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Thriller कामुक अर्धांगनी
ताबड़तोड़ तरीके से लड़ का चूत पर प्रहार होते मधु कामवासना मे हिचकौले मारने लगी और अपने हाथों को अपने ही मदमस्त चुचियों पर रख दबाते आहे भर्ती बोली अहह अहह क्या सुख है रे दो लौड़े एक साथ लेने मे कहाँ मेरे नामर्द पति के झटके कहाँ तुम दोनों का वॉर उफ्फ्फ फाड् दे दोनों मेरी जवानी खा जा बिरजू ओह मेरे कालू ऐसा चोद की तेरी मालकिन रंडी बन जाए उफ्फ्फ अहह करती मेरी मधु सातवें आसमान पर थी और इधर मेरी प्यारी शालिनी भाभी के मखमली मुलायम चुचियों को मसलता मे निप्पलों को चूस खिंचे जा रहा था और भाईसाहब अपने धर्मपत्नी की चुदी चूत लपलप चाटे जा रहे थे ।
 
भाभी के कोमल हाथ मेरे नामर्द बदन पर चिंगारी की तरह सिहरन दौड़ा रहे थे जो मेरे बेकार लुल्ली को अकारण मर्द होने का आभास दिला रहा था ऐसे मनोइस्थि मे मेरा मन हज़ारों खयालो मे खोए हुआ था और अपने अर्धाग्नि की चीत्कार सुन ऐसा लग रहा था कि मेरा जीवन सबसे सुखद पल मे कट रहा है और इस बीच मधु की तेज चीत्कार ने सारे माहौल को बदल डाला ।
 
गांड मे लड़ यू ही पड़ा रहा पर चूत से लड़ खिंच सबने मेरी अर्धाग्नि को पिचकारी मारते देखा एक पतली गाढ़े सी सफेद मलाई उसके चूत से धार बन कालू के बदन से टकराती कुछ छीटे शर्मा जी के जिस्म से स्पर्श करती भाभी के चिकने योवन पर बरसती हुई सबको भिगोते चली गई ।
 
भाभी ने झुक कर मधु के चूत को हाथ से रगड़ते बोला वाह अब तू समझी क्या सुख है मर्दो के नीचे चल बाकी भी निकाल दे और अपने तीन उँगलियों को मोड़ कर भाभी ने मधु के चूत को बड़े बेरहम अंदाज़ मे झंगझोर दिया और मेरी पत्नी चित्कार मारती हाँफने लगी और बोली भाभी भाभी और उसका निढाल बदन देख कोई भी समझ सकता था कि आखिर ये औरत आज वो सुख भोगी है जो हर मर्द आ दायित्व है औरत को देने का ।
 
कालू ने थोड़े देर सब्र रखा फिर भाभी के हाथ को जबरन हटा कर बोला ये चूत का रस मेरे लौड़े के लिए है और उठ चढ़ एक झटके मे मधु के लस लसलसाते चूत मे लड़ पेल कर जानवर की तरह चुदाई करने लगा और मधु बंद आँखों से कालू के कंधों को पकड़ी आहे भर्ती ऐसे हाँफने लगी मानो मधु एक अलग दुनिया मे हो और यथा सीघ्र मधु का बदन पूरी तरह अकड़ गया और वो ऊपर की और उठ एकदम से बिरजू पर गिर पड़ी और कालू हँसते बोला मालकिन अब तूने मेरे लड़ सही नहलाया है और वो बेसब्र सा फच फचाते चूत को चोदता अपना वीर्य त्याग करने लगा और ऊपर निढाल हो कर हाँफने लगा जो देख भाभी ने आहे भरते बोला देखा देवर जी ऐसे प्यास बुझती है एक औरत की ।
 
 
शर्मा जी मेरी पत्नी की और देखते रहे और भाभी ये देख बोली क्यों जी मधु की चूत से मलाई खाओगे क्या ,
 
शर्मा जी शर्म से पानी पानी हो गए पर भाभी ने भी अपने टांगों से उनके सीने पर अंघुटे को दबाते बोला अब काहे की शर्म नामर्द है दोनों मेरे देवर और आप यही एक रास्ता है कि बीवी को गैरों से सुख भोगते देखना नही तोह कहीं बाज़ारू बन गई तो जी नही पाएँगे आप दोनों ।
 
कालू हल्का महसूस करते मधु के पसीने से तरबतर बदन से उठ कर अलग होते खड़ा हुआ और भाभी ने उसे कहा इधर आ चल मेरे देवर को चाटने दे तेरा ये गीला लड़ और अपने पति को बड़े बेशर्मी से भाभी बोली जाईये चाट के मेरी देवरानी की चूत सूखा दीजेए जल्दी एक एक बूंद पी लेना है आपको आखिर मर्द का बीज पियेंगे तभी सायद कभी कभी मर्द सा महसूस कर पाएंगे ।
 
कालू ने अपने लड़ को भाभी के गोरे चुचियों पर रख कर सहलाया और मैंने जीभ से भाभी के चुचियों पर लगा पानी चाट लिया और कालू के लड़ को मुँह मे ले कर चूसने लगा और भाभी कालू के जिस्म को सहलाते बोली वाह ये पसीना जो तूने बहाया है ना मेरे देवरानी को सुख दे कर तूने मुझे खुश कर दिया कालू और इधर शर्मा जी के मुँह लगते ही मधु ने उनका सर दबाते बोला भाईसाहब आह आपके जीभ मे जो नशा है वो बिल्कुल मेरे गांडू पति जैसा है ।
 
भाभी के कहे अनुसार मैंने कालू का लड़ बिल्कुल साफ कर दिया पर चूसता रहा जो देख भाभी हँसते बोली देवर जी क्या चाहते हो फिर से ये खड़ा हो गया तो तेरी गांड फाड् देगा , मै कालू के लड़ को हाथ से पकड़ बोला भाभी दो जवान प्यासी औरतों के बीच दो जवान मर्द और दो जवान नामर्दों के साथ यही होगा न और क्या हो सकता है ।
 
कालू ने भाभी के स्तनों को सहलाया और मैं लड़ चूसता रहा इधर मधु के चूत मे जीभ डाले शर्मा जी मलाई खाए जा रहे रहे थे कि बिरजू बोला मालकिन ये रंडी बाज़ार से माहौल देख मेरा लड़ मचल रहा और उसने लड़ गांड से निकाल शर्मा जी के मुँह पर लगा कर बोला चूस दो मालिक मेरा लड़ निकालो मेरा पानी ये सुनते शर्मा जी गांड से निकले बिरजू का लड़ मुँह मैं ले चूसने लगे और बिरजू मधु के दूध को मसलते बोला चूस ज़ोर से चूस निकाल मेरा पानी चूस गांडू चूस ऐसा सुन कर मेरी भाभी की हसी निकलने लगी और भाभी बोली बिरजू तेरे मालिक को तेरा पानी चाहिए पिला दे ।
 
मधु ने अपने गर्दन को हल्का बिरजू की और घुमाया और बिरजू जीभ निकाल मधु के जीभ को सहलाया है था कि बिरजू ने पिचकारी मारी और शर्मा जी के मुँह मे अपना वीर्य त्यागा और हाँफते बोला पूरा चूस गांडू रुक मत और शर्मा जी ने भी कस कर चूस बिरजू के लड़ को परम आनंद देते संतुष्ट कर दिया और मधु ने बिरजू के हाथों पर अपना हाथ रखते बोला बिरजू कस से दबा न लाल कर दे मेरे उभारों को और इधर शर्मा जी ने जैसे है बिरजू के लड़ को साफ किया मधु बोल उठी मेरी गांड चाट लिजेए न जीभ डाल कर भाईसाहब ।
 
ऐसे रंडी माहौल मैं मेरा रोम रोम मचलते रहा और भाभी ने अपने स्तनों को कालू के हाथों और मधु अपने स्तनों को बिरजू के हाथों मसलवाते हल्के आहो से चारों और माहौल चुदासी बना कर बोली चलो दोनों ने आज रात आखिर अपना काम कर है दिया और अब तो बस ये दोनों नामर्द भी समझ है गए कैसी जिंदगी जिनी है इनको अब से ।
 
कहानी को मैं अब इससे ज्यादा नहीं लंबी करने वाला परन्तु कुछ रोचक कहानियों के साथ आप सबसे वापस जुड़ने वाला हुँ जो मेरी अर्धाग्नि पर ही केंद्रित रहेगी ।
आप सबके स्नेह प्यार और आशीर्वाद के लिए तहे दिल से धन्यवाद
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Messages In This Thread
RE: कामुक अर्धांगनी - by Bhavana_sonii - 24-11-2020, 11:46 PM
RE: कामुक अर्धांगनी - by kaushik02493 - 09-04-2021, 10:30 PM



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