे.. मैंने उसके एक स्तन को पंजे से पकड़ा और ज्यादा से ज्यादा मुंह के अन्दर ले कर चूसने लगा… आह..आह.. ओह्ह.. संजय.. उफ़.. तुम बहुत बदमाश हो.. आह.. उफ़.. मुझे क्या हो रहा..इश..इश्ह.. कहते हुए वो अपनी दोनों जांघों को रगड़ने लगी..
संजय.. क्या कर रहे हो.. आ..आह्ह..बस.. हाँ दबाव.. चुसो.. और उसने एक हाथ से अपनी चूंची पकड़ी और मेरे मुंह में निपल डालने लगी…. उसके पैर उसी तरह हिल रहे थे.. वो अपने चुतद ऊपर कर रही थी.. और अचानक उसने मुझे जोर से भींच लिया.. और आह्ह..आह्ह.. आह… करते हुए अपने पैरों को पूरा लंबा कर दिया.. मै समझ गया वो झड़ गई है..
अब उसको मैंने फ़िर से होंठो से चूमना शुरू किया.. और चूमते हुए मैंने उसके हाथों को ऊपर उठाया और मेरा मुंह उसके बगल में घुसाया.. ओह्ह.. उसके बगल की वोह मादक खुशबू.. पसीने और पावडर की मिलीजुली खुशबू.. मैंने उसे सूंघा और फ़िर मेरी जीभ फेरते हुए चाटने लगा. उसे गुदगुदी होने लगी.. मैंने दोनों बगलों को करीब १० मिनट तक छठा.. वो मचलती रही.. फ़िर मै दुबारा उसके स्तनों पर आ गया.. इस बार मै पुरे स्तन को हथेली में लेता और निपल समेत जितना मुंह में ले सकता उतना मुंह में लेता और चूसता.. दोनों चूंचिया.. अब लाल हो चुकी थी.. दबाने से नीले निशान दिख रहे थे.. मैंने जहाँ जहाँ दांत लगाये वहां पर दांतों के निशान भी पड़ गए थे…
रागिनी सिर्फ़ आह.. ओह्ह.. कर रही थी.. मै उसकी पतली कमर को सहलाता.. पेट पर हाथ फेरता.. अब मै नीचे पेट की तरफ़ आया.. जैसे ही गोरे पेट पर किस किया.. वो थोडी उछल पड़ी.. मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड के नीचे डाल दिए. उसके चूतड किसी कुंवारी लड़की जैसे सख्त थे.. लेकिन उस सख्ती में एक मुलामियत का अहसास था… मैंने उन्हें दबाते हुए मेरी जीभ उसकी नाभि पर गोलाई में घुमाना शुरू किया.. अब वो फ़िर से बेचैन होने लगी थी.. ओह्ह संजय.. बहुत बदमाश हो तुम.. उफ़ नही.. बस.. मै.. मर जाउंगी.इ.इ.इ.इ.”
और वो थोड़ा उठ कर बैठ गई.. मैंने जल्दी से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए. और चूमने लगा.. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी… मैंने अपनी जीभ उसके मुंह के अन्दर डाल दी.. फ़िर उसकी जीभ मुंह में लेकर चूसने लगा..मुझे मालूम था की अब रागिनी भी गरम हो चुकी है फ़िर से.. मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा.. उसके चूंचियों को देखते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठो पर चिपका दिए.. और जोरो से चूसने लगा.. उसके मुंह से.. उम् उम् आह की आवाज़ निकलने लगी.. मेरे हाथ स्तनों पर थे..
मैंने मेरे होंठ फ़िर से उसके निपल पर रखे ..उसका हाथ मेरे बालों में घूम रहा था.. इस पोज़ में मुझे थोडी दिक्कत हो रही थी. मैंने उसे सोफे के किनारे पर पैर लटका कर बिठाया और मै नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया.. इस तरह बैठने से उसकी चूंचिया ठीक मेरे होंठो के सामने आ गई. मैंने दोनों चूंचियों के मेरे हथेलीयों में भर लिया और उसके निपल मुंह में लिए.. कभी कभी मै उसकी कमर को भी सहला देता था.. मैंने नीचे सर झुकाया तो मैंने देखा उसका पेटीकोट सामने से गीला हो रहा है.. मैंने मेरा मुंह नीचे की तरफ़ लाया उसके पेट पर से होते हुए उसके दोनों जांघों के बीच में मैंने सर रखा और नाभी का चुम्बन लेते हुए उसके जांघों को मेरे हाथों से फैलाया..
पेटीकोट का कपड़ा पूरा फ़ैल गया. मेरे होंठ उसकी जांघो पर पहुंचे पेटीकोट के ऊपर से ही..पैर फैला देने से मुझे उसकी उभरी हुयी चूत का आभास मिल रहा था. मैंने बहुत हलके से उस उभार पर होंठ रखे और “पुच्च..पुच्च.” किया.. वो सिहर उठी.. अपनी जांघ सिकोड़ने लगी. अब मैंने उसका पेटीकोट निकलने का निश्चय किया और उसकी डोरी पर हाथ रखा. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया “नही संजय.. ये मत करो.. प्लिज्ज़. तुम्हारी बीवी और मेरे पति के बारे में सोचो.. ये ग़लत है.. हम उनसे दगाबाजी कर रहे है.. रुक जाओ संजय.” उसने मुझे रोकने का एक असफल प्रयत्न किया. और उठ कर खड़ी होने लगी.