12-04-2021, 10:22 AM
मेरा नाम दीपक है। यह वाक्या काफी सालों पहले का है। मैं उन दिनों जयपुर में रहता था।
एक प्राइवेट कंपनी ने में सेल्स डिपार्टमेंट में सीनियर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव था। मेरा परफॉरमेंस अच्छा था और सेल्स में मैं हमारी कंपनी में अक्सर अव्वल या पुरे इंडिया में पहले पांच में रहता था। मेरा बॉस मुझसे बहुत खुश था। मेरी प्रमोशन के चांस अच्छे थे। एक बार एक पार्टी में जहां मैं मेरी पत्नी दीपा के साथ गया हुआ था वहाँ मेरे बॉस भी आये हुए थे। वहाँ मैंने मेरी पत्नी से बॉस को मिलाया। दीपा को देख कर मेरा बॉस काफी प्रभावित हुए। उस पार्टी में बॉस ने दीपा से काफी इधर उधर की बातें की।
मेरी पत्नी दीपा की जवानी और खिली हुयी लगती थी। वह उस समय कोई २८ साल की होगी। हमारी लव मैरिज हुई थी। दीपा अत्यन्त सुन्दर थी।
दीपा का चेहरा लंबा सा था। उसकी आँखें धारदार थीं और पलकें घनी, पतली और काली थीं। दीपा नाक नुकीली सीधी सुआकार थी। दीपा के गाल ना फुले हुए थे ना ही पिचके हुए थे। बिलकुल सही मात्रा में भरे हुए थे। दीपा के कान के इर्दगिर्द उसके बालों की जुल्फ घूमती नजर आ रही थी। घने और काले बाल दीपा की कमर तक लम्बे थे जिन्हें वह अक्सर बाँध कर रखती थी जिससे उसके सौन्दर्य में चार चाँद लग जाते थे। देखने में मेरी पत्नी कुछ हद तक हिंदी फिल्मों की पुराने जमाने की अभिनेत्री राखी की तरह दिखती थी, पर राखी से कहीं लम्बी थी। आजकल फिल्मों में उसे परिणीति चोपड़ा से कुछ हद तक तुलना कर सकते हैं।
दीपा कमर से तो पतली थी पर उसके उरोज (मम्मे) पूरे भरे भरे और तने हुए थे। कोई भी देखने वाले की नजर दीपा के चेहरे के बाद सबसे पहले उसके दो फुले हुए गुम्बजों (मम्मों) पर मजबूरन चली ही जाती थी। उसके तने हुए ब्लाउज में से वह इतने उभरते थे, की मेरी बीबी के लिए उन्हें छिपा के रखना असंभव था और इसी लिए काफी गेहमागहमी करने के बाद उसने अपने बूब्स छुपाने का विचार छोड़ दिया। क्या करें वह जब ऐसे हैं तो लोग तो देखेंगे ही। दीपा की पतली फ्रेम पर उसके दो गुम्बज को देखने से कोई भी मर्द अपने आप को रोक ही नहीं पायेगा ऐसे उसके भरे हुए सुडोल स्तन थे। दीपा उन्हें किसी भी प्रकार से छुपा नहीं पाती थी। मैंने उसे बार बार कहा की उसे उन्हें छुपा ने की कोई जरुरत नहीं है। आखिर में तंग आकर उसने उन्हें छुपाने का इरादा ही छोड़ दिया। उसका बदन लचीला और उसकी कमर से उसके उरोज का घुमाव और उसके नितम्ब का घुमाव को देख कर पुरुषों के मुंह में बरबस पानी आ जाना स्वाभाविक था।
ज्यादातर दीपा साडी पहनकर ही बाहर निकलती थी। उसे जीन्स पहनना टालती थी क्यूंकि उसकी लचिली जाँघें, गाँड़ और चूत का उभार देख कर मर्दों की नजर उसीके ऊपर लगी रहती थी। जब कभी दीपा जीन्स या लेग्गीन पहनती थी तो दीपा बड़ी ही अजीब महसूस करती थी क्यूंकि सब मर्द और कई औरतें भी दीपा की दोनों जाँघों के बिच में ही देखते रहते थे।
मैं और दीपा एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। मैं एक साल सीनियर था। कॉलेज में हजारों लड़को में कुछ ही लड़कियां थी। उनमे से एक दीपा थी। परन्तु वह मन की इतनी मज़बूत थी की कोई लड़का उसे छेड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। कई बार शरारती लड़कों को चप्पल से पीटने के कारण वह कॉलेज में बड़ी प्रख्यात थी।
दीपा बातूनी भी बड़ी थी। बचपन से ही उसे काफी बात करने की आदत थी। उसे पुरुषों से बात करने में कोई झिझक नहीं होती थी। उसकी इसी आदत के कारण कई बार मैं मजाक में ताने मार कर उसे बसंती (शोले पिक्चर वाली हेमामालिनी) कहकर बुलाता था। बात करते करते वह अक्सर खिल खिलाकर हँस भी पड़ती थी। दीपा की इसी मस्ती भरी बात करने की आदत और हँसी के कारण मैं दीपा से आकर्षित हुआ था। साथ साथ में वह काफी संवेदनशील (इमोशनल) भी थी। किसी अपाहिज को अथवा गरीब भिखारी को देख कर उसकी आँखों में आँसूं भर आते थे। हम जब कोई हिंदी मूवी देखने जाते तो करुणता भरा दृश्य देख कर वह रोने लगती थी। कॉलेज में कई लड़के दीपा को पटाने में जुटे हुए थे। पर उन सबके मुकाबले मैं दीपा का दिल जितने में कामयाब हुआ था। पता नहीं दीपा ने मुझ में क्या देखा जिसके कारण उन सब हैंडसम और रईस लड़कों के मुकाबले मुझे पसंद किया। शायद दीपा को मेरी सादगी और सच्चापन अच्छा लगा।
कॉलेज के लड़कों के मन में दीपा को पाने की ख्वाहिश तो थी। पर न पा सकने के कारण उसकी पीठ पीछे कई लड़के दीपा के बारेमें ऐसी वैसी अफवाएं जरूर फैलाया करते थे। खास तौर से मैंने कॉलेज के कुछ लडकोंको यह कहते सुना था की दीपा का उसके साथ या किसी और के साथ अफेयर था। वह कॉलेज में लडकोसे बिंदास मिलती थी पर किसकी क्या मजाल जो उससे भद्दा मजाक करने की हिम्मत करे। वह भी कोई ज़माना था जो बीत गया और अब हम शादीशुदा संसार के चक्रव्यूह में फँसे हुए अपना अपना काम कर रहे थे।
एक प्राइवेट कंपनी ने में सेल्स डिपार्टमेंट में सीनियर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव था। मेरा परफॉरमेंस अच्छा था और सेल्स में मैं हमारी कंपनी में अक्सर अव्वल या पुरे इंडिया में पहले पांच में रहता था। मेरा बॉस मुझसे बहुत खुश था। मेरी प्रमोशन के चांस अच्छे थे। एक बार एक पार्टी में जहां मैं मेरी पत्नी दीपा के साथ गया हुआ था वहाँ मेरे बॉस भी आये हुए थे। वहाँ मैंने मेरी पत्नी से बॉस को मिलाया। दीपा को देख कर मेरा बॉस काफी प्रभावित हुए। उस पार्टी में बॉस ने दीपा से काफी इधर उधर की बातें की।
मेरी पत्नी दीपा की जवानी और खिली हुयी लगती थी। वह उस समय कोई २८ साल की होगी। हमारी लव मैरिज हुई थी। दीपा अत्यन्त सुन्दर थी।
दीपा का चेहरा लंबा सा था। उसकी आँखें धारदार थीं और पलकें घनी, पतली और काली थीं। दीपा नाक नुकीली सीधी सुआकार थी। दीपा के गाल ना फुले हुए थे ना ही पिचके हुए थे। बिलकुल सही मात्रा में भरे हुए थे। दीपा के कान के इर्दगिर्द उसके बालों की जुल्फ घूमती नजर आ रही थी। घने और काले बाल दीपा की कमर तक लम्बे थे जिन्हें वह अक्सर बाँध कर रखती थी जिससे उसके सौन्दर्य में चार चाँद लग जाते थे। देखने में मेरी पत्नी कुछ हद तक हिंदी फिल्मों की पुराने जमाने की अभिनेत्री राखी की तरह दिखती थी, पर राखी से कहीं लम्बी थी। आजकल फिल्मों में उसे परिणीति चोपड़ा से कुछ हद तक तुलना कर सकते हैं।
दीपा कमर से तो पतली थी पर उसके उरोज (मम्मे) पूरे भरे भरे और तने हुए थे। कोई भी देखने वाले की नजर दीपा के चेहरे के बाद सबसे पहले उसके दो फुले हुए गुम्बजों (मम्मों) पर मजबूरन चली ही जाती थी। उसके तने हुए ब्लाउज में से वह इतने उभरते थे, की मेरी बीबी के लिए उन्हें छिपा के रखना असंभव था और इसी लिए काफी गेहमागहमी करने के बाद उसने अपने बूब्स छुपाने का विचार छोड़ दिया। क्या करें वह जब ऐसे हैं तो लोग तो देखेंगे ही। दीपा की पतली फ्रेम पर उसके दो गुम्बज को देखने से कोई भी मर्द अपने आप को रोक ही नहीं पायेगा ऐसे उसके भरे हुए सुडोल स्तन थे। दीपा उन्हें किसी भी प्रकार से छुपा नहीं पाती थी। मैंने उसे बार बार कहा की उसे उन्हें छुपा ने की कोई जरुरत नहीं है। आखिर में तंग आकर उसने उन्हें छुपाने का इरादा ही छोड़ दिया। उसका बदन लचीला और उसकी कमर से उसके उरोज का घुमाव और उसके नितम्ब का घुमाव को देख कर पुरुषों के मुंह में बरबस पानी आ जाना स्वाभाविक था।
ज्यादातर दीपा साडी पहनकर ही बाहर निकलती थी। उसे जीन्स पहनना टालती थी क्यूंकि उसकी लचिली जाँघें, गाँड़ और चूत का उभार देख कर मर्दों की नजर उसीके ऊपर लगी रहती थी। जब कभी दीपा जीन्स या लेग्गीन पहनती थी तो दीपा बड़ी ही अजीब महसूस करती थी क्यूंकि सब मर्द और कई औरतें भी दीपा की दोनों जाँघों के बिच में ही देखते रहते थे।
मैं और दीपा एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। मैं एक साल सीनियर था। कॉलेज में हजारों लड़को में कुछ ही लड़कियां थी। उनमे से एक दीपा थी। परन्तु वह मन की इतनी मज़बूत थी की कोई लड़का उसे छेड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। कई बार शरारती लड़कों को चप्पल से पीटने के कारण वह कॉलेज में बड़ी प्रख्यात थी।
दीपा बातूनी भी बड़ी थी। बचपन से ही उसे काफी बात करने की आदत थी। उसे पुरुषों से बात करने में कोई झिझक नहीं होती थी। उसकी इसी आदत के कारण कई बार मैं मजाक में ताने मार कर उसे बसंती (शोले पिक्चर वाली हेमामालिनी) कहकर बुलाता था। बात करते करते वह अक्सर खिल खिलाकर हँस भी पड़ती थी। दीपा की इसी मस्ती भरी बात करने की आदत और हँसी के कारण मैं दीपा से आकर्षित हुआ था। साथ साथ में वह काफी संवेदनशील (इमोशनल) भी थी। किसी अपाहिज को अथवा गरीब भिखारी को देख कर उसकी आँखों में आँसूं भर आते थे। हम जब कोई हिंदी मूवी देखने जाते तो करुणता भरा दृश्य देख कर वह रोने लगती थी। कॉलेज में कई लड़के दीपा को पटाने में जुटे हुए थे। पर उन सबके मुकाबले मैं दीपा का दिल जितने में कामयाब हुआ था। पता नहीं दीपा ने मुझ में क्या देखा जिसके कारण उन सब हैंडसम और रईस लड़कों के मुकाबले मुझे पसंद किया। शायद दीपा को मेरी सादगी और सच्चापन अच्छा लगा।
कॉलेज के लड़कों के मन में दीपा को पाने की ख्वाहिश तो थी। पर न पा सकने के कारण उसकी पीठ पीछे कई लड़के दीपा के बारेमें ऐसी वैसी अफवाएं जरूर फैलाया करते थे। खास तौर से मैंने कॉलेज के कुछ लडकोंको यह कहते सुना था की दीपा का उसके साथ या किसी और के साथ अफेयर था। वह कॉलेज में लडकोसे बिंदास मिलती थी पर किसकी क्या मजाल जो उससे भद्दा मजाक करने की हिम्मत करे। वह भी कोई ज़माना था जो बीत गया और अब हम शादीशुदा संसार के चक्रव्यूह में फँसे हुए अपना अपना काम कर रहे थे।