12-04-2021, 04:31 PM
शुरुवात में तो मेने धीरे धीरे अपने कड़क नाथ को भाभी की मुलायम गुलाबी गुफा में घुसाया, भाभी के चेहरे के भाव ऐसे आ रहे थे मानो उन्हें दर्द के साथ मीठा मीठा मज़ा मिल रहा हो, उनकी आंखे नशीली होती जा रही थी, मेने भी मौका देखते ही अपनी रफ़्तार बढ़ा दी, और फिर कुछ ही पलो के बाद अपनी पूरी रफ़्तार पर आ गया, भाभी भी अभी कुछ समय पहले ही दो तिन बार मेरे जीभ से चाटने की वजह से खाली हुयी थी, इसलिए एस बार अब थोड़ा दम मार रही थी, उन्होंने भी पूरा साथ दिया, समय समय पर में अपनी रफ़्तार थोड़ी धीमी कर उनके बड़े बड़े चुचक चूसता रहता, जिससे की उनका ध्यान थोड़ा भटके और वो जल्दी समर्पण ना कर दे
में लगातार उनके नशीले होंठो को चूम रहा था, वो भी अपनी जीभ मेरे मुंह में दे रही थी, कभी में उनके कानो के पोरों को हलके से दांतों के बिच दबाता तो कभी उनकी चुचियो को दाँतों से काटता, उन्हें बड़ा मज़ा आ रहा था,
मेरा ये अंदाज़ उनको भा गया, वो बोली, दीदी यानी मेरी पत्नी, हमेशा कहती हे की मेरे पति का चुदाई का अंदाज़ निराला हे, जब तक में दो या तिन बार सन्तुष नहीं होती तब तक खुद चरम पर नहीं पहुचते, और बोली मेरा भी कितना ध्यान रख रहे हो, एक हमारे वो हे, की कब घुसे और कब निकले पता ही नहीं चलता,
लगभग पंद्रह बीस मिनट की मेहनत के बाद भाभी अपने चरम पर पहुचने लगी, उन्होंने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून चुभोना शुरू कर दिए, आँखे चढने लगी, और अपना पूरा सहयोग देने लगी, और पांच मिनट बाद्द उनकी चीख निकल गयी, लेकिन में रुका नहीं, भाभी इतनी जोर से स्खलित हुयी की उनके झड़ने से मेरा लिंग योनी से बाहर आने लगा, लेकिन मेने अपनी रफ़्तार कम नहीं की, आखिर भाभी ही बोली प्लीज थोड़ी सांस लेने दो, और अब तुम भी जल्दी ही खाली हो जाओ,
लेकिन मुझे किसी तरह की जल्दी नहीं थी, में थोडा रुका और भाभी को सांस लेने का मौका दिया, वो थोड़ी रिलैक्स हुयी, जैसे ही वो फिर से नार्मल हुयी, मेने अपना लिंग फिर से उनकी मस्त फुगी हुयी चूत में पेल दिया, और एक झटके में उनको बाहों से पकड़ते हुवे, अपने ऊपर ले लिया, यानी अब में निचे और भाभी ऊपर थी, भाभी के लिए ये अप्रत्याशित था, वो चौक सी गयी,
अब भाभी के बड़े बड़े स्तन मेरी अआखो के सामने थे, मेरी सबसे बड़ी कमजोरी बस बड़े बोबे ही हे, और वो भी बिना झूले हुवे, मेरी नियत उनको खूब चूसने की थी, भाभी ने भी बिना देरी किये एक एक कर दोनों बोबे मेरे मुंह में दे दिए, करीब दस पंद्रह मिनट उनको चूसने के साथ मे अपने हाथ उनकी गांड पर फेरता रहां, तभी मेने अपनी एक उंगली उनकी गांड में घुसाने की कोशिश की, वो चौक गयी, और हस कर बोली कोई इरादा मत रखना गलत रास्ते जाने का, मेने कहा ना, ऐसा नहीं,
फिर में उनके बोबे चूसता रहा, गांड के छेड़ में अपनी बिच की उन्गली पलता रहा अस्मे भाभी को भी मज़ा आ रहा था थोड़ी देर में वो फिर चुदाई के लिए तय्यार हो गयी, मेरा लंड तो पहले से ही उनकी बुर में फसा था, बस में धक्के नहीं लगा रहा था, खुद भाभी ही अब ऊपर सवारी करते करते मेरे लंड पर एडजस्ट करर्ने लगी और फिर आहिस्ता आहिस्ता उस पर कूदते कूदते सवारी करने लगी,
भाभी को भी नया आसन अच्छा लगा, कोई दस मिनट बाद खुद ही अपनी चूत को सहलाने लगी क्योंकि नीची रहने पर लंड से उनकी चूत का अगला पॉइंट खुद ही दब जता हे लेकिन इस आसन में ऐसा नहीं था, खुद के हाथ से चूत रगड़ने के साथ साथ में उनके स्तन मिंज रहा था, गांड में उंगली कर रहा था, तभी उनका बदन अकडा और वो फिर जोर से झड गयी,
में निचे था, इसलिए उनके चूत के रस से मेरा लंड सराबोर हो गया, मेने बिना देर किये एक ही झटके में उनको कमर से उठा अपने चेहरे पर ले आया और उनके काम रस को पिने लगा, उनकी चूत का रस किसी अमृत से कम नहीं था, भाभी आश्चर्य चकित सी रह गयी, उनकी बुर के रस की अंतिम बूंद तक में चाट चुका था, अब उनकी हालत खराब हो चुकी थी, खुद ही बेड पर लेट गयी,
उनकी हालात देख मेने खुद ही अभी के लिए खाली होने की सोची, थोड़ी स्थिर होते ही भाभी ने खुद ही मुझे अप्पने ऊपर चढ़ा लिया बोली क्या करते हो मेरी बारह बजी पड़ी हे और तुम हो की अभी तक टिके हुवे हो, क्या खाते हो, व्याग्रा खाते हो क्या
एस बार मेने मानसिक रूप से खुद को स्खलित होने के लिए तय्यार किया और फिर अगला राउंड शुरू किया, कोई बारह पंद्रह मिनट के बाद भाभी फिर झड चुकी थी, एस बार मेने भी ज्याडा समय ना बिगाडा भाभी से पूछा क्या करू, बाहर निकाल लूँ तो बोली मेरी बुर भर दो तुम्हारे माल से मेने कॉपर टी लगवा रही हे, चिंता मत करो,
अब में निश्चिंत था, थोड़े और धक्को के बाद अपने चरम पर पंहुचा और फिर लगभग एक घंटे की मेहनत के बाद भाभी की बुर में अपना गरमा गरम लावा उड़ेल दिया, भाभी की आँखों में संतुष्टि का भाव देख मज़ा आ गया
अब थकान के बारे बुरा हाल था रत की ढाई बज रहे थे, भाभी के अन्दर सामान था, और एक दुसरे से चिपके चिपके दोनों सो गए,
सुबह करींब आठ बजे भाभी की नींद खुली उन्होंने आहिस्ता से मुझे साइड किया और बाथरूम में घुस गयी, उनके वापिस आने की आहत से मेरी भी आँख खुल गयी, भाभी ने नायती पहन ली थी
में लगातार उनके नशीले होंठो को चूम रहा था, वो भी अपनी जीभ मेरे मुंह में दे रही थी, कभी में उनके कानो के पोरों को हलके से दांतों के बिच दबाता तो कभी उनकी चुचियो को दाँतों से काटता, उन्हें बड़ा मज़ा आ रहा था,
मेरा ये अंदाज़ उनको भा गया, वो बोली, दीदी यानी मेरी पत्नी, हमेशा कहती हे की मेरे पति का चुदाई का अंदाज़ निराला हे, जब तक में दो या तिन बार सन्तुष नहीं होती तब तक खुद चरम पर नहीं पहुचते, और बोली मेरा भी कितना ध्यान रख रहे हो, एक हमारे वो हे, की कब घुसे और कब निकले पता ही नहीं चलता,
लगभग पंद्रह बीस मिनट की मेहनत के बाद भाभी अपने चरम पर पहुचने लगी, उन्होंने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून चुभोना शुरू कर दिए, आँखे चढने लगी, और अपना पूरा सहयोग देने लगी, और पांच मिनट बाद्द उनकी चीख निकल गयी, लेकिन में रुका नहीं, भाभी इतनी जोर से स्खलित हुयी की उनके झड़ने से मेरा लिंग योनी से बाहर आने लगा, लेकिन मेने अपनी रफ़्तार कम नहीं की, आखिर भाभी ही बोली प्लीज थोड़ी सांस लेने दो, और अब तुम भी जल्दी ही खाली हो जाओ,
लेकिन मुझे किसी तरह की जल्दी नहीं थी, में थोडा रुका और भाभी को सांस लेने का मौका दिया, वो थोड़ी रिलैक्स हुयी, जैसे ही वो फिर से नार्मल हुयी, मेने अपना लिंग फिर से उनकी मस्त फुगी हुयी चूत में पेल दिया, और एक झटके में उनको बाहों से पकड़ते हुवे, अपने ऊपर ले लिया, यानी अब में निचे और भाभी ऊपर थी, भाभी के लिए ये अप्रत्याशित था, वो चौक सी गयी,
अब भाभी के बड़े बड़े स्तन मेरी अआखो के सामने थे, मेरी सबसे बड़ी कमजोरी बस बड़े बोबे ही हे, और वो भी बिना झूले हुवे, मेरी नियत उनको खूब चूसने की थी, भाभी ने भी बिना देरी किये एक एक कर दोनों बोबे मेरे मुंह में दे दिए, करीब दस पंद्रह मिनट उनको चूसने के साथ मे अपने हाथ उनकी गांड पर फेरता रहां, तभी मेने अपनी एक उंगली उनकी गांड में घुसाने की कोशिश की, वो चौक गयी, और हस कर बोली कोई इरादा मत रखना गलत रास्ते जाने का, मेने कहा ना, ऐसा नहीं,
फिर में उनके बोबे चूसता रहा, गांड के छेड़ में अपनी बिच की उन्गली पलता रहा अस्मे भाभी को भी मज़ा आ रहा था थोड़ी देर में वो फिर चुदाई के लिए तय्यार हो गयी, मेरा लंड तो पहले से ही उनकी बुर में फसा था, बस में धक्के नहीं लगा रहा था, खुद भाभी ही अब ऊपर सवारी करते करते मेरे लंड पर एडजस्ट करर्ने लगी और फिर आहिस्ता आहिस्ता उस पर कूदते कूदते सवारी करने लगी,
भाभी को भी नया आसन अच्छा लगा, कोई दस मिनट बाद खुद ही अपनी चूत को सहलाने लगी क्योंकि नीची रहने पर लंड से उनकी चूत का अगला पॉइंट खुद ही दब जता हे लेकिन इस आसन में ऐसा नहीं था, खुद के हाथ से चूत रगड़ने के साथ साथ में उनके स्तन मिंज रहा था, गांड में उंगली कर रहा था, तभी उनका बदन अकडा और वो फिर जोर से झड गयी,
में निचे था, इसलिए उनके चूत के रस से मेरा लंड सराबोर हो गया, मेने बिना देर किये एक ही झटके में उनको कमर से उठा अपने चेहरे पर ले आया और उनके काम रस को पिने लगा, उनकी चूत का रस किसी अमृत से कम नहीं था, भाभी आश्चर्य चकित सी रह गयी, उनकी बुर के रस की अंतिम बूंद तक में चाट चुका था, अब उनकी हालत खराब हो चुकी थी, खुद ही बेड पर लेट गयी,
उनकी हालात देख मेने खुद ही अभी के लिए खाली होने की सोची, थोड़ी स्थिर होते ही भाभी ने खुद ही मुझे अप्पने ऊपर चढ़ा लिया बोली क्या करते हो मेरी बारह बजी पड़ी हे और तुम हो की अभी तक टिके हुवे हो, क्या खाते हो, व्याग्रा खाते हो क्या
एस बार मेने मानसिक रूप से खुद को स्खलित होने के लिए तय्यार किया और फिर अगला राउंड शुरू किया, कोई बारह पंद्रह मिनट के बाद भाभी फिर झड चुकी थी, एस बार मेने भी ज्याडा समय ना बिगाडा भाभी से पूछा क्या करू, बाहर निकाल लूँ तो बोली मेरी बुर भर दो तुम्हारे माल से मेने कॉपर टी लगवा रही हे, चिंता मत करो,
अब में निश्चिंत था, थोड़े और धक्को के बाद अपने चरम पर पंहुचा और फिर लगभग एक घंटे की मेहनत के बाद भाभी की बुर में अपना गरमा गरम लावा उड़ेल दिया, भाभी की आँखों में संतुष्टि का भाव देख मज़ा आ गया
अब थकान के बारे बुरा हाल था रत की ढाई बज रहे थे, भाभी के अन्दर सामान था, और एक दुसरे से चिपके चिपके दोनों सो गए,
सुबह करींब आठ बजे भाभी की नींद खुली उन्होंने आहिस्ता से मुझे साइड किया और बाथरूम में घुस गयी, उनके वापिस आने की आहत से मेरी भी आँख खुल गयी, भाभी ने नायती पहन ली थी